श्रम गहन और पूंजी गहन तकनीक के उत्पादन के बीच अंतर | Read this article in Hindi to learn about the labour intensive and capital intensive techniques of production.
(1) श्रम गहन तकनीक (Labour Intensive Techniques):
सरल शब्दों में श्रम गहन तकनीक वह है जो तुलनात्मक रूप में श्रम की बड़ी मात्रा का और पूंजी की छोटी खुराक का उपयोग करती है । रैड्डावे (Reddaway) परिभाषित करते हैं कि श्रम गहन तकनीकें वह है जहां श्रम की भारी मात्रा में पूँजी की छोटी मात्रा को मिश्रित किया जाता है ।
अन्य शब्दों में श्रम गहन तकनीक श्रम आगत पर अधिक निर्भर करती है और पूँजी आगत पर कम । मिन्ट के अनुसार- उत्पादन की श्रम गहन विधियां वह है जिन्हें पूँजी की एक प्रदत्त इकाई के साथ श्रम की भारी मात्रा की आवश्यकता होती है । उत्पादन की इस विधि के साथ, पूँजी की उसी मात्रा के साथ श्रम की बड़ी मात्रा से उत्पादन बढ़ाना सम्भव है ।
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यह तकनीक पूँजी निर्माण और निपुणता के दो उद्देश्यों को पूरा करती है । यह लघु सिंचाई, बेहतर बीजों, खाद, औजारों एवं छोटी अवधि की फसलों के आरम्भण द्वारा कृषि उत्पादन को बढ़ाती है । तथापि श्रम गहन तकनीकों का उत्पादन पर प्रभाव रेखा चित्र 9.1 की सहायता से दर्शाया गया है ।
रेखा चित्र 9.1 में समउत्पाद वक्र Θ उत्पादन का आरम्भिक स्तर दर्शाती है जिसका उत्पादन OL श्रम और पूँजी की OC मात्रा के प्रयोग द्वारा किया गया है । नई तकनीक अपनाने से उत्पादन का एक उच्च स्तर समउत्पाद वक्र Q1 द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिसे पूँजी की उसी मात्रा अर्थात् OC द्वारा उत्पादित किया जा सकता है । इस प्रकरण में, श्रम की बड़ी मात्रा OL1 है । यह दर्शाती है कि तकनीक श्रम गहन है ।
(2) पूँजी गहन तकनीक (Capital Intensive Techniques):
हार्वे लीबेनस्टीन, पाल बारन, हिर्षमन और मॉर्रिस डार्बे (Harvey Leibenstein, Paul Baran, Harschman and Maurice Dobb) पूँजी गहन तकनीक के मुख्य समर्थक हैं । उनका मानना है कि वृद्धि की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिये यह तकनीक अनिवार्य है । अल्प विकसित देशों में पूँजी गहन तकनीक के प्रयोग की आवश्यकता के सम्बन्ध में पाल बारन एक दृढ़ राय रखते हैं ।
उनके अपने शब्दों में- ”आर्थिक विकास के कार्यक्रमों के निर्माण में श्रम गहन तकनीकों को प्राथमिकता देने वाले अर्थशास्त्रियों के आदेश अबोध सैद्धान्तिक भ्रामकता होने से दूर है जैसा कि प्रथम दृष्टि में प्रतीत हो सकता है । वह नये प्रचलित अभियान में एक महत्वपूर्ण सम्बन्ध का वैज्ञानिक रूप में प्रमाणित करने के लिये प्रतिनिधित्व करते हैं कि पिछड़े देशों को औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास की दिशा में धीमा चलना चाहिये ।”
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उनका मत था कि ऐसे देशों को चाहिये कि अधिक विकसित देशों से वैज्ञानिक एवं शिल्पवैज्ञानिक प्रगति को प्राप्त करने के लिये अपनी योग्यता का प्रयोग करें यदि वह तीव्र गति से उद्योगीकरण चाहते हैं ।
पूँजी गहन तकनीकें वह हैं जिनमें तुलनात्मक रूप में पूँजी की बड़ी मात्रा का और श्रम की थोड़ी संख्या का प्रयोग होता है ऐसी तकनीक में उत्पादन की प्रति इकाई के पीछे प्रयुक्त पूँजी की राशि श्रम-गहन तकनीक की तुलना में बड़ी होती है । अन्य शब्दों में, इस प्रकार की तकनीक श्रम की आगत की तुलना में पूँजी की आगत पर अधिक निर्भर करती है ।
मिन्ट के शब्दों में एक विशेष वस्तु में उत्पादन की पूँजी गहन और श्रम गहन विधियां उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाली आधुनिक फैक्टरी विधियों द्वारा तथा सड़कों के निर्माण, सिचाई कार्यों तथा अन्य परियोजनाओं की यान्त्रिक विधियों द्वारा प्रदर्शित होती हैं ।
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यहां कम लागतों और उच्च उत्पादकता के कारण पूँजी की प्रति इकाई के पीछे शुद्ध उत्पादन तुलनात्मक रूप में ऊँचा हो सकता है । पूँजी गहन तकनीक का उत्पादन पर प्रभाव रेखा चित्र 9.2 द्वारा दर्शाया गया है ।
इस रेखा चित्र में सम उत्पाद वक्र Q, श्रम की OL मात्रा तथा पूंजी की OC मात्रा का प्रयोग करते हुये उत्पादन का आरम्भिक स्तर दर्शाती है । नई तकनीक के आरम्भण से, सम उत्पाद वक्र Q1 द्वारा उत्पादन का उच्च स्तर दिखाया जाता है जो श्रम की उसी मात्रा (OL) परन्तु पूँजी की बड़ी खुराक OC1 द्वारा उत्पादित किया जाता है । इसलिये, पूँजी गहन तकनीक श्रम की उसी मात्रा के साथ अधिक पूँजी का प्रयोग करती है ।