Here is an essay on ‘Road Transport’ for class 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Road Transport’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. सड़क यातायात का परिचय (Introduction to Road Transport):
रेलवे के बाद, सड़क यातायात देश की यातायात प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इस तथ्य के अलावा देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति सड़क के विकास पर निर्भर करती है । इसमें आम साधनों के भावुकतापूर्ण एकीकरण के बारे में महत्वपूर्ण संबंध भी हैं ।
Benthan के शब्दों में “Roads are the veins and arteries of a country through whose channels every improvement takes circulation.”
भारत में सड़कों को निम्न में वर्गीकृत किया जा सकता है:
ADVERTISEMENTS:
1. राष्ट्रीय हाइवे (National Highway):
इनका संबंध मुख्य सड़कों के साथ होता है जो राज्यों, राजधानियों, बंदरगाहों और बड़े शहरों को जोड़ती है । इन सड़कों का निर्माण और रख-रखाव करना केन्द्रीय सरकार की जिम्मेदारी होती है । वर्तमान में इस प्रकार की 62 सड़कें हैं जिनकी कुल लम्बाई 34,289 कि.मी. है ।
2. राज्य के हाइवे (State Highways):
ये राज्य की मुख्य सड़कें हैं । जो राज्य के शहरों और राजधानी को जोड़ती हैं । राज्य सरकार उनके रख-रखाव के लिए जिम्मेदार होती हैं । इसकी कुल लम्बाई 1,36,000 कि.मी. है ।
ADVERTISEMENTS:
3. जिले की सड़कें (District Roads):
ये सड़कें जिले की मंडियों और उत्पाद क्षेत्रों के साथ जुड़ी होती हैं । इन्हें जिला बोर्ड द्वारा बनाए रखा जाता है ।
4. ग्रामीण सड़कें (Village Roads):
ये सड़कें गांवों को जिले की सड़कों के साथ जोड़ती हैं । पंचायत इन सड़कों को बनाती है ।
ADVERTISEMENTS:
5. बार्डर सड़कें (Border Roads):
इन सड़कों को बार्डर सड़क संगठन की सहायता के साथ बनाया जाता है । यह संगठन 18,500 कि.मी. की लम्बी बार्डर सड़कों को बनाते हैं ।
Essay # 2. सड़क यातायात के साधन (Means of Road Transport):
1. बैलगाड़ी (Bullock Cart):
यह ग्रामीण भारत का यातायात का मुख्य साधन है । मोटर वाहनों की संख्या बढने के कारण इनकी संख्या कम हो रही है ।
2. मोटर यातायात (Motor Transport):
1913 के बाद, भारत में वाहन आए । इन पर सही तरह से नियन्त्रण को लिए मोटर अधिनियम 1939 को पास किया गया । अब इसकी जगह मोटर वाहन अधिनियम 1988 ने ले ली है । 1944 में इसमें संशोधन किया जा चुका है । वर्तमान में 17.3 करोड़ मोटर वाहन है, जबकि 1947 में इनकी संख्या करीबन 3 लाख थी ।
Essay # 3. सड़क यातायात की मुख्य विशेषताएं (Principal Characteristics of Road Transport):
तालिका 18.3, 1950-51 से सड़क यातायात की मुख्य विशेषताओं का विवरण देती है । सड़क की कुल लंबाई 1950-51 में 400 हजार किलोमीटर थी जो 1970-71 में बढ़कर 915 हजार किलोमीटर हो गया । दुबारा, 1980-81 में सड़कों की कुल लंबाई 1485 हजार कि.मी. थी । 2012-13 में यह 4949 हजार कि.मी. हो गई ।
राष्ट्रीय राजमार्गों के संबंध में, 1980-81 में 32 हजार कि.मी. 1950-51 में 20 हजार कि.मी. के विरुद्ध थी । 1990-91 में, राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 34 हजार कि.मी. थी जो 2012-13 में बढ़कर 79.1 हजार कि.मी. हो गई । राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 1970 में 57 हजार कि.मी. थी जिसे 2000 में 94 हजार कि.मी. रिकार्ड किया गया जो 2012-2013 में बढ़कर 168.3 हजार कि.मी. हो गई ।
सड़क यातायात से अर्जित आय का संबंध था यह 1950-51 में केन्द्रीय सरकार का ₨.35 करोड़ था । जो 1970-71 में ₨.452 करोड़ हो गया जो दस गुणा ज्यादा था । 1990 के दौरान, यह ₨. 4596 करोड़ हो गया । 2000 में अर्जित आय ₨.23561 करोड़ थी जो 2012-13 में ₨.90431 करोड़ बढ़ गया । सड़कों से संबंधित राज्य आय 1970-71 में ₨.231 करोड़ थी जो 1950-51 में ₨.13 करोड़ के विरुद्ध थी ।
यह 1980-81 में ₨.750 करोड़ थी । दुबारा इसे 1990 में ₨.3035 करोड़ दर्ज किया गया और 2012-13 में ₨.51527 करोड़ दर्ज किया गया । दर्ज वाहनों की संख्या में वृद्धि को रिकार्ड किया गया । माल वाहन की संख्या 1950-51 में 82 हजार थी । जो 1970-71 में 343 हजार तक बढ़ गई और 2012-13 में 8119 हो गई । इसी तरह, बसों की संख्या 2012-13 में 1749 हजार तक बढ जबकि यह 1980-81 में 162 हजार थी और 1950 में 34 हजार हो गई ।
राज्य यातायात (State Transport):
सड़क क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी (Private Sector Participation in Road Sector):
भारत सड़क नेटवर्क प्रणाली विभिन्न कमियों से जूझ रही है जैसे अपर्याप्त सड़क फुटपाथ की मोटाई, अपर्याप्त क्षमता, घटिया सवारी गुणवता, किनारे की सुविधाओं की कमी और कमजोर और तंग पुल और पुलिया, भीड़-भाड़ वाले शहर कई सारी रेलवे क्रासिंग, कमजोर सड़क सुरक्षा उपाय ।
राष्ट्रीय राजमार्गों के करीबन 20% को एक से दोहरी लाइनों में बदलने की जरूरत है और 70:1 को दो लाइन वाली सड़कों को मजबूत होने की जरूरत है और राष्ट्रीय राजमार्ग पर चुने हुए गलियारों को एक्सप्रैस में बदलने की जरूरत है । यह कठिन कार्य है इसके लिए भारी निवेश की और संगठनात्मक संसाधनों की जरूरत है । परन्तु बजट द्वारा आबंटन इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है ।
राष्ट्रीय हाइवे अधिनियम में राष्ट्रीय राजमार्गों को चुने क्षेत्र पर शुल्क लगाने के लिए संशोधन किया गया है । राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम का संशोधन निजी क्षेत्र के निर्माण करने की और निर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर फीस वसूलने की आज्ञा देता है ।
Essay # 4. सड़क यातायात विकास (Road Transport Development):
सड़कें सिन्धु घाटी की सभ्यता के काल से मौजूद हैं । दोनों हिन्दु और मुस्लिम शासनों ने देश में सड़कों के निर्माण के लिए ध्यान दिया । परन्तु मुख्य ध्यान पहले विश्व युद्ध के बंद होने के बाद सड़क यातायात को विकसित करने के लिए दिया गया । 1927 में, सड़क विकास कमेटी को डा. जयकर की अध्यक्षता के अधीन स्थापित किया गया ।
सड़कों के निर्माण में कार्य करने वाले इजीनियरों की बैठक को 1934 में किया गया जो सड़क निर्माण से संबंधित विभिन्न समस्याओं का महत्वपूर्ण आकलन करती । दुबारा 1943 में, मुख्य इंजीनियरों की बैठक केन्द्रीय सरकार के नियन्त्रण के अधीन नागपुर में बुलाई गई । इसका लक्ष्य देश में 31 हजार मील की सड़कों बनाना था ।
आठवीं योजना SRIUS (State Road Transport Undertakings) की बढ़ती उत्पादकता की जरूरत पर जोर दिया । सातवीं योजना में विभिन्न उपायों को अपनाया गया । ₨.264 करोड़ के व्यय को केन्द्रीय क्षेत्र में सड़क यातायात के लिए प्रस्तावित थे जबकि केन्द्रीय शासित और राज्य को ₨.3585.35 करोड़ प्राप्त हुए ।
नौवीं पंच वर्षीय योजना के दौरान, केन्द्रीय सड़क फंड को केन्द्रीय सड़क फंड अधिनियम 2000 के अधीन बनाया गया जो सड़क निर्माण के खर्चो के लिए धन देगा । इस योजना के अधीन, ₨.1 प्रति लीटर का अतिरिक्त आबकारी कर पैट्रोल पर सितम्बर 2, 1998 से लगाया गया है ।
मार्च 1999 से उच्च गति वाले डीजल पर ₨.1 प्रति लीटर था । ₨.6030 करोड़ की रकम CRF के अधीन 2002-03 के दौरान इकट्ठी होने की उम्मीद थी । इस योजना अवधि के दौरान, राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 23814 कि.मी. को बनाएगा । इस प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की कुल लम्बाई 58122 कि.मी. तक जाएगी जो नौवीं योजना अवधि के दौरान 34298 कि.मी. की तुलना में होगी । यह योजना देश में सड़क नेटवर्क के समन्वित और संतुलित विकास पर भी जोर देगी ।
दसवीं पंच वर्षीय योजना केन्द्रीय क्षेत्र की सड़कों के कार्यक्रम के लिए ₨.59490 करोड़ देगी । राज्य/केन्द्रीय शासित प्रदेशों की योजना में पुलों और सड़कों के लिए व्यय ₨.50321 करोड़ है ।
प्रधान मंत्री भारत जोड़ो योजना (Pradhan Mantri Bharat Jodo Yojana) (PM – BJP):
केन्द्र ने ‘प्रधान मंत्री भारत जोड़ो योजना’ के नाम के अधीन अन्य महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को प्रस्तुत किया । इसकी लागत ₨.40,000 करोड़ होगी । प्रस्ताव में सभी मुख्य शहरों को जोड़ना था जिन्हें NNDP द्वारा चार लाइन राजमार्ग द्वारा कवर नहीं किया गया था ।
प्रस्ताव में 10,000 कि.मी. की चार लाइन को बनाना शामिल है । यह प्रस्ताव BOT सिद्धांत पर लागू किया जाएगा जिस तहत ठेकेदार सड़क को बनाएगा और इसका रख-रखाव करेगा और टोल टैक्स से इसकी लागत वसूलेगा । सरकार आय में होने वाली कमियों को पूरी करने के लिए 20 से 25 प्रतिशत की ग्रांट देगी ।
अतिरिक्त बजट समर्थन को राष्ट्रीय राजमार्ग के सुधार के लिए अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों जैसे वर्ड बैंक, एशियन डिवैल्पमेंट बैंक और जापान के विदेशी आर्थिक निगमों से ऋण सहायता द्वारा प्राप्त किया गया । भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग संस्था को सक्रिय करने का निर्णय लिया जिसमें आजाद और स्वायत्त दर्जा होगा ।
राज्य सरकारों द्वारा पहले राजमार्ग प्रस्ताव का लगुकरण पहले से वर्ल्ड बैंक को विदेशी ऋणों की मात्रा को कम करने । $ 96 मिलियन की सहायता को देने पर केन्द्रित हो ।
राज्य क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी (Private Sector Participation in Road Sector):
भारत में सड़क नेटवर्क प्रणाली विभिन्न कमियों से जूझ रही है जैसे अपर्याप्त सड़क फुटपाथ की अपर्याप्त क्षमता, घटिया सवारी गुणवता, किनारे की सुविधाओं की कमी और कमजोर और तंग पुल और भीड़-भाड़ वाले शहर, कई सारी रेलवे क्रासिंग, कमजोर सडक सुरक्षा उपाय ।
राष्ट्रीय राजमार्गों के करीबन 20% को एक से दोहरी लाइनों में बदलने की जरूरत है और 70% को दो लाइन वाली सडकों को मजबूत होने की जरूरत है और राष्ट्रीय राजमार्गों पर चुने हुए गलियारों को एक्सप्रैसवे में बदलने की जरूरत है ।
परन्तु बजट द्वारा आबंटन इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है । राष्ट्रीय हाइवे अधिनियम में राष्ट्रीय राजमार्गों के चुने क्षेत्र पर शुल्क लगाने के लिए संशोधन किया गया है । राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम का संशोधन निजी क्षेत्र के निर्माण करने की और निर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर फीस वसूलने की आज्ञा देता है और BOT (Build Operate and Transfer) आधार पर सड़कों के संचालन और रख-रखाव को करता है ।
सड़क क्षेत्र की BOT स्कीम पर निजी क्षेत्र की भागीदारी (Private Sector Participation on BOT Scheme of Road Sector):
1995 में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के संशोधन के फलस्वरूप यह निजी क्षेत्र की भागीदार की अनुमति देने के लिए कुछ कदमों को उठाया जाता है जिसमें निजी क्षेत्र के वित्त पोषण के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोजेक्टों की पहचान की जा
सकी । थाने-भिवाड़ी बाइपास (महाराष्ट्र) और उदयपुर (राजस्थान) बाइपास के दो प्रस्तावों और पुल पर सड़क के एक और प्रोजेक्ट (गुजरात में चट्टान) जिसमें BOT के आधार पर पहले से ही ₨.42 करोड़ का निवेश किया जा चुका है ।
वैश्विक निविदाओं को पाँच और राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोजेक्टों के लिए आमत्रित किया गया है जिसका संबंध BOT आधार पर बाइपास और पुलों से होता है । भारत की राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सरकार के हिस्से पर वैश्विक निविदाओं को आमंत्रित करता है । इसमें नए संरेखन पर एक्सप्रैस वे बनाया जाएगा और निजी क्षेत्र की सहायता के साथ बनाने का प्रस्ताव है । बीच में, 22 पक्षकारों ने इस व्यवहार्य अध्ययनों को करने के लिए अपनी बोलियां भेजी ।
सड़क क्षेत्र के सुधार (Reforms of the Road Sector):
इसी बीच में, सरकार ने निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने के लिए सड़क क्षेत्र के सुधारों को करने के लिए कई उपाय किया गया है ।
जिसमें शामिल है:
(i) सभी राज्यों द्वारा पाठेकर की समाप्ति (सड़क कर) और समग्र पारगमन के समय को कम करने के लिए चुंगी और मुक्त बहाव वाले यातायात की सहायता ।
(ii) मोटर वाहन अधिनियम, 1988 का संशोधन नवम्बर, 1994 को किया गया जिसमें प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया और राज्य सरकार को मोटर वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस की आज्ञा देने के लिए ज्यादा शक्तियाँ दी गई ।
(iii) MRTP प्रावधान से राहत जिससे बड़ी फर्में हाईवे क्षेत्र से दाखिल हो सकें ।
(iv) सड़क क्षेत्र को उद्योग घोषित करना ताकि आसान शर्तों पर ऋण की सुविधा दी जा सके ।
(v) उपकरणों के निर्माण पर आबकारी शुल्कों को घटाना और इसकी प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करना ।
(vi) राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम का संशोधन जिससे सुरंगों, पुलों, राष्ट्रीय राजमार्गों पर फीस की उगाही की जा सके ।
सुधार विचार (Reforms Contemplated):
निम्न में सड़क क्षेत्र की निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए संस्था द्वारा कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं:
(a) निजी क्षेत्र की भागीदारी जिसमें विदेशी निवेशक शामिल होते हैं जो 30 वर्षों की अवधि के लिए BOT आधार पर एक्सप्रैस रास्तों को बनाना और राष्ट्रीय राजमार्गों को विकसित करते हैं ।
(b) यातायात साधारण रूप से उद्यमी द्वारा नियमित होता है परन्तु यह यातायात के मुक्त और अनायास बहाव को सुनिश्चित करता है, बिक्री कर, चुंगी, बैरियरों को एक्सप्रैस वेज पर स्थापित नहीं किया जाएगा और अधिकारियों द्वारा साधारण प्रतिबंधों को प्रवेश पर और केवल बाहर निकलने के समय लगाया जाएगा ।
(c) मूल सुविधाओं को राजमार्ग पर देना जिसमें रेस्त्रां, होटलों, ईंधन स्टेशनों, पार्किंग क्षेत्रों को हाइवे पर दिया जाता है और अन्य व्यावसायिक काम्पलेक्सों को प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता बढाने के लिए विकसित करने की आज्ञा दी जाती है ।
(d) भूमि अधिग्रहण और उपयोगिता को सरकार द्वारा हटाया जाता है ।
(e) सरकार किसी गारंटी का ऑफर नहीं देती और उद्यमी को प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता का निरीक्षण करने की उम्मीद होती है ।
हाल ही के वर्षों में, अतिरिक्त बजट समर्थन को राष्ट्रीय राजमार्गों के सुधार के लिए अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों से ऋण सहायता द्वारा प्राप्त किया जाता है । जैसे वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेल्पमेंट बैंक और जापान के विदेशी आर्थिक निगम ।
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्रोजेक्ट (National Highway Development Project):
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्रोजेक्ट को तीन साल पहले लाया गया था । NHDP 6000 कि.मी. के लम्बे सुनहरे चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) से बना है जो दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता के चार मीटरों का और 7000 कि.मी. लम्बे उत्तरी दक्षिणी, पूर्वी-पश्चिमी क्षेत्रों तक फैला है जो श्री नगर-कन्याकुमारी और सिलचर-पोरबंदर को जोड़ता है । 4/6 लेन सभी पर होगी परन्तु GQ के 700 कि.मी. दी जाएगी । GQ को 2003 तक पूरा होने की उम्मीद है और 2007 तक दो गलियारों के पूरा होने की उम्मीद है ।
वर्तमान में, भारत की राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अनुबंधों से संबंधित 135 सिविल कार्यों को करते हैं । जिसमें से, 87 घरेलू ठेकेदार है । 11 विदेशी ठेकेदार और 37 भारत और विदेशी कम्पनियों के बीच संयुक्त उपक्रमों के साथ है । इन ठेकों का कुल मूल्य लगभग ₨.20,000 करोड़ है । इसके नतीजतन, अर्थशास्त्र NHDP द्वारा प्रदान की प्रेरणा पर्याप्त है ।
NHAI के प्रोजेक्ट संबंधित खर्च हाल ही के वर्षों के दौरान नाटकीय रूप से उठाए गए हैं । 1996-97 में ₨.3 करोड से, NHAI 2000-01 में ₨.1405 करोड़ को खर्च करता है और यह 30 नवम्बर 2001 तक ₨.2439 करोड़ खर्च कर चुका था ।
NHAI अगले दो वर्षों के दौरान प्रत्येक साल ₨.10,000 करोड़ खर्च करने की सम्भावना है । आदमी के रोजगार के 200 मिलियन अकेले NHDP चरण I के नतीजे पैदा करने की उम्मीद है । इसके साथ, NHDP चरण को 10 मिलियन टन के सीमेंट और 1 मिलियन टन स्टील के लावा घरेलू रूप से निर्मित उपकरण से संबंधित सड़क की बड़ी मात्रा की जरूरत होगी ।
फडों के अतिरिक्त बजट आसन ₨. 4000-5000 की सीमा में होने की उम्मीद है । BOT प्रोजेक्ट जिनका मूल्य ₨.3000 करोड़ है को दिया गया । कुछ बडे BOT प्रोजेक्टों में से Tada-Nellore (₨.7600 करोड़), दूसरा विवेकानंद ब्रिज (₨.600 करोड़) और जयपुर-किशनगढ़ (₨.600 करोड़) है ।
NHAI संभव सीमा तक वित्तीय ढांचे के उतोलन और व्यवसायीकरण के लिए विशेष उद्देश्य वाले वाहनों को स्थापित करता है । इन प्रोजेक्टों में, जैसे बन्दरगाह जोड़ने वाले प्रोजेक्ट, Ahmedabad-Vadodara एक्सप्रैस और मुरादाबाद बाइपास, NHAI इक्विटी में होता है, जो प्रोजेक्ट लागत का 30-40% है । बकाये को टोल द्वारा बाजार से लिया जाता है ।
इन प्रोजेक्ट SPV से NHAI द्वारा प्राप्त लाभ लगभग ₨.2000 करोड़ के है । NHAI छ: प्रस्तावों में वार्षिकी विधि का भी प्रयोग करता है । (Rajalunundry-Dharmvaran, Bharamvaram-Tuni, Tuni-Ankaoalli, Tambarram-Tindivanam, Pahagarh Balsit and Maharashtra Border-Belgaum) ।
यहाँ निर्माण और रखरखाव को एकल अनुबंध के अधीन मिलाया गया और बोलियों को छूट के लिए NHAI द्वारा आवधिक या वार्षिक भुगतानों के आधार पर आमंत्रित किया गया । छुट द्वारा मुरम्मत के लिए फंड प्रबंधित किए गए और सभी NHAI भुगतानों को स्वतंत्र परामर्श द्वारा सड़क गुणवता प्रमाणपत्र पर बनाया जाएगा । NHAI, NHDP के पहले चरण के संचालन के लिए ADB और बर्ड बैंक से ₨.8000 करोड प्रबंधित करने योग्य हैं ।
सुनहरे चतुर्भुज प्रोजेक्ट अच्छी प्रगति कर रहे हैं । इसके अनुसार, 1020 कि.मी. को पहले से चार लाइनों वाला बनाया जा चुका है और 3761 कि.मी. लागूकरण के अधीन है । सिविल कार्यों का 1170 कि.मी. प्रगति में है । इसकी तरह उत्तरी-दक्षिणी और पूर्वी-पश्चिमी गलियारें, 675 कि.मी. की लम्बाई को पहले से चार लाइनों वाली है और बाकी 739 कि.मी. निर्माणाधीन है ।
जबकि 62 कि.मी. प्रगति में है । केन्द्रीय सड़क फंड का उधार द्वारा पुनरोत्थान किया जा चुका है । पैट्रोल और डीजल के ₨.1 प्रति लीटर के उपकर वैधानिक सुझाव को देते हैं, केन्द्रीय सड़क फंड अधिनियम 2000 को दिसम्बर 2006 में बनाया गया ₨.5590 करोड़ पुनर्रोंत्थान फंड स्कीम के तहत 2000-01 के दौरान आबंटित किए गए ।
NHDP का वित्त प्रेषण केन्द्रीय सड़क फंड से और बहु-वित्तपोषण एजेंसियों जैसे वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेल्पमेंट बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय निगम के लिए जापान बैंक, बाजार ऋण और निजी क्षेत्र के योगदान द्वारा प्राप्त किया जाता है । NHDP की 1990 कीमतों पर ₨.54,000 करोड़ की लागत है जिसमें ₨.30,300 करोड़ Golden Quadrilateral Project (NHDP Phase – I) पर खर्च किया जाएगा ।
प्रोजेक्ट का यह चरण Cess/Market Borrowings (55.6%); External Assistance (20%) द्वारा विधि जाएगी । NHAI SPVs (6.3%) और Annuity और Foil Charges (12%), Extra Budgetary Infusionary Funds बाजार उधार के रूप में NHDP चरण I के लिए ₨.13,800 करोड़ की उम्मीद है । GQ प्रोजेक्ट मेट्रो शहरों को जोड़कर स्थिर प्रगति को कर रही है । उत्तरी-दक्षिणी और पूर्वी-पश्चिमी गलियारों पर 817 कि.मी. की लम्बाई चार लाइनों वाली है और 671 कि.मी. लम्बाई निर्माणाधीन है ।
Improvement of Road Connectivity Left-Wing Extremism (LWE) – (Affected Areas):
सराकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के 1126 कि.मी. को विकसित करने और Left Wing Extremism में राज्य की सड़कों के 4351 कि.मी. को मंजूर किया जिसमें
विशेष प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 7,300 करोड़ के करीब है । 3,299 कि.मी. की लम्बाई को दिसम्बर 2014 तक पूरा किया गया और 4374 करोड़ के संचयी खर्च किए गए ।
Creation of a Corporation to Expedite Works in the North – (Eastern Region):
Nation Highways and Infrastructure Development Corporation Ltd. को बार्डर क्षेत्रों और उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में राजमार्गों के निकास को करने के लिए बनाया गया ।