उष्णकटिबंधीय चक्रवात पर निबंध | Essay on Tropical Cyclone in Hindi.
Essay on Tropical Cyclone
Essay Contents:
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का अर्थ और विशेषताएं (Meaning and Characteristics of Tropical Cyclone)
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति (Origin of Tropical Cyclone)
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग (Tracks of Tropical Cyclone)
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की संरचना (Structure of Tropical Cyclone)
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का समाज पर प्रभाव (Social Relevance of Tropical Cyclone)
Essay # 1. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का अर्थ और विशेषताएं (Meaning and Characteristics of Tropical Cyclone):
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात विषुवत रेखा से 80 द. से 250 उ. के मध्य में उत्पन्न होते है तथा इन्हीं अक्षांशों में इनकी उत्पत्ति दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है । ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में पवन की गति 39 से 73 किलोमीटर होती है । इन कटिबंधीय चक्रवातों को विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है ।
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ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएं (Characteristics of Tropical Cyclone):
(a) सम भार रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं ।
(b) इनका व्यास 150 किलोमीटर से लेकर 500 किलोमीटर तक हो सकता है ।
(c) चक्रवात के मध्य भाग को चक्रवात की आँख कहते हैं ।
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(d) इनकी उत्पत्ति सागर के गर्म जल पर होती है ।
(e) ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात को ऊर्जा जल वाष्प एवं निहित ऊष्मा से प्राप्त होती है ।
(f) इनकी उत्पत्ति उत्तरी गोलार्द्ध पतझड ऋतु अर्थात् सितंबर-अक्तूबर में होती है ।
(g) इनसे मूसलाधार वर्षा होती है और प्रायः बाढ का कारण बनती है ।
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(h) इनको विनाशकारी माना जाता है जिससे जान-माल की भारी हानि होती है ।
Essay # 2.
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति (Origin of Tropical Cyclone):
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के बारे में अभी तक पूर्ण ज्ञान नहीं है । इनकी उत्पत्ति शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से भिन्न होती है । ऊष्ण कटिबंध में सागरों पर वायु का तापमान, सापेक्षिक आर्द्रता लगभग समान होती है ।
गर्म सागरों पर वाष्पीकरण की प्रक्रिया से वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा निरंतर बड़ी रहती है । गर्म सागरों पर निहित ऊर्जा एवं केरोलिस बल के कारण इनकी उत्पत्ति मानी जाती है ।
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति 8० से 25० अक्षांशों के से सागरीय क्षेत्रों में होती हैं इन अक्षांशों में गर्म वायु में सापेक्षिक आर्द्रता बढ़ी रहती है । ऊष्ण कटिबँध के चक्रवातों की उत्पत्ति एक लघु भार को गति देने में किरोलिस बल की भी एक मुख्य भूमिका है ।
ऊष्ण कटिबंध में विषुवत रेखा की ओर चलने वाली व्यापारिक पवनों का तापमान ऊँचा परंतु यह पवनें छिछली होती हैं जिसके ऊपर ऊष्ण शुष्क पवन अवतल पवन पाई जाती है । सागरों से ऊपर की ओर उठती पवनों से लघु कम वायु भार की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो अंततः एक चक्रवात का रूप धारण कर लेता है ।
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये निम्न परिस्थितियों की आवश्यकता होती है:
1. वाष्पीकरण के द्वारा ऊष्ण आर्द्र पवन के द्वारा वायुमंडल में निहित ऊर्जा प्रवेश ।
2. सार्थक किरोलिस बल प्रभाव ।
3. ट्रोपिकल सागर पर लघु वायुभार का विकसित होना ।
4. सागर स्तर से लगभग 9000 से लेकर 15000 मीटर की ऊँचाई पर प्रति चक्रवात की परिस्थिति का उत्पन्न होना ।
5. सागर स्तर पर मंद लंबवत् पवन का चलना ।
6. इंटर ट्रोपिकल कंवर्जेस जोन के सागरों में छोटे भंवर की उत्पत्ति होना ।
उत्पत्ति के पश्चात् ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात मद गति से उत्तरी गोलार्द्ध में पूर्व से पश्चिम की ओर निचले अक्षांशों में प्रवाहित होती है । समय बीतने पर इसकी गति बढ़ती जाती है और किरोलिस बल प्रभाव के कारण अपने दाहिने हाथ की ओर मुड़ जाती है तथा धीरे-धीरे सबट्रोपिकल एवं शीतोष्ण कटिबंध की ओर बढ़ने लगते हैं ।
जब तक ये चक्रवात महासागर या सागर पर रहते हैं, इनकी गति में तीव्रता आती जाती है । संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन तथा जापान में ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात, शीतोष्ण कटिबंधीय प्रदेशों तक प्रवेश कर जाते हैं । इसका मुख्य कारण खाड़ी की धारा तथा कियुरो-शिवों गर्म पानी की जलधाराएँ है, जिनसे वाष्पीकरण के द्वारा वायुमंडल में वाष्प एवं निहित ऊर्जा बनी रहती है ।
उत्तरी अरब महासागर में लेबरोडोर ठंडे पानी की धारा तथा उत्तरी प्रशांत महासागर ओया-सिवा के संपर्क में आने के कारण ये चक्रवात समाप्त हो जाते हैं । यदि चक्रवात थल की और बढ़ रहा है तो थल के संपर्क में आने पर घर्षण बल के कारण तथा वेग की कमी के कारण शीघ्र विलीन हो जाते हैं ।
Essay # 3.
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग (Tracks of Tropical Cyclone):
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति महासागरों के पश्चिमी भाग में होती है । उनकी उत्पत्ति 8०N तथा 25० उत्तरी गोलार्द्ध में तथा इन्हीं अक्षांशों में दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है ।
विषुवत रेखा पर इनकी उत्पत्ति होती है क्योंकि विषुवत रेखा के आस-पास केरोलिस फोर्स नाममात्र को होता है । केरोलिस बल के बिना इनकी उत्पत्ति नहीं होती । प्रतिवर्ष विश्व में लगभग 20 ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं ।
विश्व में निम्न सागरीय प्रदेशों में इन चक्रवातों की उत्पत्ति होती है:
1. कैरिबियन सागर तथा मैक्सिको की खाडी ।
2. प्रशांत महासागर का मैक्सिको देश के पश्चिम का भाग ।
3. पश्चिमी प्रशांत महासागर का फिलीपाइन एवं चीन सागर ।
4. उत्तरी महासागर के बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर के क्षेत्र ।
5. दक्षिणी हिंद महासागर में मेडागास्कर के पूर्वी सागरीय क्षेत्र ।
6. दक्षिणी प्रशांत महासागर का मध्य एवं पश्चिमी भाग ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति दक्षिणी अंध महासागर में नहीं होती है । इसका मुख्य कारण है कि विषुवत रेखीय अभिसारी पेटी का प्रस्थान दक्षिणी अंध महासागर में 50 अक्षांश से अधिक दूरी तक नहीं होता, केवल विषुवत रेखा के आस-पास ही रहता है । विषुवत रेखा के आस-पास किरोलिस बल नाम मात्र होता है जिसके बिना चक्रवात की उत्पत्ति नहीं होती ।
Essay # 4.
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की संरचना (Structure of Tropical Cyclone):
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात के केंद्रीय भाग में वायु भार सबसे कम होता है । चक्रवात के इस भाग को चक्रवात की आँख कहते हैं । चक्रवात की नेत्र का व्यास 20 से 40 किलोमीटर तक होता है । चक्रवात के केंद्रीय भाग में मामूली तथा परिवर्तित गति की हवा चलती है या शांत वातावरण रहता है । इस भाग अर्थात् चक्रवात के केंद्र में बादल नहीं पाये जाते नीला आकाश चक्रवात के केंद्र में देखा जा सकता है । चक्रवात के केंद्रीय भाग में तापमान भी अधिक होता है ।
सागर स्तर से लगभग 12 किलोमीटर ऊँचाई तक काले-घने बादल छाये रहते हैं । इन घने बादलों में काले रंग के बैंड पाये जाते है, जिनकी दिशा में निरंतर परिवर्तन होता रहता है । काले घने बादलों से मूसलाधार वर्षा होती है । चक्रवात के आगे बढ़ने पर तूफानी हवाओं की गति में कमी आने लगती और केंद्र में वायुमंडल शांत रहता है । वर्षा की तीव्रता भी कम होती जाती है ।
Essay # 5.
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का समाज पर प्रभाव (Social Relevance of Tropical Cyclone):
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात पृथ्वी पर ऊर्जा तथा आर्द्रता तंत्र का जबरदस्त प्रकटीकरण है । ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात, ट्रोपिकल वायु-राशियों में उत्पन्न होते हैं । ट्रोपिकल चक्रवातों का मानव समाज पर भारी प्रभाव पड़ता है ।
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः प्रबल, प्रचंड एवं हिंसापूर्ण होती है । इनसे सागरीय तट जलमग्न हो जाते हैं, सागर में ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं । सामान्यतः इनसे भारी बरबादी होती है । विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु से आने वाली आपदाओं में ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से सबसे अधिक विनाश होता है । इनसे तबाही के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार हैं-
बांग्लादेश में वर्ष 1970 के 13 नवंबर को आने वाले साइक्लोन की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटे थी । तेज वायु गति के कारण सागर में 12 मीटर ऊँची लहरे उठीं जो पदमा नदी के रास्ते में रोधक बनी, जिससे भारी बाढ़ आई बहुत-से लोगों की मौत हो गई ।
वर्ष 1991 के चक्रवात में लगभग 200,000 लोगों की जानें गई थी । वर्ष 1997 के चक्रवात में भी लगभग दो लाख आदमी मारे गये थे । 12 अक्टूबर 2014 को आये हुदहुद चक्रवात में विशाखापट्टन, श्रीकाकुलम (आन्ध्र प्रदेश), गोपालपुर, गंजम जिला (ओडिशा) में भीष्ण क्षति हुई ।
वर्ष 2005 के अगस्त के हरिकेन में जिसको केटरिना के नाम से जाना जाता है, दो हजार लोगों की जान गई थी । वर्ष 2005 के रीटा हरिकेन में हयुस्टन नगर तथा न्यूआलियंस नगर जल मग्न हो गये थे ।
वर्ष 2012 के 29 अक्तूबर को आने वाला सेंडी हरिकेन एक महातूफान था । इस चक्रवात का व्यास 1517 किलोमीटर था । उत्तर की ओर बढ़ते हुए यह महा-हरिकेन, ध्रुवीय जेट-स्ट्रीम से जा मिला जिससे इसकी तीव्रता में और भी वृद्धि हो गई । यह तूफान पूर्णिमा के समय आया था जब सागर में ऊँची 2 दीर्घ ज्वार-भाट की लहरे उठ रही थी ।
इसके प्रभावित राज्यों में संयुक्त राज्य के वाशिंगटन डी॰ सी॰, पेंसल्वीनिया, न्यूजर्सी, न्यूयॉर्क, न्यू-इंग्लैंड, मेन तथा रोहड तथा कनाडा के उत्तरी पूर्वी राज्य शामिल थे । इस चक्रवात के कारण लगभग चालीस लाख लोगों को कई दिन तक बिजली तंत्र अस्त-व्यस्त होने के कारण अँधेरे में रहना पड़ा था । न्यूयॉर्क नगर में भी जल भर गया था ।
विनाशकारी और भारी तबाही के बावजूद ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से मानव समाज को निम्न लाभ होते हैं:
1. भारी वर्षा के कारण जलाशय, पोखर, तालाब, एवं झीलों में पानी भर जाता है ।
2. सूखे खेतों की मिट्टी में नमी बढ जाती है ।
3. भूमिगत जल स्तर में वृद्धि होती है ।
4. जल चक्र में सहायता मिलती है तथा जल-बजट में संतुलन स्थापित करने में सहायता मिलती है ।