भारतीय रेलवे पर निबंध! Here is an essay on ‘Indian Railways’ in Hindi language.

16 अप्रैल, 1853 को जब भारत में पहली रेलगाड़ी ने बम्बई (मुम्बई) से थाणे के मध्य 34 किमी की दूरी तय की थी, तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि आने वाले दिनों में भारतीय रेल विश्व में परिचालन में अपना दूसरा स्थान बना लेगी, लेकिन यह आज का सच है ।

तब से लेकर अब तक भारतीय रेलवे ने बहुत तेजी से प्रगति की है और इस समय यह एशिया की सबसे बड़ी व विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रेल-प्रणाली है । इसमें लगभग 14 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जो देश के किसी भी उपक्रम में सबसे अधिक है तथा केन्द्रीय कर्मचारियों की कुल संख्या का 40% है ।

गौरतलब है कि भारतीय रेल नेटवर्क को 17 क्षेत्रों में बाँटा गया है । इनके प्रशासन एवं प्रबन्धन के लिए 21 रेलवे बोर्डों का भी गठन किया गया है । प्रत्येक रेलवे बोर्ड, केन्द्रीय कैबिनेट के रेलवे मन्त्रालय के अधीन होता है ।

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भारत में रेल इंजनों का निर्माण चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, बाराणसी के डीजल लोकोमोटिव वर्क्स तथा भोपाल स्थित भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड नामक कारखानों में किया जाता है । सवारी डिब्बों के निर्माण के लिए पेराम्बूर एवं चेन्नई में इण्टीग्रल कोच फैक्ट्री तथा कपूरथला में रेल कोच फैक्ट्री हैं ।

भारतीय रेल अन्तर्राष्ट्रीय रेल नेटवर्क स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत है । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर भारत एवं पाकिस्तान के मध्य ‘समझौता एक्सप्रेस’ का परिचालन वर्ष 2004 से प्रारम्भ हुआ था । इसके बाद वर्ष 2008 से भारत एवं बांग्लादेश के मध्य ‘मैत्री एक्सप्रेस’ का परिचालन किया गया ।

भारतीय रेल पिछले कुछ वर्षों से न केवल अपने देश में रेल डिब्बे और इंजन के निर्माण में आत्मनिर्भर बनी है, बल्कि यह अन्य देशों को इसकी आपूर्ति भी करती है । आज देशभर में रेलों का व्यापक जाल बिछा हुआ है ।

इस समय देश में सात हजार से अधिक रेलवे स्टेशन हैं तथा रेलमार्ग की कुल लम्बाई 63 हजार किमी से अधिक है, जिसके लगभग 28% भाग का विद्युतीकरण हो चुका है ।

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आज भारत की रेल पटरियों पर प्रतिदिन 19 हजार से भी अधिक ट्रेनें दौड़ती रहती हैं, जिनमें 12 हजार यात्री ट्रेनें और 7 हजार मालवाहक ट्रेनें हैं । भारतीय रेलवे में कई प्रकार की रेलगाड़ियां हैं ।

मेल एवं एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के अतिरिक्त, पर्यटन के लिए विशेष रेलगाड़ियाँ भी चलाई जाती हैं । पैसेंजर रेलगाड़ियाँ महानगरों की जीवन-रेखा का कार्य करती हैं । महानगरों के अतिरिक्त भी कुछ क्षेत्रों में पैसेंजर रेलगाड़ियों का परिचालन किया जाता है ।

राजधानी एक्सप्रेस, गरीब रथ, जनशताब्दी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरन्तो इत्यादि यहाँ की कुछ अतिविशिष्ट रेलगाड़ियां हैं । भारतीय रेलवे समय-समय पर विशेष प्रकार की रेलगाड़ियों का परिचालन भी करवाता है ।

भारत में कुछ अति विशिष्ट रेलगाड़ियाँ हैं, जो अपनी विशेषता के लिए विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं । इनमें डेक्कन ओडिसी, पैलेस ऑन व्हील्स, हेरिटेज ऑन व्हील्स, महाराजा एक्सप्रेस, फेयरी क्वीन एवं रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स नामक रेलगाड़ियाँ शामिल हैं ।

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इधर हाल के वर्षों में भारतीय रेल पटरियों पर हाई स्पीड बुलेट ट्रेन चलाए जाने की चर्चा जोरों पर है । वर्ष 2014 के अन्तरिम रेल बजट में भारत में बुलेट ट्रेन परियोजनाओं के आधारभूत संरचनात्मक विकास हेतु रु 100 करोड़ का प्रस्ताव रखा गया है ।

इसी वर्ष दिल्ली से आगरा के मध्य 160 किमी प्रति घण्टे की गति से दौड़ने वाली सेमी हाई स्पीड ट्रेन के सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि भारत आने वाले दिनों में देश में बुलेट ट्रेन दौड़ाकर तकनीक और रफ्तार के क्षेत्र में विश्व के विकसित देशों के समकक्ष आ खड़ा होगा ।

वर्ष 2021-22 तक मुम्बई से अहमदाबाद के मध्य देश में पहली बुलेट ट्रेन चलाने का लक्ष्य रखा गया है । भारतीय रेल अपने यात्रियों को विविध प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करती है, इनमें तमाम वे सुविधाएँ भी सम्मिलित हैं, जो हमारे दैनिक जीवन से सम्बन्धित होती हैं; जैसे- भोजन-जलपान, विश्राम गृह, अमानत घर, व्हील चेयर, प्राथमिक उपचार, बुक स्टॉल आदि ।

भारतीय रेल में लम्बी दूरी की यात्राओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था भी रहती है, ताकि यात्रीगण चिन्तामुक्त होकर यात्रा का आनन्द ले सकें । उच्च श्रेणी की रेलगाड़ियों में यात्रियों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है । धन और समय की बचत रेल यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता है ।

रेल यात्रा के दौरान कई बार यात्रियों को लूटपाट, हिंसा का भी सामना करना पड़ता है । इन स्थितियों से निपटने के लिए भारतीय रेलवे ने रेलवे पुलिस बल की व्यवस्था कर रखी है, जो ऐसी स्थितियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है ।

रेलवे पुलिस द्वारा यथासम्भव प्रयास किया जाता है कि यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े । भारतीय रेल की यह प्रशासनिक इकाई रेलवे अपराधों पर नियन्त्रण के साथ-साथ आकस्मिक दुर्घटनाओं में यात्रियों का सहयोग करती है ।

रेलवे पुलिस आकस्मिक चैकिंग के द्वारा अवैध गतिविधियों को नियन्त्रित करने के प्रयास समेत बेटिकट यात्रियों को भी पकड़ती है । भारतीय रेल की प्रशासनिक व्यवस्था को सन्तोषजनक श्रेणी में रखा जा सकता है ।

इन सभी सुविधाओं को देखते हुए रेलगाड़ी से बेहतर यात्रा का कोई अन्य विकल्प प्रतीत नहीं होता । इस प्रकार भारतीय रेल यात्रियों को यथासम्भव सुविधाएं देती है, पर साथ ही यात्रियों से भी यह अपेक्षा रखती है कि वे टिकट लेकर या आरक्षण कराकर यात्रा करें ।

रेलगाड़ियों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद आदि को ग्रहण न करें । रेलगाड़ियों के नियत समय को ध्यान में रखें । रेलगाड़ी से शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें । यात्रा के दौरान खरीदे गए खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में सुनिश्चित कर ले या फिर रेलगाड़ी की पैण्ट्री से ही खाद्य वस्तुएँ खरीदें ।

चलती हुई रेलगाड़ी के गेट पर खड़े होने का प्रयास न करें । बच्चों के परिप्रेक्ष्य में विशेष सावधानी बरतें । परस्पर सामंजस्य से भारतीय रेल और बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर सकने में सक्षम हो सकती है ।

भारत में रेल न केवल देश की परिवहन सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि देश को एक सूत्र में बाँधने एवं राष्ट्र के एकीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में भारतीय रेल का प्रमुख योगदान रहा है ।

देश में विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई एवं यात्री परिवहन का प्रमुख साधन रेल ही है । देश के कोने-कोने तक लोगों को आपस में जोड़ने के अतिरिक्त इसने व्यापार, पर्यटन एवं शिक्षा को भी सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है ।

इसकी सहायता से कृषि एवं औद्योगिक विकास को भी गीत प्राप्त हुई है । आजादी के बाद से भारतीय रेल ने अनन्त उपलब्धियाँ अर्जित की हैं । कवि हरिवंशराय बच्चन की ये पंक्तियाँ भारतीय रेल पर बिलकुल सही प्रतीत होती हैं-

“रुके न तू, थमे न तू

झुके न तू, थमे न तू

सदा चले, थके न तू

रुके न तू, झुके न तू ।”

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