Here is a list of top sixteen fermented food in Hindi language.
सूक्ष्म जीवों द्वारा सब्स्ट्रेट के किण्वन के फलस्वरूप बने उत्पादों की सुगंध व गठन में सुधार पोषकता में वृद्धि व अवांछनीय गंधों का निष्कासन होता है ।
सूक्ष्मजीवों द्वारा कुछ प्रमुख Fermented Food निम्न प्रकार से है:
(1) डबल रोटी (Bread):
इस उत्पाद की प्राप्ति के लिए आटे में जल मिलाकर गूंथने से पहले यीस्ट (Yeast) मिलाकर कुछ घंटों तक छोड़ दिया जाता है । साथ ही इसमें शर्करा (Sugar) की कुछ मात्रा डाल देते है । यीस्ट (Yeast) शर्करा (Sugar) को Alcohol व कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2) में बदल देता है । कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2) आटे को फूलाने व बढ़ाने का कार्य करती है ।
(2) इडली (Idlii):
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इसे चावल के आटे व चने की दाल से बनाया जाता है । इन दोनों की पीसकर भिगोने के बाद नमक डालकर 10-12 घंटे के लिए रख दिया जाता है जिससे Leuconostoc मेसेन्टेराइटस, स्ट्रेप्टोकोकस फाइकेलिस व पोडोकोकस सिरोबिस किण्वन (Fermenter) किया द्वारा लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid), एसीटिक अम्ल (Acetic Acid) व CO2 बनाते हैं जिसके फलस्वरूप मिश्रण फूलकर खट्टा हो जाता है ।
(3) कोको एवं चॉकलेट (Cocco and Chocolate):
कोको (Cocco) के बीज जब पककर तैयार होते हैं तो वे स्वाद में कड़वे होते है । इन्हें विशेष गंध एवं स्वाद देने के लिए जीवाणु (Bacteria) किण्वन क्रिया (Fermentation Reaction) द्वारा रुचिकर बनाते हैं । चॉकलेट में भी विशेष रंग व स्वाद Bacterial क्रिया द्वारा उत्पन्न किया जाता है ।
(4) पनीर (Cheese):
सूक्ष्मजीवों (Micro-Organism) के उपयोग द्वारा पनीर उत्पादन तीन चरणों में पूर्ण होता है:
(a) स्कंद बनाना (Coagulum Formation):
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दूध (Milk) से स्कंद (Coagulum) बनाने के लिए 31°C ताप (Temp.) पर Streptococcus या S क्रिमोरिस अथवा 50°C ताप पर स्ट्रे थर्मोफिलस लैक्टोबेसीलस लैक्टिस, लै बुलोरिस को सरोंपित (Inoculate) करते हैं ।
उपरोक्त जीवाणु (Bacteria) दो क्रियाएँ करवाते हैं:
(i) लैक्टोज (Lactose) से लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) बनाते हैं ।
(ii) इनमें उपस्थित रेनेट K-Casine को अवक्षेपित (Precipitate) उत्पाद (Product) पैरा कैसीन (Casine) व वृहत केसीनो पेप्टाइड (Casine Peptide) में विघटित (Decomposed) कर देता है ।
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पहले रेनेट के दूध मुंहे बछडों के चौथे अमाशय (4th Stomach) से प्राप्त किया जाता था । लेकिन अब सूक्ष्म जीवों (Micro Organism) से प्राप्त रेनेट का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है ।
(b) कर्ड का विलगन (Isolation of Curd):
स्कंद (Coagulum) को 37°C पर गर्म करते है जिसके परिणाम स्वरूप रेनेट निष्क्रिय हो जाता है व छेने का अधिकतर पानी कर्ड से अलग हो जाता है । इस पानी को अलग कर Brick Cheese प्राप्त किया जाता है । Brick Cheese को दबाए रखते है जिससे उसमें से अतिरिक्त नमी निकल जाए ।
(c) पक्वन (Ripening):
Brick Cheese का लवणन करने के बाद इसमें प्रोटीएज (Protease) व लाइपेज (Lipase) अथवा सूक्ष्मजीव (पेनिसिलियम रोको फोटाई पेफ़ कैमेम्बटाई) मिलाते है जो प्रोटीन (Protein) अपघटन व लिपिड अपघटन द्वारा पनीर में सुगंध उत्पन्न करते है एवं उसके गठन में परिवर्तन करते है । इसे पक्वन (Ripening) कहते है । चेडर पनी में सुगंध उत्पादन के लिए बेफ़ एमाइलोल्किवेफेसिएस से प्राप्त प्रोटिएज का उपयोग करते है ।
(5) कुमिस (Kumiss):
इस उत्पाद को घोड़ी या ऊँटनी के दूध से तैयार किया जाता है । किण्वन (Fermentation) की क्रिया लैक्टोबेसीलस (Lacto Basillus) व यीस्ट (Yeast) की मदद से करवाया जाती है । रूस में यह उत्पाद (Products) बड़े चाव से खाया जाता है ।
(6) दही (Curd):
दूध को गर्म करके ठंडा किया जाता है । अब इसमें लैक्टोबेसीलस व स्ट्रेप्टोकोकस जीवाणुओं (Bacteria) युक्त आरंभक को मिलाकर जमने के लिए रख देते हैं । कुछ ही घंटों में दही (Curd) जम जाता है ।
(7) योगहर्ट (Yoghurt):
दूध को उबालकर गाढ़ा बनाया जाता है । तत्पश्चात् इसका लैक्टोबेसीलस बुल्गोरिस से किण्वन (Fermentation) करवाते हैं । जिससे दूध अर्द्धतरल (Semiliquid) या जैलीनुमा हो जाता है । इसे योगहर्ट (Yoghurt) कहते है । इसमें एल्कोहॉल (Alcohol) की मात्रा नहीं होती है ।
(8) मक्खन (Butter):
इसमें सर्वप्रथम दूध को गर्म कर ठंडा कर लिया जाता है । फिर इसमें सूक्ष्मजीव (Micro Organism) युक्त दही मिलाते है । इसे आरंभिक (Startar) कहते है । मलाई में किण्वन (Fermentation) प्रारंभ करता है । अब इस आरंभक में ल्यूकोनास्टॉक डेक्सट्रोनिकम ल्यूकोनोस्टॉक साइट्रोबोरियम तथा सट्रेप्टोकोकस लेक्टिस उपस्थित होते है ।
ल्युकोनोस्टॉक सिट्रिक अम्ल बनाकर विशेष गंध उत्पन्न करते है व स्ट्रेप्टोकोकस उच्च अम्लीयता (Acidity) उत्पन्न करते है । कुछ समय तक रखे रहने के बाद इसमें हल्की गंध आने लगती है । जब इसे मथ कर मक्खन प्राप्त करते हैं ।
(9) लेबेन (Leben):
यह गाय या बकरी के दूध से तैयार किया जाता है । इस दूध में लैक्टोबेसीलस जीवाणु व यीस्ट मिलाते है । जीवाणु (Bacteria) किण्वन (Fermentation) द्वारा लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) बनाते है । जिससे दूध जम जाता है । व यीस्ट किण्वन (Fermentation) द्वारा एल्कोहॉल बनाते है । यह मिश्रवासियों का मनपसंद भोजन है ।
(10) मेटजून (Mat Zoon):
दूध के इस उत्पाद (Product) को तैयार करने के लिए दूध को उबाल कर ठंडा कर इसमें Lactobasillus Bacteria से किण्वन (Fermentation) करवाते है । जिससे दूध खट्टा हो जाता है । इसका स्वाद योगहर्ट के समान ही होता है । यह उत्पाद आर्मोनिया के लोगों द्वारा अत्यधिक पसंद किया जाता है ।
(11) केफिर (Kefir):
दूध के इस उत्पाद (Product) को तैयार करने के लिए दूध में केफिर के दाने मिलाये जाते है । ये 7-10 दिन में फूलकर आकार में दुगने हो जाते है । केफिर में यीस्ट (Yeast) व Lactobacillus Bacteria होते है । यह भोजन एवं औषधि (Medicine) दोनों तरह से प्रयुक्त किया जाता है ।
(12) टेम्पहे (Temphe):
कुछ भोज्य पदार्थों (Soyabean) में प्रोटीन (Protein) अधिक मात्रा में होते है । परन्तु इन्हें पचित (Digest) नहीं किया जा सकता । इनका Rhizopus Statonifer व Rhizopus Oryzae Fungi द्वारा Fermentation करवाने पर ये Digest हो जाते है, इन्हें Temphe कहते हैं ।
(13) सिलेज (Silage):
यह किण्वन (Fermentation) द्वार तैयार विशेष पशु आहार है । इसे तैयार करने के लिए ऐसे चारे या घास का प्रयोग करते है जिसमें शर्करा (Sugar) की मात्रा अधिक हो । अनाज के तने, गन्ना, सूरजमुखी के तनो, मटर के पादप आदि के छोटे-छोटे भागों में काटकर पूलियाँ बना लेते है ।
इसके बाद इन्हें वायुरोधी कमरे में रख देते है । जहाँ इनमें उपस्थित जीवाणु (Bacteria), क्लॉस्ट्रीडियम, लैक्टोबेसीलस व स्ट्रेप्टोकोकसलेक्टिस किण्वन (Fermentation) क्रिया कर सिलेज बनाते है ।
(14) सॉरक्राट (Saurkraut):
इस Food को पत्तागोभी से तैयार किया जाता है । इस उद्देश्य के लिए पत्तागोभी की पत्तियों को छोटा काटकर इसमें नमक मिलाकर कुछ समय के लिए रख दिया जाता है । लैक्टोबेसीलस इसमें उपस्थित शर्करा (Sugar) को एसीटिक अम्ल (Acetic Acid) में बदल देते हैं ।
(15) नेटो (Natto):
यह सोयाबीन का बना Product है । यह Soyabeans के Wrapped चावल Straw डालकर बनाए जाते है । यह 1-2 दिन में Fermented हो जाते हैं तथा इसके चारों ओर Slimg उत्पन्न होते हैं जो Basillus Natto Microbe के द्वारा उत्पन्न होते है । ये Natto वृद्धि करते हैं और इसके Ripening Process के लिए एक Tripsin Like Enzyme Responsible होता है ।
(16) मिनचिया (Minchia):
यह Starch Free Food हैं परन्तु Gluten अधिक होता है और इसके लिए गेहूँ का उपयोग करते है । इसका Moist Raw Glutens को बंद जार में रखते हैं जिससे 2 से 3 हफ्ते में Ferment होते है ।
इसके बाद इसमें Salted करते हैं तथा इसमें एक कई Species of Molds, Bacteria और Yeast उत्पन्न हो जाते हैं तथा बाद में अंत में Product प्राप्त होता है । इसे उबालकर (Boiled), सेंककर (Backed) या तलकर (Fried) खाते है ।