प्रवास पर निबंध: मतलब और कारण | Essay on Migration: Meaning and Causes in Hindi.
Essay # 1. प्रवास या स्थानांतरण का अर्थ (Meaning of Migration):
प्रवास का तात्पर्य मानव समुदाय के एक भौगोलिक इकाई से दूसरी भौगोलिक इकाई में प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आदि कारकों के कारण स्थानांतरण से है । रैटजेल प्रथम भूगोलवेत्ता थे, जिन्होंने प्रवास की प्रवृत्तियों का अध्ययन किया ।
ग्रिफिथ टेलर ने प्रवास के ‘कटिबंध स्तर सिद्धांत’ का प्रतिपादन करते हुए विभिन्न प्रजातियों के प्रवसन की विवेचना की है । UNO के अनुसार, ‘जनसंख्या स्थानांतरण एक भौगोलिक क्रिया है, जो दो भौगोलिक इकाइयों के बीच देखने को मिलती है । इसमें मानव अधिवास में स्थाई परिवर्तन हो जाते हैं ।’
प्रवास के संदर्भ में नियमों का निर्धारण सबसे पहले रेवेन्स्टीन ने किया था । उनके अनुसार अधिकतर प्रवास कम दूरी के होते हैं । सामान्यतः छोटी दूरी के प्रवास में स्त्रियों की बहुलता होती है । प्रवास का मुख्य कारण आर्थिक होता है एवं ग्रामीण लोगों में प्रवास की अधिक प्रवृत्ति होती है ।
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प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ प्रवास की मात्रा बढ़ती है । उनके अनुसार बड़े नगरों में जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण प्राकृतिक वृद्धि नहीं बल्कि प्रवास है । रॉयली ने प्रवास का ‘गुरूत्व-मॉडल’ (Gravity Model) दिया तथा यह बताया कि दूरी का अधिक होना प्रवास को हतोत्साहित करता है ।
ई.एस.ली. ने दो भौगोलिक इकाइयों के बीच प्रवास को निम्न आरेख के माध्यम से समझाया है:
प्राकृतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक-कानूनी (Natural, Socio-Cultural, Political-Legal):
ई.एस.ली. ने बताया कि उद्भव स्थल से प्रवास इसलिए होते हैं, क्योंकि वहाँ नकारात्मक कारकों का प्रभाव होता है । इसे उन्होंने ठेलने वाली शक्तियों (Push Factor) के अंतर्गत रखा है । गंतव्य स्थल पर सकारात्मक तत्वों का अधिक होना आकर्षित करने वाले कारक (Pull Factor) होते हैं । उद्भव स्थल से गंतव्य स्थल के मध्य बाधाएँ जितनी कम होंगी, प्रवास उतना ही अधिक होगा ।
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इसके अलावा कुछ व्यक्तिगत कारक भी होते हैं, जो प्रवास को प्रेरित करते हैं । माइकल टोडारो के अनुसार, बड़े नगरों की ओर प्रवास इसलिए अधिक होते हैं, क्योंकि प्रवासियों को वहाँ रोजगार की अधिक संभावना दिखती है; परंतु यथार्थ में हमेशा यह सही नहीं होता है ।
उद्भव स्थल पर प्रतिकूल परिस्थितियों का अधिक होना वहाँ से प्रवास के लिए उत्तरदायी होता है । चूँकि अधिकतर प्रवासित होने वाली जनसंख्या पुरूष कार्यशील जनसंख्या होती है, इसी कारण उद्भव स्थल पर लिंगानुपात तथा निर्भरता अनुपात बढ़ता है, व विकास दर में कमी आती है ।
यद्यपि प्रवासित जनसंख्या के द्वारा भेजा गया पैसा, प्रदेश में विकास का कारण बन जाता है । प्रवासित जनसंख्या अपने उद्भव स्थल पर भी प्रगतिशील विचारों का प्रेरक हो जाती है । इससे उद्भव स्थल पर प्रादेशिक विकास व जीवन स्तर में गत्यात्मक बदलाव आता है ।
गंतव्य स्थल में प्रवासियों के आगमन के कारण संसाध नों व आधारभूत संरचना पर दबाव बढ़ता है । इससे वहाँ के भौतिक आधारभूत संरचना (आवास, परिवहन, संचार, विद्युत आदि) तथा सामाजिक आधारभूत संरचना (स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, खाद्य सुरक्षा, स्वच्छ पेयजल आदि) दोनों की ही आपूर्ति प्र भावित होती है ।
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पुरूष कार्यशील जनसंख्या में वृद्धि से विकास बढ़ता है, परंतु वहाँ लिंगानुपात व जनांकिकी संरचना में असंतुलन आ जाता है । इससे विभिन्न प्रकार की सामाजिक समस्या उत्पन्न होती है ।
प्रवास की भौगोलिक इकाई लघु स्तरीय या वृहद स्तरीय हो सकती है । लघु स्तर पर अंतःग्रामीण प्रवास सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । इनमें वैवाहिक प्रवास की अधिकता होती है । यद्यपि विकसित गाँव की ओर रोजगार की तलाश में भी प्रवास देखे जाते हैं ।
जेलिन्स्की ने अपने ‘गतिशीलता संक्रमण मॉडल’ (Mobility Transition Model) में सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ-साथ प्रवास की प्रवृत्तियों में होने वाले बदलाव को समझाया है ।
पूर्व औद्योगिक दशा में जहाँ अंतः ग्रामीण प्रवास महत्वपूर्ण रहते हैं, वहीं औद्योगिक व नगरीय विकास के साथ-साथ विभिन्न गाँवों से नगरों की ओर प्रवास बढ़ते हैं । जैसे-जैसे नगरीकरण बढ़ता है, नगर से नगर की ओर प्रवास की प्रवृत्ति बढ़ती है । पहले यह छोटे नगर से बड़े नगर की ओर होता है जबकि बाद में बड़े नगर की जनसंख्या का विकेंद्रीकरण छोटे नगरों की ओर होने लगता है ।
समाज के अधिक औद्योगीकृत व नगरीकृत हो जाने पर नगर से गाँव की ओर प्रवसन भी देखे जाते हैं । वस्तुतः इस अवस्था में जहाँ नगरों में भीड़-भाड़ व प्रदूषण बढ़ता है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं से युक्त होते हैं, जिसके कारण उपर्युक्त स्थिति देखी जाती है ।
प्रवास की उपर्युक्त प्रवृत्तियों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय प्रवास भी देखे जाते हैं, जिनमें मानव समुदाय की नागरिकता का परिवर्तन हो जाता है । इस प्रकार का प्रवास बाध्यतामूलक व स्वैच्छिक दोनों प्रकार का हो सकता है । इस संदर्भ में क्रमशः भारत-पाक विभाजन के संदर्भ में हुए प्रवास या नाजीवाद से पीड़ित यहूदियों के प्रवास का उदाहरण लिया जा सकता है ।
इसे बाध्यतामूलक प्रवास के अंतर्गत देखा जा सकता है । प्रतिभा पालयन (Brain Drain) स्वैच्छिक प्रवास का उदाहरण है । सीरिया में हाल के दिनों में इस्लामिक स्टेट के आतंकवाद के कारण बड़ी संख्या में यूरोप में सीरिया के लोगों का प्रवसन हो रहा है ।
भारत से होने वाले अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के अंतर्गत दक्षिण-पूर्व एशिया (सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया) व श्रीलंका में मुख्यतः तमिलनाडु से तथा द्वीपीय देशों (फिजी, मॉरीशस, त्रिनिनाद-टोबैगो व जमैका) में बिहार व उत्तर प्रदेश से अधिकतर प्रवास हुए हैं ।
अफ्रीका (केन्या, तंजानिया, युगांडा व दक्षिण अफ्रीका) में गुजरात, महाराष्ट्र व पंजाब से तथा पश्चिमी एशिया (संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत) में केरल व आंध्र प्रदेश से प्रवास की अधिकता रही है । प्रवासी भारतीयों को अपने मातृभूमि के प्रति जुड़ाव बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं ।
विकसित राष्ट्रों में सबसे ज्यादा प्रवास ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा में हुआ है । यहाँ मुख्यतः पंजाब के लोग प्रवासित हुए हैं । यूरोप, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में भी यहीं से अधिकतर प्रवास हुआ है । विश्व में इस वर्ष 231.5 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन हुआ है ।
Essay # 2. प्रवसन के कारण (Causes of Migration):
प्रवसन के कई कारण हैं, लेकिन इसके लिए मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
i. सामाजिक कारण (Social Cause):
विश्व के अनेक देशों में स्त्रियों के विवाह के बाद उन्हें अलग जगह प्रवास करना पड़ता है धार्मिक व जातीय उत्पीड़न भी प्रवास को बढ़ावा देती है, जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी से यहूदियों का इजरायल जाना व भारत में कश्मीरी पंडितों को अन्य राज्य में प्रवसन इसी प्रकार का है ।
ii. आर्थिक कारण (Economic Cause):
अधिकांश लोग अमेरिका, यूरोप में प्रवसित होकर नौकरी व्यवसाय करते हैं ।
iii. राजनैतिक कारण (Political Cause):
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस प्रकार के प्रवास का प्रमुख कारण रहा है, इस समय यहूदी फिलीस्तिनी कुर्द का बड़े पैमाने पर प्रवसन हुआ है ।
iv. बलपूर्वक कारण (Forcibly):
इस प्रकार का प्रवसन अभी हाल में म्यांमार देश के रोहिंगा (मुस्लिम धर्म के लोग) लोगों को वहाँ के बौद्ध धर्म के लोग अपने देश से बलपूर्वक निकाल रहे हैं । इसके पहले वियतनाम से चीनी निकाले गए थे ।
प्रवासी भारतीय दिवस समागम-2015:
7-9 जनवरी, 2015 को मध्य गुजरात के गांधीनगर में स्थित महात्मा मंदिर परिसर में ‘प्रवासी भारतीय दिवस समागम’ का 13वाँ वार्षिक आयोजन (13thPBD) संपन्न हुआ । प्रवासी भारतीय दिवस समागम का आयोजन 9 जनवरी, 1915 को महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास से वापस आने के उपलक्ष्य में 2003 से लगातार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है ।
i. इस वर्ष का आयोजन इसलिए अधिक विशेष था कि 9 जनवरी, 2015 को महात्मा गांधी के भारत वापस लौटने के 100 वर्ष पूरे हुए हैं ।
ii. प्रवासी भारतीय दिवस समागम-2015 का केंद्रीय विषय (Theme) ‘अपना भारत, अपना गौरव’ (Our India, Our Pride) रखा गया था ।
iii. ‘सर्वश्रेष्ठ प्रवासी’ महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापसी के 100 वर्ष पूरे होने को समर्पित यह समारोह विश्व भर के प्रवासी भारतीयों के लिए ‘भारत को जानो, भारत को मानो’ पर केंद्रित था ।
क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस:
9वाँ क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस 14-15 नवंबर, 2015 को अमेरिका के लॉस एंजिल्स में आयोजित किया गया । 8वाँ क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस अक्टूबर, 2014 में लंदन में आयोजित किया गया था । 9वाँ क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस का थीम- ”The Indian Diaspora: Defining a New Paradigm in India- US Relationship” था ।
इस सम्मेलन में भारतीय प्रवासी सुविधा केंद्र (Over-Seas Indian Facilitation Centre) ने भारत में प्रवासी भारतीयों का आर्थिक संपर्क बढ़ाने के लिए प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के बीच एक लोक-निजी भागीदारी की नींव रखी गई ।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन आउटलुक-2015:
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-Operation and Development-OECD) द्वारा 22 सितंबर, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन आउटलुक, 2015 (International Migration Outlook, 2015) नामक रिपोर्ट प्रकाशित की गई ।
इस रिपोर्ट में भारत से ओईसीडी देशों में अप्रवसन प्रवाह अपेक्षाकृत कम था । दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश होने के बावजूद भारत से प्रवसन केवल 4.4 प्रतिशत के स्तर तक हुआ । भारत इस मामले में चीन, पोलैंड तथा रोमानिया के बाद चौथे स्थान पर है ।