भारत के खनिज संसाधनों पर निबंध | Essay on Mineral Resources of India. Here is an essay on the ‘Mineral Resources of India’ for class 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on the ‘Mineral Resources of India’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. भारत के खनिज संसाधन (Mineral Resources of India):
खनिज एक प्रकार के प्राकृतिक संसाधन है, जिनकी रचना एक से अधिक तत्वों के संयोजन व प्राप्त शैलों से होती है । भारत विश्व के प्रमुख खनिज संसाधन व सम्पन्न देशों में आता है ।
चूँकि भारत की भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखंडों का योगदान है, अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती है । भू-गार्भिक संपदा को खनन अथवा उत्खनन के द्वारा प्राप्त किया जाता है । उत्खनन का अर्थ है ऊपरी परत की खुदाई । गहराई के साथ की गई खुदाई को खनन कहते हैं ।
Essay # 2. खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals):
a. धात्विक खनिज (Metallic Minerals):
ADVERTISEMENTS:
लोहा, मैंगनीज, टंगस्टन, ताँबा, सीसा, जस्ता, बाक्साइट, सोना, चाँदी, इल्मेनाइट, बैराइट, मैग्नेसाइट, सिल्मेनाइट, टिन आदि ।
b. अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals):
अभ्रक, एस्बेस्टस, पायराइट, नमक, जिप्सम, हीरा, कियेनाइट, इमारती पत्थर, संगमरमर, चूना, पत्थर, विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ आदि ।
c. अणुशक्ति के खनिज (Nuclear Minerals):
ADVERTISEMENTS:
यूरेनियम, थोरियम, इल्मेनाइट, बैरीलियम, जिरकॉन, सुरमा, ग्रेफाइट ।
d. जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel):
कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस ।
Essay # 3. प्रमुख खनिज संसाधन (Major Mineral Resources):
1. लौह-अयस्क (Iron Ore):
ADVERTISEMENTS:
कुडप्पा तथा धारवाड़ युगीन चट्टानों एवं आग्नेय शैलों में लौह अयस्क की प्राप्ति होती है ।
लौह अयस्क के चार प्रकार होते हैं:
i. मैग्नेटाइट (Fe2O4):
इसे काला अयस्क भी कहते हैं । यह काले रंग का सर्वोत्तम किस्म का चुम्बकीय लौह अयस्क है । इसमें धातु का अंश 72 प्रतिशत तक पाया जाता है ।
ii. हैमेटाइट (Fe2O3):
इसे लोहे का ऑक्साइड भी कहते हैं । यह लोहे का दूसरा सर्वोत्तम किस्म है । इसका रंग लाल, गेरूआ होता है । भारत का अधिकांश लोहा इसी प्रकार का है । इसमें धातुओं का अंश 60 से 66 प्रतिशत तक होता है ।
iii. लिमोनाइट (2Fe2O33H2O):
इसे अवसादी शैलों से प्राप्त किया जाता है । यह पीले रंग का होता है जिसे हाइड्रेटेड आयरन आक्साइड भी कहते है । इसमें 35 से 50 प्रतिशत तक लोहे का अंश होता है ।
iv. सिडेराइट (Fe3CO3):
इस लौह अयस्क को आयरन कार्बोनेट भी कहते हैं जिसमें लोहे का अंश 30 से 45 प्रतिशत तक होता है । इसका रंग भूरा होता है । यह निम्न कोटी का अयस्क है ।
देश में लौह अयस्क का संचित भंडार 28526.16 मिलियन टन तथा उत्पादन 167.3 मिलियन टन है । चीन (89%), भारतीय लौह अयस्क का सबसे बड़ा खरीदार है जिसके बाद जापान (7%), कोरिया गणराज्य (2%), हांगकांग, पाकिस्तान, हॉलैंड, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर एवं रोमानिया का स्थान है ।
झारखण्ड-ओडिशा पेटी की बारामजादा समूह तथा गुरूमहिसानी-बादाम पहाड़ मेखला में हैमेटाइट अयस्क की प्राप्ति होती है । ओडिशा के मयूरभंज जिले में गुरूमहिसानी, सुलेपत तथा बादाम पहाड़ क्षेत्र की कायान्तरित शैलों एवं झारखण्ड के सिंहभूमि जिले तथा ओडिशा के क्योंझर एवं सुन्दरगढ़ जिलों में फैले बारामजादा समूह प्रमुख अयस्क क्षेत्र हैं ।
सिंहभूमि जिले के किरीबुरू बुधुबुरू, कोटामारीबुरू, रजोरीबुरू, पलामू जिले के डाल्टेनगंज आदि लौह-अयस्क के प्रमुख क्षेत्र हैं । छत्तीसगढ़ के बैलाडिला क्षेत्र में भी हैमेटाइट अयस्क के 14 निक्षेपों का पता लगाया गया है । यह क्षेत्र बस्तर जिले में स्थित है । दुर्ग (डल्ली-रजहरा), रायगढ़, बिलासपुर, सरगुजा, बालाघाट आदि में भी हैमेटाइट प्रकार के लौह अयस्क मिलते हैं ।
पूर्वी महाराष्ट्र के चन्द्रपुर जिले में भी लौह अयस्क के निक्षेप मिले हैं । यहाँ के अयस्कों में लोहांश 66% तक है । कर्नाटक राज्य बेल्लारी-हास्पेट क्षेत्र में स्थित ‘सुन्दर पहाड़ियाँ’ की भी लौह अयस्क के प्रमुख क्षेत्र के रूप में गणना की जाती है । यहाँ चिकमंगलूर जिले की ‘बाबाबूदान पहाड़ियों’ में भी हैमेटाइट अयस्क पाया जाता है ।
गोवा-पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र में उत्तम किस्म का लोहा अदुलमाले व उस गाँव के बीच मिलता है । आंध्र प्रदेश में खम्माम, अनन्तपुर, कृष्णा, कुडप्पा तथा नेल्लौर जिलों में लौह-अयस्क के निक्षेप पाए जाते हैं । हैमेटाइट अयस्क की कुछ मात्रा राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, असम, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर राज्यों में भी मिलती है ।
2. मैंगनीज (Manganese):
यह लौह-इस्पात उद्योग में एक प्रमुख कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होता है । यह धारवाड़ युग की अवसादी चट्टानों में पाया जाता है । साइलोमैलीन तथा ब्रोनाइट इसके प्रमुख अयस्क हैं । इसकी प्राप्ति पाइरोलूसाइट, मैंगेनाइट, रोडोक्रोसाइट जैसे अयस्कों से भी होती है ।
उड़ीसा में क्योंझर और मयूरभंज, मध्य प्रदेश में बालाघाट तथा छिन्दवाड़ा, महाराष्ट्र में नागपुर व भंडारा, गुजरात में पंचमहल, आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम व श्रीकाकुलम, झारखंड में सिंहभूमि तथा राजस्थान में उदयपुर तथा बाँसवाड़ा और गोआ में मैंगनीज की प्राप्ति होती है ।
मैंगनीज उत्पादन में ओडिशा (33%), मध्य प्रदेश (23%) तथा महाराष्ट्र (21%) का क्रमशः प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान है । भारत मैंगनीज के उत्पादन में विश्व में पाँचवाँ (6.7%) स्थान रखता है ।
3. ताँबा (Copper):
इसकी प्राप्ति आग्नेय, अवसादी एवं कायांतरित तीनों प्रकार की चट्टानों में नसों (veins) के रूप में होती है, जिसमें कई प्रकार के पदार्थ मिले रहते हैं । इसके प्रमुख खनिज हैं- सल्फाइड (चेल्को पायराइट, चेल्कोसाइट, बोर्नाइट), ऑक्साइड (क्यूप्राइट) तथा कार्बोनेट (मैचेलाइट एवं एजुराइट) ।
लाल व भूरे रंग का खनिज ताँबा अत्यधिक तन्यता और विद्युत का उत्तम सुचालक होने के कारण विद्युत कार्यों में अधिक उपयोग में लाया जाता है ।
आजकल देश का अधिकांश तांबा झारखंड के सिंहभूमि, राजस्थान के झुंझनू, भीलवाड़ा, अलवर तथा उदयपुर, मध्य प्रदेश के बालाघाट और आंध्र प्रदेश के गुंटूर व नेल्लौर जिलों से निकाला जाता है । सिक्किम के ‘रंगपो’ नामक स्थान में भी ताँबे के नए भंडार मिले हैं ।
राजस्थान का ‘खेतड़ी खान’ सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही ताँबा उत्खनन का प्रमुख क्षेत्र रहा है । यद्यपि मध्य प्रदेश में ताँबे का उत्पादन मात्रात्मक दृष्टि से सर्वाधिक है, परन्तु मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का स्थान प्रथम है ताँबा के अनुमानित भंडार एवं उत्पादन दोनों ही दृष्टि से मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं झारखंड का भारत में क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान है ।
भारत में ताँबे का उत्पादन केवल सार्वजनिक क्षेत्र में ही होता रहा है । भारत में सर्वाधिक तांबे का उत्पादन हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड द्वारा किया जाता है । देश में ताँबा का उत्पादन आवश्यकता से कम होता है । इसीलिए संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा आदि देशों से इसका आयात किया जाता है ।
4. बॉक्साइट (Bauxite):
बॉक्साइट अयस्क से अल्युमिनियम की प्राप्ति होती है । यह लौह भस्म के रूप में मिलता है । देश में मिलनेवाले सभी लौह भस्म लैटेराइट प्रकार के हैं जिनमें लाल एवं पीला लौहांश अधिक मात्रा में मिलता है ।
झारखंड में राँची तथा पलामू, गुजरात में खेड़ा, मध्यप्रदेश में सरगुजा, शहडोल, दुर्ग व बालाघाट, महाराष्ट्र में कोलाबा, थाणे एवं रत्नगिरी, कर्नाटक में बेलगाँव तथा बाबाबूदन की पहाड़ियाँ और तमिलनाडु में पालनी, जवादी व शेवराय पहाड़ी क्षेत्र में प्रमुख बॉक्साइट उत्खनन क्षेत्र है ।
वर्तमान समय में भारत बॉक्साइट उत्पादन में विश्व में छठे स्थान पर है, परन्तु बॉक्साइट के समग्र संचित भंडार में भारत का चौथा (7%) स्थान है । संचित भंडार की दृष्टि से उड़ीसा, आंध्र प्रदेश व गुजरात का क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान है ।
महाराष्ट्र व झारखंड भी इसके भंडार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । बॉक्साइट उत्पादन में ओडिशा का प्रथम स्थान (37%) है । उसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश, गुजरात व छत्तीसगढ़ (8%) का स्थान आता है । भारत विश्व का 3.4% एल्युमिनियम उत्पादित कर संसार का आठवाँ सर्वाधिक उत्पादक देश है ।
5. चाँदी (Silver):
चाँदी एक बहुमूल्य धातु है । इसका सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान के ‘चित्तौड़गढ़’ में होता है । उसके पश्चात गुजरात के भड़ौच क्षेत्र का स्थान आता है । चाँदी के उत्पादन में राजस्थान, कर्नाटक व झारखंड का भारत में क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान है । भारत में चाँदी का सर्वाधिक उत्पादन हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड व उसके बाद हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के द्वारा किया जाता है ।
6. क्रोमाइट (Chromite):
लोहे व क्रोमियम के सम्मिश्रण से बननेवाले खनिज क्रोमाइट का उपयोग धातुशोधन, तापरोधी कार्यों तथा रासायनिक उद्योगों में किया जाता है । देश में सर्वाधिक क्रोमाइट का उत्पादन ओडिशा (95%) करता है । यहाँ क्योंझर तथा कटक (सुकिन्दा घाटी) जिले इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं ।
कर्नाटक के हसन तथा चित्रदुर्ग, महाराष्ट्र के रत्नागिरी तथा भंडारा, झारखंड के सिंहभूमि तथा आंध्र प्रदेश के कोंडापाले आदि जिलों से भी क्रोमाइट प्राप्त किया जाता है । भारत क्रोमाइट उत्पादन में विश्व में द्वितीय स्थान रखता है ।
7. टिन (Tin):
टिन का प्रयोग प्रायः टिन की चादरें बनाने एवं शोल्डरिंग उद्योग में किया जाता है । मिश्र धातुओं के निर्माण में भी इसका उपयोग होता है । भारत में टिन का भंडार सीमित मात्रा में है । टिन अयस्क का प्रायः संपूर्ण भंडार छत्तीसगढ़ के ‘बस्तर’ जिले में है तथा भारत का लगभग संपूर्ण टिन उत्पादन इसी क्षेत्र में होता है ।
8. सोना (Gold):
सोने की गणना बहुमूल्य धातुओं में की जाती है । यह आग्नेय व कायांतरित चट्टानों में नसों के रूप में पाया जाता है । देश के कुल स्वर्ण उत्पादन का लगभग 98% अकेले कर्नाटक राज्य के ‘कोलार’ तथा ‘हट्टी’ की स्वर्ण खानों से प्राप्त किया जाता है । आंध्र प्रदेश के ‘रामगिरि’ की खानों से भी कुछ सोना निकाला जाता है ।
हरियाणा के ‘सोहना’ नामक स्थान में एक गोल्ड रिफाइनरी की स्थापना की जा रही है । देश में स्वर्ण का पहला परिशोध न कारखाना निजी क्षेत्र में महाराष्ट्र के धुले जिले के ‘सिरपुर’ में स्थापित किया गया है ।
9. हीरा (Diamond):
हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध एवं प्रकृति का सबसे कठोर तत्व माना जाता है । विश्व प्रसिद्ध ‘कोहिनूर हीरा’ भारत के ‘गोलकुंडा’ (आंध्र प्रदेश) की खान से ही निकाला गया था । वर्तमान समय में मध्यप्रदेश हीरा उत्खनन की दृष्टि से देश का सबसे प्रमुख राज्य है । यहाँ पन्ना तथा सतना जिले में हीरा की कई महत्वपूर्ण खानें हैं ।
प्री-कैम्ब्रियन काल की जीवाश्मरहित विंध्यन शैलों की नसों में मिलने वाला यहाँ का हीरा काफी मूल्यवान माना जाता है । राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने पन्ना के ‘मंझगवाँ’ स्थित एशिया की एकमात्र मेकॅनाइज्ड हीरा खदान से 37.68 कैरेट का बहुमूल्य हीरा खोज निकाला है, जो इस खदान से निकाला गया अब तक का सबसे बड़ा हीरा है । मुम्बई हीरे की सबसे बड़ी मंडी है । यहाँ पर हीरे की कटाई होती है ।
10. अभ्रक (Mica):
अभ्रक एक बहुपयोगी खनिज है जो आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों में खंडों के रूप में पाया जाता है ।
अभ्रक की तीन मुख्य किस्में हैं:
i. श्वेत अभ्रक (Muscovite)- इसे मस्कोवाइट कहते है । यह रूबी अभ्रक भी कहलाता है । सफेद धारियों वाला यह अभ्रक उच्च किस्म का होता है ।
ii. पीत अभ्रक-इसे फ्लोगोवाइट कहते हैं ।
iii. श्याम अभ्रक-इसे बायोटाइट कहते हैं ।
बायोटाइट अभ्रक का रंग हल्का गुलाबी होता है । अभ्रक के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है । देश के उत्पादन का अधिकांश भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है । झारखंड, आंध्र प्रदेश एवं राजस्थान क्रमशः इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं । झारखंड राज्य से देश के कुल अभ्रक का लगभग 50% प्राप्त होता है ।
मस्कोवाइट-बायोटाइट किस्म का अभ्रक हजारीबाग, सिंहभूमि व पलामू जिलों से निकाला जाता है । बिहार का मुंगेर व गया, आंध्र प्रदेश का नेल्लोर और खम्मम तथा राजस्थान का उदयपुर भीलवाड़ा जिला भी अभ्रक उत्पादन का महत्वपूर्ण केन्द्र है ।
11. सीसा (Lead):
सीसा अयस्क मुख्यतः ‘गैलेना’ नामक खनिज से प्राप्त किया जाता है और यह प्रायः चाँदी व जस्ता के साथ मिला रहता है । विद्युत का कुचालक होने के कारण इसके अनेक उपयोग हैं । लौह-इस्पात उद्योग में इसका सर्वाधिक उपयोग होता है । देश में सीसे का कम उत्पादन होने के कारण आयात पर निर्भरता ज्यादा है ।
व्यापारिक स्तर पर इसकी प्रमुख खानें राजस्थान में ‘जावर’ नामक स्थान में अवस्थित है, जहाँ हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा इसे निकालने का भी काम किया जाता है । यहाँ भीलवाड़ा जिले के ‘दरीबा-राजपुरा क्षेत्र’ में भी नए निक्षेप पाए गए हैं । भारत में सीसे का सर्वाधिक भंडार राजस्थान में है ।
12. जस्ता अयस्क (Zinc Ore):
जस्ता की प्राप्ति जिंक सल्फाइड तथा कैलेमाइन, जिंकाइट, विलेमाइट एवं हैमीमोरफाइट से होती है । इसका सबसे अधिक उपयोग लोहे को जंगरोधी बनाने में होता है । रंग-रोगन, बैटरी, मोटरों के कलपुर्जे व दवाइयों आदि में भी इसका उपयोग होता है ।
व्यापारिक स्तर पर संचालित होने वाली देश की एकमात्र खान राजस्थान के ‘जावर’ में है, जिसका संचालन हिन्दूस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा किया जाता है । देश में जस्ते का सर्वाधिक भंडार (92%), राजस्थान में है । यहाँ भीलवाड़ा, राजसमंद व उदयपुर जस्ता उत्पादन के क्षेत्र है ।
13. जिप्सम (Gypsum):
यह उर्वरक, सीमेंट, गंधक आदि के निर्माण में उपयोगी तत्व है । इसकी प्राप्ति अवसादी चट्टानों में होती है । इसका सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान (90%) में किया जाता है । राजस्थान में ‘हनुमानगढ़’ जिले में सर्वाधिक जिप्सम का उत्पादन होता है । बीकानेर, जोधपुर, नागौर व जैसलमेर जिले में भी जिप्सम पाया जाता है ।
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिला तथा गुजरात के कच्छ जिले में भी जिप्सम का उत्पादन होता है । तमिलनाडु के कोयम्बटूर, तिरूनेलवैली व चिंगलपेट जिले भी जिप्सम के खनन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं ।
14. ग्रेफाइट (Graphite):
कायान्तरित शैलों में मिलनेवाली कार्बनिक संरचना में ग्रेफाइट की प्राप्ति होती है । इसे ‘कालासीसा’ या ‘प्लम्बगो’ भी कहा जाता है । इसका उपयोग पेंसिलों की लेड बनाने तथा परमाणु शक्ति के रिएक्टरों में मन्दक (मोडेरेटर) के रूप में किया जाता है । इसके प्रमुख उत्पादक राज्य झारखंड, ओडिशा (कालाहांडी) तथा आंध्र प्रदेश हैं ।
15. थोरियम (Thorium):
इसकी प्राप्ति मुख्यतः मोनाजाइट बालुका निक्षेपों से होती है, जिसका निर्माण प्री-कैम्ब्रियन काल की चट्टानों के नष्ट होकर चूर्ण बन जाने से हुआ है । यह मोनाजाइट निक्षेप मुख्यतः केरल के तटवर्ती भागों में मिलते हैं ।
16. यूरेनियम (Uranium):
इसे ‘मेटल ऑफ होप’ के नाम से भी जाना जाता है । इसके प्रमुख अयस्क हैं- पिंचब्लेंड, सॉमरस्काइट तथा थोरियानाइट । देश में यूरेनियम की प्राप्ति धारवाड़ तथा आर्कियन श्रेणी की शैलों, पेग्मेटाइट्स, मोनाजाइट बालू तथा चेरालाइट में होती है । झारखंड में सिंहभूम जिले के जादूगोडा क्षेत्र यूरेनियम खनन हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण है ।
इस राज्य में ‘बागजाता’ में यूरेनियम के नए भंडार मिले हैं । आंध्र प्रदेश में नेल्लोर, राजस्थान में उदयपुर आदि इसकी प्राप्ति के अन्य प्रमुख क्षेत्र है । 18 जुलाई, 2011 को ‘तुमलापल्ली’ (आंध्र प्रदेश) में यूरेनियम के विशाल भंडार की खोज हुई है । इसे विश्व का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार माना जा रहा है ।
मेघालय में भी यूरेनियम के लगभग 16 प्रतिशत भंडार हैं, जिनका खनन हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए जरूरी है । यहां खासी पहाड़ी में ‘महाडस्क’ में यूरेनियम के सम्पन्न क्षेत्र हैं । भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड (UCIL) भारत में इसके खनन व शोध की दिशा में कार्यरत है ।
17. बेरीलियम (Beryllium):
इसकी प्राप्ति आग्नेय चट्टानों से होती है । इसका सर्वाधिक उपयोग मिश्र धातुओं के निर्माण में किया जाता है । इससे वायुयानों के कार्बेरेटर, फ्लूरोसेंट ट्यूब, नियॉन सिग्नल्स, साइक्लोट्रान तथा विस्फोटक पदार्थ भी बनाए जाते हैं ।
18. एंटीमनी अथवा सुरमा (Antimony):
यह स्टिबनाइट नामक खनिज से प्राप्त होता है । इसका उपयोग विद्युत तार बनाने, टूथपेस्ट की ट्यूब बनाने, आभूषणों तथा बन्दूक की कारतूसों में किया जाता है ।
19. मॉलिब्डेनम (Molybdenum):
विशेष प्रकार के इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाने वाला मुलायम एवं भूरे रंग का यह खनिज मॉलिब्डेनाइट नामक अयस्क से प्राप्त होता है ।
20. जिरकन (Jarkan):
इसकी प्राप्ति का मुख्य स्रोत जिरकोनियम अयस्क है । इसका उपयोग अणुशक्ति के अतिरिक्त अन्य अनेक कार्यों में किया जाता है ।
21. वैनेडियम (Vanadium):
इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के मिश्रित इस्पातों का निर्माण करने में किया जाता है । यह मैग्नेटाइट अयस्क के रूप में प्राप्त होता है ।
22. बाइराट्स:
यह बेरियम सल्फेट का खनिज रूप है । विश्व में इसका लगभग 90% उत्पादन तेल कुओं की ड्रिलिंग के काम में आता है । भारत बाइराट्स के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान (17.3%) रखता है । अकेले आंध्र प्रदेश में बाइराइट्स का 94% भंडार है । यहां कुडप्पा जिले में स्थित ‘मंगमपेट’ भडार विश्व का सबसे बड़ा अकेला बाइराट्स भंडार है ।
23. टाइटेनियम (Titanium):
इस धातु का उपयोग लड़ाकू विमान, मिसाइल, युद्धपोत, अंतरिक्ष यान व परमाणु रिएक्टर में होता है । 1 मार्च, 2011 को केरल में इस धातु के उत्पादन के लिए देश का पहला कारखाना शुरू किया गया ।