उत्पादन की राजधानी गहन तकनीक | Read this article in Hindi to learn about the merits and demerits in capital intensive technique of production adopted in underdeveloped countries.
पूँजी-गहन तकनीकों के लाभ (Merits of Capital Intensive Techniques):
1. आर्थिक वृद्धि की तीव्र दर (Rapid Rate of Economic Growth):
पूँजी गहन तकनीक का प्रयोग श्रम-गहन तकनीक की तुलना में अतिशीघ्र और अधिक तीव्र आर्थिक वृद्धि प्रदान करता है । यदि पूँजी गहन तकनीकों को अपनाया जाता है तो आय का बड़ा भाग लाभों के रूप में उद्यमियों के पास जायेगा तथा छोटा भाग मजदूरी अर्जित करने वालों के पास जायेगा ।
क्योंकि उद्यमियों की बचत प्रवणता उच्च होती है इन लाभों के बड़े भाग की बचत करके निवेश किये जायेंगे जिसके फलस्वरूप पूँजी निर्माण की दर ऊँचीं होगी तथा वृद्धि की दर त्वरित होगी ।
ADVERTISEMENTS:
2. उत्पादन की आधुनिक एवं दक्ष विधियां (Modern and Efficient Methods of Production):
पूँजी गहन तकनीकों की सहायता से वस्तुएं कम लागत पर उत्पादित की जा सकती हैं इसलिये इसे उत्पादन की और दक्ष विधि कहा जाता है । उत्पादन की श्रम-गहन तकनीक के अन्तर्गत, उपभोक्ताओं को उच्च कीमतें देनी पड़ती हैं जबकि उत्पादन की पूँजी गहन तकनीक के अन्तर्गत आधुनिक विधियों के द्वारा विशाल स्तर पर निर्मित वस्तुएं सस्ती मिलती हैं ।
3. जीवन स्तर में वृद्धि (Rise in Standard of Living):
कम कीमतों पर वस्तुओं की उपलब्धता से लोगों का जीवन स्तर ऊँचा होता है क्योंकि लोगों को प्रयोग के लिये सस्ती तथा अधिक वस्तुएं मिलती हैं इसलिये पूँजी-गहन तकनीकें जीवन स्तर को ऊँचा उठाती हैं ।
ADVERTISEMENTS:
इस सम्बन्ध हिरश्मन (Hirschman) ने कहा है कि- ”गुणवत्ता के उच्च मानकों की दृढ़ आवश्यकता वास्तव में इस प्रकार के उत्पादन के आरम्भण के पक्ष में है न कि विरुद्ध क्योंकि अल्पविकसित देश प्रायः पिछड़े हुये होते है ।”
4. प्रति श्रमिक उत्पादन का उच्च स्तर (Higher Level of Output per Worker):
पूँजी गहन तकनीक का प्रयोग श्रम उत्पादकता को बढ़ाता है तथा प्रति श्रमिक उत्पादन बढ़ता है । हिरश्मन के अनुसार पूँजी गहन तकनीकें श्रमिकों की निपुणताओं और दक्षताओं को निश्चित रूप में बढ़ाती है । प्रति व्यक्ति उत्पादकता का बढ़ना आर्थिक विकास का सूचक है क्योंकि इससे पूंजी निर्माण का उच्च दर सम्भव होता है ।
5. श्रम गहन तकनीकों का पूँजी गहन तकनीकों में परिवर्तन (Labour Intensive Techniques Turned into Capital Intensive Techniques):
ADVERTISEMENTS:
दीर्घकाल में, श्रम गहन तकनीकें अन्त में, पूँजी गहन तकनीकों से भी अधिक पूँजी गहन प्रमाणित होती है । इस तर्क के समर्थन में बर्न ने कहा है- “यदि आप श्रम गहन तकनीकों का प्रयोग करते हैं, तो आप ग्रामीण क्षेत्रों से छिपी हुई बेरोजगारी को वापिस लेते हैं, उनके औद्योगिक क्षेत्रों में स्थानान्तरण में गृह निर्माण, सामुदायिक सेवाओं, अस्पतालों, स्कूलों आदि पर व्यय करना पड़ता है । यदि इस व्यय को हिसाब में लिया जाता है तो श्रम गहन तकनीकों में उत्पादन की प्रति इकाई के पीछे पूँजी का बड़ा भाग व्यय होता है जो पूँजी गहन विकल्पों से बड़ा होता है । इस प्रकार अन्तिम विश्लेषण में श्रम गहन तकनीकें पूँजी की बचत करने वाली नहीं हैं बल्कि उनके लिये भारी पूँजी व्यय की आवश्यकता होती है ।”
6. अत्याधिक कुशल उत्पादक इकाई का उद्भव (Emergence of Most Efficient Productive Unit):
पूँजी गहन तकनीकों का कार्यान्वयन दक्ष उत्पादक इकाइयों की ओर ले जायेगा जहां अत्याधिक प्रगतिपूर्ण किस्म की तकनीकें है । यह अर्थव्यवस्था को आधुनिक प्रौद्योगिकी के लाभ सुनिश्चित करती है । दूसरी ओर श्रम-गहन तकनीकों के परिणामस्वरूप अदक्ष इकाइयों की स्थापना होगी जो पिछड़ी हुई और पुरानी हो चुकी तकनीकों के अनुसार कार्य करेंगी ।
बर्न के अनुसार यह प्रौद्योगिक उन्नति का अन्त होगा जिस कारण अर्थव्यवस्था में व्यापक स्थिरता आयेगी तथा कोई प्रगतिशील अर्थव्यवस्था, कम से कम कोई विकासशील अर्थव्यवस्था, आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विस्तृत लाभों से अपने आप को वंचित नहीं रख सकती ।
7. दूरगामी प्रभाव (Far Reaching Effect):
पूँजी गहन तकनीकों के प्रसार प्रभाव बहुत विस्तृत एवं दृढ़ होते हैं । इस प्रकार की प्रौद्योगिकी के किसी अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की प्रक्रिया पर दूरगामी प्रभाव होंगे ।
8. सामाजिक उपरिव्ययों का सुजन (Creation of Social Overheads):
आर्थिक एवं सामाजिक उपरिव्ययों के विकास के लिये पूँजी गहन तकनीकें आवश्यक है । इस लिये, उनकी तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिये संरचना का विकास एक पूर्वापेक्षा है । इसके अतिरिक्त यह परियोजनाएं प्राय: उच्च पूँजी गहन होती है ।
9. अधिक लाभप्रद (More Profitable):
विभिन्न देशों के अनुभव दर्शाते हैं कि श्रम गहन तकनीकों की तुलना में पूँजी गहन तकनीकें अधिक लाभप्रद हैं । पूँजी गहन तकनीकों में उत्पादन के बड़े स्तर के कारण अधिक मितव्ययताएं प्राप्त होती हैं ।
पूँजी गहन तकनीकों के हानि (Demerits of Capital Intensive Techniques):
1. भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता (Needs Huge Amount of Investment):
मुख्य तर्क यह है कि पूंजी गहन तकनीकें अल्पविकसित देशों के कारक भण्डारों के अनुकूल नहीं है । अल्पविकसित देश प्राय: श्रम अतिरेक अर्थव्यवस्थाएं होती हैं, इसलिये उच्च पूँजी गहन तकनीकें उनके लिये ठीक नहीं बैठती क्योंकि उन्हें निवेश के लिये भारी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है जो उनकी पहुंच के बाहर है ।
2. भुगतान के सन्तुलन पर विपरीत प्रभाव (Adverse Effect on Balance of Payment):
पूँजी गहन तकनीकों के लिये यन्त्रों, उपकरणों, औजारों और तकनीकी जानकारी का भारी मात्रा में आयात करना पड़ेगा । इससे ऐसे देशों के भुगतान के सन्तुलन की स्थिति बिगड़ जायेगी । इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि अधिकांश अल्पविकसित देशों में पूँजी का अत्याधिक अभाव होता है तथा बेरोजगार श्रम शक्ति का आधिक्य होता है ।
3. सम्भाल की कठिनाई (Difficulty of Maintenance):
मशीनरी तथा साज-समान का आयात न केवल एक महंगा मामला है, वरन् इससे मरम्मत, रख-रखाव और पुर्जों की उपलब्धता सम्बन्धी कठिनाई भी उत्पन्न हो सकती है । इसके अतिरिक्त, यह भी आशा की जाती है कि कुछ साज-समान अप्रयुक्त रहेगा अथवा उसका अल्प-प्रयोग होगा ।
इस सम्बन्ध में यू.एन.ओ. रिपोर्ट का मानना है कि- ”स्वचलित उपकरण उन्नत औद्योगिक देशों की स्थितियों में सही बैठते हैं, तथा अल्पविकसित देशों में प्राय: अप्रयुक्त रह जाते है, बहुत से यन्त्रों की जटिलता जो औद्योगिक देशों में उपलब्ध श्रम के लिये अनुकूल है तथा कम विकसित देशों में यह कारखानों में मरम्मत और संभाल की लागत को बढ़ा देती है, जहां अप्रशिक्षित श्रम पर अधिक निर्भरता रहती है ।” परिणामस्वरूप वह साज-सामान जो उन देशों के लिये अनुकूल है, अल्पविकसित देशों में कहीं कम उत्पादन करता है ।
4. पूँजी साधनों का व्यर्थता पूर्ण प्रयोग (Wasteful Use of Capital Resources):
पूँजी गहन तकनीकें अल्पविकसित देशों के बहुत थोड़े पूँजी साधनों की व्यर्थता का कारण बनती हैं ।
किन्डलबरगर का मानना है कि- “आधुनिक प्रौद्योगिकी का अपनाया जाना, अधिकांशत:, उत्पादन के लिये केवल प्रदर्शनकारी प्रभाव रखता है, यह चलना सीखने से पहले दौड़ने का प्रयास है । ऐसी प्रौद्योगिकी पूँजी को व्यर्थ करती है क्योंकि यह एक संकीर्ण क्षेत्र में इसका अधिक गहनता से प्रयोग करती है और लाभप्रद निवेश के अवसरों की उपेक्षा होती है ।”
5. मूलभूत सुविधाओं की अनुपस्थिति (Absence of Basic Facilities):
आधुनिक पूँजी गहन तकनीकों को अपनाने के लिये पर्याप्त बिजली, यातायात, संचार सुविधाओं, तकनीकी रूप में प्रशिक्षित कर्मचारियों की पूर्ति तथा बड़ी मात्रा में सम्बन्धित सेवाओं की आवश्यकता होता है । परन्तु व्यवहार में, अल्पविकसित देशों में यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती और इनके लिये अधिक अनुकूल नहीं होती ।