ठोस अपशिष्ट पर निबंध: मतलब और प्रभाव | Essay on Solid Waste: Meaning and Effects in Hindi.
ठोस अवशेष पर निबंध | Essay on Solid Waste
Essay Contents:
- ठोस अपशिष्ट का अर्थ (Meaning of Solid Waste)
- ठोस कचरे के प्रभाव (Effects of Solid Waste)
- ठोस अपशिष्ट की माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology of Solid Waste)
- ठोस कचरे के स्रोत, प्रकार तथा वर्गीकरण स्रोत (Types and Sources of Solid Waste)
- प्लास्टिक अपशिष्ट के उपचार (Treatment of Solid Waste)
- ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन (Management of Solid Waste)
Essay # 1. ठोस अपशिष्ट का अर्थ (Meaning of
Solid Waste):
ठोस अपशिष्ट में वे सभी चीशें सम्मिलित हैं जो कूडा-कचरा में फेंक दी जाती हैं । नगरपालिका के ठोस-अपशिष्ट में घरों, कार्यालयो, भडारों विद्यालयों आदि से रही में फेंकी गई सभी चीशें आती हैं जो नगरपालिका द्वारा इकट्टा की जाती हैं और उनका निपटान किया जाता है । नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट में आमतौर पर कागज खाद्य अपशिष्ट, काँच, धातु, रबड, चमडा, वस्त्रा आदि होते हैं । इनको जलाने से अपशिष्ट के आयतन में कमी आ जाती है ।
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लेकिन यह सामान्यतः पूरी तरह जलता नहीं है और खुले में इसे फेंकने से यह चूहों और मक्खियों के लिए प्रजनन स्थल का कार्य करता है । सैनिटरी लैंडफिल्स खुले स्थान में जलाकर ढेर लगाने के बदले अपनाया गया था । सैनिटरी लैंडफिल में अपशिष्ट को संहनन (कॉम्पैक्शन) के बाद गड्ढा या खाई में डाला जाता है और प्रतिदिन धूल-मिट्टी (डर्ट) से ढँक दिया जाता है ।
यदि आप किसी शहर या नगर में रहते हैं तो क्या आपको मालूम है कि सबसे नजदीकी लैंडफिल स्थल कही है ? वास्तव में लैंडफिल्स भी कोई अच्छा हल नहीं है क्योंकि खासकर महानगरों में कचरा (गार्बेज) इतना अधिक होने लगा है कि ये स्थल भी भर जाते है । इन लैंडफिल्स से रासायनों के भी रिसाव का खतरा है जिससे कि भौम जल संसाधन प्रदूषित हो जाते है । इन सब का एक मात्रा हल है कि पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति हम सभी को अधिक संवेदनशील होना चाहिए ।
हमारे द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
(क) जैव निम्नीकरण योग्य (बायोडिग्रेडेबल)
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(ख) पुनश्चक्रण योग्य और
(ग) जैव निम्नीकरण अयोग्य ।
यह महत्त्वपूर्ण है कि उत्पन्न सभी कचरे की छटाई की जाए । जिस कचरे का प्रयोग या पुनश्चक्रण किया जा सकता है उसे अलग किया जाए कचराबीन या गुदडिया (रैग पिकर) पुनश्चकण किए जाने वाले पदार्थों को अलग कर एक बडा काम करता है ।
जैव निम्नीकरणीय पदार्थों को जमीन में गहरे गड्ढे में रखा जा सकता है और प्राकृतिक रूप में अपघटन के लिए छोड दिया जाता है । इस के पश्चात् केवल अजैव निम्नीकरणीय निपटान के लिए बच जाता है । हमारा मुख्य लक्ष्य होना चाहिए कि कचरा कम उत्पन्न हो लेकिन इस के स्थान पर हम लोग अजैवनिम्नीकरणीय उत्पादों का प्रयोग अधिक करते जा रहे है । किसी अच्छी गुणवत्ता की खाद्य सामग्री का तैयार पैकेट, जैसे बिस्कुट का पैकेट उठाकर उसकी पैकिंग को देखें और क्या आप पैकिंग के कई रक्षात्मक तहों को देखते है ? उनमें से एक तह प्लास्टिक की होती है ।
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हम अपनी दैनिक प्रयोग में आने वाली चीजों, जैसे दूध और जल को भी पॉलीबैग में पैक करने लगे है । शहरों में फल और सब्जियाँ भी सुंदर पॉलीस्टेरीन और प्लास्टिक पैक में कर दी जा सकती हैं । हमें इनकी काफी कीमत चुकानी पडती है और हम करते क्या है ? पर्यावरण को काफी प्रदूषित करने में योगदान दे रहे हैं ।
पूरे देश में राज्य सरकारें प्रयास कर रही हैं कि प्लास्टिक का प्रयोग कम हो और इन के बदले पारि-हितैषी या मैत्री पैकिंग का प्रयोग हो । हम जब सामान खरीदने जाएँ तो कपडे का थैला या अन्य प्राकृतिक रेशे के बने केरी-बैग लेकर जाएँ और पॉलिथीन के बने थैले को लेने से मना करें ।
जीवन स्तर के उच्च मानकों के स्थापित होने से जनसंख्या में वृद्धि के साथ ही निकलने वाले ठोस अपशिष्ट की मात्रा में भी वृद्धि हुई है । ऐसा महसूस किया गया कि यदि इसी तरह कचरा बढता रहा तो एक दिन इसको नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा ।
इसलिए ठोस कचरा प्रबोधन ठोस कचरे के हानिकारक प्रभावों को कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होता है । ठोस कचरे को म्यूनिसिपल इंडस्ट्रियल कृषि, चिकित्सकीय, खनन तथा सीवेज कचरे में विभाजित किया जा सकता है ।
Essay # 2.
ठोस कचरे के प्रभाव (Effects of Solid Waste):
अनुचित निस्तारण की विधियों के कारण ठोस नगरीय अपशिष्ट रोड एवं रास्तों पर पडा रहता है । लोग अपने घरों की सफाई करके कचरे को खुले में छोड देते हैं, जो उनके साथ-साथ पूरे समुदाय को प्रभावित करता है ।
इस प्रकार से कार्यों से अनियंत्रित तथा अव्यवस्थित तरीके से कचरा अपघटित होता है एवं बदबू के साथ-साथ अनेक प्रकार के संक्रामक रोगाणुओं के प्रजनन का कारण बनता है । औद्योगिक कचरा अनेक जहरीले पदार्थ लिए होता है, जो भूमि के रासायनिक तथा जैविक गुणों में परिवर्तन करके बंजरपन को बढावा देता है । जहीरीले तत्व वर्षा जल के साथ भूमिगत जल को भी प्रदूषित करते हैं ।
Essay # 3. ठोस अपशिष्ट की माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology of Solid Waste):
ठोस कचरे के निस्तारण के जैविक प्रकार मृदा की माईकोबॉयलोजी पर निर्भर करता है । मृदा में कई प्रकार के सुक्ष्मजीव जैसे जीवाणु, पाद्युद, शैवाल, प्रोटोजोआ तथा विषाणु पाए जाते हैं । जीवाणु वायवीय तथा वैकल्पिक तीनों श्रेणियों में होते हैं ।
ठोस कचरे का अपघटन मुख्य रूप से वैकल्पिक जीवाणुओं द्वारा किया जाता है जो जैविक रसायनों को अवायवीय परिस्थितियों में घुलनशील जैविक अम्लों में परिवर्तित कर देते हैं । इसके पश्चात ये अम्ल पायवीय परिस्थितियों से CO2, H2O तथा मिथेन में बदल जाते हैं । मृदा में उपस्थित फफूँद ठोस कचरे को सेलुलोज तथा लिग्निन में स्थिर करती है ।
Essay # 4.
ठोस कचरे के स्रोत, प्रकार तथा वर्गीकरण स्रोत (Types and Sources of Solid Waste):
औद्योगिक कचरे को सामान्यतः दो श्रेणियों में बाटा जाता है:
(a) प्रक्रिया जनित तथा
(b) गैरप्रक्रिया जनित ।
गैर-प्रक्रिया जनित कचरा वह कचरा है जो पैकिंग तथा ऑफिस कचरे से समानता रखता है एवं घरेलु तथा वाणिज्यिक कचरे की श्रेणी में आता है, जबकि प्रक्रिया जनित कचरा वह कचरा होता है जो अधिक जटिल तथा किसी विशेष औद्योगिक प्रक्रिया से जुडा होता है तथा उनकी रचना उत्पाद के प्रकार पर निर्भर करती है । उदाहरण स्वरूप एक टायर कंपनी से रबर का कचरा उत्पादित होगा ।
ऐसा ठोस कचरा जो मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है निम्न श्रेणियों में बाटा जा सकता है:
(i) रेडियोधर्मी कचरा
(ii) जहरीले तत्व
(iii) जैविक उत्पाद
(iv) विस्फोटक पदार्थ
मोटे तौर पर कचरे के स्रोतों को 3 भागों में बांटा जा सकता है:
(a) शहरी कचरा, जिसमें म्युनिसिपल, घरेलू तथा औद्योगिक कचरा शामिल है ।
(b) खनन अपशिष्ट जो खनन तथा खनिज प्रसंस्करण से उत्सर्जित होता है ।
(c) कृषि जनित कचरा जो कृषि कार्य, पशुओं तथा फसलों से उत्सर्जित होता है ।
ठोस कचरा निस्तारण के प्रकार (Exhaustion Types of Solid Waste):
गुणों तथा मात्रा के आधार पर निम्नलिखित तरीकों से ठोस कचरे का निस्तारण किया जाता है:
(1) जैविक तरीके (Biological Method):
(I) भूमि भरण
(II) कम्पोस्टिंग।
(2) तापीय तरीके (Thermal Method):
(I) दहन
(II) उच्च दहन
Essay # 5.
प्लास्टिक अपशिष्ट के उपचार (Treatment of Solid Waste):
बंगलौर में प्लास्टिक की बोरी के उत्पादनकर्ता, 57 वर्षीय अहमद खान ने प्लास्टिक अपशिष्ट की सतत् बढती हुई समस्या का एक आदर्श हल ढूँढ लिया है । वह पिछले 20 वर्षों से प्लास्टिक की बोरियाँ बना रहा है । लगभग 8 वर्ष पहले उसने महसूस किया कि प्लास्टिक अपशिष्ट एक वास्तविक समस्या है । उसकी कंपनी ने पुनश्चक्रित परिवर्तित प्लास्टिक का पॉलिब्लेंड नामक एक महीन पाउडर तैयार किया ।
इस मिश्रण को बिटुमेन के साथ मिश्रित किया गया जिसका प्रयोग सडक बनाने में किया जाता है । अहमद खान ने आर. वी. इजीनियरिंग कॉलेज और बंगलौर सिटी कार्पोरेशन के सहयोग से बिटुमेन और पॉलिब्लेंड के सम्मिश्रण (ब्लैंड) का प्रयोग सडक बनाते समय किया तो पाया कि बिटुमेन का जल विकर्षक-(रिपेलेंट) गुण बढ गया और इस के कारण सडक की आयु तीन गुना अधिक हो गई ।
पॉलिब्लेंड बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किसी प्लास्टिक फिल्म अपशिष्ट का प्रयोग किया जाता है । प्लास्टिक अपशिष्ट के लिए कचरा-चुनने वालो को जहाँ 0.40 रुपए प्रति किलोग्राम मिलता था, अब खान से उन्हें 6 रुपए प्रति किलोग्राम मिलने लगा है ।
बंगलौर में खान की तकनीक का प्रयोग कर वर्ष 2002 तक लगभग 40 किलोमीटर सडक का निर्माण हो चुका है । वही पर अब खान को पॉलिब्लेंड तैयार करने के लिए जल्द ही प्लास्टिक अपशिष्ट की कमी पडने लगेगी ।
पॉलिब्लेंड की खोज के लिए आभार मानना चाहिए कि अब हम प्लास्टिक अवशिष्ट के दमघोंटू दुष्प्रभाव रो अपने को बचा सकते है । अस्पताल से खतरनाक अपशिष्ट निकलते हैं जिसमें विसंक्रामक डिसिंपेफक्टेंट और अन्य हानिकर रसायन तथा रोगजनक सूक्ष्म जीव भी होते हैं । इस प्रकार के अपशिष्ट की सावधानीपूर्वक उपचार और निपटान की आवश्यकता होती है । अस्पताल के अपशिष्ट के निपटान के लिए भस्मक (इंसिनॉरेटर) का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है ।
ई-वेस्ट्स:
ऐसे वंफप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक सामान जो मरम्मत के लायक नहीं रह जाते हैं इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-वेस्ट्स) कहलाते हैं । ई-अपशिष्ट को लैंडफिल्स में गाड दिया जाता है या जलाकर भरम कर दिया जाता है । विकसित देशों में उत्पादित ई-अपशिष्ट का आधे से अधिक भाग विकासशील देशों, खासकर चीन, भारत तथा पाकिस्तान में निर्यात किया जाता है जबकि ताँबा, लोहा, सिलिकॉन, निकल और स्वर्ण जैसे धातु पुनश्चक्रण (रीसाइक्लिंग) प्रक्रियाओं द्वारा प्राप्त किए जाते हैं ।
विकसित देशों में ई-अपशिष्ट के पुनश्चक्रण की सुविधाएँ तो उपलब्ध हैं लेकिन विकासशील देशों में यह कार्य प्रायः हाथ से किया जाता है । इस प्रकार इस कार्य से जुडे कर्मियों पर ई-अपशिष्ट में मौजूद विषैले पदार्थों का प्रभाव पडता है । ई-अपशिष्ट के उपचार का एक मात्रा हल पुनश्चक्रण है, यदि इसे पर्यावरण-अनुवूफल या हितैषी तरी के किया जाए ।
कृषि-रसायन और उन के प्रभाव:
हरित क्रांति के चलते फसल उत्पादन बढाने के लिए अजैव (अकार्बनिक) उर्वरक (इनआर्गेनिक फर्टिलाइजर) और पीडकनाशी का प्रयोग कई गुना बढ गया है और अब पीडकनाशी, शाकनाशी, कवकनाशी (पंफगीसाइड) आदि का प्रयोग काफी होने लगा है ।
ये सभी अलक्ष्य जीवों (नॉन-टारगेट आर्गेनिज्म), जो मृदा पारितंत्रा के महत्वपूर्ण घटक हैं, के लिए विषैले हैं । क्या आप सोच सकते हैं कि स्थानीय पारितंत्रा में उन्हें जैव आवर्धित (बायोमैग्निफाइड) किया जा सकता है ? हम जानते हैं कि कृत्रिम उर्वरकों की मात्रा को बढाते जाने से जलीय पारितंत्रा बनाम सुपोषण (युट्राफी केशन) पर क्या असर होगा । इसलिए कृषि वर्तमान समस्याएँ अत्यंत गंभीर है ।
रेडियो सक्रिय अपशिष्ट:
आरंभ में न्यूक्लीय ऊर्जा को विद्युत उत्पादन के मामले में गैर-प्रदूषक तरीका माना जाता था । बाद में यह पता चला कि न्यूक्लीय ऊर्जा के प्रयोग में दो सर्वाधिक खतरनाक अतर्निहित समस्याएँ हैं । पहली समस्या आकस्मिक रिसाव की है जैसा कि थी माइल आयलैंड और चेरनोबिल की घटनाओं में हुआ था । इसकी दूसरी समस्या रेडियोसक्रिय अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान की है ।
न्यूक्लीय अपशिष्ट से निकलने वाला विकिरण जीवों के लिए बेहद नुकसानदेह होता है क्योंकि इस के कारण अति उच्चदर से उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होते है । न्यूक्लीय अपशिष्ट विकिरण की ज्यादा मात्रा (डोज) घातक यानी जानलेवा (लीथल) होती है लेकिन कम मात्रा के कारण कई विकार होते हैं ।
इसका सबसे अधिक बार-बार होने वाला विकार वैफसर है । इसलिए न्यूक्लीय अपशिष्ट अत्यंत प्रभावकारी प्रदूषक है और इस के उपचार में अत्यधिक सावधानी की जरूरत है । यह सिफारिश की गई है कि परवर्ती भंडारण का कार्य उचित रूप में कवचित पात्रों में चट्टानों के नीचे लगभग 500 मीटर की गहराई में पृथ्वी में गाडकर करना चाहिए । यद्यपि, निपटान की इस विधि के बारे में भी लोगों का कडा विरोध है ।
Essay # 6. ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन (Management of Solid Waste):
अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 3”R” पर अधिक बल देते हैं:
(i) कम करना (Reduce)
(ii) पुन उपयोग (Reuse) तथा
(iii) री सायकल (Recycle)
(i) कच्चे माल के उपयोग में कमी करना (To Reduce Using Raw Material):
कच्चे माल में कमी करने से ठोस कचरे के उत्पादन को कम किया जा सकता है । उदाहरण स्वरूप किसी धात्विक उत्पाद की मांग को कम करके धातु के खनन द्वारा उत्पादित तथा प्रक्रिया जनित कचरे को कम किया जा सकता है ।
(ii) उत्पादों को पुन: उपयोग (To Reuse Products):
कई प्रकार के उत्पादों का पुन उपयोग करके उनसे निकलने वाले कचरे को कम किया जा सकता है । उदाहरण स्वरूप उपयोग के बाद निकले साईकिल ट्यूब का उपयोग समाचार-पत्र, वेडरों द्वारा किया जा सकता है, जिससे रबर बैंड के उत्पादन के दौरान निकले अपशिष्ट को कम किया जा सकता है ।
(iii) उत्पादों की रिसाव्यक लिंक (To Recycle the Products):
उत्पादों को पुन प्रक्रिया में गुजारकर उनसे नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं ।
यह दो प्रकार से होता है:
(a) पुराने उत्पादों का निर्माण- उदाहरण स्वरूप पुराने एल्युमिनियम केन तथा काँच की बोतलों को जलाकर पुन: नई बनाई जा सकती है ।
(b) नए उत्पादों का निर्माण- स्टील केन के द्वारा ऑटोमोबाईल तथा निर्माण सामग्री बनाई जा सकती है ।
इस प्रकार Reduce, Reuse तथा रिसायकल से पैसे, ऊर्जा, माल, जमीन के साथ-साथ प्रदूषण से बचा सकता है ।