स्मार्ट सिटी पर निबंध! Here is an essay on ‘Smart City’ in Hindi language.

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने हर क्षेत्र में उन्नति की है और इसी का नतीजा है कि आज हमने न सिर्फ वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफलता प्राप्त की है, बल्कि हमारा देश तेजी से विकसित देशों की श्रेणी में भी आता जा रहा है ।

ऐसे में दुनिया के चन्द विकसित देशों की तरह यहाँ भी ऐसे शहरों का होना आवश्यक हो जाता है, जहाँ रहने वाले तमाम लोगों की सभी जरूरतें स्मार्ट तरीके से पूर्ण की जा सके । जहाँ सभी गुणवत्तापूर्ण जनसुविधाएं कम सेवा मूल्य पर और सुगमता से प्राप्त हो, जहाँ के लोगों के जीवनयापन के तौर-तरीके इतने सन्तुलित हो कि प्रदूषण की सम्भावना कम-से-कम बने, जहाँ घर बैठे-बैठे इण्टरनेट के माध्यम से न केवल क्षणभर में सभी प्रशासनिक सूचनाएँ उपलब्ध हों वरन् प्रशासन सम्बद्ध सभी निर्णय भी जनहित को ध्यान में रखकर ही लिए जाते हो ।

ऐसे आधुनिक शहरों को स्मार्ट सिटीज की श्रेणी में रखा जाता है । दूसरे शब्दों में कहे, तो स्मार्ट सिटी में पर्याप्त बिजली, पानी, भोजन, घर आदि की उपलब्धता के साथ-साथ स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, मनोरंजन, यातायात आदि सुविधाएं भी आसानी से प्राप्त हो जाती है और आरामदायक जीवन से सम्बद्ध सभी आर्थिक गतिविधियों का संचालन सुचारु रूप से चलता रहता है ।

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हमारे प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से अपने पहले भाषण में देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी और वर्ष 2014 के बजट में इसके लिए सात हजार करोड़ रुपये से अधिक आवण्टित भी किए जा चुके है ।

प्रधानमन्त्री की इस स्वप्निल परियोजना हेतु केन्द्रीय शहरी विकास मन्त्रालय द्वारा जारी किए गए कॉन्सेप्ट नोट में इस परियोजना के लिए 40 लाख या इससे अधिक आबादी बाले 9 सैटेलाइट शहरों, 10 लाख से 40 लाख आबादी वाले 44 शहरों, 5 लाख से 10 लाख आबादी बाले 20 शहरों, सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों के अन्तर्गत आने वाले 17 शहरों सहित पर्यटन व धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 10 शहरों को चुने जाने की बात कही गई है ।

वित्त मन्त्री श्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में कहा था- ”जैसे-जैसे ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक विकास का लाभ पहुँच रहा है, वैसे-वैसे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन बढ़ रहा है । मध्यम वर्ग में एक नई श्रेणी उभर रही है, जिसे अच्छे जीवन स्तर की चाह है । अगर इस बढ़ती जनसंख्या को समायोजित करने हेतु नए शहरों का विकास नहीं किया गया, तो मौजूदा शहरों का ढांचा जल्द ही चरमरा जाएगा और ये रहने योग्य नहीं रहेंगे ।”

प्रधानमन्त्री का विजन बड़े शहरों के नजदीक स्थित छोटे शहरों और मौजूदा मझोले शहरों में आधुनिक सुविधाएँ स्थापित कर उन्हें स्मार्ट सिटीज के रूप में विकसित करने का है । इस महत्वपूर्ण गतिविधि को अहमियत देने के लिए मैं चालू वित्त वर्ष में Rs.7060 करोड़ की राशि प्रदान करता हूँ ।

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इस राशि से दिल्ली, गुड़गाँब, फरीदाबाद, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ वाराणसी, देहरादून, हरिद्वार, बोधगया, भोपाल, इन्दौर, कोच्चि, जयपुर व अजमेर को स्मार्ट सिटीज में परिवर्तित करने की योजना है । इस परियोजना में निवेश को लेकर कई देशों ने रुचि भी दिखाई है; जैसे-जापान बाराणसी को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना चाहता है, वहीं कतर के प्रिंस डॉ. शेख हमद बिन नासीर अल थानी ने दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सौ अरब रुपये निवेश करने की योजना बनाई है ।

डॉ. शेख की कम्पनी, जिसके पार्टनर दिल्ली के मितेश शर्मा भी हैं, देश में स्मार्ट शहरों के निर्माण हेतु एक लाख करोड़ रुपये निवेश करेगी । इस परियोजना में भारत को सिंगापुर का सहयोग भी मिल रहा है विदेश मन्त्री श्रीमती सुषमा स्वराज के शब्दों में- ”हम चाहते है कि सिंगापुर की कम्पनियाँ भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में मदद करें ।

चेन्नई-बंगलुरु इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर के निकट वे वर्च्युअल सिटी या ‘लिटिल सिंगापुर’ विकसित कर सकती है ।” स्मार्ट सिटीज पर होने वाले खर्च हेतु पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल को प्राथमिकता दी जा रही है । भौतिक बुनियादी ढाँचे, सामाजिक सेवाएँ और प्रशासन, ये स्मार्ट सिटी के तीन आधारभूत स्तम्भ माने जाते हैं ।

स्मार्ट सिटी बासियों की छोटी-बड़ी सभी आवश्यकताओं को समुचित रूप से पूर्ण करने के लिए जन-केन्द्रित इन तीनों स्तम्भों का सुदृढ़ होना आवश्यक है, किन्तु इसके साथ-साथ स्मार्ट सिटीज में माँग प्रबन्धन, वित्तीय टिकाऊपन, ऊर्जा कुशलता, सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रभावी व्यवस्था सहित न्यूनतम कचरा उत्पादन जैसी विशेषताओं का होना भी नितान्त आवश्यक है ।

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स्मार्ट सिटीज सामान्य शहरों से कई मायने में अलग है । सामान्य शहरों में रोजगार सृजन की क्षमता व निवेश के अवसर कम होते हैं, जबकि स्मार्ट सिटीज में बाधाविहीन कारोबार व गुणवत्तापरक जीवन के कारण तीव्र प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति मौजूद रहती है ।

सामान्य शहरों में शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, सुरक्षा, यातायात आदि की सुविधाएँ अपेक्षाकृत कम रहती है, वहीं वाई-फाई इण्टरनेट जैसी अत्याधुनिक तकनीक से लैस स्मार्ट सिटीज में विश्वस्तरीय अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, गैस पाइप लाइन, 24 घण्टे प्री-पेड बिजली-पानी की सुविधा सहित परिवहन, खेलकूद व मनोरंजन की भी अति उत्तम व्यवस्था रहती है और पूरा क्षेत्र सीसीटीवी की निगरानी में रहता है ।

सामान्य शहरों के निवासी अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति करने के दौरान पर्यावरण प्रदूषण जैसे संकट पर ध्यान नहीं देते, जबकि स्मार्ट सिटीज के लोग सन्तुलित जीवन-शैली को अपनाकर पर्यावरण व पारिस्थितिकी को महत्व देते हुए न्यूनतम कचरे का उत्पादन करते है ।

सामान्य शहरवासी बिजली-पानी व अन्य संसाधनों के इस्तेमाल में अत्यधिक लापरवाही बरतते हैं, जबकि स्मार्ट सिटीज के निवासी बिजली-पानी की बर्बादी पर ध्यान देने के साथ-ही-साथ अतिरिक्त संसाधनों पर निवेश करने से पहले यह भी देखते हैं कि पहले से उपलब्ध चीजों का कैसे बेहतर उपयोग किया जा सके ।

स्मार्ट सिटीज की परिवहन प्रणाली भी सामान्य शहरों से काफी उन्नत व सुविधाजनक होती है । सामान्य शहरों में अधिक आबादी और दिनोंदिन बाहनों की बढ़ती संख्या के कारण वायु प्रदूषण जैसी समस्या के साथ-साथ ट्रैफिक जाम की समस्या भी तेजी से बढती जा रही है, जबकि स्मार्ट सिटीज में ऐसी समस्याएँ नगण्य होती हैं । सामान्य शहरों में जहाँ-तहाँ झुग्गी-झोपड़ियाँ देखी जा सकती हैं, वहीं स्मार्ट सिटीज इनसे पूर्णतः मुक्त होती हैं ।

देश में बड़ी संख्या में स्मार्ट सिटीज स्थापित करने से नि:सन्देह भारत को विकसित देशों की ओर अग्रसर होने में मदद मिलेगी और देश में नए सिरे से रोजगार के अवसर भी खुलेंगे, पर हमारे देश में इस परियोजना को मूर्त रूप देने में कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनका सामना किए बिना सपनों के शहर बसाना आसान नहीं है निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे देश में स्मार्ट सिटीज के निर्माण हेतु कानून में परिवर्तन के साथ-साथ तकनीक सम्बद्ध सभी क्षेत्रों में भी काफी परिवर्तन व सुधार लाने की आवश्यकता है ।

इतना ही नहीं ऊर्जा प्रबन्धन, कचरा प्रबन्धन जैसे विषयों पर भी गम्भीरतापूर्वक कार्य करना आवश्यक होगा । इण्टरनेट के माध्यम से की जाने बाली सूचनाओं के आदान-प्रदान का दुरुपयोग न हो ऐसी व्यवस्था अपनानी होगी । स्मार्ट सिटीज में रहने के लिए देशवासियों को भी हर स्तर पर खुद को स्मार्ट बनाना होगा ।

इन सब चुनौतियों का सामना कर और सभी बाधाओं को दूर कर स्मार्ट सिटी परियोजना को पूर्ण करने में भारत पूर्णतः सक्षम है । यदि देश का प्रत्येक नागरिक, सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दे, तो निश्चय ही अगले दो दशकों में देश में 100 से अधिक स्मार्ट सिटीज होगी और भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जाएगा ।

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