Here is a list of sixteen common food borne bacteria in Hindi language.

(1) एसीटोबेक्टर:

इस जीनस में 3 प्रजातियाँ तथा 9 उपप्रजातियाँ सम्मिलित है । ये ग्राम निगेटिव रॉड शेप्ड कोशिकाएं हैं जो स्ट्रिक्ट एरोब्स होती है । ये साधारणत: परमनटेड ग्रेन मॉश, मदर ऑफ विनेगर, बियर, वाइन्स एवं खट्टे फलों तथा सब्जियों में पाये जाते हैं ।

कुछ प्रजातियाँ जैसे ए. एसिटाई उपप्रजातियाँ एसिटाई, ऐथेनॉल की एसिटिक एसिड में ऑक्सीकृत कर देती है और इस प्रकार विनेगर उत्पन्न करती है । संभवतः इसका औद्योगिक उपयोग अधिक है ।

(2) एल्कलीजीन्स:

यह जीन्स 9 प्रजातियों का बना होता है । ये ग्राम निगेटिव रॉड है जो कभी-कभी स्टेन वेरिएबल या ग्राम पोजिटिव होते हैं । ये शर्करा को Ferment नहीं करते हैं । किन्तु एल्कलीय अभिक्रियाएं करते हैं जो लिटमस मिल्क में भी सभी प्रकार के विघटित पदार्थों में कच्चे दूध में, पोल्ट्री उत्पादों, आंत्रीय गुहा उत्पादों में पाए जाते हैं ।

(3) बेसिलस:

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यह जीन्स बेसिलस कुल से संबंधित हैं । लगभग 31 प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है । अधिकांश एरोबिक ग्राम पॉजिटव रॉड होते हैं जो एण्डीस्पोर्स बनाते हैं । यह अधिकांशत: कल्चर मीडिया पर लंबी श्रृंखलाओं में पाये जाते हैं इनमें से अधिकांश मीजोफाइल्स होते हैं । ये रेफ्रीजरेटर के तापमान के ऊपर भण्डारित किए गये खाद्य पदार्थों को सड़ा देते हैं ।

(4) बेसिलस सीरस:

यह एक बड़ा ग्राम पॉजिटिव तथा स्पोर बनाने वाला रॉड है जो बेसिलेसी से संबंधित हैं । यह यूबीक्विटस, सेप्रोफाइट कई एन्जाइम उत्सर्जित करता है । जैसे पोनिसिलिनेज, फास्फोलाइपेजेस, प्रोटियोलायटिक एन्जाइम तथा हीमोलायासिन जो फूट पॉइजनिंग उत्पन्न करता है ।

(5) कैम्पायलोबेक्टर जेजुनी:

कैम्पायलोबेक्टर अधिकांशत: मवेशियों, सुअरों, भेड़, चिकन तथा टर्की के आंत्र गुदा में पाया जाता है यह कोई हानि नहीं पहुँचाता । इस कारण मनुष्य में संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है- जंतु उद्‌गमका कच्चा या अनुपयुक्त रूप से पका भोजन । बीमारी के लक्षणों में जी मचलाना, पेटदर्द, सिरदर्द, डायरिया तथा कभी-कभी बुखार शामिल है यदि डायरिया गंभीर होता हो तो यह ब्लडी हो सकता है ।

(6) कोरीन बेक्टीरिया:

यह जीनस कोरीनफॉर्म समूह से संबंधित है तथा इसमें 32 ग्राम प्रजातियाँ पायी जाती हैं । ये वायवीय, ग्राम पॉजिटिव रोडेंस होते हैं तथा हमेशा दाने तथा क्लब शेप्ड स्पेलिंग दर्शाते हैं । ये स्पोर नहीं बनाते । इस समूह में डिप्थीरिया तथा शरीर में सामान्यत: पायी जाने वाली अन्य प्रजातियों के इटियोलोजिक एजेण्ट पाये जाते है ।

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अधिकांशतः मीजोफाइल्स होते हैं तथा कुछ सायक्रोट्रोफ्स होते है । ये जीव कुछ पौधों जैसे- गेहूँ, बीन तथा टमाटरों में बहुतायात से पाये जाते हैं । ये मनुष्यों एवं जन्तुओं के आंत्रीय मृदा में भी पाये जाते हैं तथा विभिन्न प्रकार के सड़े हुए भोजन पर भी पाए जाते हैं ।

(7) ल्युकोनोस्टोक:

यह ग्राम पॉजिटिव गोलाकार से अण्डाकार, केटालेज नेगेटिव, टिरोफरमनटेटिव जीव होते हैं तथा पौधों में व्यापक रूप से पाये जाते हैं जहाँ से ये दूध तथा उत्पादों में प्रवेश कर जाते हैं ।

ये शुगर रिफाइनरी में समस्या उत्पन्न करते हैं जहाँ शुगर लाइन्स में स्लाइम उत्पन्न कर देते हैं तथा कभी-कभी ये डेयरी स्टार्टर कल्चर में उपयोग किये जाते हैं जबकि अन्य कोई मीट प्रोडक्ट्स में पाये जाते हैं । इनमें से कुछ औषधीय रूप से महत्वपूर्ण पॉलीमर डेक्सट्रन का उपयोग करते हैं ।

(8) माइक्रोकोकस:

ये ग्राम पॉजिटिव कोकाई होते हैं जो केटालेज पॉजिटिव होते हैं तथा कुछ प्रजातियाँ नॉन पिगमेंटेड कोलोनीज बनाती हैं जबकि अन्य कल्चर मीडिया पर गुलाबी से नारंगी-लाल से लाल पिगमेंट बनाती हैं ।

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ये लवण के उच्च स्तर को सहन कर सकते हैं तथा प्रकृति में मनुष्य की त्वचा तथा जंतुओं की खाल, भूल, मृदा जल तथा कई भोज्य पदार्थों पर पाये जाते हैं । ये डेयरी उत्पादों से संबंधित होते हैं जिसके माध्यम से ये प्रोसेस्ट मीट (माँस) जैसे कि फ्रेंकफटर्स में प्रवेश कर जाते हैं ।

(9) प्रोटियस:

ये ग्राम नेगेटिव रॉड्स हैं जो वायवीय होती हैं तथा अधिकांशतः Pleomorphism दर्शाती है । सभी मोटाइल होती हैं किन्तु प्रजाति यूरिया का जल अपघटन करती हैं । ये मनुष्य तथा जंतुओं की आंत्र गुहा में पाये जाते हैं तथा सामान्यतः डिकेयिंग मटेरियल पर तथा सड़े अण्डों एवं माँस पर पाये जाते हैं । विशेषकर जो रेफ्रीजरेटर तापमान से अधिक तापमान पर सड़ते हैं ।

(10) स्यूडोमोनास:

कई सायक्रेट्रोफिक प्रजातियाँ एवं स्ट्रेन तथा मीजोफाइल्स इस जीन्स में पाये जाते हैं । ये प्रकृति में मृदा जल, पौधों तथा मनुष्यों एवं जंतुओं की आंत्रीय गुहा में पाये जाते हैं । ये सड़न में अब तक सर्वाधिक महत्वपूर्ण जीवाणु हैं ।

अधिकांश पादप पैथोजन होते हैं जो लीफ स्पॉट, लीफ स्ट्राइप तथा संबंधित रोग का कारण बनते हैं । इनमें से अधिकांश जो फूड स्पॉइलेज करती हैं वे वाटर सॉल्युबल पिगमेण्ट नहीं बनाती किन्तु पराबैंगनी प्रकाश में प्लोरोसेंट उत्पन्न करती हैं ।

(11) साल्मोनेला:

ये जीवाणु विश्वव्यापी आधार पर भोजन जनित बीमारियों के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक हैं । वे जीव जो माइक्रोस्कोप में छोटी रॉड्‌स के रूप में प्रतीत होते हैं वे शरीर में मुख द्वार से प्रवेश कर जाते हैं तथा आंत्रीय गुहा में गुण करके विषाक्त भोजन सिण्ड्रोम उत्पन्न कर सकते हैं ।

साल्मोनेला के संकेत में जी-मचलाना, डायरिया, पेट दर्द तथा बुखार शामिल हैं । सल्मोनेला जंगली तथा घरेलू कई जन्तुओं में पाये जाते हैं । साल्मोनेलोसिस के विकास में सामान्यत: सम्मिलित विशिष्ट खाद्य पदार्थ विभिन्न प्रकार के माँस एवं उत्पाद अण्डे तथा अण्डों से बना भोजन । जैसे- क्रीम या कस्टर्ड तथा फिश एवं शेलफिश ।

(12) फ्यूसेरियम:

ये मोल्ड एक एक्सटेन्सिव मायसीलियम बनाते हैं जो कल्चर में कॉटनी होते हैं । जिस पर पिंक, पर्पल या पीले रंग की आभा पायी जाती है । कोनीडिया, डोंगी के आकार के होते हैं तथा सिंगल या चेन के रूप में पाये जाते हैं ।

ये कई सब्जियों तथा फलों के स्पॉइलेज के लिए महत्वपूर्ण होते हैं । केलों का नेट रॉट, कुछ T-2 टोक्सिन, वोमिटीक्सिन तथा जियरालेनोन इनके उदाहरणों में शामिल हैं ।

(13) जियोट्रिकम:

ये यीस्ट के समान फन्जाई होते हैं जो हमेशा नहीं किन्तु अधिकांशतः सफेद होते हैं । मायसीलियम सेस्टेट होता है तथा प्रजनन आर्थोस्पोर्स में मायसीलियम के फ्रेगमेण्टेशन द्वारा होता है इन जीवों को कभी-कभी डेयरी मोल्ड भी कहा जाता है चूँकि ये कई प्रकार के चीज के फ्लेवर तथा अरोमा प्रदान करते हैं ।

इन्हें मशीनरी मोल्ड भी कहा जाता है । चूँकि यह फूड प्रोसेसिंग संयंत्रों विशेषकर Tomato Canning संयंत्र में Food Contact Equipment पर बनते हैं । ये डायमोर्फिक रूप दर्शाते हैं तथा Feathery Appearance देते हैं तथा पके फलों को संक्रमित करने में सक्षम होते हैं ।

(14) म्यूकर:

ये मोल्ड नॉन सेप्टेट मायसीलिया बनाते हैं जो कोनिडयोफोर उत्पन्न करते हैं जिन पर कोलुमेला पाया जाता है तथा एपेक्स पर स्पोरेंजियम पाया जाता है । स्पोर्स, स्मूथ रेगुलर होते हैं तथा स्पोरेंजियम के अंदर पाये जाते हैं ये कई प्रकार के खाद्य पदार्थों पर उगते हुए पाये जा सकते हैं ।

(15) राइजोपास:

ये मोल्ड नॉनसेप्टेट मायसीलिया बनाते हैं जो स्टोलोन एवं राइजोड्‌स को उत्पन्न करते हैं । स्पोरेंजियोफोर्स नास्स से उत्पन्न होते हैं तथा इन पर Columella तथा Sporangia Apex पर पाये जाते हैं तथा अधिकांश काले रंग के होते हैं । इनमें कुछ का प्रयोग स्टार्च से एल्कोहल के फरमेन्टेशन में किया जाता है ।

(16) ट्रायकोथीशियम:

ये रूप, सेप्टेट मायसीलिया बनाते हैं जिन पर लंबे स्लेण्डर तथा सिंपल कोनिडियोफोर पाये जाते हैं कोनिडिया सिंग, एपिकल तथा कभी-कभी चेनों के समूह में प्रतीत होते हैं । कुछ प्रजातियाँ जैसे फल एवं सब्जियों पर गुलाबी होती है ।