“माफी” पर गैलीलियो गैलीलि का भाषण | Speech of Galileo Galilei on “Apologies” in Hindi Language!

सत्तारवीं शताब्दी के महार खगोलशास्त्री मैला-लियो गैलिली ने अपनी पुस्तक  ‘डायलॉग कंसर्निग द टू वर्ल्ड सिस्टम्स’ में प्रतिपादित किया था कि पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केन्द्र में नहीं है । सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करता बल्कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है ?

पृथ्वी स्थिर नहीं, वह घूमती है आदि । ये सभी बातें ‘बाइबिल’ की धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध जाती थीं ? ऐसी महापापपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए गैलीलियो पर सन 1633 में मुकदमा चलाया गया । अपनी जान बचाने के लिए उन्हें अपना मत त्यागने और क्षमा-याचना के लिए मजबूर होना पड़ा ।

उन्होंने 22 जून को तत्सम्बन्धी निम्नलिखित क्षमा-याचना की:

ADVERTISEMENTS:

‘सभी अतिविशिष्ट व्यक्तियों व आस्तिक ईसाइसों के मन से मेरे खिलाफ समुचित कारणों से उत्पन्न आशंका को दूर करने के उद्देश्य से मैं सच्चे मन और निष्कपट आस्था के साथ अपनी उपर्युक्त गलतियों अपधर्म व पवित्र गिरजाघर के विपरीत की गयी सभी अन्य गलतियों मत आदि का शपथपूर्वक त्याग करता हूं उनके लिए स्वयं को कोसता हूं, और उनसे नफरत करता हूं ।

मैं शपथ लेता हूं कि भविष्य में कभी मौखिक या लिखित रूप से कोई ऐसी अभिव्यक्ति या दावा नहीं करूंगा, जो मेरे बारे में इस जैसी आशंका पैदा करे ।  ‘मैं, गैलीलियो गैलिली ने ऊपर कहे अनुसार शपथपूर्वक मत त्याग किया है, शपथ ली है और खुद को वचनबद्ध किया है ।

मैंने इसे सत्यापित करने के लिए मत-त्याग के इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये हैं । मैंने सन् 1633, बाइसवें दिन रोम में, मिनर्वा के कॉन्वेण्ट में इसे शब्दश: पढ़कर सुनाया है । मैंने गैलीलियो गैलिली ने अपने हस्ताक्षरों के साथ ऊपर कहे अनुसार अपने मत का शपथपूर्वक त्याग किया है ।’ कहते हैं, इस प्रकार अपने मत-त्याग की शपथ लेने और क्षमा-याचना के लिए घुटनों के बल बैठे गैलीलियो जब उठे, तो वह धीरे-से बोले: ‘मैं फिर कहूंगा कि यह (पृथ्वी) घूमती है ।’