दक्षिण-पूर्व एशिया पर निबंध | Essay on South-East Asia | Hindi in Hindi language.

दक्षिण-पूर्व एशिया प्रजातीय रूप से चीन से अधिक निकट है, जबकि सांस्कृतिक रूप से यह भारत से अत्यधिक निकटता रखता है । इसकी राजनैतिक सीमाओं में भारी विविधता है । यह क्षेत्र सांस्कृतिक समन्वय का सुन्दर उदाहरण है । यहाँ की संस्कृति व सभ्यता पर विदेशी परम्पराओं का भी अत्यधिक प्रभाव पड़ा है ।

इस प्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग 50 करोड़ है, जिनमें आधे से भी अधिक जनसंख्या इण्डोनेशिया व फिलीपींस में रहती है । दक्षिण-पूर्वी एशिया के निवासी मंगोल प्रजाति के हैं, जिनमें काकेशियाई मिश्रण मिलता है । इस प्रदेश की जनसंख्या वितरण पर उच्चावच व स्थलाकृति का अत्यधिक प्रभाव पड़ा है । यहाँ अधिकतर जनसंख्या उपजाऊ नदी घाटियों व नदियों के डेल्टाई भागों में रहती है ।

दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी नदी ‘मेकांग’ है, जिसे ‘दक्षिण-पूर्व एशिया का डेन्यूब एवं दक्षिण-पूर्व एशिया की गंगा’ भी कहते हैं । यह चीन से निकलकर म्यांमार-लाओस, थाईलैंड-लाओस, कंबोडिया-लाओस के बीच सीमा बनाती हुई आगे बढ़ती है । आर्थिक महत्व काफी अधिक होने के कारण इसकी तुलना भारत की गंगा नदी से की जा सकती है ।

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मेकांग के अतिरिक्त रेड, इरावदी, सालवीन, मीनाम (मेकांग की सहायक नदी) आदि नदियाँ महत्वपूर्ण हैं । इरावदी को ‘म्यांमार की जीवनधारा’ भी कहा जाता है । इरावदी व सालवीन नदियाँ मर्तबान की खाड़ी में गिरती है, जबकि मीनाम-मीकांग डेल्टा दक्षिण चीन सागर में मिलती है । फिलीपींस में कैगयेन व अगुसन नदियाँ हैं, जो कम्बोडिया के पूर्वी मध्य भाग में बहती हैं ।

देश के मध्यवर्ती भाग में ‘टोनले सैप’ झील है । इसे ‘ग्रेट लेक’ भी कहते हैं । यह दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी झील है । दक्षिण-पूर्व एशिया की जलवायु उष्णकटिबंधीय आर्द्र है ।

प्रशांत महासागर की अग्निमेखला (Ring of Fire) क्षेत्र में अवस्थित होने के कारण यह प्रदेश ज्वालामुखी व भूकम्पों से अत्यधिक प्रभावित रहता है, विशेषकर फिलीपींस व इण्डोनेशिया में ऐसा देखा जाता है । ग्रीष्म काल में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से भी यह प्रभावित होता है, जिसका यहाँ स्थानीय नाम ‘टाइफून’ है ।

दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रति व्यक्ति पेट्रोलियम उत्पादन में ‘ब्रुनेई’ का स्थान प्रथम है । पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस के कारण ब्रुनेई संसार के अमीर देशों में आता है । दक्षिण-पूर्व एशिया में टिन के भी बड़े भंडार हैं ।

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थाईलैण्ड का कोराट पठार व फुकेट क्षेत्र, म्यांमार का शान पठार व कायिन्नी पठार, इण्डोनेशिया का बंका व मलक्का जलसंधि क्षेत्र, मलेशिया का सेलांगोर, पेनांग द्वीप, जेल्लुबु घाटी, किंता-केलांग घाटी टिन के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है ।

यद्यपि दक्षिण-पूर्व एशिया प्रदेश के देश गरीब देशों के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं, परंतु मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं सिंगापुर एशियन टाइगर के नाम से भी जाने जाते हैं, क्योंकि इनकी अर्थव्यवस्था में अत्यधिक तेजी की प्रवृत्ति है ।

कम्बोडिया में ‘अंकोरवाट मंदिर’ (विष्णु मंदिर) अत्यधिक प्रसिद्ध है । लाओस दक्षिण-पूर्व एशिया का एकमात्र स्थलरूद्ध देश है । यह फ्रांसीसियों का उपनिवेश था । यहाँ की अधिकतर जनसंख्या बौद्ध धर्मावलम्बी है । नगरीकरण का स्तर निम्न है । सालवीन नदी के पूर्व में स्वर्णिम त्रिभुज है, जो अफीम की कृषि व ड्रग्स तस्करी के लिए कुख्यात है ।

‘स्वर्णिम त्रिभुज’ (गोल्डन-ट्रिएंगल) के अंतर्गत लाओस-थाईलैण्ड- म्यांमार आते हैं । फिलीपींस के द्वीपों में लुजोन द्वीप क्षेत्रफल में सबसे बड़ा है । राजधानी मनीला में ‘अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र’ है ।

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फिलीपींस की संस्कृति में मंगोल, मलय, अरब, चीनी, जापानी व स्पेनिश नृजातियों का मिश्रण है । फिलीपींस के ‘हमीगुईटान पर्वत श्रेणी वन्य जीव अभ्यारण्य’ को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है ।

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