वनों की कटाई पर निबंध | Essay on Deforestation in Hindi!

Essay # 1. वन कटाई का अर्थ (Meaning of Deforestation):

बढ़ती हुई जनसंख्या एवं औद्योगिकरण तथा उपभोक्तावाद के कारण जंगलों को भारी मात्रा में काटा जा रहा है । वनों की कटाई विशेषकर ऊष्ण कटिबंध के जंगलों में की जा रही है । कृषि भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि लकडी-ईंधन की बढती माँग, टिंबर तथा कृषि आधारित उद्योगों के लिये बढ़ते हुये कच्चे माल तथा मासाहारी आहार की माँग पर्वतों के कारण जंगलों को तीव्र गति से काटा जा रहा है ।

जंगलों को काटने से कागज, लुगदी, फर्नीचर, तथा लकडी कोयला प्राप्त होता है, जिससे राष्ट्र को आय होती है, परंतु वनों के काटने के दूरगामी विपरीत परिणाम भी होते हैं उदाहरण के लिये वनों के काटने से मृदा अपरदन में वृद्धि होती है, बाढ़ एवं सूखे की बारबारता में वृद्धि होती हैं, नदियों के रास्ते में मिट्टी जमा हो जाती है, जिससे नदियों का रास्ता उथला हो जाता है जिससे बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है ।

Essay # 2. वनोन्मूलन हेतु उत्तरदायी कारक (Factors Responsible for Deforestation):

वनों के काटने के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं:

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(i) विकासशील देशों में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि ।

(ii) कृषि भूमि एवं चरागाहों के क्षेत्रफल में विस्तार ।

(iii) लकड़ी ईंधन, टिंबर, कागज, लुग्दी तथा लकड़ी कोयले की बढ़ती हुई माँग ।

(iv) विकसित एवं विकासशील देशों में बढता हुआ औद्योगिकीकरण, नगरीकरण तथा उपभोक्तावाद ।

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(v) वन-आधारित एवं कृषि आधारित उद्योगों की बढती हुई कच्चे माल की माँग ।

(vi) राष्ट्र मार्ग, सड़कों, रेलों, हवाई अड्डों, नहर बिजली इत्यादि की सुविधाओं के निर्माण के लिये भूमि की आवश्यकता ।

(vii) बहुउद्देश्य परियोजनाओं के निर्माण के कारण ।

(viii) ऊष्णआर्द्र प्रदेशों में झूमींग प्रकार की खेती के लिये जंगलों को काटकर तथा जलाकर खेत विकसित करने के कारण ।

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(ix) मांसाहारी जनसंख्या में वृद्धि के कारण ।

(x) विकासशील देशों में दरिद्र रेखा से नीचे बढ़ती जनसंख्या के कारण जो ईंधन के लिये जंगलों से लकडी काट कर जंगलों का ह्रास करते है ।

(xi) वनों में प्राकृतिक रूप से आग का लगना अथवा मानव द्वार जंगलों में आग लगाना ।

(xii) लवणीय वर्षा (Acid Rain)

(xiii) प्रशासन द्वारा निर्णय लेने में देरी तथा वनों संबंधी कानूनों को सख्ती के साथ लागू न करना ।

Essay # 3. वनोन्मूलन के बारे में एफ. ए. ओ. का अनुमान (FAO Assessment of Deforestation):

यद्यपि जंगलों के प्रति मानव-समाज में जागरूकता बढ़ रही है, फिर भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित आँकडों से पता चलता है कि वनों के क्षेत्रफल में निरंतर कमी हो रही है । एफ. ए. ओ. के प्रकाशित आँकडों के अनुसार वर्ष 1980 से 1995 के 15 वर्षों के समय में लगभग 200 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल के जंगल काटे जा चुके हैं । सामाजिक वृक्षारोपण के द्वारा इस नुकसान की किसी हद तक भरपाई की जा चुकी है, परंतु पूर्ण रूप से नहीं ।

वनों की निरंतर कटाई का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । यह प्रतिकूल प्रभाव स्थानीय, राष्ट्रीय तथा विश्व स्तर पर देखा जा सकता है ।

Essay # 4. वनोन्मूलन के परिणाम (Consequences of Deforestation):

वनों के काटने के प्रतिकूल प्रभाव निम्न प्रकार हैं:

(i) मृदा अपरदन

(ii) बाद की बारंबारता में वृद्धि

(iii) मरुस्थलीकारण

(iv) वनों से प्राप्त होने वाले उत्पादकों में कमी; जैसे-फल, फूल, कंदमूल इत्यादि में औषधियों, ईंधन, लकड़ी तथा टिंबर के उत्पादन में कमी ।

(v) जैविक-विविधता में कमी

(vi) पदार्थों के स्रोतों का सूखना

(vii) अलबिडो की दर में परिवर्तन

(viii) बीमारियों का फैलना

(ix) प्राकृतिक सौंदर्य में कमी

(x) जलवायु परिवर्तन-तापमान में वृद्धि ।

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