पूंजीवाद के शीर्ष चौदह लक्षण | Top 14 Characteristics of Capitalism. Read this article in Hindi to learn about the top fourteen characteristics of capitalism. The characteristics are:- 1. निजी संपत्ति का अधिकार (Right of Private Property) 2. मुक्त व्यापार एवं हस्तक्षेप न करने की नीति (Free Trade and Lasissez Faire System) 3. व्यक्तिगत हित सर्वोपरि (Self-Interest Supreme) 4. केन्द्रीय नियोजन का अभाव (Absence of Central Plan) and a Few Others.
Characteristic # 1. निजी संपत्ति का अधिकार (Right of Private Property):
व्यक्तिगत संपत्ति एवं उत्तराधिकार का नियम पूंजीवाद का आधारभूत नियम है । पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में प्रत्येक व्यक्ति निजी सम्पत्ति को प्राप्त करने, अपनी इच्छानुसार व्यय करने और हस्तांतरण करने के लिए स्वतंत्र होता है ।
पूंजीवाद में निजी सम्पत्ति के अधिकार को तीन बिन्दुओं में बांटा जा सकता है:
(a) सम्पत्ति को प्राप्त करने का अधिकार,
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(b) प्राप्त सम्पत्ति के इच्छानुसार प्रयोग करने का अधिकार,
(c) मृत्यु के बाद सम्पत्ति को उत्तराधिकारियों को हस्तांतरण करने का अधिकार ।
पूंजीवाद में सरकार निजी सम्पत्ति के अधिकार की सुरक्षा का दायित्व लेती है । पूंजीवाद में निजी सम्पत्ति संस्था (Individual Property Institution) को कानूनी मान्यता प्राप्त होती है ।
निजी सम्पत्ति संस्था के प्रमुख कार्यों को चार भागों में बाँटा जा सकता है:
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(i) पूंजीपति अपनी निजी सम्पत्ति का प्रयोग अपने द्वारा चयनित उत्पादन क्षेत्रों में करता है ।
(ii) निजी सम्पत्ति का अधिकार पूंजीपत्तियों में लाभ अर्जित करके सम्पत्ति को और अधिक करने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है ।
(iii) निजी सम्पत्ति उपभोक्ताओं को बचत के लिए प्रोत्साहित करती है ।
(iv) निजी सम्पत्ति, धन को सुरक्षित रखने में एक प्रेरणा का कार्य करती है ।
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निजी सम्पत्ति को प्राप्त करने, उसे सुरक्षित रखने और उसके आकार में वृद्धि करने में उत्तराधिकारी का नियम पूरक तत्व के रूप में कार्य करता है । पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का सफल सम्पादन करने के लिए निजी संपत्ति एवं उत्तराधिकार दोनों का सह अस्तित्व आवश्यक है ।
Characteristic # 2. मुक्त व्यापार एवं हस्तक्षेप न करने की नीति (Free Trade and Lasissez Faire System):
पूंजीवाद का आधार मुक्त व्यापार और सरकारी हस्तक्षेप की अनुपस्थिति पर निर्भर करता है । कीमत संयन्त्र (Price Mechanism) के स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहने पर किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती ।
व्यक्तियों के आर्थिक कार्यों में सरकारी हस्तक्षेप नहीं होती और आर्थिक इकाईयों को उनकी व्यक्तिगत क्रियाओं पर इस अवधारणा के साथ छोड़ दिया जाता है कि व्यक्ति अपने हितों का अनुभव करने में स्वयं सक्षम है ।
अत: कीमत संयंत्र पर आधारित पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में आर्थिक क्रियाओं के सफल सम्पादन के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्तियों की क्रियाओं में कोई सरकारी हस्तक्षेप न हो और उनकी क्रियाओं को पूर्णत: स्वतंत्र छोड़ दिया जाये ।
पूंजीवाद में हस्तक्षेप न करने की नीति के साथ-साथ मुक्त व्यापार (Free Trade) का विचार की कीमत संयन्त्र सफल संचालन के लिए आवश्यक है । मुक्त व्यापार के कारण मांग और पूर्ति केवल स्वतन्त्र रूप से क्रिया करते हुए अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखते हैं ।
Characteristic # 3. व्यक्तिगत हित सर्वोपरि (Self-Interest Supreme):
प्रत्येक आर्थिक संख्या का एक मनोवैज्ञानिक आधार होता है । पूंजीवादी में व्यक्ति को उसकी क्रियाओं का सबसे अच्छा निर्णायक कहा जाता है । और उसे उसकी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतंत्रता दी जाती है । व्यक्तिगत हित एवं लाभ ही व्यक्ति को पूंजीवादी प्रणाली में आर्थिक क्रियाएँ सम्पन्न कराने की प्रेरणा देता है ।
प्रेरणा के साथ-साथ पूंजीवादी प्रणाली व्यक्ति को सबसे अधिक व्यक्तिगत लाभ वाली आर्थिक क्रिया का चुनाव करने का अवसर देती है । ताकि उसके स्वयं के हित की पूर्ति अधिकतम सीमा तक हो सके ।
Characteristic # 4. केन्द्रीय नियोजन का अभाव (Absence of Central Plan):
एक स्वतंत्र पूंजीवादी, आर्थिक प्रणाली में केन्द्रीय नियोजन का अभाव होता है । पूंजीवादी प्रणाली में आर्थिक गतिविधियों पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होता और वे अपने स्वभाविक क्रम में संचालित होती रहती है । पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के साधनों मानवीय एवं भौतिक साधनों-को अनियोजित रखने की प्रवृत्ति अन्तर्निहित होती है ।
पूंजीवाद में असंख्य उपभोक्ता, एवं उत्पादक स्वतंत्र रूप से अपने हितों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक क्रियाएँ सम्पन्न करते है । दूसरे शब्दों में पूंजीवाद में व्यक्ति संगठन, प्रबन्ध, उपभोग एवं उत्पादन क्रिया आदि मामलों में व्यक्तिगत हित के आधार पर स्वयं स्वतंत्र निर्णय लेता है ।
पूंजीवाद में स्वतंत्र रूप से व्यक्तिगत हित के आधार पर आर्थिक क्रियाएँ करने वाले असंख्य उपभोक्ताओं एवं उत्पादकों के बीच सामंजस्य स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कीमत संयन्त्र (Freely Fluctuating Mechanism) द्वारा किया जाता है ।
इसी कीमत संयन्त्र के आधार पर उपभोक्ता अपनी इच्छानुसार वस्तुओं का चुनाव, उपभोग की जाने वाली मात्रा एवं कीमत का फैसला करता है और इसी कीमत संयन्त्र की सहायता से उत्पादक, उत्पादित की जाने वाली वस्तु का चुनाव, उत्पादन की मात्रा का चुनाव और विक्रय कीमत का फैसला करता है ।
Characteristic # 5. उपभोक्ता की प्रभुसत्ता (Sovereignty of Consumer):
पूंजीवादी व्यक्तिगत आर्थिक प्रणाली में उपभोक्ता को प्रभुसत्ता को स्वीकार किया गया है । उपभोक्ता की प्रभुसत्ता से अभिप्राय है कि पूंजीवाद में उपभोक्ता एक बादशाह होता है । (Consumer acts as a Kings) पूंजीवाद में उपभोक्ता करो (Taxes) का भुगतान करने के बाद शेष आय को अपनी इच्छानुसार व्यय करने के लिए स्वतंत्र है ।
वह किसी भी वस्तु विशेष का चुनाव करने के लिए प्रतिबन्धित नहीं होता इसके कारण उपभोक्ता को अपनी सन्तुष्टि को अधिकतम करने का पूरा अवसर मिलता है दूसरे शब्दों में पूंजीवाद में उपभोक्ता को अपनी संतुष्टि को अधिकतम करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है ।
Characteristic # 6. व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता (Freedom to Choose One’s Own-Occupation):
स्वतंत्र पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली में व्यक्ति अपनी क्षमतानुसार एवं योग्यतानुसार किसी भी व्यवसाय का चुनाव करने में पूर्ण स्वतंत्र होता है और उस पर सरकार का किसी व्यवसाय विशेष को चुनने का प्रतिबन्ध नहीं होता । दूसरे शब्दों में, व्यक्तिगत पूंजीवादी प्रणाली में अपने व्यवसाय के चुनाव की शक्ति की मौलिक स्वतंत्रता (Fundamental Freedom) होती है ।
Characteristic # 7. बचत एवं विनियोग सम्बन्धी फैसलों की स्वतंत्रता (Freedom of Saving and Investment Decisions):
पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में उपभोक्ताओं को चुनाव की स्वतंत्रता स्वत: ही इस बात की सूचना देती है कि उपभोक्ता उतनी इच्छानुसार अपनी आय का कोई भी भाग बचत करने के लिए स्वतंत्र है । उपभोक्ता वर्तमान उपभोग एवं भविष्य के उपभोग में चुनाव करने के लिए पूर्ण स्वतंत्र है ।
बचत की स्वतंत्रता में सम्पत्ति के एकत्रीकरण (Accumulation of Wealth) की स्वतंत्रता एवं उत्तराधिकारी को सम्पत्ति (Transmission of Wealth to Successor) करने की स्वतंत्रता निहित है । इसी स्वतंत्रता के कारण पूंजीवाद में निजी संपत्ति की संस्था (Institution of Private Property) जन्म लेती है ।
Characteristic # 8. साहसी की महत्वपूर्ण भूमिका (Important Role of Entrepreneurs):
साहसी पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के लिए हृदय का कार्य करता है । साहसी ही उत्पत्ति के साधनों को एकत्रित करके अनिश्चिता की स्थिति में उत्पादन कार्य करता है । उत्पादन प्रणाली के आरम्भिक चरण से अंतिम चरण तक साहसी महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह करता है ।
Characteristic # 9. आर्थिक प्रतिस्पर्धा की उपस्थिति (Existence of Economic Competition):
स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था वाली पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में प्रतिस्पर्धा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । वस्तु और सेवा के बाजार में असंख्य क्रेता और विक्रेता उपस्थित होते हैं । जिनके मध्य स्पर्धा अपरिहार्य है ।
क्योंकि प्रत्येक क्रेता और विक्रेता अपने निजी लाभ को ही ध्यान में रखकर बाजार में उपस्थित होता है । उपभोक्ता अपनी संतुष्टि को अधिकतम करने के उद्देश्य से कम कीमत पर अधिक वस्तु खरीदना चाहता है । जबकि इसके विपरीत विक्रेता अपने लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य से वस्तु को ऊँची कीमत पर बेचना चाहता है ।
दो प्रतिस्पर्धी उद्देश्यों के कारण मांग और पूर्ति के दोनों बल प्रतिस्पर्धा करते हुए कीमत संयन्त्र की सहायता से एक ऐसी सन्तुलन कीमत प्राप्त करते हैं जो उपभोक्ता और उत्पादक दोनों को स्वीकार्य हो । दूसरे शब्दों में, पूंजीवादी आर्थिक संरचना में बाजार कीमत का निर्धारण मांग और पूर्ति के दो प्रतिस्पर्धी बलों के द्वारा होता है ।
Characteristic # 10. समन्वय का अभाव (Lack of Co-Ordination):
पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में कीमत संयन्त्र के स्वचालित होने के कारण और उपभोक्ता की प्रभुसत्ता के कारण उत्पत्ति क्रिया में आदेश सामंजस्य (Ideal Combination) बनाये रखना संभव नहीं हो पाता । व्यक्ति विशेष अपने ही विवेक से अपनी आर्थिक क्रिया का सम्पादन करता है ।
उसकी इस क्रिया में किसी केन्द्रीय निर्देशन की उपस्थिति नहीं होती, जिसके कारण व्यक्तिगत हित सर्वोपरि हो जाता है । फलस्वरूप अर्थव्यवस्था में असंख्य व्यक्तियों की स्वयं हित वाली आर्थिक क्रियाओं में कोई सामंजस्य नहीं हो पाता और वे परस्पर प्रतिस्पर्धी बन जाती है ।
Characteristic # 11. व्यापार चक्रों की उपस्थिति (Existence of Trade Circles):
पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में उत्पादक वर्ग एवं उपभोक्ता वर्ग की आर्थिक स्वतन्त्रताओं के कारण व्यापार चक्र की उपस्थिति एक अनिवार्य दशा बन जाती है । पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में अति-उत्पादन (Over Production) और कम उत्पादन (Under Production) की स्थितियों से इनकार नहीं किया जा सकता ।
कीमत संयन्त्र अपनी स्वत: प्रक्रिया द्वारा इन असामान्य स्थितियों को सन्तुलित करने का प्रयास करता है । किन्तु अर्थव्यवस्था में उत्पादन स्तर पर अल्पकालीन उतराव-चढाव आते रहते है और व्यापार चक्रों का जन्म होता है ।
Characteristic # 12. आय की असमानताएँ एवं वर्ग संघर्ष (Inequalities of Income and Class-Struggle):
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में सम्पूर्ण समाज दो वर्गों में बंट जाता है- पूंजीपति और श्रमिक । पूंजीपत्तियों को उत्तराधिकार में मिली संपत्ति को अपनी इच्छानुसार उपयोग या विनियोग करने का अधिकार होता है । और वे अपनी संपत्ति में वृद्धि के लिए उत्पादकीय कार्यों में विनियोग करते हैं ।
परिणामस्वरूप देश की सम्पत्ति का एक बड़ा भाग कुछ ही व्यक्तियों के हाथों में सीमित हो जाता है और समाज में आय की असमानताओं में वृद्धि होती है और पूरा समाज दो भागों सम्पन्न (Have) और विपन्न (Have-Not) में बंट जाता है ।
आय में असमानताओं के आधार पर समाज के विभाजन के कारण ही समाज में वर्ग-संघर्ष उत्पन्न होता है । समाज में वर्ग-संघर्ष आरम्भ होने के कारण श्रमिकों का शोषण (Exploitation of the Labours) है ।
पूंजीपति अपनी संपत्ति में वृद्धि के उद्देश्य से श्रमिकों को कम मजदूरी देकर या उनके स्थान पर पूंजीगत उपकरणों का उत्पादन प्रक्रिया में प्रयोग करके श्रमिकों का शोषण करते हैं । यही शोषण समाज को शोषक (Expropriators) और शोषित (Expropriated) वर्गों में बाँट देता है । जिसके कारण समाज में वर्ग संघर्ष आरंभ होता है ।
Characteristic # 13. धन का अपव्यय (Wastage of Resources):
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत प्रतिस्पर्धा होने के कारण प्रत्येक पूंजीपति अधिकतम धन एकत्रित करने के उद्देश्य से न केवल पुराने उद्योगों का विस्तार करता है, बल्कि साथ ही साथ नए-नए उद्योगों की स्थापना भी करता है ।
प्रत्येक पूंजीपति द्वारा अधिकतम धन एकत्रित करने की चेष्ठा तथा बाजार पर आधिपत्य स्थापित करने की चेष्ठा उत्पादकों के मध्य पारस्परिक स्पर्धा को तीव्र कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकों को प्रचार (Publicity) एवं विज्ञापन (Advertisement) पर अधिक व्यय करना पड़ता है ।
जो एक प्रकार के धन का अपव्यय है । धन के इस अपव्यय को पूंजीपति उत्पादन लागत मानकर वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की चेष्ठा करता है । जिससे सामाजिक कल्याण में कमी होती है ।
Characteristic # 14. सामाजिक कल्याण की अनुपस्थिति (Absence of Social Welfare):
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का संचालन व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से होता है और सामाजिक कल्याण का उद्देश्य गौण रहता है । उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया में केवल अपने आय अर्जित करने के उद्देश्य को ही ध्यान में रखता है । और उस वस्तु के उत्पादन से होने वाली सामाजिक हानि पर विचार नहीं करता ।
उदाहरण के लिए मादक पदार्थों की उत्पादन प्रक्रिया में उद्यमी केवल स्वयं के हित पर अपना ध्यान केन्द्रित करता है । और इन मादक पदार्थों से होने वाली सामाजिक हानि एवं अकल्याण को ध्यान में नहीं रखता । इस प्रकार पूंजीवादी प्रणाली में सामाजिक कल्याण की गणना अनुपस्थित रहती है ।