Here is an essay on ‘Social Forestry’ for class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Social Forestry’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. सामाजिक वानिकी का अर्थ (Meaning of Social Forestry):
सामाजिक वानिकी, ग्रामीण एवं नगरीय समुदायों के हित में, प्राकृतिक वनों के क्षेत्रों के बाहर किसी सरकारी भूमि, ग्राम समाज किसान की निजी भूमि अथवा किसी अन्य क्षेत्र की भूमि पर वृक्षारोपण एवं वृक्ष उगाने को कहा जाता है ।
सामाजिक वानिकी को समुदाय वानिकी (Community Forestry) भी कहते हैं । गाँव में समुदाय वानिकी ग्राम समाज की भूमि पर लगाई जाती है । समुदायिक वानिकी को ‘लोगों की, लोगों के लिये, लोगों द्वारा’ के तौर पर परिभाषित किया गया है ।
वर्ष 1952 तथा 1988 की राष्ट्रीय वन नीति में सामाजिक वानिकी के महत्व पर बल दिया गया था । सामाजिक वानिकी से लोगों को ईधन हेतु लकड़ी, चारे और घास के अतिरिक्त बहुत-से अन्य एवं अप्रत्यक्ष लाभ हैं, जैसे-व्यष्टि-जलवायु, वर्षा का अधिक होना, मिट्टी संरक्षण, मिट्टी के अपरदन में कमी तथा पारिस्थितिकी तन्त्र को टिकाऊ अवस्था में बनाये रखना ।
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पारिस्थितिकी तन्त्र के साथ बहुत-से सामाजिक मूल्य जुड़े हुये है, जिनमें सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, औषधिय, पारिस्थितिकीय, आमोद-प्रमोद और सौन्दर्य बोध सम्मिलित हैं ।
यद्यपि सामाजिक वानिकी (Social Forestry) का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुँचाने के लिये किया जाता है, परन्तु इसकी देख-रेख सही तौर पर नहीं हो पाती और लगाये गये वृक्ष जल्द नष्ट हो जाते हैं इसलिये इसको ‘साझी त्रासदी’ (Tragedy of Commons) नाम भी दिया जाता है ।
Essay # 2. सामाजिक वानिकी के उद्देश्य (Objectives of Social Forestry):
सामाजिक वानिकी के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:
1. फसल प्रतिरूपों की उत्पादकता बढ़ाना मृदा संरक्षण करना जल संचय एवं उसका सदुपयोग करना ।
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2. लोगों के लिए ईधन हेतु लकड़ी, काष्ठ, बाँस तथा पशुओं के लिये चारागाह तैयार करना ।
3. वृक्षों की पत्तियों को गाय-भैंस एवं भेड़-बकरियों के लिये चारे के रूप में इस्तेमाल करना ।
4. वृक्षों की पत्तियों से तेल तथा पेड़ों से गोंद राल (Resins) आदि प्राप्त करना ।
5. पशुचरण से गोबर की खाद तैयार करना तथा उसका इस्तेमाल करके कृषि-भूमि उर्वरकता (Fertility) बढ़ाना ।
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6. ग्रामीण लोगों के लिये रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराना ।
7. कागज उद्योग के लिये कच्चा माल तथा लुगदी (Pulp) के लिये लकड़ी उपलब्ध कराना ।
8. कृषि उपकरणों के लिये लकड़ी उपलब्ध कराना ।
9. गाँव में कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देना ।
10. भूमि का उपयोग उसकी उत्पादक क्षमता के अनुसार इस्तेमाल करना ।
11. मृदा एवं जल संरक्षण करना ।
12. अनुसूचित जनजातियों के प्राकृतिक आवासों को सुरक्षा प्रदान करना ।
13. मनोरंजन की सुविधायें उपलब्ध कराना ।
14. सौन्दर्य बोध (Asthetics) के दृश्यों को संरक्षण प्रदान करना ।
15. टिकाऊ ग्रामीण विकास में सहायक होना ।
16. पारिस्थितिकी विविधता संरक्षण करते हुये कृषि को सुरक्षा प्रदान किया जाना ।
Essay # 3. सामाजिक वानिकी के संघटक (Components of Social Forestry):
सामाजिक वानिकी के निम्न संघटक हैं:
1. कृषि वानिकी अथवा सिल्वीकल्चर (Agro-Forestry or Silviculture):
बहुत-से किसान अपने खेतों की सीमाओं पर पेड़ लगाते हैं और कुछ किसान पूरे खेत में पेड़ों को फसलों के तौर पर उगाते हैं ।
2. विस्तार वानिकी (Extension Forestry):
परम्परागत प्राकृतिक वनों से दूर ऐसे बन्जर क्षेत्रों में पेड़ लगाना जहाँ वनस्पति नहीं है विस्तार वानिकी कहलाती है ।
3. मिश्रित वानिकी (Mixed Forestry):
मिश्रित वानिकी में खेत में वृक्षों के साथ-साथ आनाज अथवा चोर की फसलें उगाई जाती हैं । यह प्राय: ग्राम समाज की भूमि पर उगाई जाती है ।
4. आश्रय वानिकी (Shelter Belt):
प्राय: मरुस्थली अथवा अर्द्ध-मरुस्थली क्षेत्रों में मृदा अपरदन को रोकने के लिये शेल्टर बेल्ट (Shelter Belt) के रूप में वृक्षों को लगाया जाता है ।
5. रेखीय भू-पट्टी पर पौधारोपण (Linear Strip Plantation):
सडकों, रेलमार्गो, नहरों आदि के किनारे भूमि की रेखीय पट्टियों पर तेजी से बढ़ने वाले वृक्ष लगाये जाते हैं । इसे भी सामाजिक वानिकी कहते हैं ।
6. अवक्रमित वनों का पुनर्वनारोपण (Reforestation of Degraded Forests):
जिन वनों से भारी संख्या में वृक्षों को काट लिया गया है या जला दिया गया है ऐसे क्षेत्रों में मानव द्वारा वृक्षारोपण को अवक्रमित वनों का पुनर्वनारोपण कहते हैं ।
7. आमोद-प्रमोद वानिकी (Recreational Forestry):
इस प्रकार की सामाजिक वानिकी प्राय: उद्यानों तथा मनोरंजन स्थलों में लगाई जाती है । इस प्रकार की वानिकी को सौन्दर्य बोधात्मक वानिकी के रूप में भी जाना जाता है ।
सामाजिक वानिकी के लिये निम्न वृक्ष उपयुक्त माने जाते हैं:
गन्ध सफेदा अथवा यूकेलिप्ट्स (Eucalyptus), पॉपलर (Poplar), जामुन (Jamun), सिरस (Siras), शीशम (Sisham), इमली, बेर, सेन्जी इत्यादि ।