चीन पर निबंध | Essay on China in Hindi.
संसार में चीन का स्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से तीसरा और जनसंख्या की दृष्टि से पहला है । संसार का सबसे ऊँचा पठार तिब्बत, अब चीन के अधिकार क्षेत्र में है, जहाँ से सिंधु, सतलज, ब्रह्मपुत्र, साल्वीन और मेकांग जैसी बड़ी नदियाँ निकलती हैं ।
इसके उत्तर में तकलामाकन पठार है, जो कि ठंडा और सुनसान रेगिस्तान है । उत्तरी चीन मंगोलिया पठार का हिस्सा है । गोबी का मरूभूमि उत्तरी भाग में ही स्थित है ।
मध्य एशिया एवं चीन के बीच स्थित प्रवेश द्वार होरियन घाटी है । चीन की पर्वतमालाएँ पामीर गाँठ से प्रारंभ होकर उत्तर-पूर्व की ओर जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं- क्युनलुन, तिएनशान और नानशान । चीन के उत्तरी बड़े मैदान के पश्चिम में एक विशाल पठार है, जो एशिया के आंतरिक मरूस्थलीय भाग से शीतकाल में आने वाली पवनों के द्वारा निरंतर लाई गई मिट्टी से ढँक गया है ।
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इस मिट्टी को ‘लोएस’ कहते हैं । इस देश की बड़ी नदियाँ यांग्त्सीक्यांग, सीक्यांग और ह्वांगहो हैं । ये तीनोंयाँ नदि पूर्व की ओर बहते हुए प्रशान्त महासागर में गिरती हैं । सबसे उत्तर में बहने वाली ह्वांगहो के जल में पीली मुलायम मिट्टी बहने के कारण इसे ‘पीली नदी’ भी कहते हैं । यांग्त्सीक्यांग नदी के मुहाने पर स्थित समुद्र ‘पीलासागर’ कहलाता है ।
‘पोहाई या चिहली की खाड़ी’ इसी का भाग है, जिसमें ह्वांगहो नदी गिरती है । दुनिया की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना ‘तीन घाटियों का बाँध’ चीन के हुवेई प्रांत में यांग्त्सी नदी पर है । 13 अक्टूबर, 2015 को तिब्बत क्षेत्र के सांग्पो (ब्रह्मपुत्र नदी) में विश्व के सबसे बड़े एवं ऊँचाई पर स्थित जांगमु बाँध से विद्युत उत्पादन शुरू किया गया है ।
चीन की जलवायु ‘रूपांतरित मानसून’ है । यह तापमान और वर्षा के मामले में भारतीय मानसून से भिन्न है । चीनी मानसून प्रणाली मध्य एशिया एवं प्रशान्त महासागरीय वायुदाबों पर आधारित है । ग्रीष्मकाल में प्रशान्त महासागर की ओर से दक्षिण-पूर्वी मानसून चलता है, जिनसे अधिकतम वर्षा होती है ।
दक्षिणी चीन में वर्षा मई से सितम्बर तक होती है, जबकि उत्तरी चीन में वर्षा देर से प्रारंभ होकर अगस्त के अन्त तक समाप्त हो जाती है । दक्षिण से उत्तर की ओर एवं पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है । यहाँ पर लिम्फा और चान होम चक्रवाती तूफान ने स्थलीय क्षेत्रों को प्रभावित किया है ।
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धान, गेहूँ, मक्का, सोयाबीन आदि चीन के मुख्य खाद्यान्न तथा रेशम, चाय, तंबाकू, कपास आदि मुख्य नकदी फसलें हैं । संसार में सर्वाधिक धान उपजाकर भी वह अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाता है । चीन विश्व का सबसे बड़ा (36%) चावल उत्पादक देश है । यांग्त्सीक्यांग, सीक्यांग और रेड बेसिन इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं ।
गेहूँ उत्पादन में चीन ने विश्व में प्रथम (17%) स्थान प्राप्त कर लिया है । चीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मक्का उत्पादक देश है । उत्तरी चीन के वृहद् मैदान इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं । तंबाकू उत्पादन में भी चीन का स्थान विश्व में प्रथम है । चाय के उत्पादन में चीन का विश्व में भारत के बाद दूसरा स्थान है । चीन विश्व का सर्वाधिक (27%) कपास उत्पन्न करने वाला देश है ।
चीन के वस्त्रोद्योग केन्द्र मुख्यतः ह्वांगहो और यांग्त्सीक्यांग की निचली घाटियों में विस्तृत है । सूती वस्त्रों व रेशमी वस्त्रों के उत्पादन में चीन का स्थान विश्व में प्रथम है । दक्षिणी चीन में कैंटन सूती वस्त्र का मुख्य केन्द्र है । शंघाई देश का सबसे बड़ा सूती वस्त्रोद्योग केन्द्र तथा सबसे बड़ा पत्तन है । यह ‘चीन का मैनचेस्टर’ कहलाता है ।
अन्शान-मुकदेन को ‘चीन का पिट्सबर्ग’ कहा जाता है । बीजिंग, चीन की राजधानी एवं जलपोत निर्माण व वस्त्र उद्योग का प्रमुख केन्द्र है । नासा की अर्थ ऑब्जर्बेटरी रिपोर्ट के अनुसार, चीन का ‘पर्ल नदी डेल्टा’ विश्व में सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र बन चुका है । चीन विश्व का सबसे बड़ा स्वर्ण उत्पादक देश है ।
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चीन ने हाल ही में ऐतिहासिक सिल्क रोड से जुड़े देशों को शामिल करते हुए सबसे बड़ा ‘गोल्ड सेक्टर फण्ड’ स्थापित किया है । वर्तमान में चीन विश्व में ऊर्जा का सबसे बड़ा उपभोक्ता तथा विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है ।
‘हांगकांग व मकाओ’ चीन में विलय किए गए नवीनतम भू-भाग हैं, जो पहले क्रमशः ब्रिटेन एवं पुर्तगाल के उपनिवेश थे । चीन की मुख्य भूमि से दूर एक द्वीप ताइवान है, जिसकी अपनी राष्ट्रवादी सरकार है । इसे प्रायः राष्ट्रवादी चीन कहा जाता है । ‘ताइप’ इसकी राजधानी है । ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में चीन का विश्व में प्रथम स्थान है ।