परंपरागत ऊर्जा संसाधनों की सूची | List of Conventional Energy Resources in Hindi.
Conventional Energy Resource # 1. ताप विद्युत (Thermal Power):
इसके उत्पादन हेतु कोयला, खनिज तेल व प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्मी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है । अतः इनकी उपलब्धता इसके उत्पादन को नियंत्रित करने का सर्वप्रमुख कारक है ।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की 1975 ई में ‘नई दिल्ली’ में स्थापना किए जाने के बाद से ताप विद्युत उत्पादन में जल विद्युत व परमाणु विद्युत की तुलना में काफी तेजी से वृद्धि हुई है तथा वर्तमान समय में कुल विद्युत उत्पादन में ताप विद्युत का योगदान 83 प्रतिशत से भी अधिक है ।
भारत सरकार ने ‘पावर फाइनेन्स कार्पोरेशन’ को नोडल एजेन्सी बनाते हुए कोयला आधारित बड़ी विद्युत परियोजना (अल्ट्रा मेगा पॉवर प्रोजेक्ट) की दिशा में पहल की है । इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को न्यूनतम लागत पर विद्युत उपलब्ध कराना है ।
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इन परियोजनाओं में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सुपर क्रिटिकल तकनीकी अपनाने का प्रस्ताव है जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाव हो सकेगा । इन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट में से प्रत्येक की क्षमता 4,000 मेगावाट या उससे ज्यादा है । वर्तमान समय में इनकी संख्या 10 है । मुंद्रा (गुजरात) में यह टाटा पॉवर के द्वारा बनाया जा रहा है ।
सासन (मध्य प्रदेश), कृष्णापट्टनम (आंध्र प्रदेश), तिलैया (झारखंड), गिरिये (महाराष्ट्र), येच्चूर (तमिलनाडु), तादरी (कर्नाटक), अलकतरा (छत्तीसगढ़), साल्का खमेरिया, (सरगुजा, छत्तीसगढ़) मरक्कनम (तमिलनाडु), झारसूगुडा (ओडिशा) का निर्माण रिलायंस पॉवर कर रही है । इव वैली (ओडिशा) व न्यूनीपल्ली (आंध्र प्रदेश) में भी एक अल्ट्रा मेगा पॉवर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है ।
Conventional Energy Resource # 2. परमाणु विद्युत (Nuclear Power):
भारत में परमाणु ऊर्जा अनुसंधान के जनक डॉ. होमी जहाँगीर भाभा के प्रयासों के फलस्वरूप 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना हुई । सन् 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई ।
मुम्बई के निकट ट्रॉम्बे में भारत का पहला परमाणु अनुसंधान संयत्र ‘अप्सरा’ कार्यशील हुआ । भारत का पहला परमाणु विद्युत गृह 1969 ई. में महाराष्ट्र के तारापुर नामक स्थान में स्थापित किया गया ।
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परमाणु विद्युत उत्पादन के लिए यूरेनियम, थोरियम, भारी जल आदि अस्थ्ययक हैं । इनकी झारखण्ड, राजस्थान, मेघालय व केरल जैसे राज्यों में पर्याप्त उपलब्धता है । परमाणु ऊर्जा विभाग ने 2020 ई. तक 20,000 मेगावाट नाभिकीय विद्युत उत्पादन क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है ।
वर्तमान समय में भारत में कार्यशील रिएक्टरों की कुल संख्या 20 एवं आणविक ऊर्जा की स्थापित क्षमता 4,780 मेगावाट है । भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों में छठा स्थान रखता है, परन्तु अभी भी कुल विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान मात्र 3.0% है ।
भारत व संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य हुए असैन्य परमाणु समझौते के पश्चात् भारत ने कनाडा, फ्रांस, रूस जैसे देशों के साथ भी असैन्य परमाणु समझौता किया है, जिससे भारत में परमाणु विद्युत के दिशा में अभूतपूर्व वृद्धि की संभत्वना है ।
जापान में सुनामी के समय फुकुशिमा संयत्र में परमाणु रिसाव के बाद भारत में भी परमाणु संयत्रों का विरोध बढ़ा है । तमिलनाडु के कुडनकुलम, महाराष्ट्र के जैतपुर एवं पश्चिम बंगाल के हरिपुरा परियोजनाओं का विशेष विरोध हो रहा है ।
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जैतपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना (Jaitapur Nuclear Power Project):
जैतपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना महाराष्ट्र के उत्तर-पश्चिमी कोंकण क्षेत्र (जो पश्चिमी घाट का एक भाग है) के रत्नगिरि जिले के मदबन गांव में न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित 9900 मेगावाट की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो पूर्ण होने पर निवल विद्युत ऊर्जा की दृष्टि से अपने प्रकार की विश्व की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना होगी ।
इस परियोजना के तहत 8 (प्रत्येक 1,650 मेगावाट क्षमता) तृतीय पीढ़ी के दाबानुकुलित जल संयंत्र (PWR-Pressurized Water Research) जिन्हें EPR (Evolutionary European Pressurized Reactors) भी कहा जाता है, फ्रांसीसी कंपनी अरेवा (Areva) के सहयोग से स्थापित किए जाएंगे ।
भारत द्वारा नाभिकीय आपूर्तिकर्ता देशों के साथ समझौतों के पश्चात् यह भारत में स्थापित होने वाली पहली परमाणु ऊर्जा परियोजना है । स्थानीय जनता एवं किसानों, पर्यावरणविदों तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा इस परियोजना का भारी विरोध किया जा रहा है, जिसने इस परियोजना को विवादों में ला दिया है ।
Conventional Energy Resource # 3. जल विद्युत (Hydropower):
यह ऊर्जा का नवीकरण योग्य, सस्ता, सुलभ, गैर-प्रदूषक व पर्यावरण-मित्र स्रोत है । इसके लिए बाँधों के पीछे जलाशयों का निर्माण किया जाता है तथा जल को ऊँचाई से गिराकर टरबाइन व विद्युत जनरेटर चलाए जाते हैं । इस प्रकार जल की स्थैतिक ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदलकर विद्युत का उत्पादन किया जाता है ।
भारत में प्रकृति ने विशाल जल संसाधन उपलब्ध कराए हैं, जो हमारी विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता रखता है, परंतु अभी भी इनका अल्प विकास ही हो सका है ।
यही कारण है, कि हमारी ताप विद्युत पर निर्भरता काफी अधिक है । भारत की प्रथम जल विद्युत परियोजना कर्नाटक के ‘शिवसमुद्रम’ में 1902 ई. में प्रारंभ की गई थी । वर्तमान समय में भारत में अनेक जल विद्युत परियोजनाएँ कार्यरत हैं, जिनमें कुछ को राष्ट्रीय संपत्ति का दर्जा भी प्राप्त है ।
अरूणाचल प्रदेश में स्थित ‘लोअर सुबनसिरी’ देश की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है । पूरा होने के बाद यह 2,000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन करेगी । राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) के 1975 ई. में स्थापना किए जाने के बाद से जल विद्युत के उत्पादन में पर्याप्त सुधार हुआ है ।
वर्तमान समय में 60 प्रतिशत लोड फैक्टर पर जल विद्युत की कुल स्थापित क्षमता 84,000 मेगावाट है । लघु जल विद्युत परियोजनाओं की संभावित क्षमता भी 15,000 मेगावाट अनुमानित है । इस प्रकार जल विद्युत के विकास के दिशा में प्रयास हो रहे हैं, परंतु अभी भी इनके विकास की असीम संभावनाएँ हैं ।