प्रधान मंत्री पर निबंध | Essay on the Prime Minister in Hindi!
प्रधान मंत्री पर निबंध | Essay on the Prime Minister
Essay # 1. प्रधानमंत्री की नियुक्ति (Appointment of the Prime Minister):
संविधान के अनु. 74 में प्रधानमंत्री पद की व्यवस्था की गयी है । इसका पदक्रम देश में तृतीय है । प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है पर राष्ट्रपति द्वारा सामान्यत: वह व्यक्ति प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है ।
अनुच्छेद 74 के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । राष्ट्रपति बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है । प्रधानमंत्री साधारणतया लोकसभा का सदस्य होता है और लोकसभा के प्रति उत्तरदायी भी होता है । यद्यपि राज्यसभा का सदस्य भी प्रधानमंत्री बन सकता है ।
प्रधानमंत्री के महत्व के संदर्भ में महत्वपूर्ण कथन:
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1. लॉर्ड मॉर्ले- “प्रधानमंत्री ‘समानो में प्रथम’ और ‘मंत्रिमण्डलीय गुम्बद की आधारशीला है और जब तक बना रहता है वह एक असाधारण और अतिविशिष्ट सत्तायुक्त पद के योग्य रहता है ।”
2. लास्की के अनुसार- “प्रधानमंत्री वह धुरी है जिसके चारों ओर सरकारी तंत्र घूर्णन करता है । उनके अनुसार प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल के गठन और उसके अंत तक उसके सम्पूर्ण जीवन काल में केन्द्रीय बिन्दु बना रहता है ।”
3. हर्बट मेरिसन के शब्दों में- “प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया तथा सर्वसाधारण में सर्वोच्च है । प्रधानमंत्री पद की जितनी प्रशंसा की जाए कम है ।”
4. सर बिलियम हारकोर्ट के अनुसार- “प्रधानमंत्री सीमित तारों के मध्य चाँद जैसा है ।”
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5. एच.आर.जी.ग्रीव्स के अनुसार- “यदि सरकार देश की मालिक है तो प्रधानमंत्री सरकार का मालिक है ।”
6. मुनरो के शब्दों में- “प्रधानमंत्री राज्य रूपी जलयान का कैप्टन है ।”
7. रेम्जेम्युर के शब्दों में- “प्रधानमंत्री राज्य रूपी जलयान के स्टेरिंग को चलाने वाला चालक है ।”
8. जेनिंग्स के अनुसार- “प्रधानमंत्री उस सूर्य की भाँति है जिसके चारों ओर ग्रह परिक्रमा करते हैं । वह संविधान का सूत्रधार होता है । संविधान के सभी मार्ग प्रधानमंत्री की ओर जाते हैं ।”
Essay # 2. प्रधानमंत्री का कार्यकाल (Tenure of the Prime Minister):
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प्रधानमंत्री का कार्यकाल सामान्य परिस्थितियों में 5 वर्ष निर्धारित है । प्रधानमंत्री लोकसभा के विश्वास-पर्यन्त अपना कार्य करता है । संविधान में उसके कार्यकाल के बारे में कुछ नहीं लिखा है लेकिन लोकसभा की अवधि के अनुरूप उसका कार्यकाल सामान्यतया माना जाता है । इसके पूर्व भी वह पदमुक्त हो सकता है ।
पदमुक्ति:
प्रधानमंत्री अपने पद से निम्न परिस्थितियों में मुक्त हो सकता है:
(अ) राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने त्यागपत्र द्वारा ।
(ब) राष्ट्रपति द्वारा निलम्बित किए जाने पर ।
(स) लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर ।
जिस दल का वह नेता होता है, वह दल भी उसे त्यागपत्र देने के लिये कह सकता है और उसके स्थान पर नया नेता चुन सकता है ।
वेतन और भत्ता (Pay and Allowance of Prime Minister):
प्रधानमंत्री को 36 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है । उसे भी निर्वाचन-क्षेत्र भत्ता मिलता है । इसके अतिरिक्त उसे निःशुल्क आवास, चिकित्सा, स्वास्थ्य आदि की सुविधाएं प्रदान की गई है ।
Essay # 3. प्रधानमंत्री के अधिकार और कार्य (Rights and Work of the Prime Minister):
प्रधानमंत्री को संविधान द्वारा कुछ अधिकार दिए गए हैं और उसके लिए कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं । प्रधानमंत्री योजना आयोग जैसे कुछ संवैधानेत्तर संगठनों के माध्यम से भी कार्य करता है ।
कार्यपालिका और विधायिका का प्रधान होने के कारण प्रधानमंत्री का कार्यक्षेत्र बहुत ही विस्तृत है । मंत्रिपरिषद के संबंध में प्रधानमंत्री को व्यापक अधिकार प्राप्त है । इस विषय में यह कहा जाता हैं कि वह मंत्रिमण्डल में अधिनायक है ।
1. संवैधानिक स्थिति:
i. राष्ट्रपति को उसके कार्यों के सम्पादन में सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा (अनु. 74) ।
ii. प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होगी और वह प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा- अनु. 75(1) ।
iii. बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है, क्योंकि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी हैं ।
2. मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री:
a. प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमण्डल के निर्माण में स्वतंत्र है तथा उसकी कृपा से ही व्यक्ति मंत्रिमण्डल में लिये जाते हैं ।
b. मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण व उनमें परिवर्तन करने में भी प्रधानमंत्री की भूमिका होती है ।
c. मंत्रीगण केवल तभी तक मंत्रिपरिषद में रह सकते हैं, जब तक प्रधानमंत्री उन्हें चाहे, अन्यथा वह उससे त्यागपत्र भी माँग सकता है और कोई मंत्री यदि त्यागपत्र न दें, तो राष्ट्रपति से सिफारिश करके वह उसे मंत्रिपरिषद से पृथक करा सकता है ।
d. प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के सभी मंत्रियों पर अपना नियंत्रण रखता है ।
e. विविध विभागों के समन्वयकर्ता के रूप में भी प्रधानमंत्री अन्य मंत्रियों के कार्यों पर नियंत्रण रखता है ।
f. मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करते हुए भी प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद की कार्यवाही तथा उसके निर्णयों को प्रभावित करता है । निर्णय अधिकांशतया उसी की इच्छा के अनुकूल होतें हैं ।
3. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री:
राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद अर्थात संवैधानिक कार्यपालिका और वास्तविक कार्यपालिका को जोड़ने वाली कड़ी प्रधानमंत्री है ।
1. मंत्रिमण्डल के निर्णय से राष्ट्रपति को अवगत कराता है (अनु. 78-1) । राष्ट्रपति द्वारा मांगे जाने पर सूचना उपलब्ध कराता है (78-2) ।
2. देश के अनेक उच्च पदों पर व्यक्तियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के परामर्श से ही करता है ।
3. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति द्वारा मांग करने पर उस विषय विशेष को मंत्रिपरिषद के विचारार्थ प्रस्तुत करता है ।
जिससे संबंधित निर्णय किसी मंत्री द्वारा लिया गया हो किंतु मंत्रिपरिषद ने उस पर विचार न किया हो ।
4. संसद और प्रधानमंत्री:
i. सदन में दल का नेता होता है । प्रधानमंत्री लोकसभा का नेता होता है । वह लोकसभा में और राज्यसभा में सरकार की ओर से प्रमुख वक्तव्य देता है । यदि प्रधानमंत्री चाहें तो लोकसभा को राष्ट्रपति के माध्यम से भंग करवा सकता है, यद्यपि ऐसा अन्य परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है ।
ii. संसद के सत्र आहूत करने या सत्रावसान करने की सलाह राष्ट्रपति को देता है ।
iii. सदन के पहल पर सरकारी नीतियों की घोषणा करता है ।
5. प्रधानमंत्री के अन्य कार्य और दायित्व:
a. महत्वपूर्ण प्रश्नों पर सरकार की ओर से प्रधानमंत्री ही वक्तव्य देता है । समस्त देश के शासन पर प्रधानमंत्री का ही नियंत्रण होता है इसलिए देश की आन्तिरक एवं विदेश नीति का निधार्रण वही करता है । प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है । प्रधानमंत्री ही राष्ट्रीय विकास-परिषद की स्थापना करता है, और उसकी अध्यक्षता भी करता है ।
b. वह राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर्राज्यीय परिषद का अध्यक्ष भी होता है ।
c. नाभीकीय कमान उसके अधीन रखी गयी है ।
d. सैन्य सेवाओं का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है लेकिन राजनीतिक प्रमुख प्रधानमंत्री होता है ।
प्रधानमंत्री पद को लेकर प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें:
1. सरकार के कार्य-निष्पादन को प्रभावी बनाने के लिये प्रधानमंत्री की सहायतार्थ उपप्रधानमंत्री का स्थायी पद हो ।
2. प्रधानमंत्री अपने कार्यभार को कम करने के लिये उपप्रधानमंत्री को उपयुक्त काम अस्थायी तौर पर सौंपता रहे ।
3. प्रधानमंत्री सामान्यत: कोई मंत्रालय अपने अधीन नहीं रखे जिससे कि निदेशन, समन्वय और पर्यवेक्षण हेतु पर्याप्त समय बच सके ।
4. कार्मिक विभाग सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में हो ।
5. प्रधानमंत्री मंत्रियों की नियुक्ति करते समय राजनीतिक शक्ति के साथ निष्ठा, योग्यता, निर्णयन क्षमता को ध्यान में रखे ।
6. प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ाने हेतु प्रधानमंत्री सुधारात्मक नीतियों और उपायों के क्रियान्वयन की व्यैक्तिक और सामूहिक समीक्षा करें ।
7. प्रमुख पदों पर नियुक्ति में प्रधानमंत्री की सक्रिय भूमिका हो ।
8. प्रमुख विभागीय सचिवों के साथ प्रधानमंत्री की नियमित बैठकें होनी चाहिए ।
प्रशासनिक सुधार आयोग के अधीन गठित ”देशमुख अध्ययन दल” ने प्रधानमंत्री के दायित्वों में निम्नलिखित पहलुओं के संदर्भ में ”नेतृत्व” की भूमिका पर बल दिया:
1. नीति निर्माण और नीति क्रियान्वयन,
2. प्रशासनिक दक्षता,
3. जनता-प्रशासन के मध्य प्रभावी संचार (जनसंपर्क),
4. संसद-सरकार के मध्य संबंध ।