विकसित देशों में पूंजी उत्पादन अनुपात: 12 मुख्य कारक | Read this article in Hindi to learn about twelve main factors affecting capital output ratio in underdeveloped countries. The factors are:- 1. प्रयुक्त पूँजी की राशि (Amount of Capital Employed) 2. प्राकृतिक साधनों की पूर्ति (Supply of Natural Resources) 3. तकनीकी विकास की मात्रा (Degree of Technological Development) 4. शहरीकरण (Urbanisation) and a Few Others.

पूँजी उत्पाद अनुपात भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न होते हैं । किसी अर्थव्यवस्था में पूँजी उत्पाद अनुपात का आकार मुख्यता उत्पाद के आकार पर निर्भर करता है जिसे एक विशेष पूँजी आगत द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । एक प्रदत्त आगत से प्राप्त होने वाले उत्पाद का आकार जितना बड़ा होगा, पूँजी उत्पाद अनुपात उतना ही नीचा होगा ।

अन्य विभिन्न कारकों की नीचे परिचर्चा की गई है:

1. प्रयुक्त पूँजी की राशि (Amount of Capital Employed):

किसी देश में प्रयुक्त पूँजी की मात्रा पर निर्भर करता है । पूँजी उत्पाद अनुपात राष्ट्रीय आय के उस अनुपात पर निर्भर करता है जिसका वार्षिक निवेश किया जाता है ।

2. प्राकृतिक साधनों की पूर्ति (Supply of Natural Resources):

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पूँजी उत्पाद अनुपात प्राकृतिक साधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है । एक ऐसा देश जहां प्राकृतिक साधनों की बहुलता है वहां पूँजी उत्पाद अनुपात नीचा होगा क्योंकि वहां पूँजी का प्रतिस्थापन प्राकृतिक साधनों द्वारा किया जा सकेगा ।

दूसरी ओर, पूँजी साधनों की दुर्लभता पूँजी उत्पाद अनुपात को बढ़ा देती है । उदाहरणार्थ नार्वे में पूँजी उत्पाद अनुपात प्राकृतिक साधनों की पूर्ति के कारण ऊँचा है ।

3. तकनीकी विकास की मात्रा (Degree of Technological Development):

तकनीकी विकास भी पूँजी उत्पाद अनुपात को परिवर्तित कर देता है । यदि तकनीकी उन्नति मुख्य नवप्रवर्तन द्वारा प्रोत्साहित होती है जो कि पूँजी गहन है, तो पूँजी अनुपात का ऊँचा होना जरूरी है जबकि तकनीकी नवप्रवर्तनों के श्रम गहन होने पर, पूँजी उत्पाद अनुपात नीचा होता है ।

4. शहरीकरण (Urbanisation):

ग्रामीण जनसंख्या का शहरी क्षेत्रों में स्थानान्तरण, गृह निर्माण उद्योग, स्वास्थ्य और सफाई क्रियाकलापों पर अधिक निवेश को आमन्त्रित करता है जिसके परिणामस्वरूप उच्च पूँजी उत्पाद अनुपात होता है ।

5. औद्योगीकरण (Industrialisation):

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इससे भी पूँजी उत्पाद अनुपात में वृद्धि होती है जब कि कृषि गहन अर्थव्यवस्था में पूँजी उत्पाद अनुपात नीचा होता है ।

6. निवेश की संरचना (Composition of Investment):

पूँजी उत्पाद अनुपात निवेश की दर पर भी निर्भर करता है । यह स्पष्ट रूप में निवेश के दर के अनुपात में होता है । उदाहरणार्थ, यदि किसी देश में सार्वजनिक कार्यों जैसे रेलवे, सड़कें, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल आदि में भारी निवेश होते हैं तो पूँजी उत्पाद अनुपात ऊँचा होगा । यदि निवेश कृषि एवं लघुस्तरीय कुटीर उद्योगों में होते हैं तो पूँजी उत्पाद अनुपात (COR) नीचा होगा ।

7. शिक्षा का विस्तार (Spread of Education):

कार्यरत लोगों की सामान्य एवं तकनीकी दक्षता में वृद्धि शिक्षा के प्रसार द्वारा सम्भव है तथा इससे पूँजीगत साज-समान का प्रयोग बेहतर हो सकता है जिस कारण पूँजी-उत्पाद अनुपात गिर जाता है ।

8. जनसंख्या में वृद्धि (Growth of Population):

हेगन (Hegen) का मत है कि औद्योगिक देशों में जहां जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही होती है पूँजी उत्पाद अनुपात नीचा होता है । अल्प विकसित देशों में जनसंख्या का तीव्र विकास पूँजी उत्पाद अनुपात को विपरीत प्रभावित करता है ।

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यदि बढ़ती हुई जनसंख्या को कृषि में व्यस्त किया जाता है तो इससे पूँजी उत्पाद दर नहीं बढ़ेगा क्योंकि कृषि कम पूँजी गहन है । परन्तु यदि बढ़ती हुई जनसंख्या का जमाव शहरों में होता है तो पूँजी उत्पाद अनुपात में निश्चित रूप में वृद्धि होगी क्योंकि घरों, बिजली, पानी, स्कूलों आदि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अधिक पूँजी का निवेश करना पड़ेगा ।

9. मांग का नमूना (Pattern to Demand):

मांग का नमूना भी पूँजी उत्पाद अनुपात को बदल देता है । पूर्ण प्रतियोगी अर्थव्यवस्था में, प्रदत्त कीमतों और आय की स्थिति में, उपभोक्ताओं की रुचियों और प्राथमिकताओं में परिवर्तन मांग के नमूने में समयानुसार परिवर्तन कर सकता है जिसके पूँजी की मांग और पूँजी उत्पाद अनुपात पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं ।

उदाहरणार्थ- कृत्रिम सामग्री तथा उत्पादों जैसे टैरीलीन, नाइलोन आदि के कारण अनेक रासायनिक उद्योगों की स्थापना हुई है जिससे पूँजी उत्पाद अनुपात बढ़ा है ।

10. पूँजी साज-सामान में रख-रखाव की दक्षता (Efficiency of Handling Capital Equipment):

पूँजी उत्पाद अनुपात उस दक्षता पर भी निर्भर करता है जिसके द्वारा नई प्रकार के पूँजीगत साज-समान की सम्भाल की जाती है । साज-सामान की दक्ष सम्भाल से व्यर्थता नहीं होती अत: पूँजी उत्पाद अनुपात नीची होगी । पूँजी से उत्पाद का अनुपात स्पष्टतया उस सीमा पर निर्भर करता है जिस तक वर्तमान पूँजी का उपभोग किया जाता है ।

पूँजी उपभोग की मात्रा जितनी ऊँची होगी, पूँजी उत्पाद अनुपात उतना नीचा होगा और यदि पूँजी गत साज-सामान का उपयोग कम होता है तो पूँजी उत्पाद अनुपात ऊँचा होगा । इस प्रकार पूँजीगत साज-सामान का प्रयोग व्यापक रूप में पूँजी उत्पाद अनुपात के समानुपाती होगा ।

11. संगठनात्मक निपुणताओं का गुण (Quality of Organisational Skill):

उच्च प्रबन्धकीय एवं संगठनात्मक निपुणताओं वाले देश का पूँजीगत उत्पाद अनुपात नीचा होगा तथा विपरीत स्थिति में विलोमत होगा तथा यह इसलिये है कि देश अपने पूँजी साज-सामान और अन्य उत्पादक साधनों को पूर्णतम सीमा तक उपयोग करने की बेहतर स्थिति में है इसी कारण वर्तमान पूँजी की सहायता से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है ।

12. कारक कीमतों में अन्तर (Change in Factor Prices):

कारक कीमतों में परिर्वतन पूँजी उत्पाद अनुपात को इस सीमा तक प्रभावित करता है कि पूँजी का प्रयोग उत्पाद के अन्य कारकों से प्रतिस्थापन के लिए किया जा सकता है । ब्याज अथवा मजदूरी के दर में परिवर्तन पूँजी की मांग को प्रभावित कर सकता है, जिससे पूँजी उत्पाद अनुपात प्रभावित होता है ।

ब्याज के दर में वृद्धि पूँजी को महंगा बना देगी तथा यदि वेतन कम हैं तो पूँजी का श्रम द्वारा कुछ प्रतिस्थापन होगा जो पूँजी उत्पाद अनुपात को कम कर देगा । दूसरी ओर मजदूरी में वृद्धि और ब्याज दर में गिरावट से श्रम द्वारा पूँजी का प्रतिस्थापन होगा जिससे पूँजी उत्पाद अनुपात बढ़ जायेगा ।