Read this article in Hindi to learn about the meaning and types of chemical preservatives.

रासायनिक परिरक्षण (Meaning of Chemical Preservatives):

रासायनिक परिरक्षण का उपयोग भोजन में उपस्थित सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) को मारने के लिए किया जाता है । रसायनों का उपयोग भोजन में मिलाकर सतह पर डालकर, भाप देकर या गैस Vapour के द्वार सुरक्षित करते हैं ।

कुछ रसायन प्रभावित हो सकते हैं, जो कि केवल एक निश्चित समूह के सूक्ष्मजीव पर प्रभाव डालते है जबकि दूसरे प्रकार के समूह पर नहीं डाल सकते है । रासायनिक परिक्षण हानिकारक नहीं होते है यह भोज्य पदार्थ का संग्रह करते समय उसमें डाले जाते हैं जो भोज्य पदार्थ द्वारा ले लिए जाते है, परन्तु कभी-कभी ये मानव या पशुओं के लिए जहरीले भी हो सकते है ।

रासायनिक परिरक्षण के प्रकार (Types of Chemical Preservatives):

यह तीन प्रकार के होते हैं:

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(I) कार्बनिक एसिड (Organic Acid)

(II) अकार्बनिक एसिड (Inorganic Acid)

(III) एन्टीबायोटिक (Antibiotics)

(I) कर्बनिक एसिड (Organic Acid):

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कुछ कार्बनिक एसिड और नमक जोकि सामान्य परिरक्षण है और ये Microbiostatic और Microbicidal Action के लिए चिन्हित है ।

(a) बेजोइक अम्ल एवं पेराबेन्स (Benzoic Acid and the Parabens):

सर्वप्रथम बेंजोइक अम्प को प्रयोग FDA द्वारा भोज्य परिरक्षण में किया गया । अब इसका प्रयोग अनेक प्रकार के भोज्य पदार्थों के संरक्षण के लिए किया जाता है ।

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बेन्जोइक अम्ल के व्यूत्पन्नों सूत्र संरचनात्मक सूत्र निम्न प्रकार है:

वेन्तोइक अम्ल की क्रियाशीलता pH के ऊपर निर्भर करती है । यह भोज्य पदार्थों की कम pH पर अधिक क्रियाशील होता है । बेन्जोइक अम्ल तथा इसके सोडियम लवण अर्थात् सोडियम बेन्जोएट (Sodium Benzoate) अधिक अम्लीय उत्पादों जैसे Apple, Cider, Soft Drinks, Tomato, Catchsup आदि का परिरक्षण करता है ।

अधिक अम्लीय भोज्य माध्यम से बेन्जोइक अम्ल जीवाणुओं की वृद्धि रोक देता है, किन्तु कुछ मोल्डस (Molds) तथा यीस्ट (Yeast) की वृद्धि को नहीं रोक पाता है । बेन्जोएट (Benzoates) अम्लीय भोज्य पदार्थों में मोल्ड्स तथा यीस्ट का संदमन (Inhibition) देता है । फलों के रसों के संरक्षण के लिए अधिकतम 0-1% का प्रयोग करने पर उनका स्वाद जीभ की जलन उत्पन्न करता है ।

बेन्जोइक अम्ल तथा इसके सोडियम लवण कई भांति मिथाइल एवं प्रोपायल पेराबेन्स (Propyl Parabens) को 0.1% तक भोज्य पदार्थों के संरक्षण के लिए प्रयोग में लाया जाता है । बीयर में हेप्टाइल पेसबेन्स 12 ppm तक तथा फले पेय पदार्थों के संरक्षण के लिए इसका प्रयोग 20 ppm पर होता है । प्रोपियोनेट्स (Propionates) तथा सोरबेट (Sorbate) की भाँति बेन्जोएट (Benzoate) सुक्ष्म-जीवों से भोज्य पदार्थों से परिरक्षित रखता है ।

बेंजोइक अम्ल और बेंजोएट का उपयोग सब्जियों (Vegetables) के परिरक्षण के लिए किया जाता है । सोडियम बेंजोएट का उपयोग जैली (Jellies), जैम (Jams), फलों के रस (Fruit Juice) और दूसरे अम्लीय खाद्य पदार्थों के परिरक्षण में किए जाते है ।

सैलिसिलिक अम्ल और सैलिसिलेट का उपयोग बेंजोएट के स्थान पर कर सकते है जबकि ये उपभोक्ता (Consumer) के स्वास्थ्य (Health) के अनुसार Deleterious Considered किया जाता है । सोरबिक अम्ल भोज्य पदार्थ की कवक खराबी को प्रभावशीलता को रोकने के लिए चिन्हित किया गया है ।

(b) सोरबिक अम्ल (Sorbic Acid):

सोरबिक अम्ल (CH3 CH-CHCH-CHCO-OH) अपने सोडियम केल्शियम या पोटेशियम लवणों के रूप में भोज्य पदार्थों का परिरक्षण (Preservation) करता है । ध्यान रहे कि इन लवणों की मात्रा 0.2% से अधिक न रहे । सोडियम बेन्जोएट की भाँति यह अम्लीय माध्यम में कवकों की वृद्धि का संदमन (Inhibition) करता है, किन्तु उदासीन माध्यम में इसकी क्रिया कम हो जाती है ।

सोरबिक अम्ल की क्रियाशीलता pH 60 से कम पर बहुत होती है । सोरबेट्‌स की उपस्थिति में मोल्ड्स (Molds), यीस्ट (Yeast) तथा जीवाणु (Bacteria) वृद्धि नहीं कर पाते हैं । अनेक उत्पादों में सोरबेटस् (Sorbates) का प्रयोग कवकरोधी (Fungistates) के रूप में किया जाता है ।

जैसे Cheeses, Bakery Products, Fruit Juice, Beverages, Salad Dressings आदि मोल्ड्स में सोरबेट्‌स डीहाइड्रोजिनेज एन्जाइम्स के तत्र का संदमन कर देता है । इसके कारण एण्डोस्पोर्स (Endospores) का अंकुरण रुक जाता है जिससे कायिक कोशिकाओं में अतिवृद्धि (Outgrowth) नहीं होती है ।

लिपोफिलिक अम्ल (Lipophilic Acid), सोरबेट्स (Sorbates) बेन्जोएट्‌स (Benzoates) तथा प्रोपियोनेट्‌स (Propionates) का प्रयोग संरक्षण (Preservatives) की भाँति किया जाता है, क्योंकि इनकी उपस्थिति में सूक्ष्म-जीवों की कोशिकाएँ वृद्धि नहीं कर पाती हैं ।

(c) ऐसीटिक अम्ल तथा लेक्टिक अम्ल (Acetic Acid and Lactic Acid):

यह दोनों कार्बनिक अम्ल भोज्य पदार्थों के संरक्षण का कार्य करते है । कार्बनिक अम्लों जैसे प्रोपियोनिक अम्ल (Propionic Acid) एवं लेक्टिक अम्ल (Lactic Acid) का प्रभाव एण्टीमाइक्रोबियल होता है, क्योंकि दोनों अम्लों द्वारा pH बहुत कम हो जाता है, जिससे सूक्ष्म-जीवों में वृद्धि नहीं हो पाती है तथा उपापचयी क्रियाओं में संदमन (Inhibition) हो जाता है, क्योंकि अम्ल के अणु पृथक्कीकरण नहीं करते हैं ।

(d) फलों के लिए एण्टीफंगल कर्मक (Antifungal Agents for Fruits):

फलों को वृक्षों से पृथक करने के पश्चात् कुछ रासायनिक पदार्थों द्वारा उपचारित किया जाता है जिससे कवक नियंत्रित रहते हैं ।

(e) सोडियम डाइएसीटेट (CH3COONa.CH3COOH.XH2O):

यह ऐसीटिक अम्ल का व्यूत्पन्न होता है जिसे डबल रोटी तथा केक्स (Cakes) में मोल्डीनेस (Moldiness) रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है । कर्बनिक अम्ल जैसे साइट्रिक अम्ल, शीतल पेय (Soft Drinks) भोज्य पदार्थों का संरक्षण करते है । अन्य पदार्थों के साथ H2O2 का प्रयोग भोज्य संरक्षण के लिए किया जाता है ।

उदाहरण – ब्रेड (Bread) में Mold Growth को रोकने के लिए चीज (Cheese) के लपेटने वाले पदार्थ (Wrapping Material) को इससे उपचारित (Treated) किया जाता है । इसका उपयोग मीठे अचार (Sweet Pickle) और खीरे (Cucumbers) और जैतून (Olives) के लेक्टिक किण्वन को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है ।

जो भोज्य पदार्थ किण्वन प्रक्रिया के द्वारा बनाए जाते है उन्हें संरक्षित करने के लिए लेक्टिक एसिटिक अम्ल और प्रोपिऑनिक अम्ल का उपयोग किया जाता है उदाहरण दूध के उत्पाद (Milk Products) आदि । खुशबू वाले रस (वनिला, लेमन) को 50-70% ऐल्कोहल में संरक्षित किया जाता है ।

(II) अकार्बनिक एसिड एवं साल्ट (Inorganic Acid and their Salts):

सामान्य अकार्बनिक एसिड (Inorganic Acids) और उसके Salts जैसे सोडियम क्लोराइड (Sodium Chloride), हाइपो क्लोराइटस् (Hypochlorites) सल्फ्यूरस एसिड (Sulphurous Acids), सल्फाइट्‌स (Sulphites) सल्फर डाइ ऑक्साइड (Sulphur Dioxide), सोडियम नाइट्रेट (Sodium Nitrate) और सोडियम नाइट्राइट (Sodium Nitrite) है ।

(a) सोडियम क्लोराइड (Sodium Chloride):

सोडियम क्लोराइड उच्च ओस्मोटिक दाब उत्पन्न करता है और प्लासमोलाइसिस के द्वारा बहुत से सूक्ष्मजीव के Destruction का कारण है । भोजन के Dehydration का कारण Micro Organisms है, जो Ionization द्वारा Chlorine Ion Releases (उत्पन्न) होते है ।

ये Micro Organisms को मार देते है । नमी (Moisture) में ऑक्सीजन (Oxygen) की Solubility को कम करते है तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड (Carbondioxide) की विपरीत Microbial Cells कार्य करने लगती है और ये Proteolitic Enzymes की क्रिया में बाधा डालती है । इसलिए सामान्य नमक का उपयोग परिरक्षण के लिए अधिक किया जाता है ।

(b) हाइपोक्लोराइटस (Hypochlorities):

मीडियम के Organic Matter Content में Hypochlorous Acid Salts के द्वारा उत्पन्न होता है जो Medium में उपस्थित Germicide को प्रभावित करते है । यदि Medium में अधिक Organic Matter न हो इनकी क्रिया Oxidative होती है ।

इसको सामान्यतः Sodium और Calcium Hypochlorites के रूप में उपयोग में लाते है । पीने का पानी (Drinking Water) या वो जल जो भोजन (Foods) को धोने के लिए उपयोग में लाते हैं या बर्फ जमाने (Icing) में इन जल में Hypochlorites साथ घोलकर बनाते हैं ।

(c) सल्फ्यूरिक एसिड और सल्फाइटस (Sulphurous Acid and Sulphites):

Sulphurous Acid और Sulphites, शराब में संरक्षण के रूप में मिलाए जाते है । सूखे मावा (Dry Fruits) के परिरक्षण में विशेष रूप से सल्फ्यूरस अम्ल का उपयोग करते है । यह फफूँद (Molds) को बढ़ने से रोकता है तथा मूल रंग को यथावत रखने मैं सहायता करता है जो यीष्ट और बैक्टीरिया को नियंत्रित करते है ताकि कोई परिवर्तन उत्पन्न न हो । केनिंग में पोटेशियम मेटाबाईसल्फाइट का उपयोग करते हैं ।

(d) सल्फर डाइ ऑक्साइड (Sulphur Dioxide):

सल्फर डाइ ऑक्साइ का प्रभाव विरंजित (Bleaching) का होता है । यह कुछ फलों में यह प्रभावित होता है जो फलों को (Bleach) करते हैं और यीस्ट (Yeast) और फफूँद (Molds) की वृद्धि (Growth) को दबा देते है । फलों (Fruits) को सुखाने के लिए गैस (Gas) से उपचारित किया जाता है । इसे शीरे (Molasses) में भी उपयोग किया जाता है ।

(e) नाइट्रेट्‌स और नाइट्राइट (Nitrates and Nitrites):

नाइट्रेटस और नाइट्राइस (Nitrates और Nitrites) बैक्टीरियल वृद्धि (Bacterial Growth) पर रुकावट का प्रभाव डालते हैं और माँस (Meat) और मछली (Fish) के Preservation के लिए उपयोग में लाते हैं और माँस (Meat) के लाल रंग के के लिए भी उपयोग करते है ।

नाइट्रेट (Nitrate) नाइट्रस Acid (Nitrous Acid) में Change हो जाता है जो Myoglobin के साथ क्रिया करके Nitric Oxide Myoglobin देता है । बाद में यह माँस बनाने और अच्छे Attractive Appearance देता है जो Bright Red Colour का होता है ।

जबकि नाइट्रेट और नाइट्राइट दोनों विषाक्त (Poisonous) होते है । शुद्ध जल भोजन उत्पाद में बहुत कम मात्रा में पाया जाता है । इन रसायनों का परिरक्षण में उदारतापूर्वक उपयोग नहीं हो सकता तथा माँस (Meat) और मछली (Fish) में इसका उपयोग होता है या नहीं यह प्रश्न बना हुआ है ।

(f) नमक एवं शर्करा (Salt (NaCl) and Sugars):

यह दोनों पदार्थ समान क्रिया करते हैं जिससे भोज्य पदार्थ संरक्षित रहते हैं । बहुत पुराने समय से ही भोज्य पदार्थों के संरक्षण के लिए नमक प्रयोग में लाया जा रहा है । पहले मास का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता था । अतः नमक को माँस के संरक्षण के लिए प्रयोग किया जाता था । वास्तविकता यह है कि नमक (NaCl) की अधिक सांद्रता के फलस्वरूप भोज्य एवं सूक्ष्म-जीवों पर शुष्कन (Drying) प्रभाव पडता है ।

शर्करा का प्रभाव संरक्षण में नमक की भाँति होता है । अन्तर इतना है कि नमक की अपेक्षा छः गुना शर्करा की आवश्यकता संरक्षण के लिए होती है ।

(g) फ्लेवरिंग कर्मक (Flavouring Agents):

यह भोज्य पदार्थों को विशेष प्रकार की अच्छी गन्ध देते हैं, साथ-ही-साथ एण्टीफंगल तथा एण्टी बेक्टीरियल भी होने हैं और भोज्य संरक्षण करते हैं ।

(h) ऐसीटिक अम्ल तथा लेक्टिक अम्ल (Acetic Acid and Lactic Acid):

यह दोनों कार्बनिक अम्ल भोज्य पदार्थों के संरक्षण का कार्य करते हैं । कार्बनिक अम्लों जैसे प्रोपियोनिक अम्ल (Propionic Acid) एवं लेक्टिक अम्ल (Propionic Acid) का प्रभाव एण्टीमाइक्रोबियल होता है, क्योंकि दोनों अम्लों द्वारा pH बहुत कम हो जाता है, जिससे सूक्ष्म-जीवों में वृद्धि नहीं हो पाती है तथा उपापचयी क्रियाओं में संदमन (Inhibition) हो जाता है, क्योंकि अम्ल के अणु पृथक्कीकरण नहीं करते हैं ।

(i) फलों के लिए एण्टीफंगल कर्मक (Antifungal Agents for Fruits):

फलों को वृक्षों से पृथक करने के पश्चात् कुछ रासायनिक पदार्थों द्वारा उपचारित किया जाता है जिससे कवक नियंत्रित रहते है ।

(III) एन्टीबायोटिक (Antibiotics):

Aureomycin (Chlorotetracycline) सामान्यतः ठंडी स्थिति (Chilling Conditions) में परिरक्षण के लिए प्रतिजैविक का उपयोग किया जाता है । मछली माँस और चिकन मीट (Polutry) के परिरक्षण के लिए इसका उपयोग फैला हुआ है ।

इसका उपयोग ताजे माँस (Fresh Meat) की सतह पर या Antibiotic के विलयन (Solution) में भिगोकर (Dip) या Animal को Slaughter Place पर ले जाने से पहले कुछ दिन या एक दिन पहले पानी में घोल कर पिला देते है । मछली के परिरक्षण में बर्फ (Ice) या पानी (Water) में प्रतिजैविक मिलाकर मछली को पहुँचाया जाता हैं ।

एन्टीबायोटिक्स (Antibiotics) को परिरक्षक का उपयोग करने में कोई अन्तर नहीं होता है जबकि प्रतिजैविकके उपयोग से खाद्य पदार्थ को बचाया जा सकता है जबकि भोजन पकाने (Cooking) से Demobised हो जाता है परन्तु मनुष्य के Internal Flora में भोजन Constantly नहीं रहता है क्योंकि Antibiotic के प्रभाव से भोजन Constantly नहीं रहता है । शरीर में सूक्ष्मजीवाणु के Strains, Antibiotic के परिवर्तन विकास से रुक जाते है । कुछ प्रतिजैविक से रह जाते हैं तो एलर्जी उत्पन्न हो जाती है । इसके अतिरिक्त Radiation से भी Preservation कर सकते हैं ।

इसको मुख्य तीन भागो में बाँटा गया है:

(a) गामा रे और उच्च ऊर्जा इलेक्ट्रॉन बीम पुंज (Gamma Rays and High Energy Electron Beams):

Gamma Rays और High Energy के इलेक्ट्रॉन बीम का उपयोग वे ताजे Food, Canned Food और Packed Food के परिरक्षण के लिए किया जाता है क्योंकि इस Rays का Penetration बहुत प्रभावित होता है । यह पेनिट्रेशन 15 cm तक भोज्य पदार्थ की गहराई में पहुँच जाता है ।

भोज्य पदार्थ परिरक्षण जो विकिरण उपयोग के द्वारा किया जाता है उसे शीत निर्जमीकरण कहते है । इसे उत्पाद (Product) के तापमान में कुछ डिग्री (Degree) बढा कर करते है ।

(b) पराबैंगनी किरणे (Ultraviolet Rays):

यह एक छोटी (Short) तरंग (Waves) होती है जिनका उपयोग Food की सतह को कीटमुक्त (Sterilize) करने के लिए किया जाता है । ये किरणें (Rays) जल के उपचार, पेय पदार्थों (Beverages), माँस की पैकिंग (Packing of Meats), बेकान स्लाइस की पैंकिंग (Packing of Sliced Bacon), ब्रेड के स्लाइस (Bread Slicing), आदि को कीटमुक्त बर्तन (Sterilized Utensils) में रखकर किरणों (Rays) का उपयोग करके बचाया जाता है ।

इसमें सतह (Surface) पर Rays को डाला जाता है और Preserve किया जात है । अचार (Pickles) चीज (Cheese) को हवा से दूषित होने से बचाने के लिए Rays को सतह पर डाला जाता है ।

शीत भण्डारण कक्ष जो माँस प्रसंस्करण संयंत्रों (Meat Processing Plants) में लगे होते हैं कुछ समय के लिए उसमें कीटाणुनाशक लैंप लगे रहते है जो लम्बे समय तक सतह को खरब करने में असमर्थ होते हैं इसलिए यह कक्ष लम्बे तक Spoilage-Free Storage रहता है ।

(c) रेडिएशन पाश्चुरीकरण (Radiation Pasteurization):

Radiation के Intermediate Dosage के द्वारा Micro Organisms 98% मर जाते हैं । परन्तु 100% नहीं । जब कम तापमान (Temperature) पर कुछ माँस (Meat) सी भोजन (Sea Foods) कुछ फल (Certain Fruits) और सब्जियाँ (Vegetables) को Store किया जाता है ।

तब Radiation Pasteurization विधि को अपनाया जाता है । यह अधिकतर Industrial Method, Food के Processing के लिए अपनाया जाता है जबकि Radiation का प्रभाव रंग (Colour) सुगंध (Flavour) भोजन की पोषकता (Nutritional Quality of Food) खुशबू (Odour) Texture पड़ता है ।

परन्तु बहुत सावधानी पूर्वक इसका उपयोग करना चाहिए । रासायनिक चेंज (Chemical Change) भोज्य उत्पाद (Food Products) में विकिरण के द्वारा हो सकते है जिसके कारण मनुष्य व जन्तुओं पर बुरे प्रभाव पड सकते है । अतः इन विकिरण का उपयोग आवश्यकतानुसार तथा सावधानीपूर्वक करना चाहिए ।

इस प्रकार भोज्य पदार्थों का परिरक्षण करने के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है । ये रसायन कर्बनिक या अकार्बनिक होते है । इन रसायनों में सोडियम नाइट्राइट का उपयोग क्लोस्ट्रीडियम के Spores के अंकुरण (Germination) को रोकने में सहायक होता है ।

माँस को यदि गर्म करते हैं तो उसमें द्वितीयक एमिन (Secondary Amine) का निर्माण होता है जो नाइट्राइट से क्रिया करके Nitros Amine का निर्माण करते है । ये कैसर उत्पन्न करने में सहायक होते है । निसिन तथा नेटामाइसिन का उपयोग विभिन्न देशों में किया जाता है ।

निसिन का निर्माण स्ट्रेप्टोकोकस लेक्टिस (Streptococcus Lactis) के द्वारा किया जाता है । भोज्य पदार्थ से संबंधित प्रक्रिया में उपकरणों का उपयोग होना तथा उन उपकरणों में सूक्ष्मजीव की वृद्धि को रोकने के लिए Ultra Radiation का उपयोग किया जाता है ।

कोबाल्ट 60 से उत्पन्न गामा किरणों का भोजन के निर्जमीकरण हेतु किया जाता है । इन विकिरण से कोशिका में जल के द्वारा परोक्साइड का उत्पादन होता है । जिससे Sensory Cells Component का ऑक्सीकरण हो जाता है । इस क्रिया को Raddappertization कहते है ।

कुछ बैक्टीरिया जैसे डोनोकोकस रेडियोइस में विकिरणों के प्रति प्रतियेधिता पायी जाती है । इन बैक्टीरिया की कोशिका भित्ती में जटिल टेट्राड (Tetrad) के समान रचना पाई जाती है । इस कारण विकिरण की अधिक खुराक से भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । इसके अतिरिक्त Radiations से भी Preservation कर सकते हैं ।