Read this article in Hindi to learn about the compression system of refrigeration.
संपीडक प्रशीतन प्रणाली पाँच मुख्य भागों द्वारा पूरी होती है:
1. संपीडक (Compressor)
2. संघनित्र (Condenser)
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3. द्रव संग्रहक (Liquid Receiver)
4. विस्तार वाल्व (Expansion Valve)
5. वाष्पित्र (Evaporator)
वाष्प संपीडक प्रशीतन प्रणाली के मुख्य व सहायक भागों की रचना एवं क्रिया विधि निम्नलिखित प्रकार से वर्णित की जा रही है:
System # 1. संपीडक (Compressor):
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यह एक प्रकार का पिस्टन पम्प होता है जो NH3 को दबाव के साथ Condenser में भेजता है । इस पम्प में NH3 वाष्पीकरण (Evaporation) द्वारा पूर्ण रूप से वाष्प में बदल जाता है । खिंचाव वाले वाल्व (Suction Valve) द्वारा Compressor में ये वाष्प खींच ली जाती है ।
यहां पर इसका संपीडन (Compression) किया जाता है जिससे गैस का आयतन घटता है तथा Boiling Point बढ़ता है । यह संपीडित गैस Condenser में भेजी जाती है जहां पर यह गैस सामान्य दबाव पर पानी द्वारा ठण्डी होकर द्रवीभूत हो जाती है ।
सामान्य रूप से दो प्रकार के संपीडक (Compressor) प्रयोग में लाये जाते हैं:
1. Single Acting Compressors
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2. Double Acting Compressors
प्रशीतन प्रणाली में 50 टन क्षमता तक Single Acting Compressor प्रयोग में लाये जाते है । संपीडक यन्त्र के चलाने के लिए यन्त्र की प्रशीतन क्षमता की दो गुणी अश्व शक्ति की आवश्यकता होती है । उदाहरण के लिए 50 टन क्षमता के संपीडक यंत्र को चलाने के लिए 100 अश्वशक्ति के विद्युत मोटर या इंजन की आवश्यकता होती है । एक उत्तम संपीडक वह यंत्र है जिसका उद्वाष्पक (Evaporator) सम्पूर्ण वाष्प को ग्रहण कर लेता है ।
संपीडक के तीन कार्य मुख्य होते हैं:
1. प्रशीतक का बारी-बारी से Vaporization तथा Condensation करके बन्द प्रणाली में प्रशीतक को उचित चक्र (Regular and Proper Circulation) में बनाये रखे ।
2. Evaporator से जल्दी-जल्दी वाष्प को खींच कर निकालना ताकि इस भाग में बनने वाली प्रशीतक वाष्प एकत्र न हो तथा दाब उत्पन्न न होने पाये । तथा कम दाब (Low Pressor) की स्थिति बनी रहे ताकि तरल अमोनिया (NH3) का लगातार वाष्पीकरण होता रहे ।
3. कम दाब एवं कम ताप वाली प्रशीतक गैस को बिना बाह्य ठप्पा का प्रयोग किये Compress करके संपीडक (Compressor) द्वारा ही Condenser में भेजा जाता है ।
यन्त्र में अधिक Head Pressure होने पर इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है । यदि Suction Pressure कम हो गया तो प्रति कि.ग्रा. प्रशीतक वाष्प का अधिक आयतन पम्प किया जायेगा । तथा Compressor अपेक्षाकृत कम वाष्प को Compress कर पायेगा ।
Compressor Oil में मिलकर की मात्र नहीं होना चाहिए ताकि Corrosion की सम्भावना न रहे । तेल का Pour Point कम हो ताकि Evaporator के ठण्डे तापमान पर यह तेल तरल अवस्था में बना रहे । यह तेल Compressor की कार्य दशाओं में 149०C या अधिक तापमान पर भी स्थिर (Stable) होना चाहिए ।
System # 2. संघनक (Condenser):
संघनक में संपीडित अमोनिया (Condensed NH3) संपीडक (Compressor) से आती है । जहां पर यह गैस 65०F (18.3०C) ताप वाले पानी द्वारा कुण्डलों में ठण्डी होकर द्रव में परिवर्तित हो जाती है । अधिक दबाव के कारण गैस का उबलांक (B.P.) बढता जाता है ।
फलस्वरूप इस ताप पर गैस का द्रव में परिवर्तन सम्भव है । इस दाब (Head Pressure) में परिवर्तन करने से गैस का द्रव में परिवर्तन का ताप परिवर्तित हो जाता है । विभिन्न प्रशीतक पदार्थों के संपीडक की चाल, संपीडक का आकार, संघनक में गैस का दाब व ठण्डा करने का तापमान भिन्न-भिन्न होता है ।
सामान्यतया तीन प्रकार के संघनक प्रयोग किये जाते है:
1. Air Cooled Type
2. Water Cooled Type
3. Evaporative Type
डेरी उद्योग में सामान्यतया Water Cooled Type Condenser प्रयोग किये जाते है ये भी तीन प्रकार के होते है ।
1. Double Tube Type.
2. Shell and Coil Type.
3. Shell and Tube Type.
System # 3. द्रव संग्रहक (Liquid Receiver):
यह एक लोहे का बना सिलिंडर होता है जिसमें Condenser से द्रव अमोनिया (Liquid Ammonia) आकर एकत्र होती रहती है । यह Cylinder एक तरफ से Condenser द्वारा तथा दूसरी तरफ की Bottom से एक पाईप द्वारा Expansion से जुड़ा रहता है । संग्रहक में द्रव अमोनिया Condenser से आकर Expansion Valve द्वारा Evaporating Coils में जाती रहती है ।
System # 4. विस्तार वाल्व (Expansion Valve):
इसे Pressure Reducing Valve भी कहते हैं । यह विस्तार कुण्डल या उद्वाष्पक (Evaporator) तथा द्रव संग्रहक (Liquid Receiver) के मध्य लगाया जाता है । इसका कार्य प्रशीतक को अधिक दाब से कम दाब की ओर एक निर्धारित मात्रा में विस्तार कुण्डलों में भेजना होता है ।
तरल फार्म, का अधिक दाब (150 से 180 PSI) से कम दाब (5-20 PSI) की ओर प्रवाह इसी Valve द्वारा नियमित (Regulate) होता है । दाब कम होने से NH3 का Boiling Point कम हो जाता है । यह अमोनिया कम दाब कम ताप पर शीघ्र उबलने के लिए विस्तार कुण्डलों से उष्मा का अवशोषण करती है ।
विस्तार कुण्डलों (Evaporating Coils) के माध्यम से वातावरण से NH3 गुप्त उष्मा को अवशोषित करके शीघ्रता से कम ताप पर वाष्पीकृत हो जाती है । तथा NH3, द्वारा गुप्त उषा के शोषण के कारण विस्तार कुण्डल ठण्डे होकर आस-पास के वातावरण को ठण्डा करते रहते हैं । अर्थात् उस वातावरण में रखे पदार्थों से उष्मा का शोषण करते है जिसके कारण पदार्थ ठण्डे हो जाते है ।
System # 5. विस्तार कुण्डल या उद्वाष्पिक कुण्डल (Expansion or Evaporating Coils):
जहां पर प्रशीतन की आवश्यकता होती है उन स्थानों पर ये कुण्डल लगा दिये जाते है । कटाव रोकने के लिए (To Prevent Corrosion) अमोनिया प्रणाली में Mild Steel के कुण्डल प्रयोग किये जाते है । इन कुण्डलों में Expansion Valve के रास्ते प्रशीतक आता है ।
जहां पर यह ठण्डे होने वाले पदार्थों से उष्मा लेकर कम दाब पर (-) 33.3०C तापमान पर उबलने लगता है तथा गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है । इस प्रकार यह तरल अमोनिया गैस में परिवर्तित होते समय शीत ग्रह या पदार्थ की ऊष्मा ग्रहण कर लेता है तथा पदार्थ का तापमान कम हो जाता है ।
यह गैस संपीडक द्वारा खींची जाती है तथा दाब बढाकर Condensing Coils में भेज दिया जाता है । इस प्रकार यह चक्र (Cycle) चलता रहता है । चक्र में यही अमोनिया घूमती रहती है । शीत ग्रह तथा Brine Circulation में Coil Type Expansion, पानी व ब्राईन के लिए Shell and Type Expansion तथा आईसक्रीम फ्रीजर में हवा व Drum को ठण्डा करने के लिए Finned Oil Type Expansion प्रणाली का प्रयोग किया जाता है ।