इसहाक न्यूटन पर निबंध | Essay on Isaac Newton in Hindi Language!

1. प्रस्तावना

2. जन्म परिचय व उपलब्धियां

3. उपसंहार

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1. प्रस्तावना:

सर आइजक न्यूटन ने 3 क्रांतिकारी खोजें कीं, जिनमें प्रकाश सम्बन्धी नियम, द्रव्य स्थिति व गुरुत्वाकर्षण, डिफरेंशियल कैल्कुलस हैं । उन्होने जो प्रमुख सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था, उसे गुरुत्वाकर्षण कहा जाता है ।

गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त के अनुसार विश्व की समस्त प्रकृतिक शक्तियां-सूर्य, पृथ्वी, ग्रह, नक्षत्र, तारे-स्थिर और गतिमान रहते हैं । इस महान खोज के लिए तथा खगोल विज्ञान से सम्बन्धी उनकी खोजों के लिए न्यूटन हमेशा जाने जाते रहेंगे ।

2. जन्म परिचय व उपलब्धियां:

न्यूटन का जन्म लिंकनशायन के निकट श्लथोप में 25 दिसम्बर, 1642 को हुआ था । उनके पिता हन्नाह न्यूटन एक मामूली किसान थे, जो न्यूटन के जन्म से दो माह पूर्व ही चल बसे थे । जब न्यूटन की अवस्था 3 वर्ष थी, तो उनकी माता ने गरीबी और मजबूरी के कारण दूसरा विवाह कर लिया और न्यूटन को उनकी दादी की देखरेख में छोड्‌कर नये पादरी पति के साथ चली गयी ।

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दादी के लाड-प्यार में बड़े हुए न्यूटन का मन पढ़ाई में नहीं लगता था । उन्हें तो फूलों-पत्तों को एकत्र करने, मशीनों के कलपुर्जो की जानकारी पाने में आनन्द बता था । शरीर से कमजोर होने के कारण उनके मन में हीनता की भावना पैदा हो गयी थी ।

पादरी पति की मृत्यु होने पर न्यूटन की मां ने उन्हें खेती करने के लिए अपने पास बुलवा लिया । न्यूटन का खोजी मन खेती बजाय गणित और अन्य आविष्कारों में लगा रहता था । आइजक के मामा ने जब उनकी यह दशा देखी, तो उसने अपनी बहिन से सहमति लेकर उन्हें फूल में भरती करवा दिया ।

मां के एक परिचित क्लार्क दम्पत्ति के साथ रहते हुए न्यूटन ने 5 जून 1661 को मैट्रिक उत्तीर्ण करने के उपरान्त कैम्तिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला ले लिया । 1665 बी॰ए॰ की उपाधि प्राप्त

की । उनके गणित के प्राध्यापक मिस्टर बैरी ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया ।

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न्यूटन ने बाइनोमिनल प्रमेय की खोज 1666 में की । वक्र रेखाओं तथा ठोस पदार्थो से सम्बन्धित कछ नियमों का उद्‌घाटन किया । प्लेग और महामारी के फैलने से न्यूटन विश्वविद्यालय छोड़कर गांव आ गये । एक दिन बाग में खाली बैठे-बैठे न्यूटन कुछ सोच रहे थे, तभी सेब के वृक्ष से एक सेब उनके सिर पर आ गिरा ।

इसे उठाकर वे सोचने लगे कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा ? ऊपर की ओर क्यों नहीं गया ? न्यूटन की इस बात को किसी ने गम्भीरता से नहीं लिया । उन्होंने यह बात अपनी भतीजी केथरिन को बतायी और यह भी बताया पृथ्वी उसे खींच रही है ।

पृथ्वी ही नहीं सूर्य, चांद तारों में मी यह शक्ति होती होगी ? लगातार सोचते हुए न्यूटन ने सूर्य के चारों ओर निश्चित धुरी पर चक्कर लगाने वाले ग्रहों के सरबन्ध में गुरुत्वाकर्षण के नियम को प्रतिपादित कर दिखाया ।

उन्होंने एक रस्सी में गेंद बांधकर गोल-गोल घुमाया । बॉल के दूरी पर गिरते ही उन्होंने पृथ्वी की चन्द्रमा से दूरी का उघकलन किया । यह बताया कि दो वस्तुओं के बीच दूरी के वर्ग के उलट अनुपात में गुरात्वाकर्षण बल होता है । समुद्र में उठने वाला ज्वार और लहरें मी सूर्य और चन्द्रमा के गुरुत्चाकर्षण से आते हैं ।

सन् 1667 को न्यूटन कैरिज वापस आ पहुंचे । प्रोफेसर बैरो के अवकाश ग्रहण करने के उपरान्त 26 वर्ष की अवस्था में वे वहां के प्रोफेसर नियुक्त हुए । न्यूटन को दूरबीन से तारे देखने में काफी रुचि थी । वे चाहते थे कि ऐसी दूरबीन का निर्माण करें जो अत्यन्त बारीकी से सटीक अध्ययन कर सकेरे । इसी विचार से उन्होंने शीशों के लेंसों को बार-बार घिसा और उन्हें विभिन्न आकारों में ढाला ।

उन्होंने एक नयी दूरबीन तैयार की थी, जिसे रिपलेक्टिंग टेलीस्कोप कहा । इसमें प्रकाश को लैस के बजाय शीशे के द्वारा एकत्रित किया गया । उनके इस आविष्कार की चर्चा रॉयल सोसाइटी तक जा पहुंची थी । इस सोसाइटी द्वारा वे फैलो चुने जा चुके थे ।

न्यूटन ने प्रिज्य की तरह लैस के किनारों को प्रयुक्त किया था, जिससे सफेद प्रकाश की सामान्य किरणें अनेक रंगों में बदल जाती थीं । ऐसे में परेशान होकर उन्होंने रंगों की उत्पत्ति का कारण ढूंढा । उन्हें ज्ञात हुआ कि सामान्य प्रकाश की किरणें जब एक ब्रिज से होकर गुजरती हैं, तो वे सात रंगों में बंटकर अलग-अलग दिखाई पड़ती हैं ।

इन रंगीन किरणों को उन्होंने दूसरे प्रिज्मों से निकलने दिया, तो पाया कि रंगों की किरणों का पद थोड़ा बदलता है, पर कोई नया रंग नहीं निकलता । उन्होंने साबित किया कि सफेद प्रकाश वस्तुत: सात रंगों का मिश्रण है । सभी रंग अलग-अलग हैं । मौलिक हैं, मिश्रण नहीं ।

इन्द्रधनुष का कारण भी सरल भाषा में समझाया । न्यूटन द्वारा तैयार की गयी दूरबीन-जो 9 इंच लम्बी, 2 इंच शीशे से बनी थी अत्यन्त लोकप्रिय हुई । न्यूटन के सिद्धान्तों पर काफी बहसें हुईं, किन्तु न्यूटन ने सभी को सप्रमाण साबित कर दिखाया ।

उनकी इस विधि का नाम विज्ञान विधि भी पड़ा । न्यूटन ने यह भी पता लगाया कि ज्वलनशील पदार्थ की किरणें 1 लाख 86 हजार मील प्रति सैकण्ड की गति से खाली स्थान में चलती हैं । प्रकाश की किरणें पारदर्शी माध्यम से गुजरते समय परावर्तित हो जाती हैं, जो आपार करती हैं, उनका पथ बदल जाता है ।

सन 1684 तक न्यूटन ने अपने सारे सिद्धान्तों का प्रमाण प्रस्तुत कर दिया । उनका नाम सोसाइटी के रजिस्टर में दर्ज हो गया । न्यूटन ने धार्मिक विरोधों का भी सामना किया । उनके द्वारा लिखी पुस्तक फिलासोफिया नेचुरालिस प्रिसिपिया मैथेमेटिका अर्थात् प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धान्त है ।

1687 को इस पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही न्यूटन की प्रतिष्ठा भी बढ़ गयी । 1689 में वे संसद सदस्य चुने गये । 1690 से लेकर 92 तक वे गणित सम्बन्धी शोध में जुटे रहे । इसी बीच उन्हें मानसिक बीमारी हो गयी थी । सामान्य होने पर उन्होंने अपना शोधकार्य जारी रखा ।

1697 में उनके द्वारा हल किये गये गणितीय सूत्र उनकी प्रतिभा के प्रमाण थे । सन 1705 में न्यूटन को सर की उपाधि से सम्मानित किया गया । उनकी पुस्तकों के कई संस्करण छपे । 1727 में न्यूटन फिर बीमार पड़े । उन्हें पथरी की बीमारी हो गयी थी । 20 मार्च, 1727 को न्यूटन को मृत्योपरान्त वेस्ट मिस्टर में दफनाया गया ।

3. उपसंहार:

सर आइजक न्यूटन ने अपनी प्रकाश सम्बन्धी, गुरुत्वाकर्षण तथा गणितीय खोजों से समस्त विश्व को एक नया ज्ञान दिया । अपने जीवन का पूरा समय महान् खोजों और आविष्कार को देने वाले न्यूटन आज भी संसार के महान वैज्ञानिकों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं ।

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