खेलकूद पर निबंध! Here is an essay on ‘Sports’ in Hindi language.

सभी प्राणियों में मानव का मस्तिष्क सर्वाधिक विकसित है । अपने मस्तिष्क के बल पर इसने पूरी दुनिया पर अधिकार पा लिया है और दिनों-दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर है, किन्तु मानव का मस्तिष्क तभी स्वस्थ रह सकता है जब उसका शरीर तन्दुरुस्त रहे ।

इसलिए कहा गया है- ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है ।’ शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है और खेल व्यायाम का एक ऐसा रूप है, जिसमें व्यक्ति का शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक विकास भी होता है ।

इस प्रकार मस्तिष्क के शरीर से और शरीर के मस्तिष्क से पारस्परिक सम्बन्ध को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि खेलकूद व्यक्ति के बहुमुखी विकास के लिए आवश्यक है ।

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जॉर्ज बर्नाड शॉ का कहना है- “हमें खेलना बन्द नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम बूढ़े इसलिए होते हैं कि हम खेलना बन्द कर देते हैं ।” स्वास्थ्य की दृष्टि से खेलकूद के कई लाभ हैं- इससे शरीर की मांसपेशियाँ एवं हड्डियाँ मजबूत रहती हैं, रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है ।

पाचन-क्रिया सुदृढ़ रहती है, शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है और फेफड़े भी मजबूत रहते हैं । खेलकूद के दौरान शारीरिक अंगों के सक्रिय रहने के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है । इस तरह, खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है ।

खेल केवल मनुष्य के शारीरिक ही नहीं, मानसिक विकास के लिए भी आवश्यक है । इससे मनुष्य में मानसिक तनावों को झेलने की क्षमता में वृद्धि होती है । खेलकूद की इसी महत्ता को स्वीकारते हुए ‘स्वामी विवेकानन्द’ ने कहा था- “यदि तुम गीता के मर्म को समझना चाहते हो, तो खेल के मैदान में जाकर फुटबॉल खेलो ।”

कहने का तात्पर्य यह है कि खेलकूद द्वारा शरीर को स्वस्थ करके ही मानसिक प्रगति हासिल की जा सकती है । महान् दार्शनिक प्लेटो ने कहा था- ”बालक को दण्ड की अपेक्षा खेल द्वारा नियन्त्रित करना कहीं अधिक अच्छा होता है ।”

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बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था का दौर व्यक्ति के शारीरिक ही नहीं, मानसिक विकास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है । इस दौरान यदि उसकी ऊर्जा का सदुपयोग न हो, तो उसके गलत राह पर चल पड़ने की सम्भावना बनी रहती है ।

इसलिए अच्छे शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश के समय बच्चों को खेलकूद में व्यस्त रखा जाता है, जिससे अध्ययन या खेलकूद के अतिरिक्त उनका ध्यान कहीं और न भटके । इसका एक और लाभ यह होता है कि इससे संस्थान में अनुशासन स्थापित करने में भी सहायता मिलती है ।

इस तरह, खेलकूद से व्यक्ति में संयम, दृढ़ता, गम्भीरता, एकाग्रता, सहयोग एवं अनुशासन की भावना का विकास होता है । खेलकूद में होने वाली हार और जीत जीवन में भी सफलता एवं असफलता के समय सन्तुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है ।

शिक्षा एवं रोजगार की दृष्टि से भी खेलकूद अत्यधिक महत्वपूर्ण है । ‘पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे होंगे खराब’ जैसी कहावत अब बीते दिनों की बात हो गई है । खेल अब व्यक्ति के कैरियर को नई ऊँचाइयाँ दे रहे हैं ।

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राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आए दिन होने बाली तरह-तरह की खेल स्पर्द्धाओं के कारण खेल, खिलाड़ी और इससे जुड़े लोगों को पैसा, वैभव और पद हर प्रकार के लाभ प्राप्त हो रहे हैं ।

खेलकूद के व्यवसायीकरण के कारण यह क्षेत्र रोजगार का एक अच्छा माध्यम बन गया है । खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य, राष्ट्रीय एवं ऊपर स्तर के खिलाड़ियों को निजी एवं बैंक, रेलवे जैसी सरकारी कम्पनियाँ ऊँचे वेतन वाले पदों पर नियुक्त करती हैं ।

जब खेलकूद के महत्व की बात आती है तो लोग कहते हैं, कि क्रिकेट, बैडमिण्टन, हॉकी, फुटबॉल जैसे, मैदान में खेले जाने वाले खेल ही हमारे लिए मानसिक एवं शारीरिक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं तथा शतरंज, कैरम, लूडो जैसे घर के अन्दर खेले जाने वाले खेलों से सिर्फ हमारा मनोरंजन होता है, इसलिए ये खेल समय की बर्बादी हैं, किन्तु ऐसा सोचना बिलकुल गलत है ।

जीवन में जिस तरह शिक्षा महत्वपूर्ण है, उसी तरह मनोरंजन के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता । काम की थकान के बाद हमारे मस्तिष्क को मनोरंजन की आवश्यकता होती है ।

नियमित दिनचर्या में यदि खेलकूद का समावेश कर लिया जाए, तो व्यक्ति के जीवन में उल्लास-ही-उल्लास छा जाता है । अवकाश के समय घर के अन्दर खेले जाने वाले खेलों से न केवल स्वस्थ मनोरंजन होता है, बल्कि ये आपसी मेल-जोल को बढ़ाने में भी मददगार साबित होते हैं ।

खेल कोई भी हो यदि व्यक्ति पेशेवर खिलाड़ी नहीं है, तो उसके लिए इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य हो जाता है कि खेल को खेल के समय ही खेला जाए, काम के समय नहीं ।

मेजर ध्यानचन्द, कपिल देब, सुनील गावस्कर, प्रकाश पादुकोण, मिल्खा सिंह आदि खिलाड़ियों ने इक्रिकेट, बैडमिण्टन, हाँकी आदि खेलों में अपने अभूतपूर्व प्रदर्शन से देश के मान में वृद्धि की है ।

वर्ष 2011 में महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने पुन: एक दिवसीस मैचों का विश्व-विजेता बन देश को गौरवान्वित किया है । आज विश्वनाथन आनन्द, सायना नेहवाल, सानिया मिर्जा, मैरी कॉम, सुशील कुमार, गगन नारंग, विजय कुमार जैसे खिलाड़ियों की लोकप्रियता खेलकूद के महत्व का सबसे अच्छा उदाहरण है ।

भारत के ये महान् खिलाड़ी देश की नई पौध को खेलकूद की ओर आकर्षित कर रहे हैं । क्रिकेट की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेन्दुलकर के कीर्तिमानों को तोड़ने बाला विश्व में कोई खिलाड़ी नहीं । उन्हें वर्ष 2014 में भारत का सर्वोच्च अलंकरण ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया है ।

इस प्रकार निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि मनुष्य के सर्वांगीण एवं सन्तुलित विकास के लिए खेलकूद को जीवन में पर्याप्त स्थान दिया जाना चाहिए । अल्बर्ट आइंस्टाइन का कहना था- “खेल सबसे उच्च कोटि का अनुसन्धान है ।”

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