भारत में छह प्रमुख परिवहन प्रणाली | 6 Major Transport System in India in Hindi Language.
भारत में छह प्रमुख परिवहन प्रणाली | Transport System in India
Essay Contents:
- सड़क परिवहन (Road Transport)
- रेलमार्ग (Railways)
- वायु परिवहन (Air Transport)
- जल परिवहन (Water Transport)
- प्रमुख नहर प्रणाली (Major Canal System)
- पाइप लाइन परिवहन (Pipeline Transport)
1. सड़क परिवहन पर निबंध (Road Transport):
छोटी व मध्यम दूरी के आंतरिक परिवहन साधनों के अंतर्गत सड़कों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है । सड़क मार्गों की लम्बाई के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और ब्राजील का विश्व में क्रमशः प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान है ।
विश्व के प्रमुख महामार्ग (World’s Major Highways):
ADVERTISEMENTS:
1. ट्रांस कनाडियन महामार्ग (Trans Canada Highway):
विश्व के प्रमुख महामार्गों में इसका सबसे महत्वपूर्ण स्थान है । यह कनाडा के पूर्वी तट पर स्थित न्यूफाउंडलैंड के सेट जॉन नगर को कोलम्बिया के वैंकूवर नगर से जोड़ता है । यह लगभग 9,600 किमी. लम्बा है तथा प्रशांत व अटलांटिक दोनों महासागरों के तटों को जोड़ता है ।
2. अलास्का महामार्ग (Alaska Highway):
यह अलास्का के ऐंकरेज नगर को कनाडा के एडमांटन नगर से जोड़ता है ।
ADVERTISEMENTS:
3. स्टुअर्ट महामार्ग (Stuart Highway):
यह आस्ट्रेलिया महाद्वीप का सबसे लम्बा महामार्ग है, जो उत्तरी आस्ट्रेलिया में स्थित बिरडुम नगर को एलिस स्प्रिंग व टेनेन्ट क्रीक होते हुए दक्षिणी आस्ट्रेलिया में स्थित उड़नादत्ता नगर को जोड़ता है ।
4. एक महामार्ग भूमध्यसागर के तट पर स्थित अल्जीयर्स नगर से गिनी के कोनाक्री नगर तक जाता है ।
5. मिस्र की राजधानी काहिरा (कैरो) से दक्षिण अफ्रीका की वैधानिक राजधानी केपटाउन को मिलाने वाला एक अन्तर्महाद्वीपीय मार्ग है ।
ADVERTISEMENTS:
6. पैन अमेरिकन महामार्ग (Pan American Highway):
यह दक्षिण अमेरिकी नगरों, मध्य अमेरिका एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के नगरों को मिलाने वाला महामार्ग है ।
7. रूस की राजधानी मास्को और साइबेरिया क्षेत्र में स्थित इर्कुटस्क नगर यहाँ के महामार्गों का सबसे बड़ा मिलन स्थल है ।
2. रेलमार्ग पर निबंध (Essay on Railways):
वह रेलमार्ग जो किसी महाद्वीप के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ता है, अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग कहलाता है ।
विश्व के प्रमुख रेलमार्ग निम्नलिखित हैं:
1. ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग (Trans Siberian Railway):
इसका निर्माण सन् 1891 में आरंभ हुआ तथा 1905 में बनकर तैयार हुआ । यह विश्व का सबसे लम्बा रेलमार्ग है, जिसकी लम्बाई 9,289 किमी. है । यह यूरेशिया महाद्वीप के पश्चिम में स्थित सेंट पीटर्सबर्ग नगर को पूर्व में प्रशान्त महासागर के तट पर स्थित ब्लाडीवोस्टक नगर से जोड़ता है ।
इसके प्रमुख स्टेशन हैं- मास्को, चेलियाबिन्स्क, ओमस्क, नोवोसिबिर्स्क, इर्कुटस्क आदि । इस रेलमार्ग का निर्माण पूर्व सोवियत संघ के केन्द्रीय औद्योगिक क्षेत्र को यूराल, साइबेरिया एवं सुदूर पूर्व में स्थित क्षेत्रों से जोड़ने के लिए किया गया था ।
2. कनाडियन पैसिफिक रेलमार्ग (Canadian Pacific Railway):
इस रेलमार्ग की लम्बाई 5,600 किमी. है । यह कनाडा के पूर्व में स्थित न्यू ब्रंसविक के सेंट जोन्स नगर से पश्चिम में वैंकूवर तक पहुँचता है । इसके द्वारा क्यूबेक व मांट्रियल के औद्योगिक क्षेत्र, मुलायम लकड़ी वाले वन प्रदेश व प्रेयरी प्रदेश के गेहूँ क्षेत्र आपस में जुड़े हुए हैं । विश्व की सबसे बड़ी गेहूँ की मंडी विनिपेग को भी एक लूपमार्ग के जरिए इससे जोड़ दिया गया है ।
3. कनाडियन नेशनल रेलमार्ग (Canadian National Railway):
यह नोवास्कोशिया के हैलीफैक्स नगर से ब्रिटिश कोलम्बिया के प्रिंस रूपर्ट नगर को जोड़ता है ।
4. आस्ट्रेलियन अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग (Australian Intercontinental Railway):
यह आस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा रेलमार्ग है, जो पूर्व में स्थित सिडनी नगर को पश्चिम में स्थित पर्थ नगर से संबद्ध करता है । इसके प्रमुख स्टेशन ब्रोकेन हिल, कालगूर्ली एवं कूलगार्डी हैं । उल्लेखनीय है कि कालगूर्ली व कूलगार्डी विश्व की महत्वपूर्ण स्वर्ण खदानें हैं ।
5. काहिरा-केपटाउन अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग (Cairo-Cape Town Intercontinental Railway):
यह मिस्र की राजधानी काहिरा से दक्षिण अफ्रीका की वैधानिक राजधानी केपटाउन तक बनना प्रस्तावित है । इसका मार्ग अस्वान, अदिस अबाबा, मोम्बासा होते हुए बनाया जा रहा है ।
6. ट्रांस काकेशियन रेलमार्ग (Transcaucasian Railway):
यह पूर्व सोवियत संघ के बाटूम से फरगना व कुश्क तक पहुँचता है ।
7. ओरिएंट एक्सप्रेस रेलमार्ग (Orient Express Railways):
यह यूरोप का सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है, जो फ्रांस के पेरिस से टर्की के कोस्टेनटिनोपुल तक जाता है । विश्व की सबसे लंबी रेल सुरंग गोथार्ड बेस टनेल (स्विट्जरलैंड) है ।
8. ट्रांस एडियन रेलमार्ग (Trans Asian Railway):
यह दक्षिण अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है तथा चिली के वालपरेजो से अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स तक पहुँचता है ।
9. ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग (Trans Continental Railway):
यह संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयार्क को सिएटल, सान फ्रांसिस्को व लॉस एंजिल्स से जोड़ता है ।
10. एशिया-यूरोप रेल नेटवर्क (Asia-Europe Rail Network):
इस रेल नेटवर्क के लिए वर्ष 2006 में एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP) की बैठक में मसौदा तैयार किया गया था । यह रेल नेटवर्क म्यांमार सीमा से भारत में प्रवेश कर बांग्लादेश से गुजरेगा । पुनः जेडे के समीप भारत में प्रवेश करेगा तथा अटारी से भारत की सीमा से बाहर निकल जाएगा ।
यह रेल लिंक ठीक वैसा ही होगा, जैसा कि यूरोप में पेरिस व इस्ताम्बुल के बीच है । भारत सहित एशिया और यूरोप के 28 देशों के रेलमार्ग प्रणालियों को जोड़ने वाली ट्रांस-एशियन रेलवे (TAR) संधि 11 जून, 2009 से प्रभावी हो गई । वर्तमान समय में इस संधि को भारत के अलावा चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, थाईलैण्ड, कम्बोडिया व तजाकिस्तान ने अनुमोदन दिया है ।
इसका लक्ष्य एशिया व यूरोप के बीच यात्रियों व माल के आवागमन के लिए दक्ष रेल परिवहन सेवा प्रदान करना है । इस संधि में बंदरगाह रहित देशों को प्रमुख बंदरगाहों तक बेहतर पहुँच प्रदान की जाएगी ।
संधि में वैश्विक महत्व के प्रमुख स्टेशनों की पहचान की गई है, जिनमें से अधिकतर गैर-समुद्री क्षेत्रों में है तथा तटीय क्षेत्रों के बंदरगाहों की तरह भूमिका निभाते हैं । इन्हें ‘ड्राई पोर्ट’ कहा जाता है । ये इस प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति प्रदान करेंगे ।
11. बीजिंग-केण्टन रेलमार्ग (Beijing Canton Railway):
यह चीन के उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला सबसे लम्बा रेलमार्ग (2,350) एवं सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है । यह बीजिंग, झेंगटाऊ, बुहान, झुझऊ, शंघाई तथा केंटन हैं ।
3. वायु परिवहन पर निबंध (Essay on Air Transport):
वायु परिवहन सर्वाधिक तीव्र गति वाला परंतु महंगा परिवहन का साधन है ।
संसार के वायु मार्ग मुख्यतः निम्न प्रकारों में वर्गीकृत हैं:
1. अन्तर्महाद्वीपीय ग्लोबीय (Intercontinental Global Airways) वायु मार्ग:
ये सबसे लम्बे हवाई यात्राओं के मार्ग हैं ।
इसके प्रमुख उदाहरण हैं:
i. न्यूयार्क-लंदन-पेरिस-रोम-काहिरा-दिल्ली-मुम्बई-कोलकाता-हांगकांग-टोकियो वायुमार्ग । यह विश्व का सबसे लम्बा वायुमार्ग है ।
ii. न्यूयार्क-सानफ्रांसिस्को-होनोलुलु-हांगकांग-एडिलेड-पर्थ मार्ग जो प्रशान्त महासागर को पार करता है ।
2. महाद्वीपीय वायुमार्ग (Continental Airways):
एक ही महाद्वीप के विभिन्न देशों के बीच वायु मार्ग, जैसे:
i. न्यूयार्क-शिकागो-मांट्रियल ।
ii. लंदन-पेरिस-फ्रैंकफुर्त-प्राग-वारसॉ मार्ग ।
3. राष्ट्रीय वायुमार्ग (National Airway):
किसी भी देश के अंदर लंबी दूरी की यात्राओं को तय करने के लिए बनाया गया मार्ग है ।
जैसे:
i. न्यूयार्क-शिकागो-सान फ्रांसिस्को मार्ग ।
ii. लेनिनग्राद-मास्को-नोवोसिबिर्स्क-इर्कुटस्क-ब्लाडीवोस्टक मार्ग ।
4. जल परिवहन पर निबंध (Essay on Water Transport):
पत्तन (Ports):
समुद्री मार्ग ही देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सबसे सुगम व सस्ता माध्यम होता है । यह पत्तन अथवा बन्दरगाह के द्वारा होता है, जो कि अपने पृष्ठ प्रदेशों (Hinterlands) से रेलमार्गों, सड़कों व अंतः स्थलीय जलमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ होता है ।
कुछ विशेष प्रकार के पत्तन निम्न हैं :
1. आन्त्रेपो पत्तन (Interpot Ports):
इन पत्तनों में जो माल आता है, उसको भेजने वाले दूसरे देश होते हैं तथा उनका गंतव्य भी कोई अन्य देश होता है, अर्थात ऐसे पत्तनों द्वारा एक देश के माल को किसी अन्य देश तक भेजने का कार्य संपन्न किया जाता है । इन पत्तनों पर आने वाले माल को बड़े-बड़े गोदामों में संचयन कर रखा जाता है । सिंगापुर, रॉटरडम, कोपेनहेगेन आदि विश्व के प्रमुख आन्त्रेपो पत्तन हैं ।
2. पोर्ट ऑफ कॉल (Port of Call):
लम्बे समुद्री मार्गों के बीच स्थित वैसे स्थान जहाँ जलयान रुककर ईंधन, पानी व यात्रियों के लिए भोजन आदि ग्रहण करते हैं, पोर्ट ऑफ कॉल कहलाता है । अदन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, होनोलुलु और सिंगापुर भी ऐसे ही पत्तन हैं ।
3. तेल पत्तन (Oil Ports):
इसे दो प्रकार में बाँटा गया है:
i. ईटैंकर पत्तन (Tanker Ports):
ये ऐसे पत्तन हैं, जहाँ टैंकरों में तेल भरने एवं उनसे तेल खाली करने की आधुनिक सुविधाएँ प्राप्त की जाती हैं । हमारे देश में कोलकाता, कोचीन, बड़ोदरा आदि ऐसे ही पत्तन हैं । विश्व में मराकैबो (वेनेजुएला), अस्सखीरा (ट्यूनीशिया), त्रिपोली (लीबिया) आदि प्रमुख हैं ।
ii. परिष्करणशाला पत्तन (Refinery Ports):
इन पत्तनों में खनिज तेल की परिष्करणशालाओं की स्थापना की गई है । इनका प्रमुख उदाहरण फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान है ।
4. नौसैनिक पत्तन (Naval Ports):
इनका सामरिक महत्व अधिक होता है । यहाँ नौसेना के लड़ाकू जहाजों को आने-जाने एवं रख-रखाव की सुविधाएँ उपलब्ध रहती हैं । हमारे देश में कोचीन, कारवार व विशाखापत्तनम ऐसे ही पत्तन हैं ।
5. प्रमुख नहर प्रणाली पर निबंध (Essay on the Major Canal System):
1. पनामा नहर (Panama Canal):
यह नहर पनामा स्थलखंड को काटकर बनाई गई है, जो प्रशान्त महासागर और कैरेबियन सागर (अटलांटिक महासागर) को जोड़ती है । प्रशान्त तट पर पनामा और कैरेबियन तट पर कोलोन पत्तन अवस्थित है ।
2. स्वेज नहर (Suez Canal):
यह नहर विश्व की सबसे बड़ी जहाजी (कृत्रिम) नहर है, जो भूमध्यसागर को लाल सागर से जोड़ती है । इस नहर को बनाने में फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डीनेंड-द-लेसेप्स की महत्वपूर्ण भूमिका थी । 1869 ई. में तैयार यह नहर मिस्र की नील घाटी के निचले भाग एवं सिनाई प्रायद्वीप को पृथक करती है । इस पर सबसे उत्तरी पत्तन पोर्ट सईद और दक्षिणतम पत्तन पोर्ट स्वेज है ।
मध्य भाग में पोर्ट फौद, पोर्ट तौफिक और इस्माइलिया प्रमुख पत्तन है । यह नहर 162 किमी. लम्बी है । 1956 ई. में मिस्र की सरकार ने इस नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया था । 6 अगस्त, 2015 को स्वेज नहर के विस्तार हेतु निर्मित नई स्वेज नहर का औपचारिक उद्घाटन इस्लामिया शहर में किया गया ।
3. कील नहर (Kiel Canal):
यह पश्चिमी जर्मनी में उत्तरी सागर को बाल्टिक सागर से जोड़ती है ।
4. स्टालिन नहर या श्वेत बाल्टिक नहर (Stalin Canal or White-Baltic Canal):
बाल्टिक सागर को आर्कटिक सागर से जोड़ती है ।
5. राइन-मेन-डैन्यूब नहर (Rhine-Main-Danube Canal):
यह उत्तरी सागर को काला सागर से जोड़ती है ।
6. वोल्गा प्रणाली (Volga System):
यह विश्व की एक बड़ी जलप्रवाह प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत 11,200 किमी. नौगम्य जलमार्ग उपलब्ध है । वोल्गा नदी कैस्पियन सागर में गिरती है ।
वोल्गा-मास्को नहर द्वारा मास्को क्षेत्र को इससे जोड़ा गया है । वोल्गा-डॉन नहर द्वारा काला सागर तक नौ-परिवहन संभव है ।
7. सू-नहर (Soo Canal):
यह नहर उत्तरी अमेरिका की सुपीरियर झील को ह्यूरन झील से मिलाती है ।
8. वेलेन्ड नहर (Welland Canal):
यह इरी और ओन्टारियो को जोड़ती है ।
9. इरी नहर (Erie Canal):
यह संयुक्त राज्य अमेरिका में इरी और ह्यूरन झील को जोड़ती है ।
10. सेंट लॉरेंस जलमार्ग (St. Lawrence Waterway):
यह जलमार्ग ग्रेट लेक्स से जुड़ा हुआ है तथा कुल 3,760 किमी. की दूरी तक आंतरिक भागों में समुद्री जहाजों का यातायात संभव बनाता है । इसी मार्ग के कारण ही महान झील के बंदरगाहों को समुद्री बंदरगाहों की भाँति विकसित किया गया है ।
11. निकारागुआ नहर (Nicaragua Canal):
निकारागुआ ने 22 दिसंबर, 2014 को अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला अंतरमहाद्वीपीय ‘निकारागुआ नहर’ का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया । वर्ष 2019 तक इस परियोजना के पूर्ण होने की संभावना है ।
यह नहर कैरिबियन सागर के वेनाडो द्वीप पर प्रशांत महासागर स्थित ‘ब्रिटों’ बंदरगाह के बीच होगा, जिसकी लंबाई 278 किमी. होगी । इस नहर को निकारागुआ झील को तोड़कर बनाया जाना है, जो कि मध्य अमेरिका की ताजे जल का सबसे बड़ा स्रोत है ।
6. पाइप लाइन परिवहन पर निबंध (Essay on Pipeline Transport):
ये खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जल आदि के परिवहन के सबसे सस्ते एवं सुगम साधन हैं । इनके रख-रखाव एवं संचालन में कम लागत आती है । साथ ही ऊर्जा की बचत के कारण ये पर्यावरण के अनुकूल भी हैं ।
विश्व की कुछ महत्वपूर्ण पाइप लाइनें निम्नलिखित हैं (Following are some of the World’s Important Pipelines):
1. बिग इंच पाइप लाइन (Big Inch Pipeline):
यह पाइप लाइन संयुक्त राज्य अमेरिका में मेक्सिको की खाड़ी के तटीय कुओं से खनिज तेल को उत्तर-पूर्वी क्षेत्र तक पहुँचाने के लिए बिछाई गई है । यह पाइप लाइन 1,840 किमी. लम्बी है ।
2. कॉमेकॉन (Comecon):
यह पाइप लाइन पूर्व सोवियत संघ में स्थित है तथा इसके माध्यम से वोल्गा और यूराल तेल क्षेत्रों से पूर्वी यूरोप के साम्यवादी राष्ट्रों तक खनिज तेल पहुँचाया जाता है ।
3. टैप लाइन (TAP Line):
दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्थित ओपेक देशों जैसे- ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत आदि से भूमध्यसागर के तट पर स्थित तेलशोधनशालाओं एवं बंदरगाहों तक पाइप लाइन का सघन जाल बिछाया गया है, जिसमें सबसे बड़ी पाइन लाइन टैप लाइन कहलाती है ।
यह 1,600 किमी. लम्बी है तथा फारस की खाड़ी में स्थित तेल कुओं को सिडान नामक नगर से जोड़ती है । इन पाइप लाइनों का यहाँ की अर्थव्यवस्था के रूपांतरण में महती भूमिका रही है ।
4. ESPO तेल पाइप लाइन परियोजना:
पूर्वी साइबेरिया प्रशांत महासागर तेल पाइप लाइन परियोजना रूस व चीन का संयुक्त परियोजना है ।
5. नॉर्डस्ट्रीम गैस पाइप लाइन (Nordstrom Gas Pipeline):
रूस के व्योबॉर्ग से बाल्टिक सागर होते हुए जर्मनी के ग्रीफ्सवेल्ड को जोड़ने वाली 1,212 किमी. लम्बी गैस पाइप लाइन समुद्र से होकर गुजरने वाली विश्व की सबसे लम्बी पाइप लाइन बन गई है । इस पाइप लाइन से रूस के पूर्वी यूरोप को गैस निर्यात किया जाएगा ।
6. भारत-नेपाल पाइप लाइन (Indo-Nepal Pipeline):
नेपाल के साथ आर्थिक सम्बंधों को मजबूत बनाने के लिए भारत पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति के लिए बिहार के मोतिहारी से नेपाल तक 81 किमी. लंबी पाइपलाइन बिछाएगा । इस पाइप लाइन को बनाने के लिए 200 करोड़ रूपये की राशि ईंधन आपूर्ति के लिए दी गई हैं ।
नेपाल पेट्रोल, डीजल, घरेलू LPG सिलेंडर और विमान ईंधन की आपूर्ति के लिए भारत पर निर्भर है । वर्तमान में इंडियन ऑयल के बिहार, रक्सौल स्थित डिपो से ट्रकों के द्वारा नेपाल को इनकी आपूर्ति की जाती है ।
यह पाइप लाइन इंडियन ऑयल और नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन के बीच 50:50% की भागीदारी से तैयार की जानी थी, लेकिन नेपाल की तरफ से उनके हिस्से का योगदान नहीं होने के कारण इस योजना पर काम आगे नहीं बढ़ पाया । इंडियन ऑयल ने इस बीच अपने तेल डिपो को रक्सौल से हटाकर मोतिहारी स्थानांतरित कर दिया ।
8. चीन-म्यांमार तेल पाइप लाइन (China-Myanmar Oil Pipeline):
चीन-म्यांमार तेल व गैस पाइप लाइन बिछाने की योजना वर्ष 2004 में बनाई गई थी । इसकी कुल लंबाई 2,402 किमी. है, जिसमें से 771 किमी. म्यांमार तथा 1,631 किमी. चीन में है । यह पाइप लाइन म्यांमार के मांडेय द्वीप, जो बंगाल की खाड़ी में है, से लेकर चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी कुंगमिंग और चांगमिंग तक जाएगी । इससे प्रति वर्ष 22 मिलियन कच्चा तेल पारेषित होगा ।
बहुप्रतीक्षित चीन-म्यांमार तेल एवं गैस पाइप लाइन का उद्घाटन 28 जनवरी, 2015 को किया गया जिसके माध्यम से 31 जनवरी, 2015 से तेल की आपूर्ति शुरू हो गई । इस पाइप लाइन के कारण चीन की मलक्का जलडमरूमध्य पर निर्भरता कम हो जाएगी ।
अभी चीन अपनी ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा इसी मार्ग से प्राप्त करता है । इस क्षेत्र के देशों से चीन का समुद्री सीमा विवाद एवं अमेरिका के साथ प्रतिद्वंद्विता के कारण चीन को इस मार्ग के विकल्प की आवश्यकता थी ।
9. तापी (TAPI) परियोजना:
13 दिसम्बर, 2015 को तुर्कमेनिस्तान के ऐतिहासिक सिल्क रोड़ शहर मेरी/मर्व (Mary/Merv) में तापी गैस पाइपलाइन परियोजना के निर्माण कार्य का औपचारिक शुभारंभ किया गया ।
तापी गैस पाइपलाइन, तुर्कमेनिस्तान के कैस्पियन सागर क्षेत्र स्थित गालकिनिश गैस क्षेत्र (विश्व का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस क्षेत्र है) से अफगानिस्तान के हेरात और कंधार होते हुए पाकिस्तान के क्वेटा और मुल्तान तथा फिर भारत के पंजाब राज्य के फाजिल्का तक प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगी ।
कुल 1,814 किमी. (1,127 मील) लंबी इस गैस पाइप लाइन की लागत 10 बिलियन डॉलर आकलित है तथा इस परियोजना की वित्तीयन एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा किया जा रहा है ।
तापी गैस पाइप लाइन की आपूर्ति क्षमता 90 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन या 33 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष होगी, जिसमें से भारत और पाकिस्तान को 38-38 mmcmd और अफगानिस्तान को 14 mmcmd गैस प्राप्त होगी ।
इस महत्वपूर्ण परियोजना का संचालन वर्ष 2019 तक प्रारंभ होने का आकलन व्यक्त किया गया है तथा यह 30 वर्षों तक प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगी ।