पर्यावरण संबंधी समस्याओं पर निबंध | Essay on Environmental Problems in Hindi!

पर्यावरणीय समस्याएं प्राय: विकास की अवस्था, आर्थिक संरचना, प्रचलित उत्पादन तकनीकों और पर्यावरणीय नीतियों पर निर्भर करती हैं । तथापि हमने कुछ पर्यावरणीय समस्याओं का वर्णन किया है जिनका सामना अल्प विकसित देश कर रहे हैं ।

वे इस प्रकार हैं:

Essay # 1. वायु प्रदूषण (Air Pollution):

शहरीकरण और औद्योगिक वृद्धि के कारण वातावरण प्रदूषित हो गया । बड़े शहरों में वाहनों का बढ़ता हुआ यातायात प्रदूषण का मुख्य कारण है । इसके अन्य कारण हैं दो स्टोक इंजन, पुराने वाहन, यातायात की भीड़, बुरी सड़कें, पुरानी हो चुकी स्वचालित तकनीकें और यातायात की प्रबन्ध प्रणाली ।

ADVERTISEMENTS:

औद्योगिक प्रदूषण की समस्या प्राय: उन स्थानों पर गम्भीर होती है जहां पैट्रोल परिशोधन कारखाने, रासायनिक, लोहा और इस्पात, गैर-धातु उत्पाद, गूंद और कागज के कारखाने तथा वस्त्र उद्योग स्थित हैं । यहां तक छोटी ढलाई इकाइयां, रासायनिक निर्माण तथा ईंट बनाने वाले भट्ठ भी वायु को प्रदूषित करते हैं ।

झुग्गी-झौंपड़ी, गन्दी बस्तियों तथा कम हवादार और रोशनी वाले घर और खाना पकाने के लिये घरेलू स्टोव, लकड़ी, कोयला प्रयोग करने वाले लोग भी प्रदूषण फैलाते हैं । घरों में धुआंधार वायु स्त्रियों और बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालती हैं ।

वाहन, डीजल के जेनरेटर, निर्माण गतिविधियां और लाऊड स्पीकर शहरों में वातावरण को प्रदूषित करने के अन्य कारण हैं । इसके अतिरिक्त ताप शक्ति-संयन्त्र भी प्रदूषण के अन्य स्त्रोत हैं ।

Essay # 2. जल प्रदूषण (Water Pollution):

जल प्रदूषण भी एक बड़ी सीमा तक आर्थिक वृद्धि को रोकता है । जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं- घरेलू मल-व्यवस्था में प्रयुक्त होने वाला जल, औद्योगिक बहिःस्राव जिसमें कार्बनिक प्रदूषक तत्व तथा रसायनों के अपशिष्ट, भारी धातु और खनन कार्य के अपशिष्ट मल जल तथा उद्योगों का गन्दा पानी, झीलों, नहरों, नदियों, तटीय क्षेत्रों और भूमिगत जल स्रोतों की ओर बह जाता है, जो अन्तत: समस्त व्यवस्था को नष्ट कर देना है ।

ADVERTISEMENTS:

प्रदूषित एवं अशोधित जल से उत्पन्न होने वाले रोग है प्रतिसार, यकृतशोध (Hepatitis), जठर शोथ (Gastritis), रोहा (Trachoma) आदि । इसके अतिरिक्त पीने का पानी सुरक्षित उपलब्ध कराने से नगर निगमों की लागतें बढ़ जाती हैं । जल की कमी के कारण असुविधा होती है तथा देश का विकास रुकता है ।

Essay # 3. ठोस और खतरनाक अपशिष्ट (Solid and Hazardous Wastes):

शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट भी वायु और जल के प्रदूषण का कारण बनते हैं । ठोस अपशिष्टों के एकत्रीकरण, परिवहन, उपचार और ठिकाने लगाने की सुविधाओं के न होने के कारण अनियमित शहरी वृद्धि वातावरण एवं जल साधनों को प्रदूषित कर देती है । इसके अतिरिक्त कूड़े के ढेर, रुकी हुई नालियां फैलने वाले रोगों को जन्म देती है तथा भूमिगत जल के स्रोतों को दूषित करती हैं ।

Essay # 4. मिट्टी की अधोगति (Soil Degradation):

मिट्टी की अधोगति एक अन्य पर्यावरणीय समस्या है । यह जल एवं वायु के कारण होती है । पर्वतीय क्षेत्रों में मिट्टी का क्षरण वर्षा और नदियों के कारण होता है । इसके कारण भूस्खलन तथा बाढ़ आदि भी होते हैं ।

वनों की कटाई, पशुओं की अधिक चराई तथा पर्वतीय क्षेत्रों में सोपानीय कृषि भी भूमि क्षरण के कारण हैं । सिंचाई वाली भूमि पर जल भराव और गहन-कृषि से खारापन और मिट्टी की अधोगति होती हैं । मिट्टी की सब प्रकार की अधोगति इसके उपजाऊपन को कम करती है ।

Essay # 5. वनों की कटाई (Deforestation):

ADVERTISEMENTS:

वनों की कटाई पर्यावरणीय समस्याओं का एक अन्य कारक है । उद्योगों की स्थापना तथा शहरों, सड़कों, राजमार्गों और बांधों के निर्माण के लिये वृक्षों को गिराया जाता है तथा उनके प्राकृतिक विकास को रोका जाता है । इससे वनस्पति तथा जीव जन्तुओं का नाश होता है । इससे पर्वतीय और समीप के क्षेत्रों में बाढ़ का भय बना रहता है । इससे मानव और पशु जीवन की हानि होती है ।

हरा-भरा भू-दृश्य कारखानों, आवासीय और व्यवसायिक भवनों में परिवर्तित हो जाता है । इससे अधिक गर्मी और शोर प्रदूषण उत्पन्न होता है जिससे मानव का क्षय तो होता है जन्म सम्बन्धी त्रुटियों के अलावा और प्रजनन समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं ।

Essay # 6. जैव विविधता की हानि (Loss of Bio-Diversity):

प्रत्येक देश को अद्भुत वनस्पति-भूगोल और कृषि-पारिस्थितिकी की विविधता उपलब्ध होती है जिसमें कृषि जलवायु क्षेत्रों की विस्तृत विविधता तथा अनेक पौधों और पशुओं की प्रजातियां सम्मिलित हैं ।

आर्थिक वृद्धि जिस कारण कृषि का विकास हुआ है, वनों एवं खनिज सम्पत्ति का अत्याधिक शोषण हुआ है और जैव विविधता क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के आरम्भण से प्रकृति का विनाश हुआ है । परिणामत: पौधों, पशुओं और सूक्ष्म जैविकीय प्रजातियों की हानि हुई है ।