आर्थिक विकास के चरण | Read this article in Hindi to learn about the stages of economic development.

आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं को प्रो. एडम स्मिथ ने आखेट, चरागाह, कृषि, वाणिज्यिक एवं विनिर्माण के क्रम में रखा । जर्मन ऐतिहासिक सम्प्रदाय के अर्थशास्त्री फेड्रिक लिस्ट के अनुसार- विकास क्रम जंगली अवस्था से आरम्भ होता है जिसमें व्यक्ति द्वारा स्वयं कुछ उत्पादित नहीं किया जाता बल्कि वह प्रकृति पर पूर्णरूप से आश्रित रहता है इसके बाद द्वितीय अवस्था चरागाह है जिसमें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण जारी रहता है अर्थात् स्थायी बसाव नहीं होते ।

तृतीय अवस्था कृषि अवस्था है जिसमें कृषि कार्यों में संलग्नता बढ़ती है । चौथी अवस्था कृषि एवं विनिर्माण की है जिसमें कृषि के साथ-साथ उद्योग क्षेत्र विकास करता है । पाँचवी अवस्था वाणिज्यिक है जिसमें वाणिज्य क्षेत्र का विकास तेजी से होता है ।

हिल्डरब्राण्ड ने अर्थव्यवस्था के विकास की तीन अवस्थाओं का उल्लेख किया:

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i. वस्तु विनियम अर्थव्यवस्था,

ii. मुद्रा अर्थव्यवस्था,

iii. साख अर्थव्यवस्था ।

विकास की आरम्भिक अवस्था में वस्तु विनिमय होता है । तदुपरान्त वस्तु विनिमय के माध्यम के रूप में मुद्रा का प्रयोग किया जाता है । विकास की उन्नत अवस्था में साख का प्रयोग बढ़ने लगता है ।

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हस्तान्तरण के क्षेत्र के आधार पर बुचर ने विकास की अवस्थाओं का विभाजन निम्न प्रकार किया:

i. स्वतन्त्र घरेलू अर्थव्यवस्था- जिसके अन्तर्गत विनिमय की क्रियाओं का अभाव होता है स्वयं के लिए उत्पादन करना मुख्य प्रवृत्ति होती है ।

ii. शहरी अर्थव्यवस्था- शहरी अर्थव्यवस्था में उद्योग धन्यों का विकास आरम्भ हो जाता है ।

iii. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था- जिसमें उपभोग एवं उत्पादन की क्रियाएँ तीव्र होती है ।

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ग्रास के अनुसार– विकास की मुख्य अवस्थाएँ चार हैं:

i. घरेलू अर्थव्यवस्था,

ii. शहरी अर्थव्यवस्था,

iii. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था,

iv. विश्व अर्थव्यवस्था ।

ब्रिटिश अर्थशास्त्री एश्ले के अनुसार– विकास की मुख्य प्रणालियाँ चार हैं:

i. परिवार प्रणाली,

ii. गिल्ड प्रणाली,

iii. घरेलू प्रणाली,

iv. मैंकी प्रणाली ।

कोलिन क्लार्क ने विकास की अवस्थाओं को तीन भागों में बाँटा:

i. प्राथमिक अवस्था जिसमें कृषि क्षेत्र का विकास होता है ।

ii. द्वितीयक अवस्था जिसमें विनिर्माण क्षेत्र का विकास होता है ।

iii. तृतीयक अवस्था जिसमें सेवा क्षेत्र का विस्तार होता है ।

ऐतिहास के भौतिकवादी निर्वचन के आधार पर कार्ल मार्क्स ने विकास की अवस्थाओं को निम्न भागों में बाँटा:

i. सामन्तवाद,

ii. बुजुर्गा पूँजीवाद,

iii. समाजवाद,

iv. साम्यवाद ।