Read this article in Hindi to learn about the world heritage sites.

विश्व विरासत स्थल से अभिप्राय उन संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं द्वारा सूचीबद्ध है । विरासत स्थलों को सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत के संरक्षण संबंधी संधि 1972 (1975 से लागू) के तहत उल्लेखनीय सार्वभौमिक महत्व होने के कारण नामित किया है ।

सांस्कृतिक विरासत स्थलों हेतु मानदंड (Criteria for Cultural Heritage Sites):

(i) मानव की रचनात्मक प्रतिभा की अभिव्यक्ति करना, उदाहरणस्वरूप ताजमहल ।

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(ii) वास्तुकला, स्मारकीय कला, शहर की योजना या परिदृश्य डिजायन में मानवीय मूल्यों का महत्वपूर्ण आदान-प्रदान करना ।

(iii) सांस्कृतिक परम्परा का उत्तम उदाहरण होना ।

(iv) इमारत या भू-परिदृश्य जो मानव इतिहास की महत्वपूर्ण अवस्था या समय का उत्कृष्ट नमूना हो ।

(v) पारंपरिक मानव बस्ती भूमि प्रयोग या समुद्र प्रयोग का उत्कृष्ट उदाहरण जो संस्कृति का प्रतिनिधित्व करे ।

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(vi) अत्यधिक प्राकृतिक सुंदरता या सौन्दर्यात्मक महत्ता वाले क्षेत्र ।

(vii) मानव इतिहास की प्रमुख अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला उत्कृष्ट उदाहरण।

(viii) जैव विविधता वाला उत्कृष्ट क्षेत्र ।

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष (International Year of Biodiversity):

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संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2010 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष घोषित किया था ।

पश्चिम घाट- विश्व धरोहर स्थल के रूप में:

पश्चिमी घाट को 1 जुलाई, 2012 को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित कर लिया गया था । यूनेस्को का यह सम्मेलन रूस के सेट पीटर्सबर्ग में हुआ था ।

पश्चिमी घाट की पारिस्थितिकी में विशेष एवं विचित्र प्रकार के पारितंत्र, जैविक एवं भौगोलिक प्रक्रियाएँ पाई जाती हैं । भारत के इस पर्वतीय प्रदेश में बहुत-से स्थानीय पेड़-पौधे, पशु-पक्षी तथा जीव-जंतु पाये जाते हैं । विश्व विरासत के अतिरिक्त पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी हॉट-स्पॉट भी है, जिसमें भारी जैविक-विविधता पाई जाती है ।

भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी छोर पर अरब सागर के पूर्व में प.घाट एक पर्वत श्रेणी है । यह पर्वतमाला, प. तटीय मैदान को भारतीय प्रायद्वीप से अलग करती है । पश्चिमी घाट तापी नदी के दक्षिणी किनारे से आरंभ होकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है । इसका विस्तार गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु राज्यों में है ।

पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटियों में एनाएमुदी (2695 मी.), डोडाबेटा (2636 मी.), मुकर्ती (2554 मी.), कोडायकोनाल (2133 मी.), बाबाबुद्दनगिरी (1895 मी.) तथा सल्हरे (1567 मी.) है । इनके अतिरिक्त ऊटी तथा कोडाइकनाल, जैसे प्रसिद्ध पर्वतीय-स्टेशन एवं पर्यटक केंद्र भी प.घाट में स्थित हैं ।

एक अध्ययन के अनुसार पश्चिमी घाट में 500 प्रकार के फूल-पौधे हैं । यहाँ 39 प्रकार के स्तनधारी, 508 प्रकार के पक्षी तथा 179 प्रकार के उभयचर पाये जाते हैं ।

पश्चिमी घाट ऊष्णकटिबंध तथा उपोष्णकटिबंध (Subtropical) की प्राकृतिक वनस्पति से ढके हुये हैं । यह श्रेणी पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील है । भारत सरकार ने इस पर्वतमाला में दो जीवमंडल संरक्षित क्षेत्र, 13 नेशनल पार्क तथा बहुत-सी वन्यजीव अभयारण्य स्थापित किए हैं । नीलगिरि बायोस्फियर रिजर्व लगभग 5500 वर्ग किलोमीटर पर फैला हुआ है, जिसमें बांदीपुर, नगरहोले, नेशनल पार्क स्थिति हैं ।

इन राष्ट्रीय उद्यानों में पतझड़ एवं सदाबहार वाले वृक्षों के बहुत-से प्रकार पाये जाते हैं । इनके अतिरिक्त मदुमलाये एवं मुकर्तो नेशनल पार्क भी पश्चिमी घाट में स्थित हैं । इसके पारिस्थितिकी तंत्रों के सदुपयोग से इसको हरा-भरा तथा टिकाऊ बनाया जा सकता है ।

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