Read this article in Hindi to learn about:- 1. डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का अर्थ (Meaning of DNA Fingerprinting) 2. डी.एन.ए. फिन्गर प्रिन्टिंग की विधि (Process of DNA Fingerprinting) 3. तकनीक (Techniques) and Other Details.
डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का अर्थ (Meaning of DNA Fingerprinting):
हत्या या बलात्कार जैसी गम्भीर अपराधों में जब कोई ठोस सबूत (Evidence) का पता नहीं चलता है या संदेही की पहचान मुश्किल होती है, तब ऐसी विधि की आवश्यकता महसूस की गई जो कि अपराधी को पहचानने में अचूक एवं विश्वसनीय हो ।
वैज्ञानिकों ने एक इसी तरह की विधि (Method) की खोज की, जिसमें प्रतिबन्ध खण्ड लम्बाई बहूरूपिता (Restriction Fragment Length Polymorphism, RFLP) द्वारा किसी व्यक्ति के DNA का मैप बनाया जाता है । इस विधि (Method) को DNA फिंगर प्रिंटिंग के नाम से जानते है ।
RFLP के लिए बहुउपयोगी प्रोब (Probe) की आवश्यकता होती है और इस तरह का प्रोब बैण्डेड क्रैट सर्प से प्राप्त GATA होता हैं तथा इसी प्रोब का उपयोग किया जाता है । इस विधि (Method) में सूक्ष्म सैटेलाइट DNA जैसे अत्यधिक बहुरूपिता वाले DNA क्रमों का भी प्रोब (Probe) के रूप में उपयोग करते हैं ।
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DNA फिंगर प्रिंटिंग एक ऐसी विधि है जिसकी सहायता से विभेदों, अपराधियों, वारिस सम्बन्धी समस्याओं का समाधान किया जाता है । सभी मनुष्यों (Humans) में पाई जाने वाली DNA के कुल न्यूक्लियोटाइड का 1% भाग ही भिन्न होता है ।
परन्तु मानव (Human) के जहाँ 300 मिलियन न्यूक्लियोटाइड की भारी संख्या में यह 1% भाग भी बड़ी मात्रा होती है । हमारे जीनोम कई सौ क्षेत्र विशिष्ट होते हैं तथा यही विशिष्ट क्षेत्र प्रत्येक मनुष्य (Humans) के DNA को अपने में अलग विशिष्टता प्रदान करते हैं ।
डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग में कार्य निम्नलिखित चरणों में पूर्ण की जाती है:
(1) सर्वप्रथम सम्बन्धित आदमी के DNA का नमूना लेते हैं । नमूना (Sample) लेने का कार्य रक्त से करते हैं । नमूना कभी-कभी वर्षों पुराने कार्य के धब्बों, रक्त के धब्बों, बलात्कार पीड़ित महिला के योनि से नमूने, हत्या किये गये व्यक्ति की अस्थियाँ, बाल (Hair) आदि से लिये जा सकते हैं । इस विधि में केवल कुछ नैनोग्राम (10-9 gm) DNA की आवश्यकता होती है ।
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(2) प्राप्त किये नमूने (Sample) के DNA का उपयुक्त प्रतिबन्ध एन्जाइम से पाचन करते हैं ।
(3) प्रतिबन्ध एन्जाइम से क्रिया के बाद DNA का जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस करके पृथक्करण किया जाता है ।
(4) जेल (Gel) में DNA को डीनेचर (Denature) करने के बाद एक नाइट्रोसेल्युलोस फिल्टर (Nitrocellulose Filter) पर स्थानान्तरित करते हैं । DNA को फिल्टर पेपर पर स्थित करने के लिए 80°C पर बैक (Bake) करते हैं ।
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(5) अब फिल्टर (Filter) पर उपस्थित DNA को उपयुक्त रेडियोचिन्हित प्रोब (Radiolabelled Probe) से हाइब्रिडाइज करते हैं । मुक्त प्रोबस (Probes) को धोकर हटा लेते हैं और हाइब्रिडाइज (Hybridize) बैण्डों को ऑटोरेडियोग्राफी द्वारा ज्ञात करते हैं ।
इस तरह से प्राप्त DNA बैण्डों का पैटर्न ही DNA फिंगर प्रिंटिंग कहलाता है । इस विधि (Method) का उपयोग करके बलात्कार के संदेही व्यक्ति एवं पीड़ित व्यक्ति से प्राप्त DNA की तुलना (Comparison) की जाती है । दोनों छाप एकसमान होने पर माना जाता है कि संदिग्ध व्यक्ति ही अपराधी है ।
आनुवंशिक सलाह (Genetic Counseling) तथा बोन मेरी ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) में दाता कोशिकाओं (Donor Cells) की आवृत्ति ज्ञात करने में भी DNA फिंगर प्रिंटिंग विधि का प्रयोग किया जाता है । इसी तरह से पशुपालन में पैतृकता (Parentage) पहचानने तथा मार डाले गये पशुओं की पहचान एवं किसी बच्चे से असली माँ-बाप को पहचानने में भी इस विधि (Method) का उपयोग किया जाता है ।
डी.एन.ए. फिन्गर प्रिन्टिंग की विधि (Process of DNA Fingerprinting):
DNA खण्डों के इन्डोन्युक्लियेज की सहायता से विदलन द्वारा निश्चित व्यक्ति की पहचान DNA फिंगर प्रिंटिंग कहलाती है । DNA की संरचना तथा आनुवंशिकता प्रत्येक जीव में विशिष्ट प्रकार की होती है जो दूसरे व्यक्ति से भिन्नता (Difference) प्रदर्शित करती है ।
प्रत्येक जीव का DNA क्रम उसके माता एवं पिता के DNA क्रम का संयोग होता है । इस तकनीक द्वारा किसी व्यक्ति, अपराधी, बलात्कारी और किसी बच्चे के माता-पिता की पहचान की जाती है । इस तकनीक द्वारा कपड़े पर प्राप्त रक्त के धब्बों भले ही वे वर्षों पुराने हों, की सहायता से अपराधी (Criminal) की पहचान भी की जा सकती है ।
भारत वर्ष में इस तकनीक का प्रयोग सर्वप्रथम 1989 में एक विवादास्पद माता-पिता की पहचान के लिए मद्रास (Madras) में किया गया । DNA फिंगर प्रिंटिंग प्रयोगशाला Centre for Cell and Molecular Biology (CCMB), हैदराबाद में स्थित है । भारतवर्ष में विवादास्पद जनकों की पहचान एक बहुत बड़ी समस्या है । इनमें से अधिकांश का निपटारा DNA फिंगर प्रिंटिंग द्वारा किया जाता है ।
डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग तकनीक (Techniques of DNA Fingerprinting):
(1) DNA फिंगर प्रिंटिंग के लिए व्यक्ति के शरीर की कोशिका (Cell) रक्त के धब्बों, बाल की जड़ों एवं वीर्य के धब्बों से DNA को प्राप्त किया जाता है । DNA सैम्पल को एण्डोन्यूक्लियेज प्रकिण्व की सहायता से पचाया जाता है ।
(2) इसके बाद DNA को क्षारीय विलयन से उपचारित करके इकहरी श्रृंखला में परिवर्तित (Change) किया जाता है ।
(3) इसके उपरान्त DNA से बफर संतृप्त फिल्टर पेपर द्वारा छाना जाता है ।
(4) प्राप्त DNA को पेपर टॉवेल के ऊपर रखा जाता है और इसके ऊपर नाइट्रोसेल्युलोज (Nitrocellulose) की झिल्ली को रखा जाता है ।
(5) इसके ऊपर 0.5 किग्रा का भार रात भर के लिए रखा जाता है । ऐसा करने से नाइट्रोसेल्युलोज (Nitrocellulose) झिल्ली इकहरे DNA अणु को अपने अन्दर बंधित कर लेती हैं ।
(6) नाइट्रोसेल्युलोज (Nitrocellulose) झिल्ली को 80 सेन्टीग्रेड पर 2 से 3 घन्टे के लिए रखा जाता है जिससे DNA झिल्ली पर स्थिर हो जाता है । अब इस DNA का रेडियोग्राफ (Radiograph) तैयार कर सम्भावित व्यक्ति के DNA के रेडियोग्राफ से मिलाया जाता है और उसकी पहचान की जाती है ।
डी.एन.ए. फिन्गर प्रिन्टिंग के विभिन्न अभिगम (Different Approaches to DNA Fingerprinting):
तीन प्रकार के अभिगम होते हैं:
(1) इसमें से एक अभिगम वह होता है, जो डी.एन.ए. (D.N.A.) के क्षेत्रों को देखता है, जो कि मनुष्यों के बीच में कम भिन्नित होते हैं । यह एक प्राकृतिक क्षार में परिवर्तन के कारण होता है, वह इकाई जो DNA को बनाता है ।
अत: हमें DNA के क्षेत्रों पर आवर्धन करना है जो विभिन्नता दर्शाते हैं, फिर उसके प्रिंटिंग (Printing) करना है । इस तंत्र या विधि में कम शक्ति होती है, जो मनुष्यों को भिन्न कर सकें । हमको दर्जनों प्रोब्स (Probes) का उपयोग करना है ।
(2) दूसरा अभिगम में हम DNA के अत्यधिक भिन्न क्षेत्रों (Areas) का उपयोग करते हैं, जिनको माइक्रोसेटेलाइट (Microsatellite) कहते हैं । DNA फिंगर प्रिंटिंग (Finger Printing) एवं DNA रूपरेखा (DNA-Profiling) माइक्रोसेटेलाइट (Microsatellite) पर आधारित होती है, जो कि वांग्सकोची/स्टूटर्र (Stutter) क्षेत्र होते हैं या फिर क्रम की पुनरावृत्ति डी.एन.ए. (D.N.A.) पर होती है ।
हम किसी भी मनुष्य में विभिन्नता (Variation) को DNA के निश्चित क्षेत्र पुनरावृत्ति या स्टूटर्र/वाग्संकोची (Stutter) की संख्या के द्वारा ज्ञात करते हैं, लेकिन पुनरावृत्ति क्रम या स्टूटर्र/वाग्संकोची (Stutter) की लम्बाई अधिक कम होती है ।
ये अधिक छोटे एवं DNA के भिन्न क्षेत्र (Areas) होते हैं और इनका प्रिंटिंग या टंकन (Typing) आवर्धन (Amplification) एवं उत्पन्न हुए DNA के अंशों या भागों (Fragments) के आकार के द्वारा होता है ।
DNA के अंश या भागों (Fragments) स्ट्रटर्रस (Stutters) या पुनरावृत्ति क्रम की संख्या में प्रदर्शित करते हैं । इनमें से कोई भी तन्त्र में व्यक्तियों के बीच में विलगन या भिन्नता करने की स्थिति कम होती है । वैज्ञानिक (Scientist) 8 या 12 तंत्रों या 8 या 12 पृथक् प्रोब्स (Probes) को विकसित कर एक के बाद एक को उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं ।
(3) तीसरा अभिगम अधिक व्यापक होता है । यह माइक्रोसेटेलाइट (Microsatellites) को उपयोग करने के साथ-साथ DNA के निश्चित क्षेत्र (Area) पर वाग्यसंकोच/स्टूटर्रस (Stutters) के बीच अन्तर को भी उपयोग करते हैं । यदि हम किसी मोती की माला में रंगीन मोतियों (Coloured Pearls) को एकान्तर रूप में देखें, तो हमको अधिक विभिन्नता दिखाई देती है ।
यही हम डिजिटल (Digital) फिन्गर प्रिंटिंग (Digital DNA Finger Printing or Typing) या टंकन में करते हैं । हम माइक्रोसेटेलाइट में विभिन्न प्रकार के पुनरावृत्ति क्रम के प्रतिमान का अवलोकन करते हैं ।
डी.एन.ए. फिन्गर प्रिन्टिंग के उपयोग (Uses of DNA Fingerprinting):
डी.एन.ए. फिन्गर प्रिन्टिंग (Printing) का उपयोग अग्रलिखित कार्यों के लिए किया जाता है:
(1) विधि (Forensic Science) की प्रयोगशालाओं में इसका उपयोग किया जाता है ।
(2) आनुवंशिक रोग जैसे कि हीमोफीलिया (Haemophilia), थैलेसीमिया (Thalessemia) हँसियाकार कोशिका रक्तक्षीणता (Sickle Cell Anaemia) को पहचाना एवं निदान किया जा सकता है ।
(3) DNA फिन्गर प्रिन्टिंग (Printing) की सहायता से कातिल/हत्यारे (Murderer) को पकड़ा जाता है । यदि कातिल/हत्यारे के रक्त प्रादर्श (Blood Samples) आहत व्यक्ति के पास प्राप्त होते हैं या बाल (Hairs) प्राप्त होते हैं, या बाल या रक्त (Hair or Blood) के प्रादर्श आहत व्यक्ति के पास के स्थान से प्राप्त होते हैं, तब अबोध सन्देहयुक्त (Suspense) व्यक्ति को बचाया जा सकता हैं ।
(4) यह तकनीक चिड़ियाघर (Zoo) में प्रजनन कार्यक्रम में भी उपयोग किया जाता है जिससे कि लुप्त होने वाली प्राणियों की जातियों (Species) को बचाया जा सकता है । ज्यूरिच (Zurich) के चिड़ियाघर (Zoo) में लुप्त होने वाले प्राणियों की पूर्ण वंशावली (Pedigree) की पुन:संरचना की गई है ।
(5) पुलिस बलात्कारी को शीघ्र अतिशीघ्र DNA फिन्गर प्रिंटिंग की सहायता से पकड़ सकती है ।
(6) डी.एन.ए. फिन्गर प्रिंटिंग का उपयोग पितृत्व (Patternity) के परीक्षण के लिए किया जाता है । क्योंकि पिता अपने आधे DNA अपनी सन्तति को देता है । उसकी कुछ पट्टियाँ (Bands) शिशु से आवश्यक रूप से मिलती है ।
यह बहुत अधिक छली परीक्षण मिलान का होता है क्योंकि कुछ ही पट्टिकाओं (Bands) की पहचानना होता है । इस परीक्षण के लिए बहुत ही अधिक प्रशिक्षित आनुवंशिकी (Trained Geneticist) की आवश्यकता होती हैं, जो कि इस परीक्षण (Test) का संचालन करें ।
(7) इस तकनीक (Technique) के द्वारा मनुष्यों के कपियों (Apes) से सम्बन्धों की खोज की जा रही है ।
(8) DNA परीक्षण (Test) या DNA फिन्गर प्रिंटिंग का उपयोग समाज की भलाई के लिए भी किया जा सकता है ।