आधुनिकीकरण: अर्थ और प्रकृति | Read this article in Hindi to learn about meaning and nature of modernization.
आधुनिकीकरण का अर्थ (Meaning of Modernization):
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में मानसिक दृष्टिकोण एवं संस्थागत संरचना मुख्य घटक माने गए । जेस्म. ओ. कोनेल ने आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को सृजनात्मक विवेकशीलता के द्वारा सम्बोधित किया । आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तब स्वयं बढ़ती है । जब नवप्रवर्तन एवं व्यवस्था के संयोग के साथ मानसिक दृष्टिकोण स्वयं विकसित होने लगे । कोनेल ने आपस में सम्बन्धित एवं अक्रिया करने वाले तीन पक्षों को ध्यान में रखा जो आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के मुख्य बिन्दु हैं ।
i. ज्ञान की नियमित, क्रमिक व अन्णेषण पूर्ण जांच ।
ii. ऐसे उपकरण व तकनीक जो इसे बनाये रखने हेतु सहायक हों ।
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iii. व्यक्तियों एवं सामाजिक संरचना दोनों के द्वारा नियमित परिवर्तनों को स्वीकार करने की इच्छा तथा साथ ही ऐसी क्षमता का उत्पन्न होना जिससे व्यक्तिगत एवं सामाजिक पहचान बनी रह सके ।
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के मुख्य पक्ष निम्नांकित हैं:
I. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में सामाजिक परिवर्तनों की शृंखला प्रारम्भ होती है । आधुनिक औद्योगिक समाज सार्वभौम विशिष्टता एवं उपलब्धि मापदण्ड से प्रभावित होता है ।
II. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में गतिशीलता का उच्च-अंश पाया जाती है । यह सामान्यत: अन्य सामाजिक संरचनाओं से प्रभावित भी रहता है ।
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III. ऐतिहासिक रूप से स्थापित संस्थाएँ नियमित रूप से नये परिवर्तनों के अनुरूप अपने आपको बदलती है । ज्ञान के स्तर में शुद्धि होती है । मनुष्य अपने पर्यावरण पर अधिक नियन्त्रण रख पाने में समर्थ बनता है ।
आधुनिकीकरण का सिद्धान्त वितरणात्मक पक्षों को स्पष्ट रूप से रेखांकित नहीं करता लेकिन एक सन्निहित समतावादी एवं सहभागिता की स्वाभाविक विशिष्टता की उपस्थिति की सूचना देता है । इसके परिणामस्वरूप सामाजिक अंतरालों में कमी होती है । अधिक समानता की प्राप्ति के साथ-साथ वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति भी सम्भव होती है ।
आधुनिकीकरण एवं विकास की प्रकृति (Nature of Modernization and Development):
सेमुअल पी. हांटिगटन ने आधुनिकीकरण की प्रक्रिया की मुख्य विशषताओं को रेखांकित किया ।
यह विशेषताएँ विकास प्रक्रिया को भी समान रूप से अभिव्यक्त करती है:
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i. आधुनिकीकरण एक क्रांतिकारी प्रक्रिया है । इसके अधीन तकनीकी व सांस्कृतिक दशाएँ तेजी के साथ बदलती हैं । पशुचारक धुमक्कडी प्रवृति धीरे-धीरे सुस्थापित कृषि का रूप ले लेती है । ऐसे प्रयास सम्भव बनते हैं जिनसे ग्रामीण कृषि संस्कृति, शहरी औद्योगिक संस्कृति में रूपान्तरित हो । इस प्रवृति को एलविन टाफलर ने अपनी पुस्तक में ऐसी गति कहा जो पहली लहर को द्वितीय लहर में बदलती है ।
ii. आधुनिकीकरण एवं विकास दोनों प्रक्रियायें जटिल एवम बहुआयामी होती हैं । यह संज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक एवं संस्थागत सुधारों एवं पुर्नसंरचना की शृंखला को सम्मिलित करती है ।
iii. आधुनिकीकरण एवं विकास दोनों प्रणालीजन्य कियाएँ हैं । एक आयाम में होने वाले परिवर्तन अन्य आयामों पर महत्वपूर्ण सह परिवर्तन करता है ।
iv. आधुनिकीकरण एवं विकास दोनों विश्व व्यापी प्रक्रियाएँ हैं । विचार एवं तकनीक का फैलाव किसी एक मूल केन्द्रीय स्थान से विश्व के अन्य स्थानों पर होता है ।
v. दोनों लम्बी प्रक्रियाएँ हैं । दोनों के लिये समय अत्यन्त महत्वपूर्ण घटक है ।
vi. दोनों स्तरीय प्रक्रियाएँ हैं । ऐतिहासिक अवलोकन से स्पष्ट होता है कि आधुनिकीकरण एवं विकास के लक्ष्य निर्दिष्टिकृत स्तर एवं उप स्तर के अधीन होते हैं ।
vii. दोनों समान प्रक्रियायें है । आधुनिकीकरण एवं विकास जैसे-जैसे उन्नत अवस्थाओं की और बढ़ते हैं, राष्ट्रीय समाजों के मध्य का अचर-संकुचित-होने लगता है तथा अन्ततः एक ऐसी स्थिति व अवस्था आती है जिसमें आधुनिक विचारों एवं संस्थाओं की सार्वभौमिक बाध्यता समाज द्वारा अन्ततः एक विश्वव्यापी समाज की स्थिति सामने आती है ।
viii. दोनों अप्रतिगामी प्रक्रियाएँ हैं । प्राय: यह सम्भव नहीं होता कि आधुनिकीकरण एवं विकास की अवस्था प्राप्त करने के बाद इनसे पीछे हटा जाये । यद्यपि आकस्मिक उतार चढ़ाव आना व अस्थायी बाधा व अवरोध उत्पन्न होना स्वाभाविक है ।
ix. दोनों प्रगतिशील प्रक्रियाएं हैं । विकास व आधुनिकीकरण के द्वारा प्राप्त होने वाले कुछ लाभों का सम्पूर्ण समाज में विस्तार होता है लेकिन यह भी देखा गया है कि समाज का एक वर्ग विशेष इनसे अछूता रह सकता है ।
एलविन टाफलर ने अपनी पुस्तक Third Wave में लिखा है कि मानव समाज का एक न्यून वर्ग, जबकि दूसरी से तीसरी लहर की ओर गति कर रहा है, वहीं मानव समाज का दो तिहाई भाग अभी भी ऐसी परिस्थितियों एवं बाधाओं से घिरे हैं कि वह विकास की पहली लहर में ही बने हुए हैं ।