अकाल पर निबंध: अर्थ और कारण | Essay on Famines: Meaning and Causes in Hindi.

Essay # 1. अकाल का अर्थ (Meaning of Famines):

यदि थोड़े समय में भुखमरी के कारण काफी लोगों की मृत्यु होने लगे तो उसे अकाल कहते हैं । अकाल को कुपोषण अथवा खाद्य अभाव से भिन्न माना जाता है ।

अकाल की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:

(i) खाद्य पदार्थों के मूल्य में तीव्र वृद्धि,

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(ii) भूखे लोगों द्वारा घरों के सामान के बेचना,

(iii) वनों जंगलों से खाद्य पदार्थों को एकत्रित करना,

(iv) उधार माँगना तथा भीख माँगना तथा

(v) पलायन करना ।

Essay # 2. अकाल पड़ने के कारण (Causes of Famines):

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अकाल पड़ने के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं:

1. प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Calamities):

भूकंप, हिम झंझावात, बाढ़, सूखा तथा महामारी के कारण अकाल की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

2. अत्यधिक जनसंख्या (Over Population):

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प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त अत्यधिक जनसंख्या भी अकाल पड़ने का एक मुख्य कारण है । संसाधनों से अधिक जनसंख्या के कारण कृषि पर अधिक भार पड़ता है, बेरोजगारी फैलती है जिसके कारण लोग प्रभावित क्षेत्र से पलायन करने आते हैं । अकाल का सबसे अधिक प्रभाव गरीब जनसंख्या पर पड़ता है ।

3. फसलों की असफलता (Crop Failure):

फसलों के असफल होने पर भी अकाल पड़ता है ।

4. दरिद्रता एवं बेरोजगारी (Poverty and Unemployment):

गरीब एवं बेरोजगार लोगों की खाद्य सामग्री खरीदने की क्षमता बहुत कम होती है जिस कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

5. सरकारी दुकानों का प्रभावशाली ढंग से प्रबंधन न होना (Ineffective Public Distribution System):

सरकारी दुकानों पर गरीब लोगों को सही समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री नहीं मिलती । इस प्रकार का भ्रष्टाचार भी अकाल पड़ने में सहायक होता है ।

आधुनिक समय में कोई भूखा मरे इसको सहन नहीं किया जा सकता (सेन एवे दरेजे, 1989) यूं तो अकाल का मुख्य कारण प्राकृतिक आपदा, जनसंख्या वृद्धि एवं युद्ध आदि को माना जाता है, परंतु कुछ अकाल ऐसे भी पड़ते हैं जिनका मुख्य कारण निर्यात रहा है । इसलिए कहा जा सकता है कि बहुत-से अकाल आर्थिक एवं राजनैतिक संस्थाओं की विफलता के कारण होते हैं ।

कार्ल मार्क्स के अनुसार अकाल का मुख्य कारण:

(i) निजी संपत्ति,

(ii) आर्थिक वर्गों में बंटा हुआ समाज हैं जिन लोगों के पास निजी संपत्ति है और उत्पादन के साधन हैं और उत्पादन के साधन हैं वह श्रमिकों का शोषण करते हैं और गरीब-शोषित श्रमिक अकाल की लपेट में आ जाते हैं ।

वर्ष 1945 से भारत ने एक अकाल-विरोधी पॉलिसी कामयाबी के साथ लागू की है । चीन, भुखमरी का उन्मूलन कर चुका है, परंतु 1950 के अकाल से वह बच नहीं पाया । अफ्रीका में अकाल की बारंबारता बढ़ी है ।

विश्व के अधिकतर अकाल ग्रस्त देशों में अधिकतर अफ्रीका के देश हैं । अफ्रीका के अकाल पीड़ित देशों में साहेल प्रदेश के सुमालिया, इथोपिया, सूडान, चाड, नाइजर, नाईजीरिया, माली, मारिटानिया, बर्कीनाफासो तथा मेडागास्कर इत्यादि सम्मिलित हैं ।

अन्य अकाल संवेदनशील क्षेत्रों मंगोलिया, अफगानिस्तान तथा चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग सम्मिलित हैं । ईरान, पाकिस्तान का बिलाचिस्तान, बंगलादेश म्यांमार, भारत के कुछ प्रदेशों, सेंट्रल अमेरिका के देश तथा दक्षिण अमेरिका के बोलिविया तथा परागुये अकाल के संवेदनशील क्षेत्रों में गिने जाते हैं ।

ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा गुजरात के कुछ प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश के अकाल पीडित क्षेत्रों में सम्मिलित हैं । अकाल प्रभावित भारत के संवेदनशील क्षेत्रों में लोगों की आय बहुत कम है ।

भारत के इन्हीं प्रदेशों एवं क्षेत्रों में नक्सलवाद का भयानक रूप देखने को मिलता है । 25 मई, 2013 को जगदलपुर क्षेत्र (छत्तीसगढ) में कांग्रेस के प्रमुख नेता महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, उनके बेटे तथा उनके सहयोगियों की हत्या कर दी गई थी । वास्तव में छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र विश्व के नक्सलवाद के बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक है ।

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