Read this article in Hindi to learn about the mangroves of India with its significance.
ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु के तटीय दलदली क्षेत्रों में उगने वाली वनस्पति को कच्छ वनस्पति अथवा मैंग्रोव कहते हैं । रंग-बिरंगे फूलो वाले छोटे-बडे मैंग्रोव वृक्षों की जड़ें पानी में रहती हैं । ज्वार भाटा के समय इन वृक्षों के तने भी पानी में डूब जाते हैं । मैंग्रोव वनस्पति पर तापमान, वर्षा अवसाद, लवणता तथा जलधाराओं का भारी प्रभाव पड़ता है ।
मैंग्रोव वनस्पति की सघनता तथा विस्तार द. पूर्वी एशिया के द्वीपसमूह, अफ्रीका में मेडागास्कर तथा मोंजाबिक के तटीय भागों एवं गिनी-खाड़ी के तटीय भागों, द. अमेरिका के उत्तरी पूर्वी तथा ब्राजील के पूर्वी तट पर अधिक पाई जाती है । इनके अतिरिक्त करेबियन सागर में स्थिति द्वीप समूह और आस्ट्रेलिया के उत्तरी-पूर्वी तटीय भागों में भी मैंग्रोव वनस्पति की सघनता अधिक है ।
महाद्वीपों के जिन तटों पर ठंडे पानी की जलधाराएँ बहती हैं उन भागो में मैंग्रोव वनस्पति कम पाई जाती है । अफ्रीका में बेनग्रइला तथा केनरी, द. अमेरिका की पेरू जलधारा, उत्तरी अमेरिका की केलिफोर्निया जलधारा तथा प. आस्ट्रेलिया जलधारा के तटों पर इस प्रकार की वनस्पति का अभाव है ।
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भारत की प्रमुख कच्छ वनस्थतियाँ (Major Mangroves of India):
भारत में मैंग्रोव सभी तटीय राज्यों तथा भारत के द्वीपों में पाए जाते हैं । एक अनुमान के अनुसार, मैंग्रोव 4650 वर्ग किमी क्षेत्र को आवरित करता है । हालांकि भारत के 12 महत्वपूर्ण मैंग्रोव का विवरण तालिका 4.14 में दिया गया है । सुन्दरबन मैंग्रोव भारत के सबसे बडे मैंग्रोव में से एक है ।
इस घने मैंग्रोव वन की प्रमुख वनस्पति प्रजातियों में हिरीटियरा-फेम्स, रिजफोरा प्रजाति, ब्रुगेरिया प्रजाति, सेरिओस डेकान्ड़ा, सोनरेशिया स्पीशीज और एविशैनिया प्रजाति और न्यापा फुक्टिकन । यह मैंग्रोव रॉयल बंगाल टाइगर तथा घड़ियाल हेतु प्रसिद्ध है । इस मैंग्रोव के कई भागों को धान की खेती के लिए साफ किया गया है ।
उड़ीसा तट के पास भीतरकनिका भारत का दूसरा सबसे बस मैंग्रोव है जिसके बाद गोदावरी-कृष्ण मैंग्रोव हैं । भारत के अन्य महत्वपूर्ण हैं- कुंडापुर (कर्नाटक), प्वाइंट कैलिमैर तथा पिकवर्म-Point Calimere and Pichvaram (तमिलनाडु), लरिंगा (आन्ध्र प्रदेश) ।
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मैग्रोव की सामाजिक व परिस्थितिकी महत्ता (Social and Ecological Significance of Mangroves):
मैंग्रोवों की सामाजिक व परिस्थितिकी महत्ता है ।
मैंग्रोवों के उल्लेखनीय लाभ निम्नलिखित हैं:
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1. वे बाढों, चक्रवातों, सागरीय लहरों तथा सुनामी के खतरों को कम करते हैं ।
2. वे तटीय व मृदा अपरदन को रोकते हैं ।
3. वे पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण को कम करते हैं ।
4. मैंग्रोव अनेकों वनस्पतियों व जीवों को सहारा प्रदान करते हैं ।
5. वे खाद्य पदार्थ, चारा, ईंधन लकड़ी तथा औषधीय जडी-बूटियां उपलब्ध कराते हैं ।
6. स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं ।
7. मैंग्रोव का मनोरंजन संबंधी, ईको-पर्यावरण तथा सौंन्दर्यात्मक मूल्य उल्लेखनीय है ।