Read this article in Hindi to learn about:- 1. भोजन परिरक्षण एवं आपूतिता (Meaning of Food Preservation) 2. भोज्य परिरक्षा के सिद्धांत (Principles of Food Preservation) 3. किण्वित भोजन (Fermented Food) 4. कारक के प्रकार (Types of Factors Affecting).

भोजन परिरक्षण एवं आपूतिता (Meaning of Food Preservation):

वर्तमान समय को देखते मनुष्य के लिए भोज्य पदार्थ जुटाने की समस्या का एक समाधान यह है कि विभिन्न परिस्थितियों में भोजन किसी न किसी रूप में प्राप्त हो सके परन्तु इस प्रकार की समस्या का कृषि के द्वारा हल किया जाता है । फिर दूसरे भोज्य पदार्थों की ओर देखा जाता है परन्तु वर्तमान समय में जिस देश जिस भोज्य पदार्थ की कमी होती है । उसे दूसरे देश से भेज दी जाती है । इस प्रकार का भोजन जो पोषक ताजा रहे ।

ऐसे भोजन का निर्यात होना आवश्यक है क्योंकि सभी प्रकार के भोजन जो खाने योग्य (सब्जियाँ, माँस, मछली, अंडे, फल, सूखे मावे, विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थ आदि) है । उन्हें बाहर Packing करके भेजा जाता है । यही पर प्रश्न यह उठता है कि अधिक समय के लिए उन्हें किस प्रकार से विभिन्न जीवों या Infections से बचा कर रखा जाए । इसके लिए सफाई पैकिंग प्रक्रिया, सूक्ष्मजीवों से बचाव आदि शामिल है ।

इसलिए भोजन को Preserve करके भेजा जाता है जिसके लिए विभिन्न रसायनों, एण्टीबायोटिक्स, कूलिंग, फ्रीजिंग, कीटाणुशोधन, पाश्चुरीकरण आदि विधियों का उपयोग किया जाता है । विभिन्न प्रकार के भोजन को अलग-अलग प्रकार से उपचारित करके भेजा या बेचा जाता है । किसी भी प्रकार के भोजन को प्रदाय करना तथा उसका प्रबन्धन दोनों ही महत्वपूर्ण है ।

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भोजन में यदि थोडी सी भी खराबी आने पर मनुष्य के लिए हानिकारक होती है । इसलिए भोजन को उचित प्रकार से सारी प्रक्रिया से उपचार करके भेजना या बेचना चाहिए ताकि मनुष्य के लिए कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न न हो ।

भोज्य परिरक्षा के सिद्धांत (Principles of Food Preservation):

भोजन परिरक्षण का निम्न प्रकार से बचाव करना आवश्यक है जिनमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए नहीं तो सूक्ष्मजीवी सड़न भोजन में शुरू हो जाती है:

(1) सूक्ष्मजीवों को बाहर निकालना (Asepsis Process)

(2) Filtration के द्वारा सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) को हटाना

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(3) सूक्ष्मजीवों के विकास और क्रिया में विभिन्न विधियों द्वारा रुकावट पैदा करना उदाहरण कम तापमान द्वारा, उच्च तापमान, सुखाना या रसायनों का उपयोग करना ।

(4) भोजन में स्वयं के द्वारा उत्पन्न सड़न को रोकना ।

(5) Food Enzymes को विनाश करना उदाहरण ब्लीचिंग ।

(6) रासायनिक क्रियाओं को रोकना जैसे Antioxidant का प्रयोग करके Oxidation का बचाव ।

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(7) सूक्ष्मजीवी पशुओं से होने वाली हानि का बचाव ।

(8) पैकिंग परिरक्षण में उचित रसायन का उपयुक्त उपयोग करना ।

भोजन Decomposed न हो इसके लिए विशेष विधियाँ भोजन संरक्षण के लिए उपयोग में लाते है सभी विधियाँ Food Preservation की एक या अधिक सिद्धान्तों पर आधारित होती है ।

(i) दूषित को हटाना (Removal of Contamination)

(ii) माइक्रोबियल वृद्धि और मेटाबालिज्म को रोकना (Inhibition of Microbial Growth and their Metabolism)

(iii) सूक्ष्मजीवों को मारना (Killing of Microorganism)

किण्वित भोजन (Fermented Food):

किण्वन एक विशिष्ट उपापचयी क्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है । किण्वन क्रिया का उपयोग पदार्थों को विशिष्ट गंध, आकृति एवं सुरक्षा प्रदान करने हेतु किया जाता है । एशिया तथा अनेका में विभिन्न प्रकार के किण्वित भोजन को तैयार किया जाता है लेकिन इस विधि का उपयोग अब विश्व व्यापी हो गया है ।

प्रायः यह देखा जाता है कि खाद्यान, दलहन आदि में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के कारण इनका रंग, स्वाद, गंध, गुणवत्ता में परिवर्तन हो जाता है । औद्योगिक स्तर पर किण्वित भोजन के उत्पादन हेतु सूक्ष्मजीवों का पृथक्करण एवं संवर्धन किया जाता है । अधिकांश किण्वित भोजन का उत्पादन ठोस सबस्ट्रेट किण्वन (Solid Substrate Fermentation) विधि द्वारा होता है ।

जापान में इस विधि को कोजी (Koji) के नाम से जाना जाता है । इस विधि के उपयोग में लाभ के साथ-साथ कुछ समस्याएँ भी हैं ।

जैसे:

(i) इनका मापन कठिन होता है ।

(ii) सम्पूर्ण प्रक्रिया के दौरान आवश्यक pH, तापमान, पोषक वितरण तथा आवश्यक अन्य कारकों का नियंत्रण कठिन होता है ।

(iii) O2 की आपूर्ति तथा CO2 का निष्कासन कठिन होता है ।

(iv) उष्मा का स्थानांतरण तथा निष्कासन सरल नहीं होता है ।

विभिन्न प्रकार से शिकार (मछ्ली, दूसरे जन्तुओं का Flesh) द्वारा भोजन प्राप्ति का तरीका जब कृषि आधारित तकनीकों द्वारा प्रतिस्थापित हो गया हो तो आवश्यकता से अधिक भोजन (Food) को परिरक्षित (Preserve) करने का प्रचलन प्रारम्भ हुआ ।

पूर्व समय में मांस (Meat), पनीर (Cheese) तथा दही (Curd) के परिरक्षित (Preserve) करने के लिए लवण (Salts) का उपयोग किया जाता था । इसी काल (Period) में मछलियों (Fishes) को परिरक्षित (Preserve) करने के लिए धूमण क्रिया का उपयोग किया जाता था ।

इसी संदर्भ में लुईस पाश्चर ने दूध में विकृति के बारे में बताया जो सूक्ष्म जीवों (Micro Organisms) द्वारा उत्पन्न होती है जो स्वयं उत्पन्न हो जाते है । उन्होंने बताया कि ऊष्मा उपचारित (Treatment) करने पर सूक्ष्मजीवों (Micro Organisms) की वृद्धि रुक जाती है ।

विभिन्न प्रकार के आंतरिक तथा बाह्य करक (Internal and External Factors) सूक्ष्मजीवों की वृद्धि तथा Preservation को नियंत्रित (Control) करते है । ये आंतरिक कारक pH, Moisture, पानी की उपलब्धता, ऑक्सीकरण (Oxidation), अपचयन (Reduction Potential) (विभव) भोजन की भौतिक प्रकृति (Physical Nature), उपलब्ध पोषक (Nutrient) तथा प्रति सूक्ष्मजीव कारक (Micro Organism Factors) तथा बाह्य कारक (External Factors) तापमान (Temperature), आपेक्षिक नमी (Relative Moisture), O2 तथा Co2 की उपस्थिति व सूक्ष्मजीवों के प्रकार व मात्रा के रूप में भोजन की विकृति (Spoilage) अथवा (Preservation) को प्रभावित करती है ।

कारक के प्रकार (Types of Factors Affecting Food Preservation):

भोजन परिरक्षण में तीन प्रकार के कारक (Factors) प्रभाव डालते हैं:

(1) आंतरिक कारक (Intrinsic Factor)

(2) बाह्य कारक (Extrinsic Factor)

(3) अन्य विधियाँ (Other Methods)

(1) आंतरिक कारक (Intrinsic Factor):

भोजन (Food) में उचित pH का होना अत्यंत आवश्यक है । कम pH पर यीस्ट (Yeast) में वृद्धि होती है । उदासीन (Neutral) अथवा अधिक pH पर जीवाणुओं (Bacteria) की वृद्धि होती है । इनके कारण प्रोटीन (Protein) लयन व पूयन क्रिया होती है व (Amine) यौगिकों व पानी की उपस्थिति तथा उपलब्धता भी सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) की वृद्धि को प्रभावित करती है ।

सामान्यतः भोजन (Food) को सुखाकर इसको विकृत (Spoilage) होने से रोका जा सकता है । यदि पानी की उपस्थिति हो तो शर्करा (Sugar) व लवण (Salts) के उपयोग से यह कम उपलब्ध हो पाता है । पानी की उपलब्धता को पानी की क्रियाशीलता (Water Activity) के रूप में मापा जाता है ।

जब भोजन में अधिक शर्करा (Sugar) या लवण (Salts) डाल दिया जाता है जो अतिपरासरी विलयन के कारण सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) का निजर्लीकरण (Sterilization) हो जाता है । फिर भी अति परासरी अवस्था में ओसमोफिलिक तथा जीयेफिलिक सूक्ष्मजीव (Microbes) वृद्धि कर सकते है तथा भोजन को विकृत (Spoilage) कर सकते है ।

पानी की उपस्थिति तथा उपलब्धता भी जीवों की वृद्धि को प्रभावित करती हैं सामान्यतया भोजन के सुखाकर इसको विकृत होने से रोका जा सकता हैं यदि पानी उपस्थित हो तो शर्करा व लवण के उपयोग से यह कम उपलब्ध होता है । पानी की उपलब्धता को पानी क्रियाशीलता के रूप में नापा जाता है ।

जब भोजन में अधिक शर्करा या लवण डाल दिया जाता है तो अतिपरासरी विलयन के कारण सूक्ष्मजीवों का निर्जलीकरण हो जाता है । फिर भी अतिपरासरी अवस्था में ओस्मोफिलिक तथा जीरोफिलिक सूक्ष्मजीव वृद्धि कर सकते हैं तथा भोजन को विकृत कर सकते है ।

भोजन का ऑक्सीकरण (Oxidation) अपचयन विभव (Reduction Potential) भी विकृति को प्रभावित करता है । भोजन को पकाने के बाद इनका ऑक्सीकरण अपचयन विभव कम हो जाता है । भोजन की भौतिक स्थिति (Physical) इसको विकृत होने से रोकती है ।

पिसाई (Grind) किए हुए भोजन की पृष्ठ सतह बढ़ जाती है तथा इनके विकृत (Spoilage) होने की संभावना अधिक रहती है कुछ खाद्य पदार्थों में प्रति सूक्ष्मजीव पदार्थ पाये जाते हैं जो सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकते हैं । अंडों (Eggs) में लाइसोजाइम (Lysozyme) की अधिक मात्रा पाई जाती है जो संक्रमित जीवाणु (Infected Bacteria) की Cell Wall को भेद (Penetrate) हो जाते हैं ।

(2) बाह्य कारक (Extrinsic Factor):

खाद्य पदार्थों की विकृति (Spoilage) को इसके परिक्षित माध्यम (Preservative Medium) के कारकों द्वार भी रोका जा सकता है । वातावरण की आपेक्षिक नमी (Relative Moisture) खाद्य पदार्थों की विकृति (Spoilage) को बढावा देती है । जब शुष्क खाद्य पदार्थ (Dry Food Material) को नम वातावरण में रखा जाता है तो सूक्ष्मजीवों (Micro Organism) की वृद्धि प्रारंभ हो जाती है ।

कुछ खाद्य पदार्थ प्लास्टिक की थैलियों में पैक रहते है । प्लास्टिक के द्वारा O2 का विसरण (Diffusion) होने के कारण सतही सूक्ष्मजीवों (Surface Micro Organism) में वृद्धि होती है । अधिक CO2 के कारण pH कम हो जाती है जिसके कारण सूक्ष्मजीवों (Micro Organism) की वृद्धि रूक जाती है । जब माँस (Meat) को CO2 युक्त माध्यम में परिक्षित (Preserve) किया जाता है जो ग्राम निगेटिव जीवाणु (Gram Negative Bacteria) की वृद्धि रुक जाती है लेकिन Lacto Bascillus की मात्रा बढ़ जाती है ।

(3) अन्य विधियाँ (Other Methods):

भोजन का परिरक्षण (Preservation) अन्य विधियों के द्वारा भी किया जा सकता है । भोजन की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि खाद्य पदार्थों को विकृत (Spoilage) करने वाले कारकों (Factors) को हटा दिया जाए या इनकी संख्या को कम कर दिया । यह संक्रमण (Infected) प्रायः खाद्य पदार्थों को पैक करते समय हो जाता है ।

खाद्य पदार्थों के परिरक्षण (Preservation) में निम्न विधियों का उपयोग किया जाता है:

(a) सूक्ष्मजीवों को भौतिक रूप से हटाना (Physical Removal of Micro Organisms):

पानी, शराब, बीयर ज्यूस तथा दूसरे पेय पदार्थों में उपस्थित सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) को छानकर (Filter) अलग कर सकते हैं । सूक्ष्म (Micro bacteriologic Filter) के द्वारा जीवाणुओं (Bacteria) को अलग कर दिया जाता है । फिल्टर (Filter) सुचारू रूप से कार्य करता रहे इस हेतु तरल (Liquid) को पहले छानकर अपकेन्द्रण (Centrifuge) किया जाता है । विभिन्न प्रकार की बीयर (Beer) को पाश्चुरीकरण के बजाए Filter किया जाता है ।

(b) तापीय प्रभाव (Temperature Effect):

उच्चताप (High Temperature) के कारण भी सूक्ष्मजीव (Micro-Organisms) की संख्या कम हो जाती है तथा खाद्य पदार्थों की विकृति (Spoilage) रुक जाती है । पाश्चुरीकरण (Pasteurization) से रोगजरक (Pathogenic) सूक्ष्मजीव (Micro Organisms) नष्ट हो जाते हैं व सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) की संख्या कम हो जाती है ।

निजर्मीकरण (Sterilization) का उपयोग निकोलस एपर्ट (Nicolous Apart) ने किया था इस विधि का उपयोग खाद्य पदार्थों के परीक्षण (Testing) में Canning में किया था । इस क्रिया में भोजन को 115C पर रिटोर्ट में गर्म किया जाता है । भोजन को गर्म करने का तापमान (Temperature) तथा समय भोजन की प्रकृति पर निर्भर करता है क्योंकि कई बार Canning के द्वारा सभी सूक्ष्मजीव (Micro Organisms) नष्ट नहीं होते है ।

केवल भोजन को विकृत (Spoilage) करने वाले सूक्ष्मजीव (Micro-Organisms) ही नष्ट होते है । ऊष्मीय उपचार (Heat Treatment) के पश्चात् can को अत्यधिक तेजी से ठंडा किया जाता है ।

5C तापमान पर Refrigenetion के कारण सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) की वृद्धि कम हो जाती है । यद्यपि लम्बे समय तक Freeze में रखने पर Microphillus तथा Cychrotroph की वृद्धि हो जाती है तथा खाद्य पदार्थ विकृत हो जाते है । Fruit, Juice, Ice-cream तथा Fruits में 10C तापमान पर भी सूक्ष्मजीव (Microbes) सक्रिय हो जाते हैं । कुछ सूक्ष्मजीव (Micro-Organisms) कम ताप के प्रति संवेदी (Sensory) होते है तथा इनकी संख्या कम हो जाती है ।

पाश्चुरीकरण (Pasturilization) में भोजन को अलग-अलग तापमान (Temperature) पर गर्म किया जाता है । जैसे दुग्ध (Milk), बीयर (Beer) तथा फलों के रस को 62.8C पर 30 मिनिट तक गर्म किया जाता है । यह क्रिया LTHP (Low Temperature Holding Pasteurization) कहलाती है ।

इसी प्रकार कुछ पदार्थों को 15 सेकंड तक गर्म किया जाता है । इसे HTSTP (High Temperature, Short Time Pasteurization) कहते है । कुछ पदार्थों को 141C ताप पर 2 सैकंड के लिए गर्म किया जाता है । इसे UHTP (Ultra High Temperature Pasteurization) कहते है ।

ऊष्मीय निर्जमीकरण (Sterilization) की विधि एक प्रकार की सांख्यिकी प्रायिकता पर आधारित है । इनके अनुसार खाद्य पदार्थ को एक निश्चित समय तक गर्म करने के पश्चात्‌ सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) की संख्या कम होती जाती है एक निश्चित pH पर सूक्ष्मजीवों (Microbes) को नष्ट करने के लिए-निश्चित ताप तथा समय की आवश्यकता होती है । इनको TDP तथा TDT के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है ।

(a) TDP (Thermal Death Point):

वह न्यूनतम तापमान (Temperature) जो 10 मिनिट में सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) को नष्ट करने के लिए आवश्यक हों ।

(b) TDT (Thermal Death Time):

वह न्यूनतम तापमान (Temperature) जिस पर सूक्ष्मजीवों (Microbes) को नष्ट करने के लिए लगने वाला समय सूक्ष्मजीवों को पूर्ण रूप से नष्ट करना संभव नहीं है । सूक्ष्मजीवों पर ऊष्मा के प्रभाव को समझने के लिए D नियतांक CD-Value का सहारा लिया जाता है ।

D मान के अनुसार एक दिये गए तापमान पर 10-90% हार्स में लिया गया समय होता है । औद्योगिक स्तर पर खाद्य पदार्थों की पैकिंग 12 D Unit पर की जाती है । विभिन्न खाद्य पदार्थों में एक ही प्रकार के सूक्ष्मजीव (Micro-Organisms) के लिए अलग-अलग मान होता है ।

(c) शुष्कन (Drying):

भोज्य पदार्थों को सुखाकर परिक्षित (Preserve) करने की युक्ति काफी वर्षों से प्रचलित है । इन पदार्थों में नमक या चीनी के उपयोग द्वारा निर्जलीकरण किया जाता है । सूर्य के प्रकाश (Sunlight) द्वारा कृत्रिम विधियों द्वार Artificial या शुष्कन (तक) द्वारा नमी को हटाया जाता है । वर्तमान में Freeze drying Method का उपयोग किया जाता है जिसमें खाद्यान्न, माँस, मछली तथा फलों को सुखाया जाता है ।

(d) विकिरण (Radiation):

सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) की वृद्धि की रोकने के लिए पराबैंगनी विकिरणों (Ultraviolet Radiation) का उपयोग किया जाता है । कोबाल्ट (Cobalt) – 60 से उत्पन्न गामा विकिरण (Gamma Radiation) का उपयोग भोजन के निजर्मीकरण हेतु किया जाता है । इन विद्युत चुम्बकीय विकिरणों में अत्यधिक भेदन (Penetrate) क्षमता पाई जाती है ।

इन विकिरणों से कोशिकाओं (Cells) में जल के द्वारा Paraoxide का उत्पादन होता है जिससे संवेदी कोशिकीय घटकों का ऑक्सीकरण (Oxidation) हो जाता है । इस क्रिया को Raddappertization कहते है । कुछ जीवाणु जैसे डीनोकोकस रेडियोड़स में Radiation के प्रति प्रतिरोधिता पाई जाती है । इन बैक्टीरिया भी Cell Wall में जटिल टेट्राड के समान रचना पाई जाती है । इस कारण विकिरण की अधिक डोज में भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पडता है ।