Read this article in Hindi to learn about the marking techniques used in a factory.
I. लेइंग आउट विधियां:
i. मार्किंग करते समय सबसे पहले सीधी हारिजांटल वर्टिकल और कोण वाली लाइनें खींचनी चाहिए ।
ii. इसके बाद मृत, चाप, वक्राकार लाइनें खींचनी चाहिए ।
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(a) स्ट्रेट लाइनें खींचना:
स्ट्रेट लाइनें स्टील रूल और स्क्राइबर की सहायता से खींची जाती हैं । स्क्राइबर की नोंक मोशन की दिशा में होनी चाहिए । स्टील रूल से बाहर की ओर होनी चाहिए अर्थात हारिजांटल प्लेन के साथ 75-80० पर होना चाहिए ।
(b) लम्बरूप लाइनें खीचना:
लम्बरूप लाइनें स्क्राइबर और ट्राई स्क्वायर की सहायता से खींची जाती हैं ।
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II. मार्किंग की विधियां:
जब पर मार्किंग करने के कई तरीके प्रयोग में लाये जाते हैं जिनमें से निम्नलिखित प्रायः प्रयोग में लाये जाते हैं:
(i) डेटम लाइन विधि:
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यह तरीका प्रायः उस समय प्रयोग में लाया जाता है जब किसी जॉब की दो संलग्न भुजायें अच्छी तरह से फिनिश की हुई और 900 के कोण में बनी हों । इसमें पहले एक आधार लाइन खींच ली जाती है जिसे डेटम लाइन कहते हैं । इसके पश्चात् इस डेटम लाइन से दूसरी मार्किंग की लाइनें लगाई जाती हैं ।
जैसे किसी धातु के टुकड़े से एक आयताकार आकार का जॉब बनाना है तो सबसे पहले उसकी दो संलग्न भुजाओं को 90० के कोण को अच्छी तरह से फाइलिंग या मशीनिंग करके फिनिश कर लिया जाता है, इसके पश्चात एक समानान्तर और एक लम्बवत् लाइनें खींच ली जाती है जिन्हें डेटम लाइनें कहते हैं और दूसरी रेखायें इन रेखाओं के संदर्भ में खींच कर मार्किंग की जाती हैं ।
(ii) सेंटर लाइन विधि:
यह तरीका वहां पर प्रयोग में लाया जाता है जहां पर डेढ़े मेढ़े कार्यों पर मार्किंग करनी हो और जिनका कोई भी सिरा फिनिश न किया हुआ हो । ऐसे जॉब पर मार्किंग करने के लिये पहले अंदाज से सेंटर लाइन लगा दी जाती है और इस टन लाइन के संदर्भ से मार्किंग की दूसरी रेखायें लगाई जाती हैं ।
a. संलग्न भुजा के समानान्तर रेखाओं की मार्किंग करना:
यदि किसी संलग्न भुजा के समानान्तर लाइनें खींचने हो तो जॉब की फिनिश की हुई भुजा को मार्किंग ऑफ टेबल पर ऐंगल प्लेट का सहारा देकर रख देना चाहिये । इसके पश्चात् लम्बवत् लाइनें (संलग्न भुजा के समानान्तर) खींचने के लिये ट्राई स्क्वायर का प्रयोग करके उसके ब्लेड की सीध में लाइनें खींची जा सकती हैं जो संलग्न भुजा के समानान्तर होंगी ।
b. टर्न ओवर विधि से समानान्तर लाइनों की मार्किंग करना:
इस विधि को उस समय प्रयोग में लाते है जब जॉब की सभी भुजायें 90० के कोण में फिनिश हो । इस विधि में जॉब की संलग्न भुजा के समान्तर लाइनें खींचने के लिये जॉब की संलग्न भुजा को झुका कर मार्किंग ऑफ टेबल पर ऐंगल प्लेट का सहारा देकर रख दिया जाता है ।
इसके पश्चात् सरफेस गेज से या वर्नियर हाइट गेज से उसके समानान्तर लाइनें खींची जा सकती हैं । इस प्रकार जॉब की सभी भुजाओं को 90० के कोण में फिनिश करने के बाद प्रत्येक भुजा को मार्किंग ऑफ टेबल पर रख कर उसके समानान्तर रेखायें खींची जा सकती हैं ।
c. कोण विभाजन विधि द्वारा वृतखंड की मार्किंग करना:
यह विधि वहां पर प्रयोग में लाई जाती है जब सेक्टर का कोण दिया हुआ हो । इसमें पहले एक वृत खींच लिया जाता है । वृत में 360० होते हैं । मान लिया कि सेक्टर का कोण 45० का है तो 360० ÷ 45० = 8 है । इस प्रकार वृत्त केंद्र से उसके 8 बराबर भाग कर देंगे जिनमें एक भाग 45० के कोण वाला होगा । इस प्रकार 45० के सेक्टर की मार्किंग की जा सकती हैं ।
d. टेम्पलेट द्वारा मार्किंग करना:
इस प्रकार की मार्किंग वहां पर की जाती है जहां पर एक ही प्रकार की मार्किंग कई जॉबों पर करनी हो । ऐसी मार्किंग करने के लिए जॉब के आकार के अनुसार पतली शीट से एक टेम्पलेट बना ली जाती है और इस टेम्पलेट को जॉब पर रख कर स्क्राइबर की सहायता से लाइनें लगा कर मार्किंग की जा सकती है
गोल छड़ के सिरे का केंद्र निकालना:
(i) जैनी केलिपर्स द्वारा:
इस विधि में जैनी केलिपर को गोल जॉब की त्रिज्या से थोड़ा कम या अधिक खोलकर भिन्न-भिन्न चार स्थानों से चापें लगाई जाती हैं और इनके विपरीत कोनों को मिलाकर सेंटर निकाला जा सकता है ।
(ii) सरफेस गेज या वर्नियर हाइट गेज द्वारा:
इस विधि में गोल जॉब को सरफेस प्लेट पर ‘वी’ ब्लॉक पर रख कर और वर्नियर हाइट गेज या सरफेस गेज को जॉब के सेंटर से थोड़ा कम या अधिक खोल कर और जॉब को घुमा कर भिन्न-भिन्न चार स्थानों से लाइनें लगा कर एक वर्ग बना लिया जाता है । इस वर्ग के विपरीत कोनों को मिलाकर सेंटर निकाला जा सकता हैं ।
(iii) सेंटर हैड द्वारा:
विधि में कम्बीनेशन सेट के सेंटर हैड का प्रयोग किया जाता है । सेंटर हैड को गोल जॉब की सतहों के साथ सटा कर लगा करके उसके ब्लेड के सीध में लाइन खींच ली जाती है । इस प्रकार विभिन्न दो या तीन स्थानों से लाइनें खींची जाती हैं । जिस बिंदु पर तीन रेखायें काटती हैं वह सेंटर होगा ।
(iv) बैलन पंच विधि:
इस विधि में बैल पंच को गोल जॉब के सिरे पर रख कर हैमर से हल्की सी चोट लगाई जाती है जिससे सेंटर में स्वयं पंचिगं हो जाएगी ।