उडन तश्तरी (यूएफओ) पर निबंध! Here is an essay on ‘UFO’ in Hindi language.
”एलियंस’ का हमसे मिलना हमारे लिए अच्छा न हो सकेगा, जैसे कोलम्बस का अमेरिका की भूमि पर उतरना वहाँ के मूल निवासियों के लिए अच्छा न था ।” यह बात विश्व विख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कही है ।
एलियस और उडन तश्तरी को लेकर सिर्फ आम लोगों में नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों में भी विस्मय और रहस्य बना हुआ है । इनके रहस्य का भेद पाने के लिए विश्वभर के वैज्ञानिकों द्वारा इन पर निरन्तर शोध किए जा रहे हैं ।
अब तक विश्व के कई हिस्सों में उड़न तश्तरियों के देखे जाने कीं चर्चा की गई है, किन्तु कुछ लोगों ने उन घटनाओं को सही माना, तो कुछ ने उन्हें मात्र कल्पना कहा । इनको लेकर विश्व के वैज्ञानिक भी दो वर्गों में बंटे हैं ।
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एक वर्ग का मानना है कि पृथ्वी से परे ग्रहों पर अधिक बुद्धिमान परग्रही जीव है, जो अत्याधुनिक अन्तरिक्षयान में संघार होकर दूसरे ग्रहों की सैर करते है, तो दूसरा इसे कोरी बकवास मानता है । वास्तव में, इनके अस्तित्व को लेकर अब तक प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है ।
उड़न तश्तरी का अंग्रेजी पर्याय अनआइडेण्टिफायड फ्लाईंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) है । यह अति बुद्धिमान परग्रही जीव अर्थात् एलियन द्वारा निर्मित तश्तरी या डिस्कनुमा अत्याधुनिक तकनीक सम्पन्न ऐसी चीज है, जिसका उपयोग अन्तरिक्षयान के रूप में किया जाता है ।
यह अब तक जाँच का विषय बना हुआ है और वैज्ञानिकों के लिए एक अनसुलझा रहस्य है । विश्व के कई देशों में अक्सर इनके देखे जाने की बात होती है और तब एक बार फिर से पृथ्वी से इतर ग्रहों पर जीवन के होने कीं बहस छिड जाती है । संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, कनाडा, चीन आदि देशों सहित भारत में भी इनके देखे जाने की पुष्टि की गई है ।
कई बार तो लोगों ने उडन तश्तरी सहित एलियन को धरती पर भी देखे जाने की बात कही है । मई, 2014 में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने, जिनमें कैलिफोर्निया स्थित एसईटीआई (SETI) संस्थान के वरिष्ठ खगोलविद सेथ शोस्ताक भी शामिल है, पृथ्वी से परे आधा दर्जन स्थानों पर जीवन होने की सम्भावना व्यक्त की है जिसकी खोज में अभी दो दशक का समय लग सकता है ।
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पृथ्वी से बाहर सौर प्रणाली में जीवन की सम्भावना तलाशे जाने वाले ऐसे अधिकतम प्रयासी का केन्द्र मंगल और चन्द्रमा है । दिसम्बर, 2012 में ब्रिटेन के रक्षा मन्त्रालय के यूएफओ परियोजना के पूर्व प्रमुख निक पोप ने कहा था कि दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो दूरबीन ‘स्क्चायर किलोमीटर एरे’ (एसकेए) के वर्ष 2016 में कार्य शुरू करने के साथ ही 100 प्रकाशवर्ष दूर तक की सभ्यताओं का पता लगाया जा सकेगा ।
उनके अनुसार, हमारी धरती वर्ष 2024 तक एलियन के सम्पर्क में आ सकती है । रूसी अन्तरिक्ष संस्थान के निदेशक एवं प्रसिद्ध अन्तरिक्ष वैज्ञानिक एण्डी फिकेलस्तीन के अनुसार, आकाशगंगा में हमारे सौरमण्डल के समान और भी कई सौरमण्डल हैं, जिनके अपने सूर्य हैं ।
यदि उनके ग्रहों पर पानी हो, तो बही जीवन होने की पूरी-पूरी सम्भावना है । उनका कहना है कि बाहरी ग्रहों पर भी मानव की तरह एक सिर और दो हाथ-पैर वाले प्राणी हैं, जो वर्ष 2031 तक पृथ्वी पर धावा बोल सकते हैं ।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक ब्रॉयन पी श्मिट ने बीजिंग में हुए अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के वे महासम्मेलन में कहा था- ”मैं समझता हूँ कि एलियस को यह बताना बुद्धिमानी नहीं है कि हम कहाँ रह रहे हैं, क्योंकि उनके साथ इंसानों की भेंट सुखद नहीं होगी ।”
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वर्ष 2009 में सुरक्षा के जबरदस्त इन्तजाम के बीच श्री बराक हुसैन ओबामा वाशिंगटन स्थित कैपिटल हिल्स में राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ले रहे थे, तभी एक कैमरामैन की नजर आकाश में तेजी से भागती चिडिया जैसी एक काली-सी चीज पर पड़ी, जो वास्तव में चिड़िया न थी, किन्तु वह देखते-ही-देखते कहाँ गायब हो गई कुछ पता न चला ।
यूएफओ-सी दिखने वाली उस अज्ञात वस्तु की बीडियो तस्वीर ले ली गई, जिसे बाद में अन्य लोगों ने देखा । इसी वर्ष ब्रिटेन के रक्षा मन्त्रालय ने खुलासा किया कि वर्ष 2008 में ब्रिटिश संसद ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ के ऊपर डेढ़ घण्टे तक एक बड़ी-सी उड़न तश्तरी मँडराती रही थी, जिससे एयर क्राफ्ट की तरह रोशनी निकल रही थी ।
इन दोनों घटनाओं के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि अब एलियंस धरती के देशों की प्रशासनिक गतिविधियों में रुचि लेने लगे हैं वर्ष 2011 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ‘एफबीआई’ की एक गोपनीय फाइल को सार्वजनिक करने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि अमेरिकी पुलिस और सेना के अधिकारियों ने वर्ष 1949 में साल लेक सिटी के उत्तर में लोगान के पास एक यूएफओ को पहाड़ों से टकराकर नष्ट होते हुए देखा था ।
लोगान में इससे पूर्व वर्ष 1947 में भी यूएफओ के देखे जाने की घटना चर्चा में आई थी । यद्यपि अमेरिका में वर्ष 1969 में यूएफओ की जाँच की फाइल बन्द कर दी गई थी, किन्तु एलियस द्वारा पृथ्वी पर बार-बार दस्तक देते रहने के कारण भला अमेरिका इनसे अप्रभावित हुए कैसे रह पाता ।
वर्ष 2008 तक 19 अमोरकी पायलटों सहित अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डेनिस कुचिनिन भी उस वर्ग में शामिल हो गए, जो यूएफओ को देखने का दावा करता था । वर्ष 2010 में ‘नासा’ के वैज्ञानिकों को शनि ग्रह के टाइटन नामक उपग्रह पर हाइड्रोजन में साँस लेने बाले एलियस के प्रमाण मिले ।
नासा के वैज्ञानिक क्रिस मैके का कहना हे- ”हम धरतीवासी जिस प्रकार ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार टाइटन पर उपस्थित जीव हाइड्रोजन ग्रहण करते हैं ।” मैके की बात से स्पष्ट होता है कि दूसरे ग्रहों पर जल आधारित जीवों से भिन्न जीव भी मौजूद हैं अर्थात् जीवन का अस्तित्व जल के बिना भी हो सकता है ।
वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने मलेशिया की वैज्ञानिक मजलान ओथमान को धरती का एलियस एम्बेसडर चुना, ताकि जब कोई एलियन भविष्य में धरती पर कदम रखे, तो वह उससे बात करने हेतु पहले से तैयार रहे ।
ओथमान अन्तरिक्ष में जाने वाली पहली मलेशियन महिला हैं । स्टीफन हॉकिंग के शब्दों में- ”मेरे दिमाग की गणनाएँ कहती है कि एलियस है, मगर हमारे सामने अब यह चुनौती है कि वे दिखते कैसे हैं ? अधिकतर एलियंस माइक्रोन्स जैसे या फिर छोटे पशुओं की तरह हो सकते हैं ।”
वैज्ञानिकों के अनुसार, एलियस मानव से सम्पर्क स्थापित करने हेतु वर्षों से कॉस्मिक ट्वीट्स भेज रहे हैं । वर्ष 1977 में ओहियो में लगी एक दूरबीन ने 72 सेकण्ड वाला एक ऐसा ही महत्वपूर्ण सकेत ग्रहण किया था, पर उसे आज तक नहीं समझा जा सका ।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि एलियस के पास काफी शक्तिशाली दूरबीनें हैं, जिनके माध्यम से वे पृथ्वीवासियों की हर गतिविधि पर नजर रखते है । उन्हें यहाँ के मौसम, समय आदि सारी बातों का ज्ञान है । नासा में महाअन्तरिक्षयान ‘केपलर’ द्वारा खोजे गए ‘केपलर-11’ नामक नए ग्रह को एलियस का नया संसार कहा जा रहा है ।
इस ग्रह पर एलियस के होने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं । वर्ष 2012 में नासा द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए ‘क्यूरियोसिटी रोवर’ से प्राप्त चित्रों में मंगल पर एलियस के होने के सकेत दिखे हैं । हालाँकि कुछ वीडियो विश्लेषक चित्र में उपस्थित धब्बे को फोटो के मृत पिक्सल मान रहे हैं; फिर भी आशा की जा रही है कि यह रोबर भविष्य में मंगल पर पड़े रहस्यों पर से पर्दा हटाएगा ।
वर्ष 2013 में अमेरिकी सरकार ने आधिकारिक तौर पर पहली बार लास बेगास के पास नेवडा में एरिया-51 के होने को स्वीकारा है, जो रहस्यमय विमानन परीक्षण स्थल है और एलियस से सम्बन्धित भी है ।
अक्तूबर, 2014 में नासा के उपग्रह ने सूर्य के पास पृथ्वी के आकार के एक विशालकाय यूएफओ की गतिविधियों की तस्वीर ली है । नासा के अन्तरिक्ष यात्री स्कॉट कारपेण्टर ने वर्ष 1962 में अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान यूएफओ की तस्वीर कैमरे में कैद की थी ।
उनके शब्दों में- ”ऐसा कभी नहीं हुआ कि अन्तरिक्ष यात्री अन्तरिक्ष में अकेला हो । बह हमेशा से यूएफओ कीं निगरानी में रहा है ।” वर्ष 2013 में किए गए एक सर्दे के अनुसार, आधे अमेरिकाबासी मानने लगे हैं कि धरती से परे भी जीवन का अस्तित्व है ।
वर्ष 1954 में इटली में फ्लोरेन्स स्विात स्टेडियम में खेले जा रहे फुटबॉल मैच के दौरान अचानक लोगों का ध्यान खेल से हटकर आकाश में तेजी से घूमती हुई प्रकाशमान, आवाज न करने वाली और गतिशील तश्तरीनुमा वस्तु पर गया, जो यूएफओ था । उसे देख खेल रोक दिया गया था ।
स्टेडियम में खिलाडियों सहित सभी उपस्थित लोग उस घटना के गवाह थे । इटली में बिमान यात्रा के दौरान वर्ष 1991 में भी यूएफओ देखे जाने की बात कही गई थी । रूस में वर्ष 1989 में इनको देखे जाने की कई घटनाएँ सामने आईं, उनमें से एक घटना सबसे विस्मयकारी थी, जो 17 सितम्बर को हुई ।
वोरोनेज के एक पार्क में खेल रहे बच्चों ने एक बड़े-से लाल अण्डाकार यान को धरती पर उतरते देखा, जिसमें से दो एलियस निकले । उनमें एक 12 से 14 फीट लम्बा और तीन आँखों वाला था, तो दूसरा रोबोट जैसा दिख रहा था । बच्चों को चिल्लाते देख एक एलियन ने प्रकाश पुंज छोड़ा, जिसके प्रभाव से एक बच्चा बिलकुल शिथिल-सा हो गया ।
बाद में वहां की मिट्टी की जाँच करने पर रेडिएशन के प्रमाण मिले रूस में ही वर्ष 2009 में तिकोने आकार के यूएफओ के देखे जाने की घटना सुनी गई । वर्ष 2011 में ब्राजील में भी एक पार्क में पिकनिक मनाते बच्चों ने पास के जंगल में एक अद्भुत आकृति वाले जीव को देखा था, जो कुछ और नहीं, बल्कि एलियन ही था ।
रूस के उराल क्षेत्र में स्थित पर्म (एमजोन) को एक ऐसा रहस्यपूर्ण स्थान माना गया है, जहाँ दूसरे ग्रहों से आए अन्तीरक्षयान उतरते रहते है । वर्ष 2011 में साइबेरिया में बर्फ में धँसे हुए मृत एलियन के देखे जाने की बात ने सबको अचम्भित कर दिया था । उस क्षत-विक्षत एवं मृत शरीर बाले एलियन को दो पर्यटकों ने देखा था ।
यूएफओ और एलियंस के देखे जाने की घटनाएं ब्रिटेन में भी काफी हुई है । वर्ष 1980 में इंग्लैण्ड के लोगों ने लाल और नीली रोशनी छोड़ने बाली, धातु जैसी चीज से निर्मित यूएफओ के देखे जाने की बात कही थी । 90 के दशक में भी वहाँ ऐसी कई घटनाएँ हुई । वर्ष 2009 में इंग्लैण्ड में दो लड़की ने नींबू की आकृति के सिर वाले एक एलियन को देखने की बात कहकर सबको विस्मित कर दिया ।
वर्ष 2010 में लन्दन में एक ऐसा वीडियो दिखाया गया, जिसमें दो ब्रिटिश लडाक विमान एक उड़न तश्तरी का पीछा कर रहे थे । वर्ष 2011 में बोधीनया में स्वीडेन के डूबे जहाज की खोज करने के दौरान स्वीडिश विशेषज्ञ पीटर लिण्डबर्ग ने एकअफओ के मलबे की खोज की थी ।
वर्ष 2012 में ब्रिटेन के केंट व एसेक्स क्षेत्रों में अलग-अलग दो-दो यूएफओ देखे जाने की बात चर्चा मैं आई । सितम्बर, 2014 में इस्तैण्ड के पाट्र्समाउथ में ग्रे रंग का एक यूएफओ देखा गया था, जो काफर तेज घूमता हुआ जा रहा था । वर्ष 2010-11 में चीन के लोगों ने भी कई बार यूएफओ देखे थे ।
वर्ष 2014 में पेरिस में कुछ दोस्तों ने मिलकर बीडियो तैयार किए थे, जिनमें यूएफओ को काफी तेज गीत से एफेल टाबर के पास से गुजरते हुए दिखाया गया है । पेरिस में ही 1.2 अरब यूरो की लागत से एक ऐसे टेलीस्कोप का निर्माण किया जा रहा है, जो सितारों पर एलियस की खोज करेगा इसे वर्ष 2024 में लान्च किया जाएगा ।
अन्तरिक्ष विज्ञानी डॉन पॉलेको का कहना है- ”पृथ्वी जैसे दूसरे ग्रहों पर भी वातावरण में प्रदूषण के प्रमाण मिले हैं जिससे वहाँ भी औद्योगिक इकाई के होने की पूर्ण सम्भावना दिखती है और इससे एलियंस के होने की पुष्टि होती है ।” भारत में एक ताड़पत्र की खुदाई से यह बात सामने आई कि मई, 1947 में ओडिशा में नयागढ़ जिले में एक यूएफओ उतरा था ।
वर्ष 2008 में पंजाब, बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में भी यूएफओ के देखने की बात कही गई । वर्ष 2012 में भारतीय सेना ने भारतीय क्षेत्र के अन्दर कई बार चीन की ओर से आते यूएफओ देखे । वर्ष 2014 में कोच्चि एवं लखनऊ में भी इसे देखे जाने की बात कही गई । ‘इसरो’ के वैज्ञानिकों ने भी कई बार एलियस के होने की पुष्टि की है ।
फ्रांस के लेखक रइल की लिखी कहानी में कहा गया है कि पृथ्वी के सभी जीव एलियस के वैज्ञानिक प्रयोग है । रइल ने 70 के दशक में दुनिया को यह कहकर चौंका दिया था कि 13 दिसम्बर, 1978 को उनकी भेंट एलियंस से हुई थी और एलियस उन्हें अपने साथ अपने ग्रह पर ले गए थे ।
वहाँ उन्होंने महात्मा बुद्ध सहित जीसस क्राइस्ट को भी देखा था । भारतीय फिल्म ‘कोई मिल गया’ एलियन एवं यूएफओ पर केन्द्रित फिल्म है, जिसमें अभिनेता ऋतिक रोशन को एलियन से सम्पर्क करने का अवसर प्राप्त हुआ है ।
वैसे तो अब तक एलियस और यूएफओ के बारे में प्रमाणित रूप से कुछ विशेष नहीं कहा जा सकता, किन्तु आशा है आने वाले वर्षों में हमारे वैज्ञानिक अवश्य ही यह गुत्थी सुलझा लेंगे और ऐसा रास्ता भी खोज निकालेंगे, जिससे एलियंस नुकसानदेह न होकर हमारे हितैषी बन जाएँ ।