गरीबी पर निबंध | Essay on Poverty in Hindi: Definition, Causes and Patterns!
गरीबी पर निबंध | Essay on Poverty
Essay Contents:
- गरीबी की परिभाषा (Definition of Poverty)
- गरीबी रेखा (Poverty Line)
- गरीबी-दरिद्रता के कारण (Causes of Poverty)
- विश्व में गरीबी के प्रतिरूप (Regional Patterns of Poverty in the World)
- भारत में दरिद्रता प्रभावित क्षेत्र (Incidence of Poverty in India)
- गरीबी दूर करने के कार्यक्रम (Poverty Alleviation Programmes)
Essay # 1.
गरीबी की परिभाषा (Definition of Poverty):
गरीबी की परिभाषा पर वैज्ञानिकों में सहमति नहीं है । गरीबी एक विशिष्ट समस्या है जो समय और स्थान के अनुसार बदलती रहती है । वास्तव में गरीबी एवं दरिद्रता कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती । समाजशास्त्रियों के अनुसार गरीबी एक ऐसी अवस्था जिसमें समाज का एक वर्ग किसी दोष के खाने, कपड़े तथा मकान में वंचित है । दूसरे शब्दों में, जब कोई समाज का वर्ग आवश्यक आवश्यकताओं की आपूर्ति न कर पाता है । तो उसे दरिद्र रेखा से नीचे का वर्ग कहते हैं ।
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Essay # 2.
गरीबी रेखा (Poverty Line):
सामान्यतः गरीबी दरिद्र रेखा की सहायता से निर्धारित की जाती है भारत में गरीबी रेखा निजी उपभोग के खर्चे के आधार पर निर्धारित की जाती है । भारत में गरीबी रेखा से नीचे की जनसंख्या का आकलन योजना आयोग करता है ।
भारत की गरीबी रेखा (What is Indian Poverty Line):
वर्ष 2011 में सुरेश तेंदुलकर कमेटी ने गरीबी रेखा का निर्धारण किया था । इसकी गरीबी रेखा का निर्धारण भोजन, कपड़े, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली तथा परिवहन पर होने वाले खर्च से किया जाता है ।
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वर्ष 2014 के जुलाई आंकड़ों के आधार पर यदि कोई ग्रामीण व्यक्ति प्रतिदिन 30.50 रु॰ पैसे तथा नगर में रहने वाले व्यक्ति प्रतिदिन 46.25 रु॰ पैसे से कम खर्च करता है तो उस व्यक्ति को गरीब माना जाएगा । इस प्रकार यदि कोई व्यक्ति प्रति माह गाँव में 927 रु॰ तथा नगर में 1407 रु॰ प्रति माह से कम खर्च करता है तो उसको गरीबी रेखा से नीचे माना जाएगा ।
पूर्ण गरीबी (Absolute Poverty) एवं तुलनात्मक गरीबी (Relative Poverty):
संपूर्ण गरीबी का अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति खाने, कपडे, मकान, इलाज और शिक्षा के लिए रुपया न जुटा पाए तो वह वास्तव में गरीब अथवा दरिद्र कहलाएगा । सामान्यतः जो व्यक्ति एक दिन में एक अमेरिकन डालर भी खर्च न कर पाता हो उसको पूर्ण रूप से गरीबी माना जाएगा । संपूर्ण गरीबी विकासशील देशों में पाई जाती है ।
इसके विपरीत तुलनात्मक गरीबी असमान्यता से जुड़ा हुआ है । विकसित देशों की तुलना में विकासशील देश गरीब माने जाते हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में ब्रिटेन एक गरीब देश है । जर्मनी की तुलना में स्पेन तथा यूनान गरीब हैं, जापान की तुलना में कोरिया तथा रूस गरीब देश हैं ।
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Essay # 3.
गरीबी-दरिद्रता के कारण (Causes of Poverty):
गरीबी और दरिद्रता के बहुत-से कारण हैं ।
गरीबी के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
i. अत्यधिक जनसंख्या (Over Population):
गरीबी का एक मुख्य कारण तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या है । वर्ष 1798 में राबर्ट-माल्थस ने जनसंख्या का पहला सिद्धांत प्रस्तुत किया गया था । तत्पश्चात् 1971 में वृद्धि की सीमा का सिद्धांत सामने आया ।
पृथ्वी के संसाधन सीमित हैं और तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की आपूर्ति करना बहुत कठिन है । बहुत-से लोग जीविकापार्जन नहीं कर पाते और बेरोजगारी के कारण बहुत-से लोगों गरीबी रेखा के नीचे पहुँच जाते है ।
ii. उत्पादन-साधनों का असमान वितरण (Unequal Distribution of Means of Production):
कार्ल-मार्क्स एवं फ्रेड्रिक एंजिल के अनुसार दरिद्रता और गरीबी का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि नहीं, बल्कि उत्पादन साधनों (कृषि, भूमि, जल, संसाधनों, वनों कारखानों इत्यादि का असमान वितरण है) इसी कारण श्रमिकों का शोषण होता है, उनमें से बहुत-से समय-समय पर बेरोजगार हो जाते हैं और गरीबी की लपेट में आ जाते हैं ।
iii. कृषि विकास की मंदगति (Slow Agricultural Development):
अधिकतर विकासशील देशों में कृषि विकास की मंदगति है । आधुनिक टेक्नोलोजी का अभाव है तथा किसान रूढ़िवादी हैं । पुराने ढंग से की जाने वाली कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है जिससे दरिद्रता की समस्या गंभीर होती जाती है ।
iv. विकसित देशों में उपभोक्तावाद (Consumerism in Developed Countries):
विकसित देशों का जीवन-स्तर बहुत ऊँचा है, वे विकासशील देशों के ऊर्जा एवं अन्य संसाधनों का आयात करते हैं, जिससे गरीब देशों में दरिद्रता और बढती है ।
v. प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Climates):
प्राकृतिक आपदाओं जैसे-बाढ़, सूखा, सुनामी, मेघ-प्रस्फोट सागरीय अतिक्रमण इत्यादि से फसलें खराब हो जाती हैं और बहुत-से लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुँच जाते हैं ।
vi. युद्ध (War):
दो देशों के बीच युद्ध होने का भी लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है जिससे गरीब लोगों की संख्या में वृद्धि होती है ।
Essay # 4.
विश्व में गरीबी के प्रतिरूप (Regional Patterns of Poverty in the World):
विश्व बैंक तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार जो व्यक्ति, प्रतिदिन एक अमेरिकन डालर से कम खर्च करता है उसको गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है । विश्व की 37 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है । इनमें से अधिकतर गरीब विकासशील देशों में रहते हैं ।
उत्तरी अफ्रीका के देशों (मास्को, टुनिसिया, अल्जीरिया, लीबिया तथा मिस्र) एवं दक्षिण अफ्रीका को छोड्कर, अफ्रीका महाद्वीप के अधिकतर लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं । इनके अतिरिक्त मेडागासकर, सेंट्रल अमेरिका के देश तथा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया, पापुआ, न्यूगिनी, फिलिपाइन इत्यादि में गरीबी रेखा के नीचे काफी बडी जनसंख्या है ।
Essay # 5.
भारत में दरिद्रता प्रभावित क्षेत्र (Incidence of Poverty in India):
एन॰ एस॰ एस॰ के अतिरिक्त विभिन्न समाजशास्त्रियों ने दरिद्रता का आकलन किया है । इस दिशा में बी॰ एस॰ मिंहास, बी॰ एन डेन्डेकर एन॰ रथ, पी॰ के बर्धान, एम॰ एस॰ अहलुवालिया तथा योजना आयोग ने गरीबी रेखा पर उपयोगी शोध कार्य किया है ।
ओडिशा की 57 प्रतिशत, बिहार एवं झारखंड की 54.4 प्रतिशत, छत्तीसगढ की 48.6 प्रतिशत, मध्य प्रदेश 48.6 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश की 41 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रहती है जबकि केरल में सबसे कम 19.7%, पंजाब में 20.9%, हिमाचल प्रदेश में 22.9%, जम्मू व कश्मीर में 22.9%, तथा हरियाणा में 24.1% जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे हैं । अन्य राज्यों में गरीबी 25% से लेकर 48% तक है ।
भारत की 37% जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है । इस समस्या के तत्काल समाधान की आवश्यकता है तथा इस दिशा में तुरंत उपाय करने की आवश्यकता है ।
Essay # 6.
गरीबी दूर करने के कार्यक्रम (Poverty Alleviation Programmes):
भारत नियोजनबद्ध विकास के समय से ही गरीबी और दरिद्रता की समस्या से जूझता रहा है ।
इसलिए देश में गरीबी हटाने के लिए भारत सरकार ने बहुत-से प्रोग्राम आरंभ किए गए, जिनमें से निम्न प्रोग्राम महत्त्वपूर्ण हैं:
(i) सीमांत किसान विकास एजेंसी
(ii) सीमांत किसान तथा खेतीहर मजदूर विकास एजेंसी
(iii) सूखाग्रस्त क्षेत्र प्रोग्राम
(iv) स्कीम, ग्रामीण रोजगार के लिए क्रैश यौजना तथा खाद्य रोजगार प्रोग्राम
(v) संपूर्ण ग्रामीण विकास प्रोग्राम (1978-79)
(vi) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना
(vii) ग्रामीण खेतिहर मजदूर गारंटी प्रोग्राम – वर्ष 1993-94 में रोजगार के संबंध में दो नये प्रोग्राम आरंभ किये गये थे- (क) रोजगार आश्वासन स्कीम, तथा (ख) प्रधानमंत्री रोजगार योजना ।
इनके अतिरिक्त गरीबी हटाने के लिए कुछ और कार्यक्रम भी आरंभ किए गए, जैसे-स्वयं रोजगार कार्यक्रम, स्वर्णजयंती ग्राम रोजगार योजना, मजदूरी/वेतन रोजगार योजना, संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना तथा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ऐक्ट इत्यादि ।
उपरोक्त प्रोग्रामों के अतिरिक्त निम्न राष्ट्रीय सहायता प्रोग्रामों की घोषणा की गई थी:
(अ) राष्ट्रीय वृद्धावस्था-पेंशन स्कीम (National Old-Age Pension Scheme),
(ब) राष्ट्रीय परिवार हित स्कीम (National Family Benefit Scheme):
इस स्कीम के अंतर्गत यदि परिवार के कमाने वाले का देहात हो जाए तो परिवार को दस हजार रुपये नकद की सहायता प्रदान करना ।
(स) राष्ट्रीय मातृत्व सहायता स्कीम (National Maternity Benefit Scheme):
इस स्कीम के अंतर्गत बच्चे को जन्म पर माता को 300 रुपये नकद देने का प्रावधान किया गया था । बाद में धनराशि को पाँच सौ रुपये कर दिया गया था ।