सरस्वती । “Goddess Saraswati” in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. उनकी चमत्कारिक शक्तियां, कार्य एवं वरदान ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवता अपने भक्तों को उनकी इच्छानुसार भक्ति एवं उसका फल प्रदान करते हैं । धन-देवी लक्ष्मी की आराधना करने पर धन की प्राप्ति होती है, तो शक्ति की आराधना करने पर शक्ति की प्राप्ति होती है ।
उसी प्रकार ज्ञान-देवी माँ सरस्वती की अभ्यर्थना करने पर विद्या, ज्ञान, विवेक, बुद्धि की प्राप्ति होती है । मां सरस्वती अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान के प्रकाश तक अपने आराधकों को ले जाकर उन्हें बुद्धि ही नहीं, धन तथा शक्ति की भी प्राप्ति करा देती हैं ।
2. उनकी चमत्कारिक शक्तियां, कार्य एवं वरदान:
मां सरस्वती सफेद कमलों का आसन धारण कर ज्ञान के शान्त सरोवर में शुभ्र वस्त्रों से सुसज्जित होकर हाथों में वीणा, पुस्तक एवं माला धारण किये हुए अवतरित हुई हैं । उनका यह रूप संगीत, ज्ञान, विवेक प्रदान कर माया-मोह के अन्धकार से भी सभी को निकालने में समर्थ है । देवी भागवत के अनुसार उनकी उत्पत्ति भगवान् श्रीकृष्णजी की जिह्वा के अग्र भाग से हुई है ।
गंगाजी के शाप से वे नदी के रूप में अवतरित होती हैं । ब्रह्माजी इन्हें पुष्कर तीर्थ में सरोवर के रूप में स्थापित करते हैं । यह ब्रह्माजी के आदेश से वाल्मिकि मुनि के मुख से चार चरणों के श्लोक के रूप में प्रकट होती है । वे मूलत: भगवान् नारायण की पत्नी तथा ब्राह्मी के रूप में प्रतिष्ठित हैं ।
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यह तीन-स्वर्ग में भारती के रूप में, पृथ्वी में इला के रूप में और अन्तरिक्ष में वाग्देवी के रूप में स्थान पाती हैं । सरस्वती की कृपादृष्टि प्राप्त करने पर सुर तथा स्वर की साधना प्राप्त होती है । लेखक और कवियों तथा कलाकारों को रचना करने की प्रेरणा मिलती है । यदि ये प्रसन्न हों, तो मूर्ख भी ज्ञानी बन जाता है । जैसे कवि कालिदास मां सरस्वती की कृपा पाकर संस्कृत के महाकवि के रूप में प्रसिद्ध हुए ।
ऐसा कहा जाता है कि यदि सरस्वती जिह्वा पर आकर उल्टी हों, तो व्यक्ति की बुद्धि दिग्भ्रमित हो जाती है और उससे विपरीत कार्य करवाती है । कैकेयी की दासी मंथरा की जिह्वा पर विराजमान होते ही राम को वनवास देने की दुर्बुद्धि उन्हें सूझी थी ।
3. उपसंहार:
ज्ञान का वरदान देने वाली माता सरस्वती समस्त प्रकार के अज्ञान, अन्धकार का नाश कर देती हैं । उनका बल पाकर उनकी आराधना करने वाले न केवल बुद्धि प्राप्त करते हैं, बल्कि बुद्धि का वर पाकर अपने समस्त कार्य तथा अपनी इच्छाओं की भी पूर्ति कर लेते हैं । वह तो धन, यश, ज्ञान सब कुछ प्रदान करती हैं ।