Read this article in Hindi to learn about the environmental impact assessment in India and its objectives.
संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय योजनाओं के पारिस्थितिक, सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिये 1969 में राष्ट्रीय पर्यावरण नीति अधिनियम (National Environment Policy Act) पारित किया गया था । अब विश्व के अधिकतर देशों में किसी भी बड़ी परियोजना का आरम्भ करने से पहले पर्यावरण पर उसके प्रभावों का मूल्यांकन करना अनिवार्य है ।
पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:
1. जिस क्षेत्र में कोई विकास परियोजना आरम्भ करनी हो उसका भौगोलिक परिप्रेक्ष्य (Perspective) प्रस्तुत करना ।
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2. बहुस्तरीय विकास योजनाओं के कुल प्रभाव का अवलोकन करना ।
3. पर्यावरण संरक्षण की प्राथमिकतायें तैयार करना ।
4. विकास नीति के विकल्प तलाश करना ।
5. सूचनाओं एवं आकड़ों की कमी (Information Gaps) का पता लगाना ।
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6. पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन के आधार पर संशोधन करना ।
7. प्रस्तावित परियोजना के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं का पता लगाना ।
8. पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रयास जारी रखना तथा विकास करने वालों को उत्तरदायी ठहराना ।
भारत में पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (Environment Impact Assessment in India):
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भारत में पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन 1978 में आरम्भ हुआ था ।
वर्तमान में निम्न परियोजनाओं का पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन किया जाता है:
1. सभी बडी परियोजनाएं, उदाहरण के लिये:
(i) नदी घाटी परियोजनाएं,
(ii) ताप-बिजली घर,
(iii) खनन (Mining),
(iv) बडे उद्योग,
(v) न्यूक्लियर पॉवर प्लांट (Nuclear Power Plants),
(vi) रेलवे राष्ट्रीय राजमार्ग, नदियों के पुल, फ्लाई ओवर (Flyovers)
(vii) बन्दरगाह एवं पोताश्रय (Ports and Harbours),
(viii) हवाई अड्डे,
(ix) नये स्थापित नगर तथा
(x) परिवहन एवं दूरसंचार परियोजनाएं ।
2. वह सभी परियोजनाएं, जिनकी स्वीकृति/मंजूरी अनुमति सार्वजनिक निवेश बोर्ड (Public Investment Board), योजना आयोग (Planning Commission) अथवा केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority) इत्यादि से लेनी पड़ती है ।
3. ऐसी सभी परियोजनाएं, जिनको पर्यावरण तथा वन मन्त्रालय को निर्दिष्ट किया जाये ।
4. ऐसी सभी परियोजनाएं, जो आपदा संवेदनशील क्षेत्रों से सम्बंधित हों ।
5. ऐसी सभी परियोजनाएं, जिनका लागत खर्च पचास करोड से अधिक हों ।
भारत सरकार की जनवरी 1994 की अधिसूचना (Notification) के अनुसार 29 प्रकार की विकास योजनायें पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन के अंतर्गत आती हैं । इस सूची में सिंचाई, खनन, उद्योग, ऊर्जा, परिवहन पयर्टन तथा दूरसंचार की परियोजनायें सम्मिलित हैं ।
उपरोक्त प्रकार की परियोजनाओं के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिये पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय ने छह स्थानों पर केन्द्र स्थापित किये हैं जिनके नाम निम्न प्रकार हैं:
(i) बंगलुरु,
(ii) भोपाल,
(iii) भुवनेश्वर,
(iv) चण्डीगढ़,
(v) लखनऊ, तथा;
(vi) शिलांग ।
यदि किसी प्रोजेक्ट को अनुमति न देकर उसको अस्वीकार किया जाये तो उसकी अपील नेशनल पर्यावरण अपिलैट अथोरिटी (National Environment Appellate Authority) को की जा सकती है । इस प्रकार परियोजना को गुणवत्ता के आधार लगाया जा सकता है, जो न्यायपूर्ण कार्यवाही के लिये अनिवार्य है ।