नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की सूची | List of Renewable and Non-Renewable Energy Resources in Hindi!

1. कोयला (Coal):

कोयला ऊर्जा का एक सस्ता साधन है, जो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, परन्तु कोयला ऊर्जा का एक अनवीकरणीय (Non-Renewable) संसाधन है । प्रतिवर्ष कोयले का लगभग पाँच बिलयन टन उपभोग होता है । विश्व के विकसित देशों, जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस आदि में प्रत्येक व्यक्ति कोयले का उपयोग पाँच टन है । कोयले के उपयोग से विश्व का 35 प्रतिशत धुआँ (प्रदूषण) भी उत्पन्न होता है ।

कोयला मुख्यत: चार प्रकार का होता है:

(i) पीट,

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(ii) लिग्नाइट,

(iii) बिटुमिनस, तथा;

(iv) ऐंथ्रेसाइट ।

पीट की उत्पत्ति, वनस्पति के दलदल आदि में गलने-सड़ने से होती है । यदि पीट पर भार बढ़ जाये तो वह लिग्नाइट में बदल जाता है । यदि लिग्नाइट पर और अधिक भार बढ़ जाये तो वह बिटुमिनस (Bituminous) में बदल जाता है । बिटुमिनस कोयले को मृदु-कोयला (Soft Coal) भी कहते हैं ।

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यदि बिटुमिनस कोयले पर और अधिक भार पड़ जाये तो वह ऐंथेसाइट कोयले में बदल जाता है । यह कोयले का सर्वोत्तम प्रकार है, जिससे सबसे अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है परन्तु कठोर होने के कारण इसको कोक में नहीं बदला जा सकता, इसी कारण उसको धातु पिघलाने के काम में नहीं लाया जा सकता ।

तालिका 7.1 तथा 7.2 में कोयले के प्रमुख उत्पादक तथा उपभोक्ता देशों को दिया गया है ।

विश्व में कोयले की सबसे अधिक आयात (50%) जापान द्वारा किया जाता है । उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के देश विश्व के 45 प्रतिशत कोयले का आयात करते हैं । आयात करने वाले देशों में कनाडा का नाम भी प्रमुख है ।

 

2. पैट्रोलियम (Petroleum):

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पैट्रोलियम ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण तथा कर्मकुशल साधन है । पैट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस से दैनिक जीवन उपभोग की बहुत-सी वस्तुयें भी तैयार की जाती हैं । यह एक विश्वव्यापी उद्योग है । इसके सबसे अधिक भंडार दक्षिणी-पश्चिमी एशिया में पाये जाते हैं ।

विश्व का सबसे पहला कुँआ संयुक्त राज्य अमेरिका के टिटुसविली (Titusville) नामक स्थान पर (1859) खोदा गया था, जो सेंट पिट्‌सबर्ग के उत्तर में 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । इसके पश्चात रोमानिया तथा अज़रबैजान की राजधानी बाकू के निकट तेल के कुएं खोदे गये ।

इस समय विश्व का 50 प्रतिशत पेट्रोलियम दक्षिणी-पश्चिमी एशिया के देशों में पाया जाता है । पैट्रोलियम का उत्पादन करने वाले देशों ने पेट्रोलियम के मूल्य में 1974 में तीव्र वृद्धि कर दी थी जिसके कारण भारी ऊर्जा संकट उत्पन्न हो गया था ।

पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन के सदस्य हैं:

(1) अंगोला,

(2) अल्जीरिया,

(3) ईरान,

(4) इराक,

(5) कुवैत,

(6) इण्डोनेशिया,

(7) लीबिया,

(8) नाइजीरिया,

(9) कतर,

(10) सऊदी अरब,

(11) संयुक्त अरब अमीरात तथा

(12) वेनेजुएला ।

मैक्सिको तथा रूस भी तेल निर्यात करने वाले प्रमुख देश हैं परन्तु वह OPEC के सदस्य नहीं हैं  ।

 

तेल निर्यात करने वाले देशों में अंगोला, अल्जीरिया, ईरान, इराक, कुवैत, इंडोनेशिया, लीबिया, नाइजीरिया, क़तर, सऊदी-अरब, संयुक्त-अरब अमीरात, तथा वेनेजुएला सम्मिलित हैं । अन्य तेल निर्यात करने वाले देशों में मैक्सिको तथा रूस सम्मिलित हैं ।

3. प्राकृतिक गैस (Natural Gas):

प्राकृतिक गैस भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण साधन है, परन्तु इसका संचय करना तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना एक जटिल प्रक्रिया है । विश्व के प्रमुख प्राकृतिक गैस के उत्पादक तथा निर्यात करने वाले देशों को Fig. 7.12 में दिखाया है ।

Fig. 7.12 के अध्ययन से ज्ञात होता है कि प्राकृतिक गैस के उत्पादन में रूस की भागीदारी 22.8 प्रतिशत, संयुक्त राज्य 20.7 प्रतिशत, कनाडा 7 प्रतिशत, ब्रिटेन 3.9 प्रतिशत तथा अल्जीरिया 3 प्रतिशत है । प्राकृतिक गैस के उपभोग में संयुक्त राज्य अमेरिका (24.4%) का स्थान प्रथम है ।

दूसरा स्थान रूस (16%) तीसरा ब्रिटेन (3.6%), जमर्नी (3.5%) तथा कनाडा 3.3 प्रतिशत है । संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप तथा आस्ट्रेलिया में प्राकृतिक गैस

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख प्राकृतिक गैस राज्यों में अकान्सा, केलिफोर्निया, कोलोरेडो, लूज़ियाना, मोण्टाना ओहायो, ओकलाहामा, पेंसिल्वेनिया, टक्सास तथा प. वर्जीनिया सम्मिलित हैं ।

यूरोप में उत्तरी सागर, जर्मनी, फ्रांस, इटली, रोमानिया तथा यूक्रेन प्राकृतिक गैस उत्पादन करने वाले प्रमुख देश हैं ।

नवीकरणीय ऊर्जा साधन (Renewable Energy Resources):

नवीकरणीय ऊर्जा के संसाधनों को ऊर्जा के विकल्पी संसाधन भी कहते हैं । नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में प्रमुख पनबिजली, भूताप (Geothermal), सौर-ऊर्जा, ज्वार भाटा तथा पवन ऊर्जा सम्मिलित हैं ।

4. पन-बिजली (Hydro-Power):

मानव इतिहास में जल की विशेष भूमिका रही है । जल का उपयोग फसलों की सिंचाई, उद्योगों, नवगमन तथा घरेलू इस्तेमाल के लिये होता रहा है । आधुनिक, जल, ऊर्जा उत्पन्न करने का एक मुख्य साधन है । सबसे पहले पानी का उपयोग पन-बिजली उत्पन्न करने के लिये 1882 में आरम्भ हुआ था । जब पानी को ऊँचाई से गिराया जाता है तो पनबिजली का उत्पादन होता है ।

इसलिए पन बिजली मुख्यत: पर्वतीय नदी पर बांध बनाकर और ऊँचाई से टरबाइन मशीनों पर जल को गिराकर पन बिजली का उत्पादन किया जाता है ।

इस समय पन बिजली की भागीदारी विश्व ऊर्जा में 6.5 प्रतिशत है । नॉर्वे में कुल ऊर्जा खपत का 99 प्रतिशत पन-बिजली से प्राप्त किया जाता है । न्यूजीलैंड तथा स्विट्‌जरलैंड अपनी ऊर्जा मांग का 75 प्रतिशत पन-बिजली से आपूर्ति करते हैं । दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में भी ऊर्जा-मांग की आपूर्ति पन-बिजली से ही होती है ।

5. नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy):

नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में 1950 में आरम्भ हुआ । नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जापान, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, रूस तथा यूक्रेन प्रमुख हैं ।

11 मार्च, 2011 के तोहोकू भूकम्प (जापान) के पश्चात फूकूशीमा (Fukushima) परमाणु ऊर्जा केन्द्र के धवस्त होने से नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है । विश्व की नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करने वाले देशों ने इस ऊर्जा के बारे में पुनर्विचार आरम्भ कर दिया । विश्वभर में इसका विरोध प्रदर्शन जारी है, भारत भी अपवाद नहीं है ।