उष्णकटिबंधीय चक्रवात पर निबंध | Essay on Tropical Cyclone in Hindi.

Essay on Tropical Cyclone


Essay Contents:

  1. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का अर्थ और विशेषताएं (Meaning and Characteristics of Tropical Cyclone)
  2. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति (Origin of Tropical Cyclone)
  3. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग (Tracks of Tropical Cyclone)
  4. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की संरचना (Structure of Tropical Cyclone)
  5. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का समाज पर प्रभाव (Social Relevance of Tropical Cyclone)

Essay # 1. ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का अर्थ और विशेषताएं (Meaning and Characteristics of Tropical Cyclone):

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात विषुवत रेखा से 80 द. से 250 उ. के मध्य में उत्पन्न होते है तथा इन्हीं अक्षांशों में इनकी उत्पत्ति दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है । ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में पवन की गति 39 से 73 किलोमीटर होती है । इन कटिबंधीय चक्रवातों को विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है ।

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ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएं (Characteristics of Tropical Cyclone):

(a) सम भार रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं ।

(b) इनका व्यास 150 किलोमीटर से लेकर 500 किलोमीटर तक हो सकता है ।

(c) चक्रवात के मध्य भाग को चक्रवात की आँख कहते हैं ।

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(d) इनकी उत्पत्ति सागर के गर्म जल पर होती है ।

(e) ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात को ऊर्जा जल वाष्प एवं निहित ऊष्मा से प्राप्त होती है ।

(f) इनकी उत्पत्ति उत्तरी गोलार्द्ध पतझड ऋतु अर्थात् सितंबर-अक्तूबर में होती है ।

(g) इनसे मूसलाधार वर्षा होती है और प्रायः बाढ का कारण बनती है ।

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(h) इनको विनाशकारी माना जाता है जिससे जान-माल की भारी हानि होती है ।


Essay # 2.

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति (Origin of Tropical Cyclone):

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के बारे में अभी तक पूर्ण ज्ञान नहीं है । इनकी उत्पत्ति शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से भिन्न होती है । ऊष्ण कटिबंध में सागरों पर वायु का तापमान, सापेक्षिक आर्द्रता लगभग समान होती है ।

गर्म सागरों पर वाष्पीकरण की प्रक्रिया से वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा निरंतर बड़ी रहती है । गर्म सागरों पर निहित ऊर्जा एवं केरोलिस बल के कारण इनकी उत्पत्ति मानी जाती है ।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति 8 से 25 अक्षांशों के से सागरीय क्षेत्रों में होती हैं इन अक्षांशों में गर्म वायु में सापेक्षिक आर्द्रता बढ़ी रहती है । ऊष्ण कटिबँध के चक्रवातों की उत्पत्ति एक लघु भार को गति देने में किरोलिस बल की भी एक मुख्य भूमिका है ।

ऊष्ण कटिबंध में विषुवत रेखा की ओर चलने वाली व्यापारिक पवनों का तापमान ऊँचा परंतु यह पवनें छिछली होती हैं जिसके ऊपर ऊष्ण शुष्क पवन अवतल पवन पाई जाती है । सागरों से ऊपर की ओर उठती पवनों से लघु कम वायु भार की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो अंततः एक चक्रवात का रूप धारण कर लेता है ।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये निम्न परिस्थितियों की आवश्यकता होती है:

1. वाष्पीकरण के द्वारा ऊष्ण आर्द्र पवन के द्वारा वायुमंडल में निहित ऊर्जा प्रवेश ।

2. सार्थक किरोलिस बल प्रभाव ।

3. ट्रोपिकल सागर पर लघु वायुभार का विकसित होना ।

4. सागर स्तर से लगभग 9000 से लेकर 15000 मीटर की ऊँचाई पर प्रति चक्रवात की परिस्थिति का उत्पन्न होना ।

5. सागर स्तर पर मंद लंबवत् पवन का चलना ।

6. इंटर ट्रोपिकल कंवर्जेस जोन के सागरों में छोटे भंवर की उत्पत्ति होना ।

उत्पत्ति के पश्चात् ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात मद गति से उत्तरी गोलार्द्ध में पूर्व से पश्चिम की ओर निचले अक्षांशों में प्रवाहित होती है । समय बीतने पर इसकी गति बढ़ती जाती है और किरोलिस बल प्रभाव के कारण अपने दाहिने हाथ की ओर मुड़ जाती है तथा धीरे-धीरे सबट्रोपिकल एवं शीतोष्ण कटिबंध की ओर बढ़ने लगते हैं ।

जब तक ये चक्रवात महासागर या सागर पर रहते हैं, इनकी गति में तीव्रता आती जाती है । संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन तथा जापान में ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात, शीतोष्ण कटिबंधीय प्रदेशों तक प्रवेश कर जाते हैं । इसका मुख्य कारण खाड़ी की धारा तथा कियुरो-शिवों गर्म पानी की जलधाराएँ है, जिनसे वाष्पीकरण के द्वारा वायुमंडल में वाष्प एवं निहित ऊर्जा बनी रहती है ।

उत्तरी अरब महासागर में लेबरोडोर ठंडे पानी की धारा तथा उत्तरी प्रशांत महासागर ओया-सिवा के संपर्क में आने के कारण ये चक्रवात समाप्त हो जाते हैं । यदि चक्रवात थल की और बढ़ रहा है तो थल के संपर्क में आने पर घर्षण बल के कारण तथा वेग की कमी के कारण शीघ्र विलीन हो जाते हैं ।


Essay # 3.

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग (Tracks of Tropical Cyclone):

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति महासागरों के पश्चिमी भाग में होती है । उनकी उत्पत्ति 8N तथा 25 उत्तरी गोलार्द्ध में तथा इन्हीं अक्षांशों में दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है ।

विषुवत रेखा पर इनकी उत्पत्ति होती है क्योंकि विषुवत रेखा के आस-पास केरोलिस फोर्स नाममात्र को होता है । केरोलिस बल के बिना इनकी उत्पत्ति नहीं होती । प्रतिवर्ष विश्व में लगभग 20 ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं ।

विश्व में निम्न सागरीय प्रदेशों में इन चक्रवातों की उत्पत्ति होती है:

1. कैरिबियन सागर तथा मैक्सिको की खाडी ।

2. प्रशांत महासागर का मैक्सिको देश के पश्चिम का भाग ।

3. पश्चिमी प्रशांत महासागर का फिलीपाइन एवं चीन सागर ।

4. उत्तरी महासागर के बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर के क्षेत्र ।

5. दक्षिणी हिंद महासागर में मेडागास्कर के पूर्वी सागरीय क्षेत्र ।

6. दक्षिणी प्रशांत महासागर का मध्य एवं पश्चिमी भाग ।

महत्वपूर्ण बात यह है कि ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति दक्षिणी अंध महासागर में नहीं होती है । इसका मुख्य कारण है कि विषुवत रेखीय अभिसारी पेटी का प्रस्थान दक्षिणी अंध महासागर में 50 अक्षांश से अधिक दूरी तक नहीं होता, केवल विषुवत रेखा के आस-पास ही रहता है । विषुवत रेखा के आस-पास किरोलिस बल नाम मात्र होता है जिसके बिना चक्रवात की उत्पत्ति नहीं होती ।


Essay # 4.

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात की संरचना (Structure of Tropical Cyclone):

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात के केंद्रीय भाग में वायु भार सबसे कम होता है । चक्रवात के इस भाग को चक्रवात की आँख कहते हैं । चक्रवात की नेत्र का व्यास 20 से 40 किलोमीटर तक होता है । चक्रवात के केंद्रीय भाग में मामूली तथा परिवर्तित गति की हवा चलती है या शांत वातावरण रहता है । इस भाग अर्थात् चक्रवात के केंद्र में बादल नहीं पाये जाते नीला आकाश चक्रवात के केंद्र में देखा जा सकता है । चक्रवात के केंद्रीय भाग में तापमान भी अधिक होता है ।

सागर स्तर से लगभग 12 किलोमीटर ऊँचाई तक काले-घने बादल छाये रहते हैं । इन घने बादलों में काले रंग के बैंड पाये जाते है, जिनकी दिशा में निरंतर परिवर्तन होता रहता है । काले घने बादलों से मूसलाधार वर्षा होती है । चक्रवात के आगे बढ़ने पर तूफानी हवाओं की गति में कमी आने लगती और केंद्र में वायुमंडल शांत रहता है । वर्षा की तीव्रता भी कम होती जाती है ।


Essay # 5.

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का समाज पर प्रभाव (Social Relevance of Tropical Cyclone):

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात पृथ्वी पर ऊर्जा तथा आर्द्रता तंत्र का जबरदस्त प्रकटीकरण है । ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात, ट्रोपिकल वायु-राशियों में उत्पन्न होते हैं । ट्रोपिकल चक्रवातों का मानव समाज पर भारी प्रभाव पड़ता है ।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः प्रबल, प्रचंड एवं हिंसापूर्ण होती है । इनसे सागरीय तट जलमग्न हो जाते हैं, सागर में ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं । सामान्यतः इनसे भारी बरबादी होती है । विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु से आने वाली आपदाओं में ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से सबसे अधिक विनाश होता है । इनसे तबाही के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार हैं-

बांग्लादेश में वर्ष 1970 के 13 नवंबर को आने वाले साइक्लोन की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटे थी । तेज वायु गति के कारण सागर में 12 मीटर ऊँची लहरे उठीं जो पदमा नदी के रास्ते में रोधक बनी, जिससे भारी बाढ़ आई बहुत-से लोगों की मौत हो गई ।

वर्ष 1991 के चक्रवात में लगभग 200,000 लोगों की जानें गई थी । वर्ष 1997 के चक्रवात में भी लगभग दो लाख आदमी मारे गये थे । 12 अक्टूबर 2014 को आये हुदहुद चक्रवात में विशाखापट्‌टन, श्रीकाकुलम (आन्ध्र प्रदेश), गोपालपुर, गंजम जिला (ओडिशा) में भीष्ण क्षति हुई ।

वर्ष 2005 के अगस्त के हरिकेन में जिसको केटरिना के नाम से जाना जाता है, दो हजार लोगों की जान गई थी । वर्ष 2005 के रीटा हरिकेन में हयुस्टन नगर तथा न्यूआलियंस नगर जल मग्न हो गये थे ।

वर्ष 2012 के 29 अक्तूबर को आने वाला सेंडी हरिकेन एक महातूफान था । इस चक्रवात का व्यास 1517 किलोमीटर था । उत्तर की ओर बढ़ते हुए यह महा-हरिकेन, ध्रुवीय जेट-स्ट्रीम से जा मिला जिससे इसकी तीव्रता में और भी वृद्धि हो गई । यह तूफान पूर्णिमा के समय आया था जब सागर में ऊँची 2 दीर्घ ज्वार-भाट की लहरे उठ रही थी ।

इसके प्रभावित राज्यों में संयुक्त राज्य के वाशिंगटन डी॰ सी॰, पेंसल्वीनिया, न्यूजर्सी, न्यूयॉर्क, न्यू-इंग्लैंड, मेन तथा रोहड तथा कनाडा के उत्तरी पूर्वी राज्य शामिल थे । इस चक्रवात के कारण लगभग चालीस लाख लोगों को कई दिन तक बिजली तंत्र अस्त-व्यस्त होने के कारण अँधेरे में रहना पड़ा था । न्यूयॉर्क नगर में भी जल भर गया था ।

विनाशकारी और भारी तबाही के बावजूद ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से मानव समाज को निम्न लाभ होते हैं:

1. भारी वर्षा के कारण जलाशय, पोखर, तालाब, एवं झीलों में पानी भर जाता है ।

2. सूखे खेतों की मिट्टी में नमी बढ जाती है ।

3. भूमिगत जल स्तर में वृद्धि होती है ।

4. जल चक्र में सहायता मिलती है तथा जल-बजट में संतुलन स्थापित करने में सहायता मिलती है ।


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