Here is a compilation of essays on ‘Agro-Forestry’ for class 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Agro-Forestry’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. कृषि वानिकी का अर्थ (Meaning of Agro-Forestry):
1970 के दशक में प्रचलित कृषि वानिकी ने विश्व की सभी विकसित और विकासशील देशों में अपना स्थान बनाया है । कृषि वानिकी को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है ।
कृषि वानिकी एक उपयुक्त भूमि प्रबन्धन प्रणाली है जिससे भूमि की उपज बढ़ती है । इसमें वृक्षों और फसलों को साथ-साथ उगाया जाता है । कोई-कोई किसान तो पूरे खेत में पेड़ लगाकर उनकी फसल के रूप में देख-भाल करता है और पाँच से सात वर्षों के पश्चात उनको काट कर धन अर्जित करता है ।
सरल शब्दों में, कृषि वानिकी कुशल भूमि-प्रयोग की प्रणाली है जिसमें फसलों के साथ पेड़ आदि उगाये जाते हैं । धारणीय आधार पर उत्पादकता बढ़ाने के लिये सकारात्मक अंत क्रियाएं अपेक्षित होती हैं ।
Essay # 2. कृषि वानिकी की प्रमुख विशेषताएं (Salient Features of Agro-Forestry):
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कृषि वानिकी की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. कृषि वानिकी में सामान्यतया दो या दो प्रकार के वृक्षों को खेत की सीमाओं पर लगाया जाता है । इन वृक्षों से कुछ वर्षों के पश्चात किसान को आय होती है तथा यह फसलों को तेज हवा से भी बचाते हैं ।
2. कृषि वानिकी में कम से कम दो या दो से अधिक उत्पादन प्राप्त होते हैं ।
3. कृषि वानिकी चक्र एक वर्ष से अधिक समय पर आधारित होता है ।
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कृषि वानिकी के उद्देश्य:
1. जल अपवाह तथा मृदा अपरदन पर नियन्त्रण करके कृषि उत्पादन बढ़ाना ।
2. ईधन लकडी, काष्ठ, बाँस, चारा (Fodder) फल तथा काष्ठफल (Nuts) आदि का धारणीय तौर पर उत्पादन करना ।
3. गोबर की खाद के द्वारा कृषि उत्पादन में वृद्धि करना ।
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4. पेड़ों से पशुधन के लिये आहार जुटाना ।
5. लकडी कोयला रबड़ वृक्षों का तेल तथा राल (Resins) आदि प्राप्त करना ।
6. ग्रामीण आबादी को लाभप्रद रोजगार के अवसर मुहैया कराना ।
7. लुगदी व कागज उद्योग के लिये कच्चा माल उपलब्ध कराना ।
8. कृषि उपकरणों व भिन्न दस्तकारियों के लिये लकड़ी और बुनाई के लिये धागा उपलब्ध कराना ।
9. ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों का विकास करना ।
10. उत्पादन क्षमता के अनुसार भूमि का उपयोग करना ।
11. मिट्टी एवं जल के कुशल संरक्षण की व्यवस्था करना ।
12. परंपरागत जनजातीय समुदायों के आवासीय क्षेत्र और उनकी संस्कृति का संरक्षण करना ।
13. आमोद-प्रमोद की सुविधाएं जुटाना ।
14. क्षेत्र के सौन्दर्यबोधात्मक मूल्य में सुधार और आबादी की मनोरंजन की आवश्यकताओं को पूरा करना ।
15. एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (Integrated Rural Development Programme) के अंतर्गत क्षेत्र का धारणीय विकास करना ।
16. विविध पारिस्थितिकी तन्त्र के जल, मृदा तथा वायु को प्रदूषण से संरक्षण प्रदान करना ।
कृषि वानिकी आन्ध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखण्ड, केरल, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडीशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, सीमांध्र, तेलंगाना, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी-बंगाल में बहुत लोकप्रिय हो गई है ।
Essay # 3. कृषि वानिकी के प्रभाव (Effects of Agro-Forestry):
(i) कृषि वानिकी ने सीमान्त व लघु किसानों और भूमिहीन मजदूरों की तुलना में बड़े किसानों को अधिकतम पहुँचा । बहुत-से भूस्वामी जो स्वयं खेती नहीं करते (Absentee Landlords) पर कृषि भूमि पर अपना स्वामित्व रखने के लिये कृषि वानिकी की जाती है ।
(ii) अच्छी प्रकार की भूमि में कृषि वानिकी लगाने से आनाज, नकदी, फसलों, फल तथा सब्जियों के उत्पादन में कमी आई है ।
(iii) कृषि वानिकी से खेतिहर मजदूर रोजगार से वंचित हुये हैं ।
(iv) कृषि वानिकी से उपजाऊ भूमि में वृक्षों की जड़ों का जाल फैल भूमि की उर्वरकता को कमजोर करता है ।
(v) पड़ोसी किसानों की फसलों के उत्पादन में कमी आती है । पड़ोसी किसानों में झगड़े की सम्भावना बढ़ती है तथा झगड़ों से मुकदमे-बाजी को बढ़ावा मिलता है ।
कृषि वानिकी में अनुसंधान की आवश्यकता है, ताकि बन्जर क्षेत्रों व पहाड़ी ढलानों को हरा-भरा बनाकर पारिस्थितिकी को धारणीय बनाया जाए तथा समाज को आर्थिक व सांस्कृतिक लाभ पहुँचाया जाये ।
संक्षेप में, मानव द्वारा वृक्षारोपण से समाज तथा पारिस्थितिकी को बहुत-से लाभ होते हैं । इस दिशा में प्रयास निरन्तर जारी रखने की आवश्यकता है । वृक्षारोपण के पश्चात वृक्षों की देख-भाल पर पूरा ध्यान देने से सामाजिक वानिकी कार्यक्रम और भी सफल हो सकता है ।