Read this article in Hindi to learn about:- 1. क्लोनिंग वेक्टर का अर्थ (Meaning of Cloning Vector) 2. क्लोनिंग वेक्टर के गुण (Properties of Cloning Vectors) 3. सीमाएँ (Limitations).

क्लोनिंग वेक्टर का अर्थ (Meaning of Cloning Vector):

वेक्टर (Vector) ऐसे DNA अणुओं को कहते हैं, जो उपयुक्त होस्ट (Host) कोशिकाओं में स्वतन्त्र रेप्लिकेशन (Replication) कहते हैं और जिनमें वांछित DNA खण्डों को समाकलिन (Insert) किया जा सकता है । अत: वाहक अणुओं से सम्बन्धित होस्ट में क्रियाशील DNA रेप्लिकेशन ओरिजिन सीक्वेन्श (DNA Replication Origin Sequence) जरूर होना चाहिए ।

वेक्टरों (Vector) के मुख्य उदाहरण हैं:

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(a) प्लाज्मिड (Plasmid),

(b) कॉस्मिड (Cosmid),

(c) फाज (Phage) तथा

(d) वाइरस (Virus) ।

क्लोनिंग वेक्टर के गुण (Properties of Cloning Vector):

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(1) इसमें उपयुक्त रिपोर्टर जीन (Reporter Gene) होने चाहिए, जिससे ट्रान्सफॉर्मड होस्ट कोशिका (Transformed Host Cell) की पहचान आसानी से की जा सके ।

(2) यदि फॉरेन DNA की अभिव्यक्ति (Expression) करनी है, तो वेक्टर में प्रोमोटर (Promoter), ऑपरेटर (Operator) आदि जीन एवं अन्य आवश्यक bp क्रम उपस्थित होने चाहिए ।

(3) वेक्टर में उपयुक्त स्थलों पर अधिक-से अधिक प्रतिबन्ध एन्जाइमों के साइट (Site) होने चाहिए । जिससे उसमें DNA खण्ड के समाकलन में सुविधा हो ।

(4) इसके होस्ट कोशिका में सरलतापूर्वक पहुँचाया जा सकता हो, अर्थात् ट्रान्सफॉर्मेशन (Transformation) सरल होना चाहिए ।

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(5) इसका विलगन (Isolation) तथा शोधन (Purification) सरल एवं सुविधाजनक होना चाहिए ।

(6) जीन ट्रान्सफर (Gene Transfer) के लिए वेक्टर में यह क्षमता होनी चाहिए कि या तो वह स्वयं या अपने फॉरेन DNA को होस्ट क्रोमोसोम (Host Chromosome) में समाकलित (Integrate) कर सके ।

(7) इसका रेप्लिकेशन (Replication) होस्ट कोशिका के रेप्लिकेशन से स्वतन्त्र होना चाहिए ।

उत्कृष्ट होस्ट के गुण (Characteristics of Host):

(1) इनमें प्राकृतिक रिकॉम्बिनेशन (Recombination) की क्षमता का अभाव होना चाहिए, जिससे कि रिकॉम्बिनेंट DNA अपरिवर्तित बना रहे ।

(2) मिथाइलेस (Methylase) एन्जाइम अनुपस्थित होने चाहिए । ये एन्जाइम प्रतिबन्ध एन्जाइमों के रिकॉग्निशन साइटों (Recognition Sites) का मेथाइलेशन (Methylation) करके इन साइटों को प्रतिबन्ध एन्जाइम रेसिस्टेन्ट (Resistant) बना देते हैं । इसके कारण रिकॉम्बिनेन्ट DNA में और मेनिपुलेशन (Manipulations) करने में समस्या होती है ।

(3) इसमें सक्रिय प्रतिबन्ध एन्जाइम नहीं होने चाहिए जैसे ई. कोली K 12 सबसट्रेन HB 101 (E. Coli K 12 Sub strain HB 101) ।

(4) इसमें रिकॉम्बिनेन्ट DNA के रेप्लिकेशन को बाधित करने वाला जीन नहीं होना चाहिए ।

(5) इसमें रिकॉम्बिनेन्ट DNA (Recombinant DNA) का रेप्लिकेशन होना चाहिए ।

(6) इसका ट्रान्सफॉर्मेशन (Transformation) सरल एवं सुविधाजनक होना चाहिए ।

वेक्टर के चयन के समय निम्न बातें अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए:

(i) क्लोनिंग (Cloning) के लिए उपयोग किया जाने वाला होस्ट,

(ii) क्लोन (Clone) किए जाने वाले DNA खण्डों का आकार, विभिन्न वेक्टर अलग-अलग आकार के खण्डों की क्लोनिंग (Cloning) में उपयोगी होते हैं,

(iii) जहाँ तक हो सके वेक्टर (Vector) का रेप्लिकेशन स्वतन्त्र होना चाहिए ।

क्लोनिंग वेक्टर के सीमाएँ (Limitations of Cloning Vector):

प्रत्येक वेक्टर की अपनी कुछ सीमाएँ (Limitations) भी होती हैं:

(i) प्रत्येक वेक्टर (Vector) कुछ सीमित होस्ट स्पेशीजों (Species) में ही कार्य कर सकता है ।

(ii) कोई भी प्राकृतिक DNA अणु उत्कृष्ट वेक्टर (Vactor) नहीं है ।

अत: क्लोनिंग (Cloning) में उपयोगी वेक्टरों का निर्माण विविध प्राकृतिक DNA अणुओं के उपयोगी खण्डों को एक साथ जोड़कर किया गया है । इस प्रकार कुछ अति एवं एकदम नए वेक्टर प्राप्त हुए हैं, जैसे- कॉस्मिड (Cosmid), कृत्रिम क्रोमोसोम (Artificial Chromosome) आदि ।

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