बायोम के पांच प्रमुख प्रकार | 5 Major Types of Biomes.
बायोम (जीवोम) स्थलीय परिस्थितिक तंत्र का ही एक प्रमुख भाग है । इसके अन्तर्गत वनस्पति एवं जीवों के समस्त क्रियाशील समूह शामिल किए जाते हैं । किसी प्रदेश विशेष की जलवायु, मिट्टी आदि कारकों से सामंजस्य स्थापित कर जो जटिल जैव-समुदाय विकसित होता है उसे ही ‘बायोम’ कहते हैं ।
ट्रिवार्था ने मृदाजल और ताप की उपलब्धता के आधार पर विश्व के बायोमों को 5 भागों में बांटा गया है:
1. वन बायोम (Forest Biomes):
इसे दो वृहत् और छह उपविभागों में बांटा है:
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a. सदाहरित वन:
i. उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन:
विषुवतीय प्रदेशों और उष्णकटिबंधीय तटीय प्रदेशों के भारी वर्षा और उच्च तापमान की दशाओं में सघन, ऊँचे व विश्व के सर्वाधिक विविधतापूर्ण जैव-सम्पदा वाले कठोर लकड़ियों वाले यथा महोगनी, आबनूस, रोजवुड और डेल्टाई भागों में मैंग्रोव के वन पाये जाते हैं । पृथ्वी के 12% भाग इन्हीं वनों से ढँके हैं ।
वृक्षों की सघनता के कारण यहाँ प्रकाश नहीं पहुँच पाता व अंधेरा छाया रहता है । लताएं (लियाना) व अधिपादप (एपीफाइट) इस बायोम की सर्वप्रमुख विशेषता है । ये वन अत्यधिक जैव-विविधतापूर्ण हैं । पृथ्वी के आधे से अधिक जन्तुओं व वनस्पतियों की प्रजातियाँ यहीं पायी जाती है ।
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इन वनों में मिलने वाले जीवों में हाथी, गैंडा, जंगली सुअर, शेर, घड़ियाल तथा बंदर व सांपों की अनेक प्रजातियां मिलती हैं । आमेजन बेसिन, कांगो बेसिन, अफ्रीका का गिनी तट, जावा-सुमात्रा आदि इन वनों के प्रमुख क्षेत्र हैं । ब्राजील में इन वनों को सेलवास कहा जाता है ।
वर्तमान समय में झूम खेती एवं अवैज्ञानिक व अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी के इस सबसे जटिल पारिस्थितिक तंत्र तथा इसके विशाल आनुवांशिकी संसाधन पर खतरा उत्पन्न हो गया है । अतः इनका संरक्षण जरूरी है ।
ii. मध्य अक्षांशीय सदाहरित वन:
उपोष्ण प्रदेशों में महाद्वीपों के पूर्वी तटीय भागों के ये वर्षा वन हैं । यहाँ प्रायः एक ही जाति वाले वृक्षों की प्रधानता पायी जाती है । चौड़ी पत्तीवाले कठोर लकड़ी ओक, लॉरेल, मैग्नेलिया, यूकेलिप्टस आदि के वन यहाँ प्रमुख हैं । द. चीन, जापान, द.पू. संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण ब्राजील आदि इसके प्रमुख क्षेत्र हैं ।
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iii. भूमध्यसागरीय वन:
मध्य अक्षांशों में महाद्वीपों के पश्चिमी सीमांतों पर शीतकालीन वर्षा प्रदेशों में ये वन होते हैं । यहाँ के प्रमुख वृक्ष कार्क, ओक, जैतून, चेस्टनट, पाइन हैं । इस बायोम में अग्नि से नष्ट न होने वाले पौधे और सूखे में रहने योग्य जंतु पाए जाते हैं । यहाँ रंग-बिरंगी चिड़ियों की अधिकता है ।
ग्रीष्मकाल की शुष्क जलवायु से बचाव के लिए विभिन्न प्रकार के वृक्षों ने स्वयं को अनुकूलित किया है । भूमध्य सागरीय प्रदेश ‘सिट्रस फलों’ के लिए प्रसिद्ध इनमें अंगूर, नींबू, नारंगी, शहतूत, नाशपाती व अनार प्रमुख है । चैपेरल, लैवेन्डर, लॉरेल तथा अन्य सुगन्धित जड़ी-बूटियाँ (मैक्वीस) का भी यहां उत्पादन होता है ।
iv. शंकुधारी वन:
उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र के चारों ओर यूरोप, एशिया व उत्तरी अमेरिका महाद्वीपों में व अन्य भागों में ऊँचे पर्वतों पर जाए जाने वाले ये मुलायम लकड़ी के वन हैं । इन वनों के प्रमुख वृक्ष चीड़, देवदार, फर, हेमलॉक, स्प्रूस हैं जिसका वर्धन काल ग्रीष्मकाल तक सीमित रहता है ।
इन वृक्षों की पत्तियाँ मोटी व सुइयों के आकार की होती हैं जो कम वाष्पोत्सर्जन करती है एवं शीत ऋतु में ठंड से बचाव में सहायक होती है । शंकुधारी वन विश्व के वन क्षेत्रों के अंतर्गत सर्वाधिक विस्तार रखते हैं । टैगा वनों के प्रदेश में लोमड़ी, मिंक, समूर व साइबेरियन क्रेन मिलते है ।
b. पर्णपाती वन:
i. मध्य अक्षांशीय पर्णपाती बन:
ये शीतल जलवायु के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं । उ.पू. अमेरिका, द. चिली आदि में इन वन क्षेत्रों की व्याप्ति है । इन वनों के प्रमुख वृक्ष ओक, बीच, वालनट, मैपल, ऐश, चेस्टनट आदि हैं । शीत ऋतु में ठंड से बचाव के लिए इनकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं ।
ii. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन या मानसूनी वन:
एशिया के मानसूनी प्रदेशों, ब्राजील, मध्य अमेरिका, उत्तरी आस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले इन वन क्षेत्रों में एक स्पष्ट शुष्क ऋतु होती है एवं उसके बाद वर्षा होती है । यहाँ सागवान, शीशम, साल, बाँस आदि प्रमुख वृक्ष पाए जाते हैं । उष्ण कटिबंधीय सदाहरित वनों के बाद सर्वाधिक विविधता इन्हीं वन क्षेत्रों में पाई जाती है ।
2. सवाना बायोम (Savanna Biome):
यहाँ आर्द्र-शुष्क उष्णकटिबंधीय जलवायु पायी जाती है । यह पार्कलैंड भूमि है जहाँ घासभूमियों के क्षेत्र में यत्र-तत्र कुछ वृक्ष रहते हैं । 5 मीटर लंबी और सघन हाथी घास सवाना प्रदेश की प्रमुख घास है । अफ्रीका, भारत, ब्राजील, पूर्वी आस्ट्रेलिया आदि इसके प्रमुख क्षेत्र हैं । वेनेजुएला में इस बायोम को लानोस कहा जाता है ।
सवाना बायोम में पेड़-पौधे और जन्तुओं में सूखे को सहन करने की क्षमता होती है तथा वृक्षों में अधिक विविधता नहीं होती । इस बायोम में हाथी, दरियाई घोड़ा, जंगली भैंस, हिरण, जेब्रा, सिंह, चीता, तेंदुआ, गीदड़, घड़ियाल, हिप्पोपोटैमस, सांप, ऐमू व शुतुरमुर्ग मिलते है ।
यह प्रदेश ‘बड़े-बड़े शिकारों की भूमि’ के नाम से प्रसिद्ध है तथा विश्व प्रसिद्ध ‘जू’ है । मानवीय हस्तक्षेप के कारण इस क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है ।
3. घास भूमि बायोम (Grass Land Biomes):
i. अर्द्धशुष्क महाद्वीपीय घास भूमि:
यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ लैन्टेना और बुफैलो घास, सूर्यमुखी लोकोघास आदि हैं । इन छोटे घास के मैंदानों को यूक्रेन व दक्षिणी पश्चिमी रूस में स्टेपी, दक्षिण अफ्रीका में वेल्ड और ब्राजील में कैम्पोस कहा जाता है ।
ii. मध्य अक्षांशीय आर्द्र घास भूमि:
उपोष्ण आर्द्र जलवायु प्रदेशों में ये लंबी एवं सघन घास के मैदान हैं । उत्तरी अमेरिका में इन्हें प्रेयरी, दक्षिणी अमेरिका में पम्पास, आस्ट्रेलिया में डाउन्स, न्यूजीलैंड में कैंटरबरी और हंगरी में पुस्टाज कहते हैं ।
4. मरुस्थलीय बायो (Desert Biomes):
यहाँ वनस्पतियों का प्रायः अभाव पाया जाता है । केवल छोटी झाड़ियाँ, नागफनी, बबूल, खजूर, खेजड़ी आदि वनस्पतियाँ मिलती हैं ।
5. टुंड्रा बायोम (Tundra Biomes):
60०N अक्षांश से ऊपर के एशियाई, यूरोपीय व उत्तरी अमेरिकी भागों में वनस्पतियाँ अत्यन्त विरल हैं । केवल लाइकेन, एल्गी व जंगली झाड़ियाँ थोड़ी बहुत मिलती हैं जिनका वर्धन काल ग्रीष्मऋतु के केवल तीन महीने तक ही सीमित होता हैं । रेंडियर टुंड्रा क्षेत्र का प्रमुख पशु है । यहाँ के निवासी एस्कीमो कहे जाते हैं । इनका प्रमुख खाद्य पदार्थ सील मछली है ।