कोयला पर निबंध: मतलब और प्रकार | Essay on Coal: Meaning and Types in Hindi!

Essay # 1. कोयला का अर्थ तथा प्रकार (Meaning and Types of Coal):

कोयला ऊर्जा का एक सस्ता स्रोत है तथा इसके भंडार भी विभिन्न देशों में पर्याप्त मात्र में पाये जाते हैं । विश्व में प्रति वर्ष पाँच बिलियन टन कोयले का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के कुल उत्सर्जन में 35 प्रतिशत की भागीदारी है ।

कोयले के प्रकार:

कोयला चार प्रकार होता है:

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(i) पीट,

(ii) लिग्नाइट,

(iii) बिटुमिनस तथा

(iv) ऐंथरेसाइट ।

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पीट की उत्पत्ति दलदल एवं जलमग्न भूमि में घास-फूस के सड़ने-गलने से होती है । यदि पीट पर अधिक भार पड़ जाये तो वह लिग्नाइट में बदल जाती है । लिग्नाइट घटिया प्रकार का कोयला होता है जिसमें से धुआँ अधिक निकलता है ।

यदि लिग्नाइट पर अधिक ताप एवं भार पड़ जाये तो उसकी नमी समाप्त हो जाती है और वह बिटूमिनस कोयले में परिवर्तित हो जाता है बिटूमिनस कोयले को कोक में परिवर्तित किया जा सकता है जो धातु पिघलाने के काम में आता है, इसलिए बिटूमिनस को कोमल कोयला भी कहा जाता है । ऐन्थ्रेसाइट कोयला बहुत कठोर होता है, इसलिए इसका उपयोग धातु पिघलाने के लिए कोक में परिवर्तित नहीं किया जा सकता ।

कोयले का वितरण विश्व में बहुत असमान है । कोयले के उत्पादन में चीन का प्रथम स्थान है जो विश्व उत्पादन का 29 प्रतिशत कोयले का उत्पादन करता है । चीन के पश्चात् संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया तथा रूस का स्थान है ।

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भारत में कोयले की मुख्य खानें रानीगंज (पश्चिम बंगाल), झरिया, डाल्टनगंज (झारखंड), सरागुजा, कोरबा (छत्तीसगढ़), सिगरौली (मध्य प्रदेश), तलछर (ओडिसा), वार्धा (महाराष्ट्र), सिंगरेनी (आंध्र प्रदेश), नेवेली (तमिलनाडु), मारपलाना, बारमेड (राजस्थान), कांलाकोट तथा निचाहोम (जम्मू व कश्मीर), लखूनी (असम) डारानगिरी (मेघालय) तथा वैकाला (केरल) सम्मिलित है ।

इसका कोयले के सीमित भंडारों को देखते हुए इसका सदुपयोग करना बहुत अनिवार्य है । विश्व में सबसे अधिक 50% कोयला जापान आयात करता है । पश्चिम यूरोप के देश विश्व का 34% कोयला आयात करते हैं ।

Essay # 2. भारत में कोयले उद्योग की मुख्य समस्याएँ (Main Problems Faced by Coal Industries in India):

भारत के कोयले उद्योग की मुख्य समस्याएँ निम्न प्रकार हैं:

1. असमान वितरण:

उत्तम किस्म का कोयला केवल झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल तक सीमित है ।

2. राख की अधिक मात्रा:

भारत का अधिकतर कोयले में राख की मात्रा अधिक है जो 20 से 30 प्रतिशत तक पाई जाती है ।

3. कोयले की परतों की गहराई अधिक है (Deep Coal Seams):

कोयले की परतों की अधिक गहराई के कारण, कोयला खोदने का लागत खर्च अधिक आता है ।

4. कोयला खोदने की पुरानी टेक्नोलोजी:

पुरानी टेक्नोलोजी के कारण भारत में कोयला खोदना बहुत जोखिम भरा माना जाता है ।

5. कोयले की खानों में आग लगने की अधिक बारंबारता:

कोयले की खानों में आग लगने से भारी नुकसान होता है ।

6. पर्यावरणीय प्रदूषण (Environmental Pollution):

कोयले के खनन और उसके इस्तेमाल से पर्यावरण प्रदूषित होता है ।

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