संयुक्त राष्ट्र संघ पर निबंध! Here is an essay on ‘United Nation Organisation (UNO) in Hindi language.

मानव सभ्यता की शुरूआत के साथ ही सत्ता एवं धर्म के वर्चस्व के लिए युद्धों का सिलसिला प्रारम्भ हो गया था । वैज्ञानिक प्रगति के साथ युद्ध की तकनीकों में परिवर्तन देखने को मिले । स्थिति यह बन गई कि शक्तिशाली देश दूसरे देशों पर अपनी शक्ति के बलबूते पर कब्जा करने के लिए उचित-अनुचित हथकण्डे अपनाने लगे ऐसे में युद्ध का जवाब युद्ध से मिलना स्वाभाविक था ।

इस परिस्थिति में, लगातार बढती युद्ध की आशंका से दुनिया को उबारने के प्रयास के लिए एक विश्वस्तरीय संगठन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी । इसी उद्देश्य को लेकर प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद वर्ष 1929 में राष्ट्र संघ का गठन किया गया, किन्तु इसके पास न तो शक्ति थी और न ही यह अपने उद्देश्यों में सफल हो सका ।

विश्वस्तरीय इस संगठन की सबसे बढ़ी विफलता यह रही कि यह वर्ष 1939 में आरम्भ हुए द्वितीय विश्वयुद्ध को नहीं रोक सका । द्वितीय विश्वयुद्ध के कुपरिणाम को देखते हुए यह तय था कि यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ, तो मानव सभ्यता को विनाश के कगार पर पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता ।

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इस परिस्थिति में एक विश्वसनीय एवं सक्षम अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता महसूस की गई, ताकि अगले विश्वयुद्ध की नौबत ही न आए । इस तरह अन्तर्राष्ट्रीय कानून, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास एवं सामाजिक निष्पक्षता में सहयोग को सरल करने जैसे उद्देश्यों को लेकर 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई, इसलिए 24 अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष यह दिन पूरे विश्व में ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा:

पत्र में इसकी स्थापना के निम्नलिखित उद्देश्य बताए गए हैं:

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i. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाए रखना ।

ii. राष्ट्रों के बीच उनके समान अधिकार एवं आत्मनिर्णय के आधार पर मैत्रीपूर्ण सम्बन्धी का विकास करना ।

iii. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानव हितवादी अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने तथा मानवीय अधिकारों एवं सबके लिए मौलिक स्वाधीनता के प्रति समान भावना बढ़ाने में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना ।

iv. इन समान उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राज्य द्वारा किए जाने वाले कार्यों को सामंजस्य का केन्द्र बनाना ।

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संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सभी सदस्य राष्ट्रों से अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शान्ति के लिए सहयोग करने की अपेक्षा रखता है । निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि मनुष्य को मनुष्य के नाते समान अधिकार प्रदान करना-कराना ही इस संस्था का सिद्धान्त एवं प्रमुख उद्देश्य है । प्रारम्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ में 51 सदस्य देश थे, किन्तु अब इसके सदस्य देशों की संख्या 192 हो चुकी है ।

इसकी सदस्यता का द्वार उन सभी शान्तिप्रिय राष्ट्रों के लिए खुला है:

a. जो सच की जिम्मेदारियों को स्वीकार करें,

b. संघ के निर्णयानुसार इन दायित्वों को पूरा करने के योग्य एवं इसके लिए तैयार हो,

c. जिनकी सदस्यता के लिए सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों की सहमति हो तथा

d. जिसे सदस्यता के लिए महासभा में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ हो ।

संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में है ।  वर्ष 1946 में नॉर्वे के त्रिग्वेली संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रथम महासचिव निर्वाचित ग्रुप थे इस पद हेतु पाँच वर्ष का कार्यकाल निर्धारित है । वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव दक्षिण कोरिया के बान की मून हैं ।  इन्हें इस पद पर लगातार दूसरे कार्यकाल (वर्ष 2011-16) के लिए निर्वाचित किया गया है ।

इन्होंने शपथ लेने के दौरान कहा था- ”मैं संयुक्त राष्ट्र संघ की इच्छानुसार उसके हितार्थ कार्य करूँगा तथा अन्य राष्ट्रों के निर्देशों को नहीं मानूँगा ।” संयुक्त राष्ट्र सद्य के लिए ध्वज 20 अक्टूबर, 1947 को अपनाया गया । इस ध्वज की पृष्ठभूमि हल्की नीली है तथा इसका मध्य भाग सफेद है । ध्वज पर विश्व का मानचित्र अंकित है, जो उत्तरी ध्रुव की ओर से उठा हुआ दिखाई देता है मानचित्र पर फैली हुई जैतून की शाखाओं का एक युग्म शान्ति के प्रतीक के रूप में अंकित है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त छ: भाषाएं हैं:

1. अंग्रेजी

2. फ्रेंच

3. रूसी

4. चीनी

5. अरबी

6. स्पेनिश

संयुक्त राष्ट्र संघ के छः अंग हैं:

1. महासभा

2. सुरक्षा परिषद

3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद

4. न्यासी परिषद

5. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय

6. सचिवालय

महासभा, संयुक्त राष्ट्र संघ का विमर्शी निकाय है, जिसमें इसके सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व रहता है । इसका अधिवेशन वर्ष में एक बार नियमित रूप से आयोजित किया जाता है । इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है एवं वर्तमान में इसके महासचिव वान की मून हैं ।

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है । इसका मुख्यालय भी न्यूयॉर्क में है । यह एक प्रकार से कार्यपालिका का कार्य करती हे । अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को बनाए रखना इसकी जिम्मेदारी है । इसके 15 सदस्य होते है, जिनमें 5 स्थायी सदस्य एवं 10 अस्थायी सदस्य हैं । अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस एवं चीन इसके स्थायी सदस्य है ।

अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन महासभा द्वारा सभी सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से दो वर्षों के लिए होता है । सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य को किसी मामले में मत देने का अधिकार होता है, किन्तु पाँचों स्थायी सदस्यों के पास मत देने के अधिकार के साथ-साथ निषेधाधिकार (बीटी) का विशेष अधिकार भी होता है ।

यदि कोई स्थायी सदस्य किसी निर्णय से सहमत नहीं है, तो वह नकारात्मक मतदान करके अपने वीटो के अधिकार का उपयोग कर सकता है । इस दशा में 15 में से 14 सदस्य देशों के समर्थन के बावजूद प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो सकता । आर्थिक एवं सामाजिक परिषद एक स्थायी संस्था है, इसका मुख्यालय भी न्यूयॉर्क में ही है । वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 54 है ।

इसके सदस्यों का कार्यकाल 8 वर्ष का होता है इसके एक-तिहाई सदस्य प्रतिवर्ष पदमुक्त होते हैं ।  अवकाश ग्रहण करने वाला सदस्य बाद में पुन निर्वाचित हो सकता है । इसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख देशों के बीच आम समस्याओं पर सामंजस्य स्थापित करना तथा आर्थिक गतिविधियों से अवगत कराना है ।

संयुक्त राष्ट्र सध ने अपनी न्यास पद्धति के संचालन के लिए न्यासी परिषद का निर्माण किया । इस परिषद में वर्तमान में 12 सदस्य हैं, जिनमें चार प्रबन्धकर्ता देश, तीन स्थायी सदस्य तथा पाँच निर्वाचित सदस्य है । वर्तमान में इसके कार्यों को निरस्त कर दिया गया है एवं आगे इसकी शुरूआत की जाए या नहीं, यह विचाराधीन है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 3 अप्रैल, 1946 को की गई थी । इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैण्ड) में है इसका मुख्य कार्य अन्तर्राष्ट्रीय विधि सम्बन्धी मामलों का समाधान करना है । इसमें 16 न्यायाधीश होते है, जिनकी नियुक्ति नौ वर्षों के लिए होती है । प्रत्येक तीन वर्ष बाद पाँच न्यायाधीश अवकाश ग्रहण करते है । कोई भी दो न्यायाधीश एक ही देश के नहीं हो सकते हैं ।

न्यायाधीश अपने में से ही एक अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को तीन वर्ष के लिए चुनते हैं । न्यायालय की कार्यालयी भाषाएँ फ्रेंच तथा अंग्रेजी हैं संयुक्त राष्ट्र संघ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के निपटारे के लिए सचिवालय का गठन किया गया है इसका प्रमुख महासचिव होता है, जिसे महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर पाँच वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है ।

महासचिव संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का ध्यान ऐसे विषयों की ओर दिलाता है, जिससे उसकी राय में विश्व शान्ति के भंग होने की आशंका हो या सुरक्षा पर खतरे की सम्भावना हो । संयुक्त राष्ट्र के छ: अंगों के अतिरिक्त इससे सम्बन्धित कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ भी हैं, जो इसके कार्यों को सम्पन्न करने में सहायक होती हैं ।

ये संस्थाएँ है-अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण, खाद्य एवं कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति सम्बन्धी संगठन (यूनेस्को), विश्व स्वास्थ्य संगठन इत्यादि । सयुक्त राष्ट्र सब द्वारा जारी की गई सहस्राब्दि विकास लक्ष्य रिपोर्ट-2013 के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 1990 की तुलना में वर्ष 2010 में विश्वभर में मातृत्व मौतों में 47% की कमी आई है ।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2013 तक प्रति एक लाख जन्मों पर मातृत्व मृत्यु दर 212 है, लेकिन सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को हासिल करने हेतु राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत इस संख्या को और कम किया जाना चाहिए ।

इस रिपोर्ट को जारी करने के दौरान बान की मून ने कहा- ”सभी के लिए अधिक न्यायोचित, सुरक्षित और स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों को और तेज किए जाने की आवश्यकता है ।” भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था- ‘संयुक्त राष्ट्र संघ नई दुनिया का प्रतीक तथा मानवता की आशा है ।” उनका यह कथन निश्चय ही सत्य है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ अपने उद्देश्यों की पूर्ति में कफिा हद तक सफल रहा है ।  शीत युद्ध का तृतीय विश्वयुद्ध में परिवर्तित न होने का श्रेय इसी को है, हालाँकि अमेरिका के वर्चस्व के कारण कई बार यह अपने बल का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर पाया, जिसके लिए इसकी आलोचना भी होती है एवं इसकी प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाए जाते हैं ।

फिर भी इतना तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी संस्था है, जिसकी जरूरत दुनिया में वैज्ञानिक प्रगति के साथ बढ़ती जा रही है । इसने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और कई बार दुनिया को युद्ध की विभीषिकाओं से भी बचाया है ।  यदि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अपने अधिकारों का प्रयोग निजी स्वार्थ की भावना से नकर विश्व हित के लिए करें, तो नि:सन्देह यह थे विश्व-समुदाय के लिए और अधिक कल्याणकारी साबित होगा ।

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