Read this article in Hindi to learn about the impact of climate change on agriculture sector.
भारतीय कृषि के विभिन्न क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन का संभावित प्रभाव:
1. फसल (Crops):
(i) परिवेशी कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि लाभदायक है क्योंकि इससे प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि होती है । गेहूँ की पैदावार ग्रेन फिलिंग अवधि में कमी, वर्षा-सिचाई में कमी के कारण कम होने की संभावना होती मौसम की अति जैसे बाढ तथा सूखे, चक्रवात, गर्मी की लहर, शीत लहर इत्यादि ।
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(ii) शीत लहर, कोहरा तथा तुषार सरसों की खेती को तथा सब्जियों को नुकसान पहुँचा सकते हैं ।
(iii) कृषि संबंधी जैव विविधता को बढ़ते तापमान तथा कम वर्षा से भी खतरा होता है ।
2. जल (Water):
(i) उच्च मात्रा में वाष्पन-उत्सर्जन तथा बढ़ते तापमान की बजह से सिंचाई की मांग ।
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(ii) कुछ स्थानों पर भीम जल स्तर में कमी ।
(iii) हिमालय में हिमनदों के पिघलने से सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों में जल की मात्रा में वृद्धि होती है ।
(iv) भारत के विभिन्न भागों में जल-संतुलन का वितरण होगा ।
(v) समुद्री जल के अतिक्रमण से तटीय क्षेत्रों के जल की गुणवत्ता अधिक प्रभावित होगी ।
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3. मृदाएँ (Soils):
(i) जैविक पदार्थ निम्नतर हो जाएंगे ।
(ii) मृदा का तापमान बढने से कोशिका क्रिया में वृद्धि होगी तथा मृदा लवणता तथा क्षारीयता बढेगी ।
(iii) वर्षा जल के आयतन, आवृति तथा वायु में परिवर्तन से मृदा अपरदन में वृद्धि होती है ।
4. मवेशी (Livestock):
(i) जलवायु परिवर्तन मवेशियों के चारे तथा आहार-उत्पादन को प्रभावित करता है ।
(ii) जल की अपर्याप्तता से आहार व चारा उत्पादन कम होता है ।
(iii) जलवायु परिवर्तन से डेयरी के जानवरों में तापाघात में वृद्धि होगी जिससे उनकी कार्य निष्पादन क्षमता बुरी तरह प्रभावित होगी ।
5. मत्स्य पालन (Fishery):
(i) नदी व समुद्री जल का तापमान बढ़ने से मत्स्य उत्पादन, प्रवसन तथा उनके पालन पर प्रभाव पड़ता है ।
(ii) तापमान बढ़ने तथा उष्ण कटिबंधीय चक्रवातीय गतिविधि में वृद्धि होने से समुद्री मछ्ली को पकड़ने, उसके उत्पादन तथा विपणन कीमत पर प्रभाव पड़ता है ।
(iii) उच्च समुद्री सतह के उच्च तापमान से प्रवाल ब्लीचिंग में वृद्धि होती है ।