एमआरएनए संश्लेषण: मतलब और तंत्र | mRNA Synthesis: Meaning and Mechanism in Hindi.

एमआरएनए संश्लेषण का अर्थ (Meaning of Transcription):

प्रोटीन संश्लेषण के दो प्रमुख सोपानों में से यह प्रथम है, जिसमें आनुवंशिक सूचना का स्थानान्तरण, DNA से m-RNA में होता है । अनुवाद के लिये एक टैम्पलेट (सामान्यतः द्विक कुंडली DNA), राइबोन्यूक्लिओसाइड ट्राइफॉस्वेट्स (Ribonucleoside Triphosphates-ATP, GTP, UTP, CTP) तथा RNA पॉलीमरेज (RNA Polymerase) एन्जाइम की आवश्यकता खेती है ।

RNA पॉलीमरेज का पृथक्करण (Isolation) चैम्बरलिन तथा बर्ग (Chamberlin तथा Berg, 1962) द्वारा ई.कोलाई से किया गया । प्रोकैरियोट में एक ही प्रकार के RNA पॉलीमरेज से सभी प्रकार के कोशिकीय RNA (t-RNA, m-RNA, r-RNA) का संश्लेषण होता है ।

एक पूर्ण RNA पॉलीमरेज एन्जाइम (Holo Enzyme) कोर एन्जाइम (Core Enzyme) और सिग्मा (σ) कारक से मिलकर बनता है । ई.कोलाई के (S) पॉलीमेरज में चार भिन्न पीलीपेप्टाइड की तथा एक-एक श्रृंखलाएँ (S) (सिग्मा), β (बीटा) तथा β’ (बीटा) की होती है ।

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अत: यह अणु αβ’βα2 होता है । इसमें सिग्मा करक अधिक दृढ़ता से संलग्न नहीं होता । ββα2 से कोर एन्जाइम बनता है । σ कारक को सरलतापूर्वक पृथक् किया जा सकता है ।

β’ उप-इकाई की आवश्यकता RNA पॉलीमरेज के DNA टैम्पलेट से बंधन के लिये होती है । β उप-इकाई सिग्मा कारक से बंधन के लिये आवश्यक होती है । दोनों α-इकाइयों का कार्य अभी स्पष्ट नहीं है ।

σ कारक, DNA अणु पर स्थित प्रारंभ संकेतों (Initiation Signals) को पहचानने में सहायक होता है तथा प्रारंभिक स्थलों के चयन में RNA पॉलीमरेज एन्जाइम का निर्देशन करता है । सिग्मा करक के अभाव में कोर एन्जाइम अनियमित तरह से RNA का संश्लेषण करते हैं, किन्तु इसकी उपस्थिति में होलोएन्जाइम DNA के दोनों सूत्रों में से एक क ही संश्लेषण करता है ।

ADVERTISEMENTS:

एक बार RNA का संश्लेषण आरम्भ हो जाने पर सिग्मा (σ) पृथक् हो जाता है और कोर एन्जाइम m-RNA की लम्बाई में वृद्धि करने लगता है । वियोजित सिग्मा कारक फिर से कोर एन्जाइम से संयोग करके RNA पॉलीमरेज बना सकता है ।

उपर्युक्त RNA पॉलीमरेज में m-RNA का संश्लेषण इस प्रकार होता है – सबसे पहले RNA पॉलीमरेज होलीएंजाइम प्रोमोटर स्थल (सिस्ट्रान अथवा जीन का वह स्थल जहाँ से अनुलेखन प्रारंभ होता है) से बंधित होता है, जिससे RNA पॉलीमरेज – DNA सम्मिश्र (RNA पॉलीमरेज – DNA Complex) बनता है ।

अब DNA की द्विक-कुंडली खुलती है और DNA के दोनों सूत्रों में से एक पर m-RNA का अनुलेखन होता है । सिग्मा कारक पृथक् हो जाता है । m-RNA श्रृंखला की प्रथम क्षार सदैव प्यूरिन, G या A होती है । ई.कोलाई में श्रृंखला प्रायः G से प्रारंभ होती है ।

ADVERTISEMENTS:

अब कोर एन्जाइम तथा क्रियाशील राइबोन्यूक्लिओसाइड ट्राइफॉस्फेट (ATP, UTP, GTP व CTP) की सहायता से m-RNA श्रृंखला की लम्बाई में वृद्धि होती है । श्रृंखला की वृद्धि सामान्यतः 5’-3’ दिशा में होती है । अत: नई बनी m-RNA श्रृंखला के 5’ सिरे पर ट्रायफॉस्फेट समूह तथा 3’ सिरे पर हाइड्रॉक्सिल समूह होता है ।

अन्त में m-RNA श्रृंखला का समापन (Termination) होता है । श्रृंखला का समापन के विशेष प्रोटीन रहो करक (Rho Factor) की उपस्थिति या अनुपस्थिति में होता है । रहो करक संभवतः RNA पॉलीमरेज से बंधित हो जाता है ।

जब रहो (r) कारक अनुपस्थित होता है, तब DNA स्वयं ही समापन सिग्नल ये पहचानता है और RNA पॉलीमरेज A (Poly-A) से RNA पर पॉली U (Poly-U) का अनुलेखन करता है । अंतत: श्रृंखला की वृद्धि रुक जाती है ।

 

संश्लेषण की तंत्र (Mechanism of Transcription):

RNA पॉलीमरेज (Polymerase) एक मुख्य एन्जाइम होता है, जो कि DNA को RNA अनुलेखी ट्रान्सक्रिप्ट (Transcript) के रूप में अनुलेखन के लिए निवेशित होता है । सभी प्रकार के RNA अणु (Molecules) RNA पॉलीमरेज (Polymerase) एन्जाइम्स के द्वारा संश्लेषित होते हैं ।

एक से अधिक प्रकार के RNA पॉलीमरेज एन्जाइम पाए जाते हैं । जीवाणुओं (Bacteria) जैसे कि ई.कोलाई (E.Coli) में RNA पॉलीमरेज एन्जाइम की एक जाति से ही m-RNA, t-RNA एवं r-RNA सहित सभी प्रकार के RNA का संश्लेषण (Synthesis) होता है ।

परन्तु इसके विपरीत यूकैरियोट्‌स (Eukaryotes) में भिन्न-भिन्न प्रकार के तीन RNA पॉलीमरेज (Polymerase) होते हैं:

(i) इनमें से एक जो कि केन्द्रक/न्यूक्लियोलस (Nucleolus) में होता है, RNA पॉलीमरेज-I या RNA पॉलीमरेज (Polymerase) A कहलाता है ।

(ii) दूसरा यूकैरियोटिक RNA पॉलीमरेज केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) में पाया जाता है, इसको RNA पॉलीमरेज-II या RNA पॉलीमरेज-II या RNA पॉलीमरेज B कहते हैं । यह Hn-RNA (Heterogeneous Nuclear RNA) के संश्लेषण के लिए उत्तरदायी होता है । Hn RNA यूकैरियोट्स में m-RNA का पूर्ववर्ती (Precursor) होता है ।

(iii) तीसरा यूकैरियोटिक RNA पॉलीमरेज (Polymerase) भी केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) में ही पाया जाता है । इसको RNA पॉलीमरेज-III या RNA पॉलीमरेज (Polymerase) C कहते हैं और यह 5s r-RNA एवं t-RNA आदि के संश्लेषण (Synthesis) के लिए उत्तरदायी होता है । यूकैरियोट्स की मॉइटोकाण्ड्रीया (Mitochondria) एवं लवकों (Plastids) में भी कुछ अन्य RNA पॉलीमरेज एन्जाइम पाए जाते हैं ।

जीवणु:

ई. कोलाई (E.Coli) के RNA पॉलीमरेज में 5 प्रकार की पॉलीपेप्टाइड (Polypeptide) श्रृंखलाएँ मिलती हैं:

जीवाणुओं में RNA पॉलीमरेज और उसकी उप-इकाई:

पाँचों श्रृंखलाएँ मिलकर एक एन्जाइम तंत्र (Holoenzyme System) को बनाते हैं । सिग्मा (σ) कारक कोर एन्जाइम (Core Enzyme) के साथ ढीले रूप में जुड़े रहते हैं । सिग्मा कारक DNA अणु (Molecule) पर प्रारंभिक संकेतों को पहचानने में सहायक होते हैं और प्रारंभिक स्थलों (Sites) के चयन में RNA पॉलीमरेज का निर्देशन करते है ।

सिग्मा कारक के अभाव में कोर एन्जाइम (Core Enzyme) एक अनियमित ढंग में RNA का संश्लेषण प्रारंभ कर देता है । एक बार RNA का संश्लेषण प्रारंभ हो जाने पर सिग्मा अलग हो जाता है ।

कोर एन्जाइम (Core Enzyme) m-RNA की लम्बाई में वृद्धि करने लगता है । अलग हुआ सिग्मा कारक फिर से कोर एन्जाइम से संयोजन कर RNA पॉलीमरेज (Polymerase) को बना सकता है ।

यूकैरियोट में परिपक्व m-RNA सीधे ही नहीं बनता है, अपितु पहले पूर्ववर्ती m-RNA बनता है जिसे Hn RNA कहते हैं । Hn RNA का संश्लेषण केन्द्रक में होता है । Hn RNA के अणुओं का परिमाण, कोशिकाद्रव्य में उपस्थित m-RNA के अणुओं से अधिक होता है ।

Hn RNA के 3′ सिरे पर लगभग 200 एडिनायलिक अम्ल अवशेष (Adenylic Acid Residues) या पॉली A (Poly-A) जुड़ जाते है । Hn RNA के 5′ सिरे पर विघटन होता है और इसके बाद ही m-RNA अणु मुक्त होकर कोशिकाद्रव्य में पहुँच जाता है ।

कोशिकाद्रव्य में पहुंचने के बाद m-RNA के 5′ सिरे पर 7-मिथाइल ग्वानोसिन (7-Methyl Guanosine) जुड़ जाता है, जिससे m-RNA के दोनों सिरे चिन्हित हो जाते हैं ।

यूकैरियोट में m-RNA के 3′ सिरे पर पाए जाने वाले Poly A को प्रायः पुच्छ (Tail) और मिथाइलेटेड 5′ सिरे को टोपी (Cap) कहा जाता है । ग्लोबिन में यह देखा गया है कि Poly A पुच्छ इस अणु को स्थायित्व (Stability) प्रदान करती है ।

क्योंकि पुच्छ की अनुपस्थिति में m-RNA शीघ्र नष्ट हो जाता है, किन्तु अनुवाद के लिये Poly A पुच्छ की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है, जबकि टोपी की उपस्थिति अनुवाद के लिये आवश्यक होती है । यह देखा गया है कि टोपी की अनुपस्थिति में m-RNA राइबोसोम सम्मिश्र बनने में कठिनाई होती है और प्रोटीन संश्लेषण नहीं हो पाता है ।

अनुवाद (Translation):

m-RNA के रूप में उपलब्ध न्यूक्लिक अम्लों (Nucleic Acid) की भाषा को प्रोटीनों की भाषा में अनुवाद (Translation) कहते हैं ।

यह क्रिया निम्न प्रक्रियाओं में होती है:

(i) अमीनो अम्लों का सक्रियण (Activation of Amino Acids),

(ii) अमीनो अम्ल का t-RNA पर स्थानान्तरण (Transfer of Amino Acid to t-RNA),

(iii) पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला की समारम्भ में वृद्धि (Initiation of Polypeptide Chain),

(iv) पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला की लम्बाई में वृद्धि (Elongation of Polypeptide Chain),

(i) ऐमीनो अम्लों का सक्रियण (Activation of Amino Acids):

कोशिकाद्रव्य में ऐमीनो अम्ल निष्क्रिय अवस्था में होते हैं । इस अवस्था में ये प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेने में असमर्थ होते हैं । अत: ऊर्जा द्वारा इन्हें सक्रिय किया जाता है । इनका सक्रिय ATP (Adenosine Triphosphate) द्वारा होता है ।

इसमें ऐमीनों अम्ल (aa) ATP के साथ बन्धन बनाता है । यह प्रक्रिया एक विशिष्ट एन्जाइम ऐमीनो इसिल RNA सिन्थेटेज (Amino Acyl RNA Synthetase) नामक सक्रियणकारी (Activating Enzyme) एन्जाइम की सहायता से होती है ।

प्रायः प्रत्येक अमीनो अम्ल का एक विशिष्ट एन्जाइम होता है । प्रत्येक एन्जाइम अपने अमीनो अम्ल को पहचानता है तथा साथ ही अपने t-RNA का भी चयन करता है । एन्जाइम की उपस्थिति में ATP और ऐमीनों अम्ल क्रिया कर अमीनो एसिल एडिनायलेट सिन्थेटेज (Amino Acyl Adenylate Synthetase) बना लेते हैं ।

aa + ATP + Aamino acyl RNA synthetase → Amino acyl adenylate synthetase + Inorganic pyrophosphate

(Amino acyl AMP)

अथवा

Aa + ATP + E → Eaa – AMP + ppi

(ii). ऐमीनो अम्ल का t-RNA पर स्थानान्तरण (Transfer of Amino Acid to t-RNA):

पहले चरण में बना अमीनो एसिल एडिनायलेट सिन्थेटेज सम्मिश्रण एक विशेष t-RNA के साथ क्रिया करता है और अमीनो अम्ल को t-RNA पर स्थानान्तरित कर देता है । इस अभिक्रिया में AMP तथा एन्जाइम मुक्त हो जाते हैं । प्रत्येक विशेष अमीनो अम्ल के लिये एक विशेष t-RNA कोशिका में होता है ।

उदाहरणार्थ:

आइसोल्यूसिन (Isoleucine) और वेलिन (Valine) के t-RNA को क्रमशः t-RNAileu और t-RNAval कहा जायेगा ।

Eaa – AMP + t-RNA → aa – t-RNA + AMP + E

अथवा

Amino acyl adenylate synthetase + t-RNA → Amino acyl – t-RNA + Adenosine Monophosphate + Amino acyl RNA synthetase

(iii) पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समारम्भ (Initiation of Polypeptide Chain):

पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समारम्भ सदैव मीथियोनाइन (Methionine) नामक अमीनो अम्ल से होता है, जो AUG कोडॉन द्वारा कोडित होता है, किन्तु कभी-कभी प्रारंभिक कोडॉन के रूप में GUG का भी प्रयोग किया जाता है ।

समारम्भ कारक (Initiation Factors):

प्रोटीन संश्लेषण के समारम्भ के लिये कुछ कारकों की आवश्यकता होती है, जिसे समारम्भ कारक (Initiation Factors) IF कहते हैं । प्रोकैरियोट में तीन समारम्भ करक, IF-1, IF-2 तथा IF-3 प्रोटीन संश्लेषण के समारम्भ के लिये आवश्यक होते हैं । ये कारक राइबोसोम की 30 S उप-इकाई में पाए जाते हैं ।

इनका अणु भार क्रमशः 9,200,80,000 और 30,000 डाल्टन होता है । यूकैरियोट में लगभग दस या इससे अधिक समारम्भ कारकों का पता लग चुका है इनमें से मुख्य हैं- eIF-1, eIF-2, eIF-3, eIF-4, eIF-4 B, eIF-4C, eIF-5, Eif-6 । इन कारकों की पहचान इनमें पूर्वलग्न (Prefix) e लगाकर की जाती है । इसे दो भागों में बाँटा गया है ।

प्रोकेरियोट में अनुलेखन (Transcription in Prokaryotes):

E-Coli में Transcription की क्रिया विधि को Detail में अध्ययन किया जा चुका है । Transcription Unit में Promoter तथा Terminator के बीच DNA की एक Sequence पायी जाती है ।

Transcription के उत्पाद को Primary Transcription कहते हैं । प्रयोगात्मक अध्ययन से सिद्ध हो चुका है कि सभी तीनों RNA, DNA से निर्मित हैं (m, r, t) RNA की अर्द्धआयु Prokaryotes में कुछ मिनटों की होती है तथा Eukaryotes में कुछ घण्टों की होतीं है ।

mRNA Ribosome पर जुड़कर Protein का निर्माण प्रारम्भ करता है । Prokaryotes और Transcription एक-दूसरे से जुड़े हुए रहते हैं । यह सूक्ष्म अर्द्ध आयु दर्शाती है कि Prokaryotes में Past Transcription Mechanism उपस्थित होता है ।

प्रोकेरियोट आर.एन.ए. पॉलीमरेज (RNA Polymerase of Prokaryotes):

एक E-Coli कोशिका में लगभग 7,000 RNA के Prokaryotes पाये जाते हैं । यह एक बहुलक प्रोटीन है, जिसकी चार भिन्न-भिन्न Unit होती हैं, जो कि अग्र Table में दी गई हैं ।

उपरोक्त चार Unit तथा Sigma Factor जुड़कर Holo Enzyme बनाते हैं अर्थात् α,β,β, σ इसे दो घटने में तोड़ा जा सकता है । (Core Enzyme α2,β,β or Sigma (σ) Factor) ।

यद्यपि Core Enzyme में DNA निर्माण की क्षमता होती है, परन्तु यह एक निश्चित बिन्दु से Transcription को प्रारंभ करने में असमर्थ होता है । Core Enzyme पर Sigma Factor की Binding इसके Confirmation में बदल देता है, ताकि यह Promoter पर जुड़ सके ।

प्रत्येक Sub Unit के कार्य ज्ञात नहीं है । परन्तु यह माना जाता है कि β Subunit Ribonucleotide पर जुड़ने का कार्य करता हैं β-DNA पर जुड़ने का कार्य करती है ।

जबकि 2 Subunit Core Enzyme को समाप्त करने में Help करती है, जो कि उपरोक्त अनुसार Sigma Factor initiation (प्रारंभ) में हिस्सा लेता है जैसे ही Transcription की शुरुआत हो जाती है Sigma Factor Holo Enzyme से पृथक हो जाता है ।

Initiation & Elongation RNA Chain:

DNA की Sequence पर Transcription के प्रारम्भ बिन्दु से पूर्व के Nucleotide वाले क्षेत्र को Up Stream कहते हैं, जिसे 1 से दर्शाया जाता है तथा बाद के Nucleotide को Down Stream कहते हैं, जिन्हें + संख्या से दर्शाया जाता है, जो mRNA की सामान्य 5′-3′ Direction को दर्शाता है ।

Transcription की Unit में एक Strand Temple का कार्य करती हैं, जो RNA की Complementary Strand बनाती है, जिसका निर्माण Transcription Bubble में होता है । Bubble की Size 10-12 Base Pair की होती है ।

जैसे-जैसे RNA Polymerase गति करता है वैसे-वैसे ये भी गति करता है । यह 3-5 की दिशा में चलता है और RNA की Chain बनती जाती है, जैसे-जैसे DNA RNA संकरण 9-12 Base Pair लम्बा हो जाता है ।

RNA का 5′ end छोटे DNA से पृथक होता जाता है तथा DNA का Duplex पुन: बन जाता है । इसी समय Sigma Subunit पृथक हो जाती है तथा Core Enzyme Transcription को आगे बढ़ाता रहता है ।

DNA की वह Sequence, जिस पर RNA polymerase जुड़ता है, Promoter कहलाती है । कुछ अध्ययनों से पता लगा कि DNA में कुछ Sequence जैसे- 35 पर (TIGACA) or -10 पर [TATAAT] पायी जाती है ।

From the Start Point RNA Polymerase holo Enzyme का प्रारम्भ Binding Promoter से होता है, जिससे एक Closed Promoter Complex बनता है, जो काफी तेजी से Open Promotor Complex में बदल जाता है । इसमें DNA के Hydrogen Bonds टूट जाते हैं ।

पहला Nucleoside try Phosphate β Subunit से जुड़ता है तथा दूसरा Nucleotide try Phosphate पहला Phospho Diester Bond बनाता हैं । अब mRNA की Chain 5’-3’ Direction में आगे बढ़ती है । RNA Polymerase नीचे दी गई अभिक्रिया को दर्शाता है ।

Enzyme को अपनी क्रिया के लिए Mn की आवश्यकता होती है । Mn को मैग्निशियम द्वारा विस्थापित किया जा सकता है और अब Elongation की क्रिया होती है । RNA Polymerase के समक्ष DNA खुलता जाता है तथा RNA Polymerase में गुजर जाने के बाद पुन: बनता है ।

DNA टेम्पलेट (Temple) पर RNA का संश्लेषण करने के लिए अनुलेखन इकाई होती है । प्रत्येक इकाई का प्रारम्भिक बिन्दु तथा समापन (Termination) संकेत होता है । यह कोई आवश्यक नहीं है कि समापन संकेत (Termination Signal) पर RNA मुक्त हो, क्योंकि कुछ ऐसे स्थितियाँ होती है जहाँ समापन संकेत के आगे भी अनुलेखन निरन्तर चलता रहता है ।

इसका कारण प्रतिसमापन अणु (Antiterminator Single) की उपस्थिति होती है । अनुलेखन इकाई (Transcription Unit) के प्रारम्भ के पूर्व या प्रारम्भ बिन्दु के पश्चात् समापन बिन्दु तक एक DNA क्रम (Sequence) हमेशा पाया जाता है, जो कि अनुलेखन के प्रारम्भ के लिए आवश्यक होता है ।

यह प्रोमोटर/प्रवर्तक/प्रोत्साहक (Promoter) स्थल कहलाता है, जोकि सिस-प्रभावी (Cis-Dominant) या सिस-कार्यकारी/कार्य-वाहक (Cis-Acting) कहलाता है । प्रोत्साहक स्थल भौतिक रूप से अनुलेखन इकाई (Transcription Unit) से निरन्तर होना चाहिए, जो कि अनुलेखित हो सके और यदि उसी कोशिका के अन्य गुणसूत्र पर पाया जाता है, तो कोई कार्य नहीं करें ।

RNA पॉलिमेरेज एन्जाइम के लिए बन्धन स्थल प्रोत्साहक क्रम (Promotor Sequence) में पाया जाता है और ई.कोलाई (E.Coli) में 41 से 44 क्षारीय जोड़े (Base Pairs) पूर्ण लम्बाई में होते है, जहाँ 100 से अधिक प्रोत्साहक क्रम होते हैं ।

प्रारम्भिक बिन्दु प्यूरीन (Purine) 90% स्थिति में होता है, इस प्रारम्भ बिन्दु के पूर्व 6bp क्षेत्र (TATAAT) होते हैं, जो कि प्रिन्बो बाक्स (Prinbow Box) कहलाता है और सभी प्रोत्साहक में पाए जाते है ।

6 क्षारों (Base) का संग्रहण 45% से 96% के बीच होता है तथा निम्न क्रम में पाया जाता है:

 

T90 A95 T45 A60 A50 T96

 

प्रिन्बो बाक्स (Prinbow Box) का केन्द्र पूर्व 10bp क्षेत्र होता है और -10 कम के रूप में वर्णन किया जाता है । जबकि वास्तविक केन्द्र -18 से -12 के मध्य होता है । एक अन्य क्रम (Sequence) T82 A84 G78 A65 C54 A45 होता है, जोकि -35 क्षार (Base) पूर्व पर होता है, इसको अभिज्ञान क्षेत्र (Recognition Region) कहते हैं । ई. कोलाई (E.Coli) में प्रोत्साहक -35 एवं -10 क्रम में RNA पॉलिमेरेज (Polymerase) के द्वारा पहचाना जाता है ।

एक प्रोकैरियोट्स के प्रमोटर में मुख्यतः तीन घटक होते है:

(i) प्रारम्भ बिन्दु (Start Point),

(ii) -10bp पर प्रिबनाउ बॉक्स,

(iii) -35bp पर पहचान क्षेत्र (Recognition Region) ।

अनुलेखन का प्रारम्भ व आर.एन.ए. श्रृंखला का बढ़ना (Initiation of Transcription and Elongation of RNA Chain (Transcript)):

प्रोकैरियोट्स में आर.एन.ए संश्लेषण (अनुलेखन) के चार मुख्य चरण होते हैं:

(i) प्रमोटर स्थल से RNAP होलोएन्जाइम का जुड़ना । इससे बन्द प्रमोटर कॉम्प्लैक्स (Closed Promotor Complex) का निर्माण होता है जिसमें डी.एन.ए. द्विकुण्डलित अवस्था में रहता है ।

(ii) कॉम्प्लैक्स में द्विकुण्डलित डी.एन.ए. का विकुण्डलन (Unwinding) तथा स्ट्रैंड्स का अलग-अलग होना प्रारम्भ हो जाता है, जिसके फलस्वरूप खुला द्विआधारी प्रमोटर कॉम्प्लैक्स (Open Binary Promotor Complex) बन जाता है ।

(iii) विकुण्डलन (Unwinding) के बाद केवल एक स्ट्रैंड की नकल (Copy) बनती है । यह कार्य न्यूक्लियोटाइड्‌स (Nucleotides) के जुड़ने से होता है । प्रारम्भ में एन्जाइम के स्थान में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् वह स्थिर रहता है, जिससे 9 क्षारक तक लम्बी RNA श्रृंखला बन जाती है ।

इन 9 क्षारकों के जुड़ने के समय, प्रत्येक पद पर, इस छोटी-सी RNA श्रृंखला के मुक्त हो जाने की सम्भावना बनी रहती है । इस प्रक्रिया को (उनके अलग होने को) असफल प्रारम्भ (Abortive Initiation) कहा जाता है ।

इस प्रकार के अनेक ऐबार्टिव इनीशिएसन के कारण 2-9b लम्बी, अनेक ओलीगोन्यूक्लियोटाइड (Oligonucleotide) श्रृंखलाएँ, सफल प्रारम्भ से पहले बन जाती है ।

(iv) अनुलेखन के प्रारम्भ होते ही RNAP का सिग्मा करक एन्जाइम से अलग हो जाता है । सिग्मा करक (σ) के अलग होते ही NusA प्रोटीन इस स्थल पर प्रविष्ट हो जाती है । यह प्रोटीन आर.एन.ए. की लम्बाई में वृद्धि (Elongation) में मदद करने के साथ-साथ विशिष्ट स्थानों पर क्षणिक विराम (Pausing) व समाप्ति (Termination) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।

इस समय कोर एन्जाइम में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक फेरबदल के कारण एक टरनरी इलोंगेशन कॉम्प्लैक्स (Ternary Elongation Complex) का निर्माण होता है । यह (Complex) डी.एन.ए. पर गति पर अपने पूर्ण पथ में RNA का निर्माण करता है । RNA संश्लेषण की दर यहाँ 37°C पर 40bp प्रति सेकण्ड होती है ।

अनुलेखन की समाप्ति (Termination of Transcription):

अनुलेखन की समाप्ति (Termination) में निम्नलिखित की सक्रिय भूमिका रहती है:

(i) क्षणिक विराम स्थल या पाल साइट्स (Pause Sites),

(ii) ‘अरेस्ट’ साइट्स (Arrest Sites) व

(iii) टर्मिनेटर्स व रिलीज साइट (Terminators or Release Sites) ।

पाज साइट्स (Pause Sites), न्यूक्लियोटाइड्स के जुड़ने (योग) पर एक अस्थायी, व्यूत्क्रमणीय रोक लगा देती है । अरेस्ट साइट्स (Arrest Sites), इलोंगेशन प्रक्रिया पर रोक लगाती हैं, जिससे अनुलेखन की समाप्ति में मदद मिलती है ।

यूकेरियोट् में अनुलेखन (Transcription in Eukaryotes):

Eukaryotes के Case में Promoter TATA Box के रूप में Present होता है, जो सामान्यत: -150 Base Pair of Strand पर स्थिर होता है । इस Promoter का सामान्यत: एक Fix Location होती है ।

अगर इसकी प्रारम्भ बिन्दु से तुलना की जाए तब यह Mammal, Birds, Amphibians, Insectes and Plant में भी लगभग समान होती है । Transcription के प्रारम्भ के लिए Basal की आवश्यकता होती है, जो RNA Polymerase से जुड़ते हैं तथा प्रारम्भ बिन्दु पर एक Complex का निर्माण करते हैं ।

अब Sigma Factor DNA Polymerase Protein होते हैं, जो कुछ निश्चित छोटी Sequence को पहचानते हैं । यह Factor RNA Polymerase की क्षमता को बढ़ाता है तथा Promoter के लिए आवश्यक होते है । इसी प्रकार Indusial (उत्तेजक कारक), Factor, अब Stream Factor की तरह ही कार्य करते है, परन्तु ये नियंत्रण का कार्य करते हैं ।

यह उत्तेजक कारक एक निश्चित समय पर निर्मित या सक्रिय होते हैं तथा ये विशेष Tissue में बनते हैं और इसलिए ये Transcription को नियंत्रित करने के लिए उत्तरदायी होते हैं ।

ऐसी Sequences जिस पर यह Factors जुड़ते हैं, उन्हें Response Element कहते हैं । -25 TATA Box Sequence Element के Addition के साथ । -25 CAAT Box Sequence के अलावा कुछ अन्य क्षेत्र -25 CAAT Box और -90 GC Box होते हैं ।

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