Read this article in Hindi to learn about clouds and its classification.

पृथ्वी के धरातल से विभिन्न ऊँचाइयों पर वायुमण्डल में मौजूद जलवाष्पों के संघनन से निर्मित हिमकणों या जल-सीकरों को बादल या मेघ कहते हैं । धरातल से जल का निरन्तर वाष्पीकरण होता रहता है । यह जलवाष्प ऊपर जाकर ठंडी हो जाती है तथा बादलों के रूप में परिवर्तित हो जाती है । बादल किसी भी स्थान के मौसम को प्रभावित करते हैं । सामान्यतया भूमध्य रेखा पर बादल अधिक ऊँचाई पर तथा ध्रुवी प्रदेशों में कम ऊँचाई पर स्थित होते हैं । विश्व में सबसे अधिक बादल विषुवतरेखीय प्रदेशों में तथा सबसे कम उष्ण मरुस्थलीय प्रदेशों में होते हैं ।

अन्तर्राष्ट्रीय बादल वर्गीकरण के अनुसार बादल को चार मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है ।

ब्रिटिश विद्वान एल. होवार्ड (L. Howard) ने 1803 में बादलों के वर्गीकरण के लिये लैटिन भाषा के शब्दों का उपयोग किया । उनके अनुसार बादल चार प्रकार के हैं:

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(i) क्यूम्यूलस (Cumulous) अथवा कपासी,

(ii) स्ट्रेट्‌स (Stratus) अथवा परतदार,

(iii) निम्बस (Nimbus) काली घटा, तथा;

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(iv) सिरस (Cirrus) अथवा पक्षाभ ।

इस वर्गीकरण के अतिरिक्त बादलों को ऊँचाई के आधार पर भी विभाजित किया जाता है, जैसे स्ट्रैटो-निम्न स्तरीय तथा आल्टो-मध्य स्तरीय एवं सिरों-उच्च स्तरीय बादल ।

आकृति/रूप तथा ऊँचाई के आधार पर बादलों को निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

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1. निम्न बादल (Low Clouds):

इन बादलों की ऊँचाई दो हजार फीट (दो किलोमीटर) से कम होती है । इनके तीन प्रकार हैं:

(i) वर्षा-स्तरी मेघ,

(ii) स्तरी मेघ, तथा

(iii) स्तरी कपासी मेघ  ।

(i) वर्षा स्तरी मेघ:

ये काले रग के होते हैं जो प्राय: लगातार वर्षा देते हैं ।

(ii) स्तरी मेघ:

ये निम्न ऊँचाई के बादलों में सबसे प्रमुख होते हैं । ये कुछ ऊँचाई पर आकाश को ढक लेते है । जहाँ पर ये नहीं होते आकाश नीले रंग का दिखाई देता है ।

(iii) स्तरी कपासी मेघ:

स्तरी कपासी मेघ गोलाकार राशियों से निर्मित होते हैं । यह बादल लहरदार होते हैं ।

2. मध्य मेघ:

इनकी ऊँचाई 2000 मीटर से 6000 मीटर तक होती हैं ।

इन बादलों के निम्नांकित दो प्रकार होते है:

(i) स्तरी मध्य मेघ:

ये आकाश में भूरे या नीले रंग में मोटी परतों के रूप में फैले रहते हैं । इनसे लगातार वर्षा की संभावना होती है ।

(ii) कपासी मध्य मेघ:

इनका रंग भूरा, श्वेत अथवा श्वेताम्भ होता है ।

3. उच्च मेघ:

इन बादलों की ऊँचाई धरातल से 6000 मीटर से अधिक होती है । इनके निम्न तीन प्रकार हैं:

(i) पक्षाभ मेघ:

अधिक ऊँचाई के कारण इनमें हिम कण पाये जाते हैं । यह क्षोभमण्डल में सबसे अधिक ऊँचाई पर होते हैं । इनसे वर्षा नहीं होती ।

(ii) पक्षाभ-कपासी मेघ:

ये अक्सर पंक्तियों या समूहों के रूप में होते हैं ।

(iii) पक्षाभ-स्तरी मेघ:

यह महीन एवं सफेद चादर के समान पूरे आकाश में फैले होते हैं । इनके कारण ही आकाश का रंग सफेद नजर आता है । शीतोष्ण चक्रवात आने से पूर्व ये बादल देखे जा सकते हैं ।

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