उत्पादन की श्रम गहन तकनीक | Read this article in Hindi to learn about the merits and demerits of labour intensive technique of production adopted in underdeveloped countries.

श्रम गहन तकनीकों के लाभ (Merits of Labour Intensive Techniques):

विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा श्रम गहन तकनीकों के पक्ष में दिये गये तर्क नीचे प्रस्तुत किये गये हैं:

1. अधिक रोजगार का सृजन (More Employment Generation):

यह कहने में किसी तर्क की आवश्यकता नहीं कि श्रम गहन तकनीकें अधिक रोजगार सृजन करने वाली होती हैं अल्पविकसित देश में पूँजी का अत्यधिक अभाव तथा श्रम शक्ति की बहुलता होती है । इन देशों में पूँजी श्रम अनुपात बहुत नीचा होता है । इसलिये सर्वोत्तम तकनीक जो सबसे सही बैठती है वह पूँजी की बचत और श्रम का उपयोग करने वाली है ।

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अधिकांश अल्पविकसित देश अपनी बढ़ती हुई श्रम शक्ति को रोजगार उपलब्ध करने की समस्या से जूझ रहे होते हैं । अत: यदि बेरोजगारी और छुपी हुई बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना है तो श्रम गहन तकनीक अनिवार्य है ।

2. दुर्लभ पूँजी का उपयोग (Utilisation of Scarce Capital):

अल्पविकसित देश पूँजी और उद्यम प्रवृत्ति के साधनों के अत्यधिक अभाव से पीड़ित होते हैं । इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुये उन्हें ऐसी तकनीक का चुनाव करना होगा जो दुर्लभ साधनों का मितव्ययी प्रयोग कर सके ।

अत: उत्पादन की इन विधियों को अल्पविकसित देशों में अपनाना अधिक उचित होता है क्योंकि यह दुर्लभ पूँजी को अन्य महत्वपूर्ण प्रयोगों के लिये मुक्त कर देंगी । कम से कम उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग पूँजी गहन तकनीकों का त्याग कर सकते हैं तथा पूंजी को आवश्यक उत्पादक उद्योगों में प्रयोग के लिये बचा सकते हैं ।

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3. विकेन्द्रीकरण (Decentralisation):

श्रम गहन तकनीकों का उपयोग विकेन्द्रीकरण के लाभ उपलब्ध करेगा और कारखानों की व्यवस्था की बुराइयों से बचा रहेगा । क्योंकि यह तकनीकें छोटे और कुटीर उद्योगों से जुड़ी होती हैं इसलिये यह आर्थिक रूप से विकेन्द्रीकृत समाज की स्थापना में लाभप्रद होती हैं । वर्तमान प्रजातान्त्रिक सरकार ने सामाजिक न्याय सहित विकेन्द्रीकरण की प्राप्ति की इच्छा प्रकट की है ।

4. आय के वितरण पर हितकर प्रभाव (Favourable Effect on Distribution of Income):

श्रम गहन तकनीक का इसलिये भी समर्थन किया जाता है कि यह आप के वितरण पर हितकर प्रभाव डालती है । एक श्रम-गहन परियोजना सापेक्ष रुप से कम आय वाले बहुत से श्रमिकों के आय स्तर में वृद्धि करेगी ।

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अधिक रोजगार उपलब्ध करके, उत्पादन की यह विधियां, सामान्य व्यक्ति के लिये आर्थिक समानता के उच्च स्तर का प्रसार करती हैं । वह अधिक समतावादी समाज की स्थापना के लिये स्थितियों की रचना करती हैं ।

5. उपभोग का उच्च स्तर (Higher Level of Consumption):

श्रम गहन तकनीकें उपभोग के वर्तमान स्तर को ऊपर उठाने में लाभप्रद होंगी । यह तकनीकें वेतनों का स्तर बढ़ाती हैं, जब अधिक धन होगा तो उपभोग पर व्यय अपने आय बढ़ेगा । एक प्रकार से श्रम गहन तकनीक श्रमिक वर्ग के उपभोग के स्तर को ऊँचा करेंगी ।

6. सस्ते दर पर अधिक उत्पादन (More Production at Cheaper Rate):

श्रम गहन तकनीक के पक्ष में एक अन्य तर्क यह है कि यह अल्पविकसित देशों में उत्पादन बढ़ाने का सस्ता मार्ग दर्शाता है । किसी निर्धन देश में, श्रम की सामाजिक कीमत के कम अथवा यहां तक कि पूँजी की उच्च कीमत की तुलना में शून्य होने की सम्भावना होती है, अत: श्रम को पूँजी से सापेक्षतया उच्च अनुपात में प्राथमिकता दी जायेगी । इसलिये, निर्धन देश में साधनों का अति दक्ष प्रयोग श्रम-गहन विधियों का पक्ष लेगा ।

7. आर्थिक एवं सामाजिक उपरि व्यय की रचना (Creation of Economic and Social Overheads):

यह तर्क भी प्रस्तुत किया जाता है कि श्रम-गहन तकनीक से आर्थिक और सामाजिक उपरि व्यय में पर्याप्त बचत होगी । इन तकनीकों का प्रयोग करने वाले उद्योगों को प्राय: गांवों में स्थापित किया जाता है ।

गृह निर्माण, सड़कों के विकास और यातायात के साधनों और नागरिक सुविधाएं उपलब्ध करने में कम व्यय किया जाता है, अत: आर्थिक एवं सामाजिक उपरि व्ययों में बचत की पर्याप्त सम्भावना होती है यदि ऐसी अर्थव्यवस्थाओं में श्रम- गहन तकनीकों को अपनाया जाये ।

8. स्फीतिकारी दबावों पर नियन्त्रण (Control on Inflationary Pressures):

श्रम-गहन तकनीकों में स्फीति-विरोधी प्रभाव होते हैं इसलिये विकासशील देशों में इन्हें अधिमान प्राप्त है । यह तकनीकें उपभोक्ता वस्तुओं की पूर्ति में शीघ्र एवं तीव्र वृद्धि सुनिश्चित कराती हैं जिससे स्फीतिकारी दबाव नियन्त्रित होते हैं जो कि अल्पविकसित देशों का एक सामान्य लक्षण बन गये हैं ।

9. विदेशी विनियम की बचत (Saving of Foreign Exchange):

श्रम गहन तकनीकें आयात पर कम निर्भर होती हैं । इनको अपनाने से विकासशील देशों के विदेशी विनिमय की पर्याप्त बचत होती है । उपयोग किये जाने वाले उपकरण एवं औजार बहुत साधारण होते हैं जिनको देश के भीतर सरलता से बनाया जा सकता है ।

श्रम गहन तकनीकों को बाहर से बड़े स्तर पर उपकरण और यन्त्र आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ती । एक सीमा तक, यह तकनीक विदेशी विनिमय की समस्या को सुलझाने में सहायक होती है ।

10. सामाजिक समानता (Social Equality):

श्रम-गहन तकनीकों के समर्थकों का विचार है कि यह सामाजिक न्याय उपलब्ध कराती है क्योंकि यह गाँव के स्तर पर सामान्य लोगों की आय बढ़ाने में सहायक हैं ।

श्रम गहन तकनीकों के हानि (Demerits of Labour Intensive Techniques):

कुछ आलोचकों ने निम्नलिखित आधारों पर श्रम-गहन तकनीकों का विरोध किया है:

(i) श्रम गहन तकनीक का स्वरूप स्थैतिक और लघुकालिक है जिसे दीर्घकाल में अपनाया नहीं जा सकता ।

(ii) क्योंकि यह तकनीक आय का उन लोगों के पक्ष में पुनर्वितरण करती है जिनकी बचत की सीमान्त प्रवणता कम होती है, इस कारण पूँजी निर्माण की दर नीची होता है ।

(iii) श्रम गहन तकनीक के दौरान सुधरी और अधिक उन्नत निपुणताओं की सम्भवत: नहीं होती ।

(iv) उत्पादन प्रक्रिया बहुत महंगी होती है ।

(v) शोध एवं आधुनिकीकरण की कोई सम्भावना नही होती ।

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