Read this article in Hindi to learn about:- 1. महाद्वीपीय विस्थापन का प्रारम्भ (Introduction to Continental Drift) 2. महाद्वीपीय विस्थापन स्थापन के पक्ष में प्रमाण (Proof Regarding the Presence of Continental Drift) 3. मूल्यांकन (Principles).
महाद्वीपीय विस्थापन का प्रारम्भ (Introduction to Continental Drift):
जर्मनी के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता तथा जलवायु विज्ञान के विशेषज्ञ अल्फ्रेड वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धान्त सन् 1912 में प्रस्तुत किया था । उनके अनुसार महाद्वीप स्थिर नहीं रहते बल्कि उनमें विस्थापन होता रहता है । वेगनर के अनुसार एक समय पर सभी महाद्वीप एक-दूसरे से जुड़े हुये थे ।
इन जुड़े हुये महाद्वीपों को वेगनर ने पैंजिया कहा । इस पैंजिया पर छोटे-छोटे आन्तरिक सागरों का विस्तार था । पैंजिया के चारों ओर एक विशाल सागर था जिसका नाम पैंथालसा रखा गया । जिया का उत्तरी भाग लॉरेशिया (उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया) तथा दक्षिणी भाग का नाम गोण्डवानालैण्ड (दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका तथा अंटार्कटिका) था ।
कार्बोनिफेरस युग में महाद्वीपों का विस्थापन आरम्भ हुआ जो लगभग तीस करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है ।
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वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन के बारे में दो परिकल्पनायें प्रस्तुत की:
(i) पहली परिकल्पना:
यदि महाद्वीप एक जगह पर स्थिर रहे हैं तो जलवायु कटिबंध क्रमश: अपना स्थान बदलते रहे हैं । परन्तु ऐसे विस्थापन के प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिलते । जलवायु कटिबंधों का सम्बन्ध सूर्य तथा पृथ्वी की पारस्परिक परिक्रमा से है जिसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।
(ii) दूसरी परिकल्पना:
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यदि जलवायु कटिबंध स्थिर रहे हैं तो महाद्वीपों में विस्थापन हुआ है । वेगनर का पूर्ण विश्वास था कि महाद्वीपों का विस्थापन हुआ है ।
महाद्वीपीय विस्थापन स्थापन के पक्ष में प्रमाण (Proof Regarding the Presence of Continental Drift):
वेगनर महोदय ने अपने सिद्धान्त के समर्थन में निम्न प्रमाण प्रस्तुत किये:
1. वेगनर के अनुसार अटलांटिक महासागर के दोनों तटों पर भौगोलिक एकता पाई जाती है । इस महासागर के दोनों किनारों को आरी के दाँतों की भांति जोड़ा जा सकता है, जिसको अंग्रजी भाषा में जिया-सॉ-फिट (Jig-saw-fit) कहते हैं ।
2. अटलांटिक महासागर के दोनों तटों की चट्टानों की संरचना एवं आयु एक ही युग की है ।
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3. अटलांटिक महासागर के दोनों तटों पर पाये जाने वाले जीवाश्मों में समानता पाई जाती है ।
4. ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका तथा भारत (महानदी बेसिन) में पाए जाने वाले जीवाश्मों में समानता पाई जाती है ।
5. कार्बोनिफेरस युग का बना कोयला उत्तरी यूरोप, पिचोरा बेसिन तथा साइबेरिया के उन भागों में पाया जाता है जो बर्फ से ढँके रहते हैं और जहाँ प्राकृतिक वनस्पति नहीं उगती । ग्रीनलैंड तथा अर्ण्टाकटिक महाद्वीप पर बर्फ के नीचे भी कोयले के भंडार मिले हैं ।
6. ब्राजील के पठार, कांगो बेसिन, भारतीय प्रायद्वीप तथा ऑस्ट्रेलिया के मरुस्थल में हिम नदी द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ पाई गई हैं जो इस बात की तरफ संकेत करती हैं कि किसी समय यह भाग ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थित था जहाँ हिम नदियों और महाद्वीपीय विस्थापन के कारण उनका स्थान परिर्वतन हुआ है ।
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का मूल्यांकन (Principles of Continental Drift):
1. महाद्वीपों के विस्थापन के लिये कितने बल की आवश्यकता है उसकी व्याख्या वेगनर नहीं कर पाये । उनके अनुसार महाद्वीपों का उत्तर की ओर विस्थापन गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा होता है तथा पश्चिम की ओर विस्थापन ज्वार-भाटा बल के द्वारा । ये दोनों बल महाद्वीपों के विस्थापन के लिए पर्याप्त नहीं हैं ।
2. अटलांटिक महासागर के दोनों तटों की भूगर्भीय विशेषताएं हर जगह मेल नहीं खाती ।
3. कार्बोनीफेरस युग से पहले पैंजिया किस बल के द्वारा स्थिर था ।